बस्तर

कन्दीय फसलों की उन्नत काश्त तकनीक पर प्रशिक्षण
01-Nov-2021 7:08 PM
कन्दीय फसलों की उन्नत काश्त तकनीक पर प्रशिक्षण

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 1 नवंबर।
शहीद गुंडाधूर कृषि महाविद्यालय एवं अनुसन्धान केंद्र कुम्हरावंड में संचालित अखिल भारतीय समन्वित कन्दीय फसल अनुसन्धान परियोजना अंतर्गत एक दिवसीय प्रशिक्षण एवं अनुसन्धान प्रक्षेत्र भ्रमण कार्यक्रम का आयोजन विगत दिनों किया गया।

 इस अवसर पर अधिष्ठाता डॉ.आर एस नेताम ने कन्दीय फसलों की खेती में आने वाली कम लागत के कारण यह किसानों के लिए निश्चत तौर पर अधिक लाभदायक है। कन्दीय फसलों की खेती में पानी की खपत कम होने के कारण यह पर्यावरण के लिए भी अधिक अनुकूल है। महाविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.मनीष कुमार ने अपने व्याख्यान में परियोजना के कार्यों की सराहना करते हुये इस क्षेत्र में कन्दीय फसलों की विविधता एवं उनके पोषक महत्वों पर जानकारी दी।

कन्दीय फसल अनुसन्धान परियोजना की प्रभारी डॉ.पद्माक्षी ठाकुर ने जिमीकन्द, शकरकन्द, केऊकन्द, डांगकांदा, कोचईकन्द, नागरकंद, तिखुरकन्द इत्यादि के उन्नत काश्त तकनीक के संबध में जानकारी दी एवं उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों को सभी फसलों के अनुसन्धान प्रक्षेत्रों का भ्रमण करवाया। कीट वैज्ञानिक डॉ.एन सी मंडावी ने कन्दीय फसलों की हानिकारक कीट एवं उनके प्रबंधन पर जानकारी किसान भाइयों को अनुसन्धान प्रक्षेत्र पर दी। सहायक प्राध्यापक डॉ.एच के पात्र ने बस्तर क्षेत्र में कन्दीय फसलों की सम्भावना एवं उनके महत्व पर व्याख्यान दिया। वैज्ञानिक डॉ तेजपाल चंद्राकर ने कन्दीय फसलों में अनुशंसित खाद एवं उर्वरकों के प्रयोग के सम्बन्ध में किसानों को जानकारी दी। डॉ.विकास रामटेके ने कन्दीय फसलों को अंतरवर्तीय फसल के रूप में काजू एवं अन्य छायादार फल वृक्षों के बीच में लगाने के सम्बन्ध में जानकारी प्रेषित की।

डॉ. आशीष केरकेट्टा के द्वारा कन्दीय फसलों में लघु कृषि यंत्रों का प्रयोग एवं अन्तरूशस्यक्रिया एवं कन्दीय फसलों की यंत्रों के माध्यम से खुदाई की जानकारी विस्तारपूर्वक दी।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने अनुराग,जे आर एफ,  खेमेश्वर सेठिया, श्रीकिरण कु.साधना एवं कु उमा का महवपूर्ण योगदान था। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषकों के साथ साथ रावे छात्रों ने भी उपस्थित होकर एवं अपने साथियों को ऑनलाइन गूगल मीट के माध्यम से जोडक़र कार्यक्रम में भाग लिया।
 


अन्य पोस्ट