राष्ट्रीय
छतरपुर (मप्र), 10 जनवरी | मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में कर्ज से परेशान आदिवासी किसान की पत्नी ने जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। महिला को गंभीर हालत में जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। बताया गया है कि भगवां थाने के फुटवारी गांव निवासी करोड़ी आदिवासी ने 30 हजार रुपये का गोविंद सिंह ठाकुर से कर्ज लिया था, इसके एवज में वह डेढ़ लाख रुपये की रकम दे चुका था, फिर भी 40 हजार रुपये का कर्जदार बताया गया और कर्ज के एवज में रखे गए जेवर आदि वापस करने से मना कर दिया। इससे परेशान करोड़ी की पत्नी कलन बाई ने चूहा मार दवा खा ली।
भगवां थाना प्रभारी प्रमोद रोहित के अनुसार, गोविन्द सिंह ठाकुर के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया गया है। वहीं कलन बाई को जिला चिकित्सालय छतरपुर में उपचार चल रहा है।
बताया गया है कि कलन बाई शनिवार को गोविन्द सिंह के घर गिरवी रखे गए स्वयं के जेवर वापस लेने गई तो गोविन्द सिंह ने अश्लील शब्दों का प्रयोग करते हुए 40 हजार रुपए और लेकर ही जेवर वापस देने की बात कही। इस पर कलन बाई ने पुलिस में रिपोर्ट करने की बात कही तो उसके बेटे को खत्म करने की धमकी दी गई। इससे परेशान होकर कलन बाई ने चूहा मार दवा खा ली। पुलिस ने कलन बाई का बयान दर्ज कर लिया है। (आईएएनएस)
प्रमोद कुमार झा
नई दिल्ली, 10 जनवरी | देश की पोल्ट्री इंडस्ट्री पर कोरोना के कहर के बाद अब बर्ड फ्लू के खौफ का साया बना हुआ है। बर्ड फ्लू के खौफ के चलते चिकन और मुर्गों की बिक्री पर भारी असर पड़ा है। खासतौर से उत्तर भारत में एक राज्य से दूसरे राज्य में मुर्गों की आवाजाही पर रोक लगने से पोल्ट्री इंडस्ट्री बुरी तरह प्रभावित हुई है। इंडस्ट्री की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल इस बावत रविवार को केंद्र सरकार से मिलने वाला है।
पोल्ट्री मुर्गों में बर्ड फ्लू के मामले अब तक सिर्फ हरियाणा में मिले हैं। अन्य जगहों पर ज्यादातर जंगली पक्षियों या प्रवासी पक्षियों में बर्ड फ्लू पाया गया है और कहीं-कहीं पोल्ट्री बत्तख में भी पाया गया है।
मगर, नये साल के आरंभ में बर्ड फ्लू का खौफ इस कदर बढ़ गया है कि कारोबारियों की मानें तो मुर्गों और चिकन की मांग 70 फीसदी से ज्यादा घट गई है। पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट रमेश खत्री ने आईएएनएस को बताया कि बीते तीन-चार दिनों से चिकन की बिक्री तकरीबन 70 से 80 फीसदी कम हो गई है जबकि कीमत 50 फीसदी गिर चुकी है और अंडों की कीमत भी करीब 15 से 20 फीसदी टूट चुकी है। उन्होंने बताया कि चिकन की मांग गिरने की मुख्य वजह है कि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के बीच एक राज्य से दूसरे राज्य में मुर्गों की आवाजाही पर रोक।
उन्होंने बताया कि हरियाणा में जिन दो फार्म में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है वो दोनों लेयर फार्म है ब्राइलर नहीं। लेयर फार्म में मुगीर्पालन अंडों के लिए किया जाता है जबकि ब्राइलर फॉर्म में कुक्कुटपालन चिकन के गोश्त के मकसद से होता है।
उन्होंने कहा कि वह केंद्र सरकार से बर्ड फ्लू की अफवाहों से पोल्ट्री इंडस्ट्री को बचाने की मांग करेंगे।
पोल्ट्री इंडस्ट्री की तरफ से एक प्रतिनिधिमंडल रविवार को केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से मिलने वाला है जिसमें रमेश खत्री भी शामिल होंगे। पोल्ट्री फार्म संचालक राकेश मन्हास ने भी बताया कि वह सरकार से आग्रह करेंगे कि बर्ड फ्लू को लेकर जो अफवाहें फैल जाती हैं उससे इंडस्ट्री को भारी नुकसान होता है, इसलिए इससे बचाने के उपाय किए जाएं।
केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय भी जिन सात राज्यों में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने की बात शनिवार को कही थी उनमें पोल्ट्री-मुर्गी में सिर्फ हरियाणा में बर्ड फ्लू की रिपोर्ट बताई गई है।
भारत में 2006 से तकरीबन हर साल सर्दियों में एवियन इन्फ्लूएंजा यानी पक्षियों में जुकाम की बीमारी की शिकायत कहीं न कहीं से मिलती रही है और इस बीमारी के प्रकोप से निपटने के तरीके सरकार ने 2005 में ही बना लिए थे जिन्हें प्रभावित क्षेत्रों में अमल में लाए जाते रहे हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि भारत में मुर्गा और चिकन खाने के जो तरीके हैं उनसे मानव में बर्ड फ्लू का संचार होने का सवाल ही पैदा नहीं होता है, हालांकि उनका कहना है कि कोशिश यही होनी चाहिए कि बीमार पक्षी न खाएं।
भारत सरकार के पशुपालन आयुक्त डॉ. प्रवीण मलिक ने आईएएनएस को बताया कि दूषित पोल्ट्री उत्पाद खाने से मानव में एवियन इन्फ्लूएन्जा के वायरस के संचरित होने का कोई सीधा प्रमाण नहीं है। उन्होंने कहा कि सफाई व स्वच्छता बनाए रखने की जरूरत है और रसोई पकाने व प्रसंस्करण के मानक भी एआई वायरस के प्रसार की रोकथाम के लिए प्रभावकारी हैं।
कृषि अर्थशास्त्री और पॉल्ट्री फेडरेशन आफ इंडिया के एडवायजर विजय सरदाना ने बताया कि देश की पोल्ट्री इंडस्ट्री करीब सवा लाख करोड़ रुपये की है जो कोरोना काल में घटकर करीब आधी रह गई है। मतलब पोल्ट्री इंडस्ट्री का कारोबार जो कोरोना का कहर ढाने के पहले करीब 1.25 लाख करोड़ रुपये का था, वह इस समय घटकर करीब 60,000-70,000 करोड़ रुपये का रह गया है।
कोरोना के कहर से तबाह पोल्ट्री इंडस्ट्री में बीते साल के आखिरी दिनों में जो रिकवरी आई उस पर अब बर्ड फ्लू के खौफ का साया बना हुआ है। (आईएएनएस)
अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश), 10 जनवरी | अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के एक छात्र की गोली मारकर हत्या कर दी गई है, पुलिस ने रविवार को ये जानकारी दी। मृतक आतिफ बीए द्वितीय वर्ष का छात्र था। हमलावरों ने उसपर तब गोली चलाई, जब वह शनिवार देर रात क्वार्सी पुलिस सर्कल क्षेत्र में अपने दोस्त के साथ दोपहिया वाहन से लौट रहा था।
आतिफ मौके पर ही गिर गया, जबकि उसका दोस्त जैद स्कूटी लेकर भाग गया।
घटना के विरोध में एमयू के छात्रों ने जे.एन मेडिकल कॉलेज के सामने प्रदर्शन किया।
सर्किल ऑफिसर अनिल सामनिया ने कहा कि आतिफ पर 2018 में जमालपुर इलाके में शाहबाज की हत्या के लिए साजिश रचने का ंआरोप है और वह जमानत पर बाहर था।
उन्होंने कहा कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और आगे की जांच चल रही है। (आईएएनएस)
सरकार ने वाहनों के पंजीकरण डाटा को बेचने की नीति को मंज़ूरी दे दी है. इसके तहत वाहनों के पंजीकरण से जुड़ा डाटा कंपनियों को बेचा जा सकेगा.
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इसमें वाहन ख़रीदने वालों की निजी जानकारियां भी होंगी. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, 8 मार्च को सरकार ने बल्क डाटा शेयरिंग पॉलिसी को मंज़ूरी दे दी है.
अब सरकार वाहन पंजीकरण से जुड़े डाटा से कमाई कर सकेगी. सरकार के इस फ़ैसले से निजी जानकारियां सार्वजनिक होने के सवाल भी उठे हैं. (bbc.com)
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ चुनाव आयोग ने फ़ेसबुक को, दिल्ली से भाजपा विधायक ओम प्रकाश शर्मा की एक पोस्ट को हटाने के लिए कहा है.
