बीबीसी की एक विशेष रिपोर्ट में पढ़ें पूरी दुनिया के कोरोना रिसर्च का हाल
बीते दो हफ़्ते में, फाइज़र व बायोएनटेक और मॉडर्ना दोनों ने अपने कोविड वैक्सीन के बेहद सफल परीक्षणों की घोषणा की है.
अन्य वैक्सीन पर काम चल रहा है, जबकि तीसरा अहम ट्रायल, बेल्जियम की कंपनी जानसेन कर रही है और इस पर ब्रिटेन में अनुसंधान चल रहा है.
वैक्सीन की ज़रूरत क्यों है?
अगर आप चाहते हैं कि आपका जीवन वापस सामान्य हो जाए तो हमें वैक्सीन की आवश्यकता है.
अब भी, बड़ी संख्या में लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण का ख़तरा हैं. फिलहाल, हम केवल अपने रहन-सहन पर संयम करके ही अधिक लोगों को मरने से रोक रहे हैं.
लेकिन वैक्सीन हमारे शरीर को इससे सुरक्षित लड़ना सिखाएगी. यह या तो हमें पहली बार कोरोना वायरस संक्रमण होने से बचाएगी या कम से कम कोविड-19 को प्राणघातक होने से रोकेगी.
वैक्सीन के साथ बेहतर उपचार ही 'कोरोना वायरस महामारी से बाहर निकलने की रणनीति' है.

कौन सी वैक्सीन के सफल होने की अधिक संभावना है?
फाइज़र/बायोएनटेक वो दवा कंपनी है जिसने सबसे पहले अपने वैक्सीन के परीक्षण के अंतिम चरण में होने की जानकारी साझा की है.
इसके डेटा के मुताबिक यह वैक्सीन 90% लोगों को कोविड-19 महामारी होने से बचा सकती है.
क़रीब 43,000 लोगों को पर इस वैक्सीन को टेस्ट किया जा चुका है और सुरक्षा को लेकर कोई चिंताएं सामने नहीं आई हैं.
मॉडर्ना अपने वैक्सीन का परीक्षण अमेरिका में 30 हज़ार लोगों पर कर रहा है, इनमें से आधे लोगों को डमी इंजेक्शन दिए गए.
इसके मुताबिक यह वैक्सीन 94.5% लोगों को सुरक्षित कर सकता है. इन्होंने परीक्षण के लिए मौजूद कोविड के लक्षणों वाले पहले 95 लोगों में से केवल पांच को ही वास्तविक वैक्सीन दी.
ब्रिटिश दवा कंपनी एस्ट्राज़ेनेका और ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक मिलकर एक वैक्सीन विकसित कर रहे हैं. अगले कुछ हफ़्तों में इसके परीक्षण के नतीजे भी आ जाएंगे.
इस बीच स्पुतनिक वी नामक पर एक डेटा जारी किया गया है जो उत्साह बढ़ाने वाला है.
तीसरे चरण के अंतरिम परिमाणों के मुताबिक, फाइज़र का वैक्सीन भी इसी चरण में है, रूसी शोधकर्ताओं ने बताया है कि यह 92% तक कारगर है.
क्या अन्य टीके विकसित किए जा रहे हैं?
आने वाले हफ़्तों और महीनों के दौरान एडवांस ट्रायल पर काम कर रही अन्य टीमों से भी नतीजे आने की उम्मीद है.
जानसेन के परीक्षण में पूरे ब्रिटेन से 6,000 लोगों की शामिल करने का काम शुरू किया है. अन्य देश भी इस प्रयास में शामिल हो कर यह संख्या 30,000 तक ले जाएंगे.
कंपनी पहले ही अपनी वैक्सीन का एक बड़े पैमाने पर परीक्षण कर चुकी है, जिसमें वॉलंटियर्स को एक खुराक दी गई है. अब कंपनी यह देख रही है कि क्या दो डोज अधिक मजबूत और लंबे समय तक चलने वाली इम्यूनिटी देते हैं.
कई अन्य वैक्सीन का परीक्षण भी अपने अंतिम चरण में हैं. इनमें चीन में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स और साइनोफार्मा, और रूस के मॉस्को स्थित गेमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ़ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी भी शामिल हैं.
हालांकि, चीन की कंपनी सिनोवैक में विकसित एक वैक्सीन की ब्राज़ील में होने वाले परीक्षण पर एक गंभीर घटना का हवाला देते हुए रोक लगा दी गई थी, जिसमें एक वॉलंटियर की मौत हो गई थी.
जो वैक्सीन विकसित किए जा रहे है वो कितने अलग हैं?
वैक्सीन का उद्देश्य हमारे इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचाए बगैर कोरोना वायरस के कुछ हिस्सों को पहुंचाना है. इससे हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली हमलावर वायरस की पहचान करते हुए इससे लड़ना सीखता है.
इसे कई तरीकों से किया जा सकता है.
