बिलासपुर

स्पीकर डॉ. महंत की दत्तक बेटी ससुराल विदा, सैकड़ों बने साक्षी
11-Feb-2022 12:28 PM
स्पीकर डॉ. महंत की दत्तक बेटी ससुराल विदा, सैकड़ों बने साक्षी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 11 फरवरी।
लाफागढ़ में वह एक भावुक क्षण था, जब स्पीकर डॉ. चरणदास महंत और सांसद ज्योत्सना महंत ने अपनी दत्तक पुत्री सरस्वती का पारम्परिक रीति रिवाजों के साथ कन्यादान किया। आसपास के कई जिलों से पहुंचे लोग इस प्रसंग के साक्षी बने।

सरस्वती के लिये बारात पुड़ु (रतनपुर) से आई थी। दूल्हे नंद दास और उनके पिता बेचनदास के साथ आये बारातियों का उन्होंने स्वागत किया। समधी भेंट की रस्म भी निभाई। समारोह में लाफागढ़ और आसपास के ग्रामीण मौजूद थे। इसके अलावा विधायक मोहित केरकेट्टा, कलेक्टर रानू साहू, पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल सहित जांजगीर-चांपा, जीपीएम, कोरिया, कटघोरा और बिलासपुर से भी डॉ. महंत के समर्थक बड़ी संख्या में पहुंचे थे। सबकी मौजूदगी में वर-वधू ने सात फेरे लिये लोगों ने आशीर्वाद दिया और सरस्वती अपने ससुराल विदा हुई। अनेक लोगों के खुशी के आंसू भी बह निकले।

सरस्वती को दत्तक पुत्री के रूप में अपनाये जाने की दिलचस्प कहानी है। सन् 1996 में तब के संयुक्त मध्यप्रदेश में डॉ. महंत वाणिज्यकर राज्य मंत्री थे और लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिये लाफागढ़ पहुंचे थे। इसी दौरान ग्राम का चमरा दास अपनी नवजात बच्ची को लेकर डॉ. महंत के पास पहुंचा। उसने अपनी व्यथा बताई कि बेटी के जन्म के बाद उनकी पत्नी वेद कुंवर गुजर गई। अब वह बेटी का लालन-पोषण नहीं कर पा रहा है। डॉ. महंत ने पूरी बात सुनने के बाद फैसला लिया और नवजात को गोद में लेकर चमरा दास से कहा कि आज से यह मेरी बेटी हुई। इसके आजीवन लालन-पालन, शिक्षा, दीक्षा की जिम्मेदारी मेरी रहेगी। डॉ. महंत ने अपने वायदे को निभाया। वे अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से लगातार चमरा दास व सरस्वती के संपर्क में रहे। होली, दिवाली, त्यौहारों में उपहार भेजना, पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था करना, स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करना उस दिन से अब तक जारी है। सरस्वती को उनके पिता ने अपने पास ही रखना चाहा था, जिसका भी डॉ. महंत ने सम्मान किया।


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