इस पोस्ट में विंग कमांडर अभिनंदन की तस्वीर है. ये सोशल मीडिया पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन में कार्रवाई का पहला मामला भी माना जा रहा है.
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चुनाव आयोग को अपनी एंड्रॉयड एप्लीकेशन ई-विज़िल के ज़रिए शिकायत मिली थी जिसके बाद ये कार्रवाई की गई. चुनाव आयोग ने फ़ेसबुक से विधायक ओम प्रकाश शर्मा की ओर से की गई पोस्ट को हटाने के लिए कहा है. (bbc.com)
चेन्नई, 10 जनवरी | तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने रविवार को घोषणा की कि कॉलेज के छात्र-छात्राओं को मुफ्त डेटा कार्ड दिया जाएगा। यहां जारी एक बयान में, पलानीस्वामी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण, कॉलेज छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित की जा रही हैं।
छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने में सक्षम बनाने के लिए, सरकार ने जनवरी से अप्रैल के बीच प्रतिदिन 2 जीबी की क्षमता के साथ मुफ्त डेटा कार्ड देने का फैसला किया है।
पलानीस्वामी ने कहा कि राज्य सरकार के उपक्रम इलेक्ट्रॉनिक्स कॉपोर्रेशन ऑफ तमिलनाडु लिमिटेड (एलकॉट) द्वारा सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों में पढ़ने वाले लगभग 9.69 लाख छात्रों को डेटा कार्ड जारी किए जाएंगे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 10 जनवरी | सीबीआई ने इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मो पर बाल यौन शोषण सामग्री की कथित बिक्री और खरीद से जुड़े एक मामले की चल रही जांच के दौरान दो लोगों को गिरफ्तार किया है। नीरज कुमार यादव और कुलजीत सिंह माकन के रूप में पहचाने गए आरोपियों को शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया और इन्हें शनिवार को यहां सीबीआई की विशेष अदालत ने 22 जनवरी तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
सीबीआई ने एक व्यक्ति के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पोक्सो) 2012 और सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत मामला दर्ज किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि आरोपी आपत्तिजनक सामग्री की बिक्री के लिए इंस्टाग्राम अकाउंट पर विज्ञापन दे रहा था, जिसमें बच्चों से संबंधित अश्लील सामग्री भी थी।
आगे आरोप लगाया गया कि आरोपी ने एक अन्य व्यक्ति से बड़ी मात्रा में डेटा खरीदा था, जिसे क्लाउड-बेस्ड वेबसाइटों पर संग्रहीत किया गया था, जिसमें आपत्तिजनक सामग्री थी, जिसमें चाइल्ड पोर्नोग्राफी सामग्री भी शामिल थी और उसी के लिए पेटीएम के माध्यम से उसे भुगतान किया गया था।
सीबीआी ने कहा कि इसके बाद, आरोपी ने कथित रूप से इंस्टाग्राम पर उक्त सामग्री की बिक्री के लिए एक विज्ञापन पब्लिश किया।
इसने कहा कि ग्राहकों से पेटीएम या गूगल पे के माध्यम से भुगतान प्राप्त करने पर, अभियुक्त कथित रूप से व्हाट्सएप, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से उनके साथ आपत्तिजनक सामग्री साझा कर रहा था। यह भी आरोप है कि वह 2019 से इन गतिविधियों में शामिल है। (आईएएनएस)
संदीप पौराणिक
भोपाल, 10 जनवरी | मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में भाजपा लगातार मजबूत तो हो ही रही है साथ ही राजनीतिक तौर पर इस इलाके की हैसियत भी बढ़ रही है। वहीं कांग्रेस में इस इलाके को वह अहमियत कम ही मिली है, जिसका यह हकदार है। यही कारण है कि कांग्रेस के सामने भाजपा से मुकाबला करना चुनौती बनता जा रहा है।
वैसे तो बुंदेलखंड मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सात-सात जिलों को मिलाकर बनता है। हम बात मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड की कर रहे हैं। इस क्षेत्र में सागर, दमोह, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी के अलावा दतिया जिला आता है।
