बिलासपुर
मामला उजागर करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को दी जा रही धमकियां, राज्यपाल से गुहार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 11 अक्टूबर। चकरभाठा क्षेत्र तीन छोटी बच्चियों के साथ स्वयं उनका पिता यौन शोषण करता रहा। बाल कल्याण समिति ने इन बच्चियों को रेसक्यू किया है। बच्चियों ने अपने बयान में सारी बातें कह दी हैं, पर पुलिस एफआईआर दर्ज न करके मामला रफा-दफा करने का प्रयास कर रही है। इस संबंध में राज्यपाल को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की गई है।
एडवोकेट व सामाजिक कार्यकर्ता प्रियंका शुक्ला ने बताया कि उनकी जानकारी में यह बात लाई गई है कि बाल संरक्षण समिति (सीडब्ल्यूसी) की टीम को उन बच्चियों को रेस्क्यू करने में काफी दिक्कत भी आई। बच्चियों ने सीडब्ल्यूसी में बयान भी दिया है। घटना के 8 दिन बीत जाने के बावजूद चकरभाठा पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की है। बच्चियों का अविलंब मेडिकल जांच होना चाहिए था लेकिन दुखद बात यह है कि मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। इस पूरे मामले को सामने लाने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को डराया जा रहा है, जबकि उसे सराहना मिलनी चाहिए थी। पुलिस को सुनिश्चित करना था कि डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन इसमें पुलिस प्रशासन की भूमिका सही नहीं है।
पुलिस के इस रवैये के खिलाफ राज्यपाल अनुसुईया उइके को लिखे पत्र में प्रियंका शुक्ला ने कहा है कि उक्त मामले में संज्ञान में लेकर, अविलंब एफआईआर दर्ज कर आरोपी पिता को हिरासत में लिया जाए व गांव में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को धमकी देने वालों पर भी कार्रवाई कर उनको भी हिरासत में लिया जाए। राज्यपाल से मांग की गई है कि बच्चियों के बेहतर भविष्य के लिए उसकी समस्त जिम्मेदारी सरकार अच्छे से वहन करे, इसका आदेश भी प्रशासन को दिया जाए।


