‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 3 अगस्त। प्रदेश साहू संघ युवा प्रकोष्ठ के रायपुर संभाग अध्यक्ष एवं सामाजिक कार्यकर्ता रूपसिंग साहू ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के 1 साल होने पर मेडिकल कॉलेजों में दाखिले में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी एवं 10 फीसदी आरक्षण गरीबों के लिए स्वागत योग्य बताया।
उन्होंने जारी विज्ञप्ति में कहा कि केंद्र सरकार का ऐतिहासिक फैसला से हजारों छात्रों को लाभ मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना के माध्यम से अन्य पिछड़ा वर्ग और गरीब तबके के विद्यार्थियों को तोहफा दिया है। प्रति वर्ष ऑल इंडिया कोटा स्कीम (एआईक्यू) के तहत एमबीबीएस, एमएस, बीडीएस, एमडीएस, डेंटल मेडिकल और डिप्लोमा में 5550 कैंडीडेट्स को आरक्षण की नई व्यवस्था का फायदा मिलेगा।
श्री साहू ने बताया कि ऑल इंडिया कोटा स्कीम 1986 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत शुरू की गई थी, इसका उद्देश्य दूसरा राज्य के स्टूडेंट को अन्य राज्य में आरक्षण का लाभ उठाने में सक्षम बनाना था। साल 2008 तक ऑल इंडिया कोटा स्कीम में अनुसूचित जाति के लिए 15 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण की शुरुआत की थी। अब इससे ओबीसी व ईडब्ल्यूएस भी शामिल हो गए है। इससे पहले मेडिकल कॉलेजों में दाखिले से जुड़े ऑल इंडिया कोटे में ओबीसी को आरक्षण नहीं दिया जा रहा था, 2019 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए एक संवैधानिक संशोधन किया गया। इसके मुताबिक मेडिकल कॉलेज और डेंटल कॉलेज में सीट बढ़ाई गई है ताकि अनारक्षित वर्ग पर भी इसका कोई असर न पड़े।
श्री साहू ने कहा कि बेशक यह केंद्र सरकार का महती योजना का फैसला है।
क्योंकि आरक्षण नौकरी से अधिक जरूरी है। शिक्षा संस्थानों में सामाजिक असमानता दूर करने की दिशा में अगर हमें बढऩा है तो पिछड़े वर्ग को अधिक से अधिक शैक्षिक अवसर देने से फायदा होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस ऐतिहासिक फैसला से इंजीनियरिंग सूचना प्रौद्योगिकी सभी तकनीक हवाई स्किल शिक्षा पाठ्यक्रमों के संस्थानों में प्रवेश के स्तर पर भी बढ़ाया जाना चाहिए। इससे शिक्षा का पूरा स्वरूप बदल जाएगा और उससे परंपरागत शिक्षा पाठ्यक्रम आउटडेटेड होगा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के 1 साल होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो बड़े ऐलान किए हैं। पहला विद्या प्रवेश प्रोग्राम के जरिए गांव में भी बच्चे को प्ले स्कूल की सुविधा मिलेगी। दूसरा इंजीनियरिंग के कोर्स का 11 भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेशन के लिए टूल डेवलप किया गया है। यह शैक्षिक बदलाव की दिशा में अहम कदम है। देश में हमारे समूची शैक्षिक व्यवस्था व पाठ्यक्रमों को एक राष्ट्रीय स्वरूप देना जरूरी है। नई शिक्षा नीति में 3 से 18 वर्ष की आयु वाले बच्चों के लिए 5़3़3़4 डिजाइन वाली अंतरराष्ट्रीय स्तर की शैक्षणिक संरचना अच्छी बात है।