-फ़ैसल मोहम्मद अली
नई दिल्ली, 17 दिसंबर । राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अशोक गहलोत को बेहद अनुभवी और बुज़ुर्ग नेता बताया और कहा कि कांग्रेस पार्टी को आनेवाले समय में नौजवानों को आगे लाने की ज़रूरत है.
बीबीसी के दिए गए एक साक्षात्कार में सचिन पायलट ने ये बात कही.
सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच में मतभेद कोई नई बात नहीं है. दो साल पहले ऐसी भी ख़बरें आईं थी जब अशोक गहलोत से मतभेदों के चलते वे पार्टी छोड़ने का मन बना रहे थे.
जब इस संबंध में सवाल उनसे पूछा गया तो सचिन पायलट ने कहा, ''प्रतिस्पर्धा हमउम्र लोगों से होती है, वो मुझसे उम्र में बड़े हैं. इतना अनुभव उनको है. वो तो पुराने नेता रहे हैं, 40-50 साल से राजनीति कर रहे हैं. वो तो बहुत बुज़ुर्ग, वयोवृद्ध और अनुभवी हैं, मेरा उनसे क्या मुक़ाबला?'
इसी क्रम में जब बीबीसी ने उनसे कहा कि बुज़ुर्गों को भी तो युवाओं को मौक़ा देने की ज़रूरत है तो उन्होंने जवाब में कहा, ''अब जब देश और नौजवान हो रहा है तो आने वाले समय में और नौजवानों को आगे लाने की ज़रूरत है. वो काम पार्टी करेगी.''
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी में युवाओं को मौक़ा देने की परंपरा रही है. पार्टी ने उन्हें महज़ 26 साल की उम्र में सांसद बनने का मौक़ा दिया फिर वो मंत्री भी बने.
वे आगे कहते हैं कि ख़ुद अशोक गहलोत तक़रीबन 35 साल की उम्र में राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष बन गए थे और फिर मुख्यमंत्री रहे.
सचिन पायलट के बीबीसी के साथ इंटरव्यू के ठीक दूसरे दिन कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने एक बयान में कहा है कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा ये विधानसभा चुनावों के बाद तय किया जाएगा.
राजस्थान में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं.
पिछले चुनाव के समय सचिन पायलट कांग्रेस की राजस्थान ईकाई के अध्यक्ष थे. लेकिन पार्टी की जीत के बाद मुख्यमंत्री का सेहरा अशोक गहलोत के सिर बांधा गया और सचिन पायलट को उप-मुख्यमंत्री के पद पर सब्र करना पड़ा.
इसके बाद दोनों के बीच तल्खी का दौर लंबा चला और साल 2020 में उस समय सरकार के गिरने तक की नौबत आ गई थी जब सचिन पायलट पार्टी के दर्जन भर से अधिक विधायकों के साथ हरियाणा के मानेसर के एक रिज़ॉर्ट में पहुंच गए थे.
तब सचिन पायलट की बीजेपी में जाने की ख़बरें ख़ूब गर्म थीं. इसके पहले राहुल गांधी के दूसरे क़रीबी कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद वग़ैरह बीजेपी के पाले में चले गए थे.
अगले साल पार्टी की सत्ता में वापसी
जुलाई 2020 में क्या हुआ था इस सवाल पर वो कहते हैं कि उनके कुछ मुद्दे थे जो वो उठाना चाहते थे जिसे पार्टी ने समझा और मामला सुलझ गया जिसका राज्य में पार्टी की राजनीति पर बेहतर प्रभाव पड़ा है और फिलहाल उनका लक्ष्य है अगले चुनाव में पार्टी की सत्ता में वापसी.
हालांकि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच का मामला इतनी आसानी से नहीं सुलझा था और बात हाई कोर्ट तक चली गई थी और उनकी ओर से हरीश सालवे वकील के तौर पर पेश हुए.
