कारोबार

मध्यभारत में यह प्रक्रिया पहली बार-अजीत
सुविधा निदेशक अजीत कुमार बेल्लमकोंडा
रायपुर, 8 दिसंबर। एमएमआई नारायणा के सुविधा निदेशक अजीत कुमार बेल्लमकोंडा ने बताया कि आज हम आपको एक ऐसी अनोखी आपबीती के बारे बताने जा रहे हैं, जिसमें एक 54 वर्षीय व्यक्ति को जन्म से ही दिल की बीमारी थी। श्रीमान एक्स, 54 वर्ष के, हमारे हृदय रोग ओपीडी में आए थे। उन्हें उच्च रक्तचाप की समस्या थी और कई दवाइयां ले रहे थे। इससे पहले, तीन अलग-अलग जगहों पर उनका इलाज हुआ था और उन्हें रक्तचाप कम करने वाली दवाएं दी गई थीं।
श्री बेल्लमकोंडा ने बताया कि लेकिन इन दवाओं से कोई फायदा नहीं हुआ। तब जाकर गहन जांच की गई। इस उम्र में, बिना पूरी जांच के यह पता लगाना मुश्किल था कि समस्या दिल की जन्मजात बीमारी की वजह से है। उन्होंने इकोकार्डियोग्राफी और सीटी एंजियोग्राफी करवाई थी। जांच में पता चला कि दिल के बायें हिस्से से निकलने वाली मुख्य रक्त वाहिनी (थोरेसिक एओर्टा) बहुत गंभीर रूप से ब्लॉक हो गई थी। इतना कि समय के साथ यह सीने के स्तर पर कट गई थी।
श्री बेल्लमकोंडा ने बताया कि लेकिन इस स्थिति में, कटे हुए हिस्से के ऊपर वाली एओर्टा में बहुत ज्यादा दबाव पड़ रहा था, जो इन कोलेटरल्स में खून पहुंचाने का मुख्य स्रोत थी। इसके साथ ही बढ़ती उम्र के साथ उच्च रक्तचाप की समस्या भी बढ़ गई थी, जिसकी वजह से मरीज को सिरदर्द, दिल की धडक़न बढऩे जैसी गंभीर समस्याएं हो रही थीं।
श्री बेल्लमकोंडा ने बताया कि 1 नवंबर 2024 को मरीज का सफलतापूर्वक स्टेंटिंग किया गया और कटी हुई आर्च सेगमेंट को खोला गया। इसके बाद, उनके रक्तचाप को नियंत्रित करना आसान हो गया और उच्च दबाव के तहत काम कर रहे दिल को भी राहत मिली। आमतौर पर, इस तरह की रुकावट का पता नवजात शिशुओं में जन्म के एक महीने के भीतर ही लग जाता है और सर्जरी की जरूरत होती है। कैथ लैब में सबसे मुश्किल और जोखिम भरा काम था दोनों हिस्सों को फिर से जोडऩा। यह एक उच्च जोखिम वाली प्रक्रिया थी, जिसे हमारी कार्डियोलॉजी टीम (डॉ. सुमनता शेखर पाधी, डॉ. किंजल बख्शी, डॉ. राकेश चंद) ने सफलतापूर्वक पूरा किया।