बिलासपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 9 मार्च। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सड़क निर्माण के लिए प्रस्तावित जमीन की खरीदी के कारण याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी पर कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है।
मामला कोरबा जिले का है। याचिकाकर्ता मंशाराम कवर की ओर से अधिवक्ता डॉ एनके शुक्ला और अजीत तिवारी ने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से अतिरिक्त जिलाधीश ने जिला पंजीयक को 12 दिसंबर 2020 को पत्र भेजा था कि 27.19 किलोमीटर की एक सड़क प्रस्तावित है, जिसके कारण निर्देशित हिस्से की जमीन पर मालिकाना हक में किसी तरह का बदलाव प्रतिबंधित रहेगा। याचिकाकर्ता ने उसी प्रस्तावित सड़क के मार्ग पर एक जमीन खरीदी है। जिला पंजीयक ने 12 दिसंबर 2020 के जिला प्रशासन के निर्देश का हवाला दिया और जमीन की रजिस्ट्री करने से मना कर दिया।
यही नहीं जिला प्रशासन ने उसके विरुद्ध एक एफआईआर भी भूमि ग्रहण अधिनियम 2013 के अंतर्गत दर्ज करा दी।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि उक्त जमीन की खरीदी बिक्री पर 12 दिसंबर 2020 से रोक लगी हुई है, इस बारे में किसी तरह की सार्वजनिक सूचना आम जनता के लिए जारी नहीं की गई है। यदि प्रस्तावित सड़क की जमीन के लिए उक्त भूमि का अधिग्रहण संभावित था और इसमें परिवर्तन प्रतिबंधित था तब इस बारे में आम सूचना जारी होनी चाहिए।
इसके विपरीत जिला पंजीयक ने न केवल जमीन के क्रेता याचिकाकर्ता के नाम पर रजिस्टर करने से मना किया बल्कि उसके विरुद्ध एफ आई आर दर्ज करा दी गई।
जस्टिस गौतम भादुड़ी की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए यह माना शासन की ओर से जब तक सार्वजनिक सूचना नहीं दी जाती है, तब तक किसी व्यक्ति को ज्ञात नहीं हो सकता किसी जमीन की खरीदी बिक्री नहीं करनी है। जब तक कि कोई आदेश का सार्वजनिक प्रकाशन नहीं होता है तब तक कलेक्टर को अपराध दर्ज करने का अधिकार नहीं है।
कोर्ट में राज्य सरकार से इस मामले में 4 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए याचिकाकर्ता के विरुद्ध प्राथमिकी के आधार पर कठोर कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है।