इस इलाके में कुल 29 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिनमें से 18 पर भाजपा का कब्जा है, वहीं आठ सीटें कांग्रेस के खाते में है। इसके अलावा सपा और बसपा की एक-एक सीट है। साथ ही एक सीट फिलहाल खाली है। वहीं इस क्षेत्र में पांच लोकसभा संसदीय क्षेत्र आते हैं इनमें दमोह, सागर, खजुराहो, टीकमगढ़ और भिंड (दतिया जिले के विधानसभा क्षेत्र) शामिल हैं। इन सभी पांचों सीटों पर भाजपा का कब्जा है।
सियासी तौर पर भाजपा में यह इलाका समय के साथ लगातार मजबूत होता गया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा खजुराहो से सांसद हैं तो वही केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल दमोह का प्रतिनिधित्व करते हैं। संगठन में जतारा के विधायक हरिशंकर खटीक को महामंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं शिवराज सिंह चौहान सरकार में इस क्षेत्र के पांच कैबिनेट मंत्री हैं इनमें सागर जिले से भूपेंद्र सिंह, गोपाल भार्गव और गोविंद सिंह राजपूत हैं तो वहीं पन्ना से बृजेंद्र प्रताप सिंह और दतिया से डॉ. नरोत्तम मिश्रा हैं। इसके अलावा बड़ा मलेहरा से विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी को राज्य आपूर्ति निगम का अध्यक्ष बनाते हुए कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है।
वहीं दूसरी और हम कांग्रेस पर नजर दौड़ाते हैं तो एक बात साफ हो जाती है कि कमल नाथ सरकार में इस क्षेत्र के तीन ही मंत्री हुआ करते थे। इसके अलावा संगठन में अरसे से इस इलाके को कभी अहमियत नहीं मिली है। सिर्फ पूर्व सांसद सत्यव्रत चतुवेर्दी को जरूर पार्टी ने राष्टीय स्तर पर महत्व दिया, मगर अब वे भी पार्टी से दूर हैं। कांग्रेस सरकारों में मंत्रियों के तौर पर बिट्ठल भाई पटेल, दशरथ जैन, केदार नाथ रावत, बाबूराम चतुवेर्दी, सत्यव्रत चतुवेर्दी, यादवेंद्र सिंह, मानवेंद्र सिंह, मुकेष नायक, राजा पटेरिया के ही नाम सामने आते है।
कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ द्वारा प्रदेश अध्यक्ष अथवा नेता प्रतिपक्ष दो पदों में से एक पद छोड़ने की चर्चा जोरों पर है। यही कारण है कि बुंदेलखंड इलाके से यह मांग उठती रही है कि नेता प्रतिपक्ष इस क्षेत्र को दिया जाए। इसके लिए पूर्व मंत्री और पृथ्वीपुर से विधायक बृजेंद्र सिंह राठौर का नाम भी सामने लाया जा रहा है। राठौर की दावेदारी के कारण भी हैं। वे लगातार निर्वाचित होते जा रहे हैं, वहीं उनका कांग्रेस के सभी गुटों से बेहतर समन्वय भी है और उनकी पहचान मिलनसार व गंभीर नेता के तौर पर पार्टी के भीतर की है।
राजनीतिक विश्लेषक श्वि अनुराग पटेरिया का मानना है कि 80 के दशक के बाद भाजपा ने इस इलाके को अहमतियत देना शुरु किया, यही कारण है कि उसका लगातार विस्तार होता गया। कांग्रेस ने कभी भी इस क्षेत्र से न तो नेता प्रतिपक्ष, न ही मुख्यमंत्री और न ही प्रदेशाध्यक्ष दिया है। वहीं भाजपा ने मुख्यंमत्री दिया, विधानसभाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष दिया और वर्तमान में प्रदेशाध्यक्ष भी इसी इलाके से आते हैं। वास्तव में दोनों दलों की कार्यशैली में अंतर रहा है। कांग्रेस ने बुंदेलखंड को महत्व नहीं दिया, वहीं भाजपा लगातार इस इलाके को अन्य क्षेत्रों की तरह महत्व दे रही है, यही कारण है कि भाजपा का जनाधार बढ़ रहा है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 10 जनवरी | तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन रविवार को 46वें दिन जारी है। आंदोलनकारी किसान केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लागू नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। सरकार के साथ कई दौर की वार्ताएं विफल रहने के बाद किसान संगठनों के नेता आंदोलन तेज करने की रणनीति बनाने में जुटे हैं। किसान नेताओं ने बताया कि आंदोलन के मसले से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आगे होने वाली सुनवाई को लेकर भी विचार-विमर्श चल रहा है। देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर 2020 से डेरा डाले किसान नये कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।