हरीश सालवे केंद्र में सत्तासीन पार्टी के बड़े क़रीबी के तौर पर देखे जाते हैं.
दोनों नेताओं के बीच कड़वाहट पूरी तरह से ख़त्म हो गई हो ऐसा नहीं है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को 'ग़द्दार और निकम्मा' तक कह डाला था. लेकिन बाद में उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि पुरानी बातें पुरानी हो गईं अब आगे देखने की ज़रूरत है.
सचिन पायलट से जब ये पूछा गया कि पिछले दिनों वो और गहलोत साथ-साथ शिमला में कांग्रेस सरकार के शपथ-ग्रहण सरकार में गए, तो क्या शिमला की बर्फ़ ने पुरानी तल्ख़ियों को ठंडा कर दिया तो वो बोले कि राजनीति में तल्ख़ियां नहीं होतीं, मुद्दे होते हैं.
पिछले दिनों एक तस्वीर ख़ूब वायरल हुई जिसमें राहुल गांधी, सचिन पायलट के कंधे पर हाथ रखे हुए हैं. दोनों भारत जोड़ो यात्रा का हिस्सा थे. राहुल गांधी के नेतृत्व में हो रही ये यात्रा इन दिनों राजस्थान से गुज़र रही है.
पिछले काफ़ी सालों से राजस्थान में वोटर सत्ता में मौजूद दल की जगह विपक्षी पार्टी को सत्ता का मौक़ा देते रहे हैं.
हिमाचल की जीत को लेकर उत्साह
बातों के क्रम में उनसे ये भी सवाल किया गया कि क्या प्रदेश की सरकार में उस तरह के बदलाव की गुंजाइश है जैसी गुजरात में बीजेपी ने विजय रुपानी की जगह भूपेश पटेल को मुख्यमंत्री बनाकर की थी?
सचिन पायलट ने कहा था कि गुजरात में बीजेपी अगर जीत को लेकर इतनी आश्वस्त होती तो चुनाव के पहले सत्ता में बड़े फेर-बदल न किए होते.
कांग्रेस के सीनियर नेता हिमाचल में मिली जीत को लेकर बहुत उत्साहित हैं और कहते हैं कि ये साबित करता है कि उत्तर भारत में ठीक रणनीति बनाकर बीजेपी को हराया जा सकता है.
उनके मुताबिक़ इससे देश भर में संदेश गया है कि कांग्रेस पार्टी बीजेपी को शिकस्त दे सकती है.
कांग्रेस पार्टी को पहले भी उत्तर-पूर्व के त्रिपूरा से लेकर बिहार और गोवा तक में जीत मिली थी लेकिन सरकार बनाने में वो असमर्थ रही. मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के बावजूद सत्ता उसके हाथों से फिसल गई थी.
पायलट कहते हैं कि सत्ता मध्य प्रदेश में फिसली नहीं थी बल्कि फिसलाई गई थी लेकिन जनता अब समझ चुकी है कि जो वायदे किए गए थे वो पूरे नहीं हुए. और देखना चाहिए कि किस तरह देश में मंहगाई आसामान छू रही है, बेरोज़गारी चरम पर है और चीन, भारत के साथ किस तरह पेश आ रहा है.
लेकिन जब उनसे पूछा कि इन मुद्दों के बावजूद वोटर अभी भी प्रधानमंत्री मोदी के साथ खड़ा दिखता है और जिस भारत जोड़ो यात्रा की इतनी चर्चा है उसका असर गुजरात के चुनावों पर नहीं दिखा, हिमाचल में राजस्थान की तरह जनता हर बार दूसरे दल को मौक़ा देती रही है.
इस पर उनका कहना है कि भारत जोड़ो यात्रा राजनीतिक यात्रा नहीं है, न ये वोट मांगने के लिए है. ये स्थानीय कांग्रेस काडर और कार्यकर्ताओं पर है कि वो किस तरह इसका इस्तेमाल करते हैं. (bbc.com/hindi)