बीजापुर
उग्र आंदोलन की चेतावनी, कहा शासन प्रशासन की होगी जिम्मेदारी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 7 नवंबर। सर्व आदिवासी समाज जिला बीजापुर ने जिला खनिज न्यास निधि के उपयोग को केवल खदान क्षेत्र से 25 किमी के दायरे तक सीमित रखने के निर्णय का विरोध करते हुए पूरे जिले में इसके उपयोग की मांग की है। समाज ने इसे बीजापुर जैसे अति पिछड़े, नक्सल प्रभावित और जनजाति बहुल जिले के साथ घोर अन्याय बताया है।
जिला अध्यक्ष जग्गूराम तेलामी ने कहा कि बीजापुर जिला खनिज संपदा से समृद्ध होते हुए भी विकास की दृष्टि से अत्यंत पिछड़ा है। उन्होंने कहा कि खनिज संपदा का लाभ सिर्फ खदान क्षेत्र तक सीमित रखना तर्कसंगत नहीं है। जिले के भोपालपट्टनम, उसूर, भैरमगढ़, बीजापुर ब्लाकों सहित सुदूर ग्राम भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। ष्ठरूस्न फंड का उपयोग पूरे जिले में समान रूप से होना चाहिए।
उन्होंने बताया कि डीएमएफ की स्थापना का मूल उद्देश्य खनिज उत्खनन से प्रभावित समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास और पर्यावरणीय क्षति की भरपाई करना था। जबकि वास्तविकता में इसका लाभ केवल चुनिंदा क्षेत्रों को ही मिल रहा है।
सर्व आदिवासी समाज ने मांग की है कि बीजापुर की विशेष परिस्थितियों नक्सल प्रभावितता, जनजातीय बहुलता, और अविकसित आधारभूत संरचना को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन डीएमएफ नियमों में संशोधन करे और जिले की समस्त पंचायतों एवं विकासखंडों में निधि के उपयोग की अनुमति प्रदान करे।
समाज ने यह भी कहा कि यदि शासन ने मांग पर गंभीरता से विचार नहीं किया तो इसे लेकर व्यापक उग्र आंदोलन किया जाएगा जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।


