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रायपुर, 9 मार्च। अशिक्षा और अज्ञानता को दूर कर अपने आत्मबल और आत्मनिर्भरता से ही महिलाएं सशक्त हो सकती हैं। महिलाओं को अपने जीवन में प्रगति के लिए सबसे पहले मन के भय को दूर करना आवश्यक है। यह बातें अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मै्टस विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राज्य की महिला प्रतिभाओं के सम्मान समारोह में व्यक्त की गई।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मै्टस विश्वविद्यालय द्वारा पद्मश्री एवं समाजसेवी फूलबासन बाई य़ादव, रायपुर रेल मंडल में एडिशनल डिविजनल रेलवे मैनेजर 1998 बैच की आईआरपीएस अफसर ड़ॉ. दर्शनिता बोरा अहलूवालिया, सिविल जज सुश्री सारिका नंदे और मिस छत्तीसगढ़ 2019 सौम्या उपाध्याय का सम्मान किया गया। प्रतिभाओं को उपकुलपति डॉ. दीपिका ढांढ और प्रियंका पगारिया द्वारा प्रतीक चिन्ह और पुस्तक भेंटकर सम्मानित किया गया।
सुश्री सारिका नंदे और सौम्या उपाध्याय मैट्स विश्वविद्यालय की भूतपूर्व विद्यार्थी रह चुकी हैं। सम्मानित प्रतिभाओं ने अपने विचारों से सभी को प्रेरित किया। पद्मश्री फूललबासन ने अपने जीवन के संघर्षों को साझा किया और बताया कि उन्होंने अपनी गरीबी, अज्ञानता और अशिक्षा को ही अपनी ताकत बनाया। फूलबासन ने मधुमक्खी के छत्ते का उदाहरण देते हुए कहा कि एकता और संगठन में खूब ताकत होती है। पहले 11 महिलाओं को एकत्र किया और अपना कार्य प्रारंभ किया। धीरे-धीरे संगठन से महिलाएँ जुड़ती गईं और वे भी मेरी तरह कभी बेरोजगार और प्रताडि़त थीं। आज सभी महिलाएँ स्वयं का रोजगार शुरू कर दूूसरों को रोजगार दे रही हैं जो गौरव की बात है। सौम्या उपाध्याय ने अपने मुकाम तक पहुँचने के लिए मैट्स विश्वविद्यालय के शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
समारोह में मैट्स विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गजराज पगारिया, महानिदेशक प्रियेश पगारिया, कुलसचिव गोकुलानंदा पंडा ने हर्ष व्यक्त किया। इस अवसर पर विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण एवं विद्यार्थीगण उपस्थित थे।


