कारोबार

शांति सरोवर शिक्षक दिवस समारोह
रायपुर, 10 सितम्बर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ने बताया कि शिक्षाविद सेवा प्रभाग द्वारा शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में शिक्षक दिवस समारोह का आयोजन किया गया। जिसका विषय था- श्रेष्ठतम समाज के लिए मूल्य आधारित शिक्षा।
विश्वविद्यालय ने बताया कि समारोह का उद्घाटन पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सच्चिदानन्द शुक्ल, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एन.आई.टी.) के डायरेक्टर डॉ. एन.वी. रमना राव, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बल्देव भाई शर्मा, हेमचन्द विश्वविद्यालय दुर्ग के कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा तथा रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी और रूचिका दीदी ने दीप प्रज्वलित करके किया।
विश्वविद्यालय ने बताया कि हेमचन्द विश्वविद्यालय दुर्ग के कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा ने स्वामी विवेकानन्द का स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने कहा था हमारी शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो अच्छे चरित्र का निर्माण करे। आज समाज में अच्छे चरित्र की सबसे अधिक कमी जरूरत महसूस हो रही है। हाल ही में कोलकाता में घटित घटना इसी तथ्य की ओर ईशारा कर रही है। अगर हम चरित्र का निर्माण नहीं कर पा रहे तो कितनी भी अच्छी शिक्षा हम दे लें उसका कोई औचित्य नहीं है।
विश्वविद्यालय ने बताया कि उन्होंने जापान देश का उदाहरण देते हुए बतलाया कि वहाँ पर छोटे बच्चों को पहले अच्छा इन्सान बनने की शिक्षा दी जाती है। उनके कन्धों पर किताबों का बोझ नहीं होता है। वहाँ पर केवल यह सिखलाया जाता है कि किस तरह से दूसरों का आदर करना है, आस-पास के वातावरण को साफ रखना है और किस तरह से एक दूसरे के साथ प्रेमपूर्वक भाई-चारे के साथ रहना है। औपचारिक पढ़ाई उनकी सात या आठ वर्ष की उम्र के बाद शुरू होती है।
विश्वविद्यालय ने बताया कि पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सच्चिदानन्द शुक्ल ने कहा कि शिक्षकों के अन्दर इतना नैतिक बल होना चाहिए कि वह दूसरों को प्रेरित कर सके। एक समय हमारी शिक्षा व्यवस्था इतनी उन्नत थी कि हमारा देश सोने की चिडिय़ा कहलाता था। हम अब तक ब्रिटिश शिक्षा व्यवस्था को ही आगे बढ़ाते जा रहे थे।
विश्वविद्यालय ने बताया कि वर्ष 2019 में पहली बार सरकार ऐसी शिक्षा पद्घति लेकर आयी जिसमें आधुनिकता और भारतीयता की झलक थी। उन्होंने शिक्षकों से आह्वान करते हुए कहा कि अपने विद्यार्थियों को भारतीय होने का बोध कराएं और उन्हें बतलाएं कि भारतीय होना सबसे अधिक पर गर्व की बात है। आज भी हमारे ज्ञान का भण्डार कम नहीं हुआ है। हमारा ज्ञान, हमारी परम्परा आज भी समृद्घ है। हमारी भाषा जिस लिपि में लिखी गई है उसका एक-एक अक्षर और स्वर विशेष तरंग उत्पन्न करते हैं।