इस सिलसिले में यूनियन के नेताओं की सरकार से आठ दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही है और अगले दौर की वार्ता 15 जनवरी को तय हुई है। अगली वार्ता से पहले किसान संगठन आंदोलन तेज करने को लेकर आगे की रणनीति बनाने में जुटे हैं। सिंघु बोर्डर पर चल रहे प्रदर्शन में शामिल पंजाब के किसान नेता सुखपाल सिंह डफर ने आईएएनएस को बताया कि पंजाब के किसान नेताओं की रविवार को बैठक में लिए जाने वाले फैसले पर दोपहर बाद संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में विचार किया जाएगा।
सुखपाल सिंह गन्ना संघर्ष समिति, होशियारपुर, पंजाब के प्रतिनिधि के रूप में सरकार के साथ पिछली वार्ता में शामिल हुए थे। उन्होंने बताया कि आंदोलन से संबंधित सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर आगे सुनवाई होने जा रही है, इसलिए किसान संगठनों के नेताओं के बीच इस संबंध में भी विचार-विमर्श कर रहे हैं।
पंजाब के ही किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेकेट्ररी हरिंदर सिंह भी पिछली वार्ताओं में शामिल रहे हैं। हरिंदर सिंह ने आईएएनएस से कहा, हम सरकार के साथ होने वाली अगले दौर की वार्ता को लेकर भी आपस में विचार-विमर्श कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों की जो दो प्रमुख मांगें हैं उन पर पर जब तक सरकार फैसला नहीं लेगी तब उनका आंदोलन जारी रहेगा। लाखोवाल ने कहा, आगे आंदोलन तेज करने की रणनीति समेत तमाम मसलों पर विचार-विमर्श चल रहा है, लेकिन हमारा मुख्य फोकस 26 जनवरी की तैयारी पर है।
किसान संगठनों ने एलान किया है कि 26 जनवरी से पहले उनकी मांगें पूरी नहीं होने की सूरत में वो गणतंत्र दिवस पर देश की राजधानी दिल्ली में टैक्टरों के साथ किसान परेड निकालेंगे। इसके अलावा कई अन्य कार्यक्रमों की घोषणा पहले ही की जा चुकी है।
किसान यूनियनों के नेता केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं। उनकी अन्य दो मांगों को सरकार ने पहले स्वीकार कर लिया है। (आईएएनएस)
चेन्नई, 10 जनवरी | चेन्नई एयर कस्टम डिपार्टमेंट ने दुबई जा रहे छह लोगों से 1.04 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा जब्त की, जबकि उनमें से एक को गिरफ्तार कर लिया गया। चेन्नई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के कस्टम कमीश्नर ने शनिवार को बताया कि मंसूर अली खान, याकालिक, थमीम अंसारी, मोहम्मद हुसैन, यूसुफ और अब्दुल रहमान को इमीग्रेशन क्लीयर कर सिक्योरिट एरिया की ओर बढ़ने के दौरान रोका गया।
उनके सामान की तलाशी लेने पर, कई पावर बैंक छिपे हुए पाए गए। पावर बैंक खोलने पर, 1.04 करोड़ रुपये मूल्य के विभिन्न विदेशी मुद्रा वाले नोट पाए गए और जब्त कर लिया गया।
कस्टम डिपार्टमेंट ने कहा कि एक व्यक्ति अंसारी को गिरफ्तार किया गया है, उसके पास से 20 लाख रुपये से अधिक मूल्य की मुद्रा जब्त की गई है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 10 जनवरी | मुस्लिम समाज में शिक्षा, बैंकिंग और स्टॉक मार्केटिंग के प्रति जागरूकता की अलख जगा रहे हैं मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के एक्स-चांसलर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी जफर सरेशवाला। गुजरात के नामी कारोबारी सरेशवाला का मानना है कि मुल्क की तरक्की के लिए स्टॉक मार्केट में भागीदारी की बेहद जरूरत है, लेकिन भारत में पढ़े-लिखे युवा और महिलाएं अभी इससे काफी दूर हैं। सरेशवाला के अनुसार, मुसलमानों के मुद्दे उठाने के लिए एक ग्रुप होना चाहिए। मुसलमानों के पास राजनीती में अब कोई जगह नहीं है। कौम की परेशानियों को उठाने वाले अब न के बराबर है।
