बिलासपुर

हाईकोर्ट ने सहायक प्राध्यापक का एकतरफा निलंबन आदेश रद्द किया
04-Oct-2025 12:26 PM
हाईकोर्ट ने सहायक प्राध्यापक का एकतरफा निलंबन आदेश रद्द किया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 4 अक्टूबर। शासकीय बृजलाल वर्मा महाविद्यालय, पलारी में राजनीति विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक के निलंबन मामले में हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने निलंबन आदेश को अवैध, मनमाना और दुर्भावनापूर्ण बताते हुए रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत ने स्पष्ट कहा कि यह कार्रवाई प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन है और सेवा नियमों के खिलाफ भी।

प्रकरण के अनुसार याचिकाकर्ता कमलेश दुबे लगभग 23 वर्षों से कॉलेज में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत थे और जिनका सेवा रिकॉर्ड पूरी तरह स्वच्छ था। उन्होंने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी के माध्यम से याचिका दायर की थी।

याचिका में बताया गया कि 11 सितंबर 2015 को कॉलेज में कंप्यूटर शिक्षक के पद पर नियमित नियुक्ति होने के कारण प्रीति साहू को कार्यमुक्त किया गया। इसके बाद छात्रों के एक समूह ने उनकी पुनर्नियुक्ति की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया।

17 सितंबर 2015 को छात्र संघ ने कॉलेज प्रशासन को ज्ञापन दिया, जिसमें वाई-फाई, कैंटीन जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी और यह आरोप था कि प्रीति साहू को व्यक्तिगत द्वेष के चलते हटाया गया। उस समय सहायक प्राध्यापक (याचिकाकर्ता) के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई थी।

कुछ ही दिनों बाद एक स्थानीय अखबार में खबर छपी, जिसमें याचिकाकर्ता पर छात्राओं से दुर्व्यवहार के आरोप लगाए गए। खबर छपते ही कॉलेज प्रशासन ने 21 सितंबर 2015 को एकतरफा जांच शुरू कर दी। कुछ छात्राओं के बयान दर्ज किए गए, लेकिन न तो याचिकाकर्ता को नोटिस दिया गया और न ही उनका पक्ष सुना गया। इस जांच के आधार पर उनको निलंबित कर दिया गया।

हाईकोर्ट ने पाया कि पूरी प्रक्रिया बिना सूचना और बिना सुनवाई के की गई, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है। इस तरह की कार्यवाही से व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती है, जो अस्वीकार्य है। नतीजतन कोर्ट ने निलंबन आदेश को निरस्त कर दिया।


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