बलौदा बाजार

स्टेडियम बने मवेशियों का चारागाह और शराबियों का अड्डा
27-Aug-2021 5:47 PM
स्टेडियम बने मवेशियों का चारागाह और शराबियों का अड्डा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बलौदाबाजार, 27 अगस्त। बलौदा बाजार ब्लाक में बीते वर्षों में नागरिक इलाकों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक स्टेडियम निर्माण के नाम पर नगरपालिका तथा जनपद पंचायत द्वारा लाखों रुपए खर्च किया गया है, परंतु आज तक स्टेडियम में कभी किसी प्रकार की बड़ी क्रीड़ा प्रतियोगिता आयोजित ही नहीं की गई है।

लाखों रुपए के खर्च के बाद वर्तमान में इनमें से अधिकांश स्टेडियम उपयोग के ही लायक नहीं है। कुछ वर्ष पूर्व बने स्टेडियम की हालत देखकर केवल शासकीय राशि का दुरुपयोग ही समझ आ रहा है।

  ब्लॉक के नगरीय इलाकों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक मिनी स्टेडियम के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए गए हैं, परंतु आज तक इनका कभी उपयोग नहीं किया गया है। ग्रामीण इलाकों में संसाधन की कमी होने की वजह से कभी किसी क्रीड़ा प्रतियोगिता का आयोजन भी नहीं किया जा सका है। ग्रामीण इलाकों के लिए जनपद पंचायत द्वारा मिनी स्टेडियम से 15 से योजना प्रारंभ की गई, जिसमें मनरेगा तथा ग्रामीण यांत्रिकी विभाग द्वारा ग्रामों में मिनी स्टेडियम का निर्माण कराया गया है।

वर्ष 2015 में ब्लॉक के 2 ग्रामों में मनरेगा से 16. 8100000 तथा ग्रामीण यांत्रिकी विभाग से 31. 6100000 कुल 48.42000 रुपये से दो मिनी स्टेडियम का निर्माण कराया गया है। वहीं, वर्ष 2016 में पुन: 2 ग्रामों में मनरेगा से 19. 63 रुपय तथा ग्रामीण यांत्रिकी विभाग से 31.61 लाख रुपए कुल 51लाख 24000 रुपए से दो मिनी स्टेडियम का निर्माण कराया गया है। लगभग एक करोड़ रुपए खर्च के बाद वर्तमान में ना तो इसका उपयोग हो रहा है और ना ही उचित रखरखाव ही किया जा रहा है।

नगरीय इलाकों के स्टेडियम अधिक खराब

 पूर्व राज्य सरकार द्वारा उन्मुक्त खेल मैदान योजना के तहत नगरपालिका बलोदा बाजार द्वारा लगभग 32.35 लाख से नगर के पंडित चक्रपाणि शुक्ला शासकीय हाई स्कूल के खेल मैदान का सौंदयीकरण कराया गया था हाई स्कूल के खेल मैदान के एक बड़े भाग को चारों ओर से लगभग 16 लाइट लगाकर घेरा गया था तथा मैदान के एक किनारे से स्टेडियम बनाया गया था।

स्टेडियम के साथ ही 2 बड़े कमरे बनवाए गए थे, जहां खेल समान तथा अन्य काम किए जाने थे। नगर पालिका ने पूर्ण कार्य निविदा के माध्यम से कराया गया था तथा कार्य होने के बाद 3 अक्टूबर 2005 को तत्कालीन नगरी प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल ने खेल मैदान का लोकार्पण किया था। लोकार्पण किए जाने के बाद नगर पालिका तथा स्थानीय प्रशासन दोनों ही खेल मैदान को भूल गए हैं, जिसका परिणाम यह हुआ कि महज 15 सालों के भीतर खेल मैदान दुर्दशा का शिकार हो गया है।


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