बलौदा बाजार

बारिश नहीं, 20 फीसदी उत्पादन कम होने की आशंका
09-Sep-2021 5:16 PM
बारिश नहीं, 20 फीसदी उत्पादन कम होने की आशंका

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 9 सितंबर।
अगस्त में सूखे रहने के बाद सितंबर में बीते दो-तीन दिनों से हो रही बारिश ने किसानों को राहत जरूर दी है, परंतु देर से हुई बारिश के बाद अब इस वर्ष असिंचित किसानों को बीस से पच्चीस फीसदी धान का उत्पादन कम होना पूरी तरह से तय नजर आ रहा है। 

धान की फसल के लिए बारिश अब देर हो गई है, जिसके चलते धान के पौधों को ना तो पर्याप्त पानी मिल पाया है और ना ही पर्याप्त पानी के अभाव में किसान धान को पर्याप्त खुराक यानी रासायनिक खाद ही दे पाया है। जिसका असर धान की फसल पर आने वाले कंसे यानी ब्रांच पर नजर आएगा। 

किसानों से लेकर कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि पानी की कमी की वजह से इस वर्ष असिंचित फसल में धान के कंसे कम रहने की पूरी आशंका है, जिसका असर उत्पादन पर भी होगा।

इस वर्ष मानसून पूर्व मौसम विशेषज्ञों ने जोरदार मानसून की भविष्यवाणी की थी, जिसके बाद किसानों में इस वर्ष धान की फसल जोरदार होने को लेकर उत्साह था जो उत्साह मानसून के रूठने के बाद दिन ब दिन कमजोर होता गया है। इस वर्ष बारिश की आंख मिचौली ने किसानों को हताश कर दिया है, जिससे किसानों को अब तगड़ा नुकसान नजर आ रहा है। जिले में बीते दो दिनों से रुक-रुककर बारिश हो रही है, जिससे खेतों में नमी है। परंतु, इस बारिश के बाद भी असिंचित इलाकों में धान की फसल को नुकसान होना पूरी तरह तय है। मंगलवार को बलौदाबाजार ब्लॉक के सोनपुरी, सलोनी, भरसेला, शुक्लाभाटा आदि ग्रामीण इलाकों में धान की फसल का निरीक्षण किया गया तो सिंचित खेतों को छोडकऱ प्राय:सभी खेत सूखे नजर आए। सोमवार-मंगलवार को हुई बारिश के बाद खेतों में नमी जरूर है, परंतु इस समय खेतों में जितना पानी भरा होना चाहिए, वह पूरी तरह से गायब नजर आ रहा है जो आने वाले दिनों में धान की बालियों तथा कंसे के लिए नुकसानदायक नजर आ रहा है। 

किसानों ने बताया कि लगभग 10-15 दिन पूर्व खेतों में इतना पानी भरा होना चाहिए था कि चलते समय घुटनों तक पानी भरा रहे। इस समय किसान रासायनिक खाद का इस्तेमाल करते हैं जिससे पौधे में अधिक कंसे यानी शाखाएं (ब्रांच) अधिक आती हैं। पौधे में जितनी अधिक शाखाएं होती हैं। बाद में उतनी ही अधिक बालियां भी होती हैं, परंतु इस पूरे सीजन कभी भी धान के खेत में घुटनों तक पानी भरा रहे यह स्थिति ही नहीं रही है। जिसकी वजह से इस वर्ष ना तो पौधे मजबूत हैं और ना ही पौधों को पर्याप्त मात्रा में खुराक (खाद) ही दी गई है, जिससे धान के उत्पादन में नुकसान होना पूरी तरह से तय नजर आ रहा है।

स्वर्णा को छोडकऱ सभी गभोट अवस्था में 
क्षेत्र के किसानों द्वारा खरीफ धान के रूप में महामाया, स्वर्णा तथा 1010 का सर्वाधिक उत्पादन किया जाता है। महामाया 125 दिन, स्वर्णा 145 दिन तथा 1010 धान 115 दिन में तैयार हो जाती है। फिलहाल स्वर्णा को छोडकऱ सभी धान गभोट अवस्था में पहुंच चुके हैं। इस अवस्था में धान के पौधों को पर्याप्त पानी तथा खाद नहीं मिला है, जिससे धान के पौधे में कम कंसे यानी कम ब्रांच आने की आशंका बढ़ गई है। कम कंसे यानी कम ब्रांच का असर पौधों की हेल्थ के साथ ही साथ बाली पर भी नजर आएगा तथा कम ब्रांच होने की वजह से बाली भी कम होगी तथा बाली का उत्पादन भी कम होगा जो सीधा किसान का नुकसान है

एस. एस. पैंकरा, उप संचालक, कृषि विभाग, बलौदा बाजार-भाटापारा का कहना है कि पानी की कमी से इस वर्ष असिंचित इलाकों की धान की फसल में कंसे कम आने की पूरी आशंका है, जिसका असर उत्पादन पर नजर आएगा। असिंचित इलाकों में 15-20 फीसदी का नुकसान होने की आशंका नजर आ रही है।

 


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