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रायपुर, 22 दिसंबर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश अध्यक्ष अमर परवानी, कार्यकारी अध्यक्ष मंगेलाल मालू, विक्रम सिंहदेव, महामंत्री जितेंद्र दोषी, कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन एवं कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) और सरकार की एफडीआई नीति के प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए अमेजन को उत्तरदायी मानते हुए एक आदेश पारित किया।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने कहा कि कैट ने एक लम्बे समय से अमेजन को फेमा और सरकार की एफडीआई नीति के उल्लंघन का दोषी करार देते हुए एक अभियान पूरे देश में चला रखा है और हाई कोर्ट के निर्णय ने कैट की इस धारणा को बेहद मजबुत किया है और एक तरह से कैट के आरोपों को पुष्टि मिली है। इन्ही आरोपों को लेकर कैट ने अभी हाल ही में वाणिज्य मंत्री, वित्त मंत्री, प्रवर्तन निदेशालय, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, सेबी आदि को आवश्यक सबूतों के साथ अमेजन के खिलाफ शिकायत की थी और अमेजन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। श्री पारवानी ने कहा की अब जब दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस बात को साफ कर दिया है की अमेजन ने फेमा और एफडीआई पालिसी का उल्लंघन किया है ,ऐसे में अब अमेजन के खिलाफ तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए ताकि अमेजन दस्तावों के साथ कोई छेड़-छाड़ न कर सके। श्री पारवानी ने कहा कि अमेजॅन ने भारत के ई-कॉमर्स व्यापार में जोड़ तोड़, जबरदस्ती, मनमानी और तानाशाही व्यापारिक नीतियों को अपनाते हुए ई-कॉमर्स के माध्यम से भारत के खुदरा व्यापार पर अपना कन्ट्रोल जमाने का कोई मौका नहीं छोड़ा और भारतीय कानूनों की जरा भी परवाह नहीं की ।
यहाँ तक की अमेजन ने फ्यूचर समूह के साथ किये गए करार के दस्तावेजों को अथॉरिटी तक को नहीं दिया और हद तो तब हो गई जब सरकार की कोई अनुमति भी नहीं ली , जो की कानूनन जरूरी थी। इससे अंदाजा लग सकता है की अमेजन के लिए भारतीय कानूनों के कोई मायने नहीं है। कि ऐसी विदेशी कम्पनी को भारत में व्यापार करने की अनुमति देनी चाहिए ? सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
कैट ने अपनी शिकायत में बार-बार कहा है कि अमेजॅन ने बेहद चालाकी से फ्यूचर रिटेल के साथ समझौते में फेमा और एफडीआई नीति का उल्लंघन किया जिसे आज कोर्ट ने भी अपने आदेश में स्वीकार किया है। उच्च न्यायालय के निष्कर्षों से कि अमेजॅन ने फेमा नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन किया है, अमेजॅन जैसे प्रमुख ई-कॉमर्स कंनियों के खिलाफ अब सरकार को कड़ी कार्रवाई तुरंत करनी चाहिए।


