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रायपुर, 21 अक्टूबर। एटी ग्रुप के संचालक सौरभ बरडिया ने बताया कि छत्तीसगढ़ के ग्रामीण पृष्ठभूमि में बनी इस फि़ल्म का फि़ल्मांकन जि़ला-उत्तर बस्तर कांकेर के नरहरपुर विकासखण्ड में हुआ है।फि़ल्म की कहानी गाँव में एक मूलभूत दस्तावेज़ ‘राशन कार्ड’ बनवाने की प्रक्रिया से शुरू होती है लेकिन आगे बढ़ते हुए राजस्व (ज़मीन) प्रकरणों में घालमेल, अधिकारियों और बाहुबलियों के गठजोड़, स्थानीय निर्वाचन में लोकतांत्रिक व्यवस्था आदि का बेहतरीन चित्र उकेरता है।
श्री बरडिया ने बताया कि फि़ल्म के सभी पात्र वास्तविक एवं व्यावहारिक हैं, जिससे ग्रामीण परिवेश को समझने वाले दर्शक आसानी से ख़ुद को जोड़ सकते हैं।फि़ल्म का निर्देशन एवं सिनेमैटोग्राफ़ी बेहद प्रभावी है, जो दर्शकों को अंत तक बांधने में सफल होते हैं।कहानी में मुख्य और सहायक कलाकारों के अभिनय एवं संवाद ने कहानी को जीवंत कर दिया है ,कई जगह तो दर्शक आंसू न रोक सकेंगे।फि़ल्म का संगीत एवं बैकग्राउंड म्यूजिक अनावश्यक रूप से ठूँसा हुआ न होकर कहानी को भरपूर समर्थन देता है तथा भावनात्मक पहलुओं को उजागर करने में भी सफल है।
श्री बरडिया ने बताया कि फि़ल्म के दृश्य, कैमरा एंगल, और लोकेशंस ने दृश्य को कहानी की माँग अनुसार सुंदर और आकर्षक बनाया है।शुरुआत में कहानी की गति धीमी है लेकिन किरदारों की पृष्ठभूमि एवं ग्रामीण परिवेश को समग्रता में उकेरने के लिए फि़ल्म की ज़रूरत है।कुल मिलाकर जिस सामाजिक, प्रशासनिक ,राजनीतिक एवं सांस्कृतिक मुद्दे को विषय बनाकर फि़ल्मांकन किया गया है उसमें निर्देशक अधिकांशत: सफल दिखाई देते हैं। यह दर्शकों के लिए मनोरंजक होने के साथ-साथ भावनात्मक रूप से प्रभावी है और विचार करने पर मजबूर कर देती है।