फाइज़र/बायोएनटेक (और मॉडर्ना) ने जो विकसित किया है उसे आरएनए वैक्सीन के रूप में जाना जाता है. यह प्रयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाता है, इसमें वायरस के अनुवांशिक कोड को इंसान की शरीर में भेजा जाता है और इसके जरिए इम्यून सिस्टम को इससे लड़ने की ट्रेनिंग दी जाती है.
जानसेन की वैक्सीन इसमें कॉमन कोल्ड वायरस का उपयोग कर रही है जिसमें अनुवांशिक बदलाव किए गए हैं ताकि यह इंसानी शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाए और मॉलिक्यूलर स्तर पर ये कोरोनावायरस से मिलते जुलते हैं. इसे कोरोना वायरस को पहचानने और उससे लड़ने के लिए इम्यून सिस्टम को प्रशिक्षित करना चाहिए.
इसी तरह, ऑक्सफर्ड और रूस की वैक्सीन ने भी नुकसान नहीं पहुंचाने वाले वायरस लिए हैं जिससे चिम्पैंजी संक्रिमित होते हैं और इनमें अनुवांशिक बदलाव करके इसे कोरोना वायरस जैसा बनाया गया है, ताकि शरीर पर इसकी प्रतिक्रिया देखने का प्रयास किया जाए.
चीन में बने दो वैक्सीन वास्तविक वायरस का उपयोग कर रहे हैं लेकिन इसमें उसके दुर्बल अवस्था का उपयोग किया गया है, इसलिए इससे कोरोना वायरस संक्रमण नहीं हो सकता है.
यहां यह समझना महत्वपूर्ण होगा कि इनमें से कौन सी वैक्सीन सबसे बेहतरीन नतीजा देगी. लिहाजा, चल रहे परीक्षणों में जो लोग सोच-समझकर इससे संक्रमित हो रहे हैं वो इन सवालों का जवाब देने में मदद कर सकते हैं.
वैक्सीन कब तक आएगी?
फाइज़र का मानना है कि वो इस साल के अंत तक दुनिया भर में 5 करोड़ खुराक और 2021 के अंत तक लगभग 130 करोड़ खुराक की आपूर्ति करने में सक्षम होगी.
ब्रिटेन को 2020 के अंत तक एक करोड़ खुराक चाहिए. उसने तीन करोड़ खुराक का पहले ही ऑर्डर कर दिया है.
एस्ट्राज़ेनेका/ऑक्सफर्ड ने अकेले ही ब्रिटेन को अपने वैक्सीन की 10 करोड़ खुराक उपलब्ध कराने पर सहमति जताई है. अगर इसकी वैक्सीन सफल साबित हुई तो यह विश्वस्तर पर 20 करोड़ खुराक उपलब्ध कराएगी.
ब्रिटेन मॉडर्ना के साथ भी बातचीत कर रहा है लेकिन इसकी वैक्सीन बसंत से पहले उपलब्ध नहीं होगी.
वैक्सीन पहले किसे मिलेगी?
यह इस बात पर निर्भर करता है कि वैक्सीन जब उपलब्ध होगी उस वक्त कोविड कहां फैल रहा है और किस ग्रुप पर यह सबसे असरकारी है.
वैक्सीन किसे दिया जाना है, ब्रिटेन में इसे लेकर ओल्ड केयर होम में रहने वाले बुज़ुर्ग और उनकी देखभाल करने वाले कर्मचारी सरकार की पहली प्राथमिकता हैं. इसके बाद स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मचारी जैसे कि अस्पताल कर्मी और 80 की उम्र से अधिक आयु वाले जिनको कोविड-19 से सबसे अधिक ख़तरा है.
अभी और क्या करने की आवश्यकता है?
परीक्षण में यह दिखना चाहिए कि वैक्सीन सुरक्षित है.
क्लिनिकल ट्रायल में यह दिखना चाहिए कि वैक्सीन से लोग बीमार होने से बच रहे हैं या कम से कम यह कि मरने वालों की संख्या में कमी आ रही है.
अरबों की संख्या में वैक्सीन को बनाने के लिए बड़े स्तर पर इसे विकसित करना होगा.
दवा नियामकों को इसे लोगों को दिए जाने से पहले अपनी मंजूरी ज़रूर देनी चाहिए.
माना जा रहा है कि अगर वैक्सीन ठीक तरह से काम करे और दुनिया भर की आबादी के 60-70% लोगों का टीकाकरण कर दिया जाए तो यह इस संक्रमण को बढ़ने से रोकने में मददगार होगा.
क्या वैक्सीन से सबकी रक्षा होगी?
लोग टीकाकरण को लेकर अलग अलग प्रतिक्रियाएं देते हैं.
वैक्सीन का इतिहास बताता है कि कोई भी वैक्सीन बुज़ुर्गों पर कम सफल होती हैं क्योंकि उनके शरीर का इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) उतना सही प्रतिक्रिया नहीं देती है.
एक से अधिक खुराक इस पर काबू पा सकते हैं क्योंकि यह एक रसायन (सहायक दवा) के साथ दी जाती है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है. (bbc)