हालांकि सरेशवाला के परिवार का सियासत की गलियों से कभी दूर दूर तक ताल्लुक नहीं रहा। पुशतैनी कारोबार होने के कारण कभी इन गलियों को देखना ही नहीं पड़ा।
उनके परिवार में उस वक्त के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पहले व्यक्ति थे जिनसे सरेशवाला काफी करीबी रहे और उन्होंने मुस्लिम समाज और सरकार के बीच एक पुल का काम किया।
फिलहाल सरेशवाला तालीम-ओ-तरबियत नाम से एक अभियान चला रहे हैं जिसका मकसद है मुस्लिम समाज को तालीम देना, उसे व्यापार के हर क्षेत्र में काबिल बनाना ताकि वो अपनी योग्यता के बल पर जिंदगी में मुकाम हासिल कर सके।
जफर सरेशवाला ने आईएएनएस से कहा, कोई भी समाज बिना शिक्षा के तरक्की नहीं कर सकता। हमने 'तालीम ओ तरबियत' नाम से एक मूवमेंट शुरू की। हम 47 शहरों में कार्यक्रम आयोजित कर चुके हैं। हाल ही में हमने अयोध्या में किया जो काफी अच्छा रहा।
उन्होंने बताया, मुसलमान सियासी मैदान में नहीं है, बीते 20-25 सालों से वो और कम हो गया है। मुसलमानों को अगर योग्य बनना है तो उसका एक ही रास्ता है 'तालीम'।
तालीम के नाम पर हमारी पहचान हो, जिस मैदान में आप काम कर रहे हैं उसको लेकर तालीम लें और ईमानदारी से काम करें। इसके अलावा अन्य कौशल जैसे वित्तीय साक्षरता स्टॉक मार्केट, इन्वेस्टमेंट आदि इन सब को लेकर हम जागरूक कर रहे हैं।
तालीम ओ तरबियत के प्रोग्राम के माध्यम से लोगों को इसकी जानकारी दी जाएगी, ताकि स्वरोजगार के अवसर तलाश सकें, जो घर बैठे अपने हुनर और कारोबार को आगे ले जाना चाहते हैं। उन्होंने इस काम के लिए मुम्बई स्टॉक एक्सेंज को भी अपने साथ जोड़ा है।
तालीम-ओ-तरबियत के जरिए हम उन्हें काबिल बनाना चाहते हैं। न सिर्फ तालीम बल्कि उन्हें वित्तीय साक्षरता से भी जोड़ना सबसे बड़ा मकसद है।
हमारे समाज में बहुत अच्छे डॉक्टर, इंजीनियर या वैज्ञानिक हैं। लेकिन हमारा पढ़ा लिखा तबका फाइनेंशियली गवार हैं।
इस मूवमेंट के जरिए, मेरा मकसद है कि मुस्लिम बच्चों में एक आग पैदा करना, ताकि बच्चे भी कहें मैं भी कर सकता हूं। कारोबार सिर्फ अंबानी, अडानी या मैं नहीं कर सकता, हर कोई कर सकता है।
सरेशवाला मानते है कि मुसलमानों में सैंकड़ों खूबियां है लेकिन तालीम नहीं है। इस वजह से वे सब वहीं के वहीं रह जाते है। वहीं तालीम की बुनियाद पर काबिलियत आ गई तो भविष्य में मुस्लिम बहुत मजबूत हो जाएगा।
दरअसल सरेशवाला ने इस अभियान को बहुत छोटे पैमाने पर शुरू किया था। जिसका असर धीरे धीरे दिख भी रहा है। हालांकि सरेशवाला का कहना है कि भविष्य में इससे मुसलमान मजबूत होगा। (आईएएनएस)
भोपाल, 10 जनवरी | मध्य प्रदेश में बर्ड फ्लू का दायरा तेजी से बढ़ रहा है। अब तक 13 जिलों में हुई कौओं की मौत की वजह बर्ड फ्लू पाई गई है। इसी क्रम में आगर मालवा जिले के कुक्कुट बाजार को आगामी सात दिनों के लिए एहतियातन बंद कर दिया गया है। बताया गया है कि प्रदेश में अब तक 13 जिलों -- इंदौर, मंदसौर, आगर, नीमच, देवास, उज्जैन, खंडवा, खरगोन, गुना, शिवपुरी, राजगढ़, शाजापुर, विदिशा में कौओ में बर्डफ्लू रोग की पुष्टि हो चुकी है। अब तक 27 जिलों से लगभग 1100 कौओं एव जंगली पक्षियों की मृत्यु की सूचना प्राप्त हुई है। प्रदेश के विभिन्न जिलों से 32 सैंपल राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा रोग अनुसंधान प्रयोगशाला भोपाल को जांच के लिए भेजा गया है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, आगर में कुक्कुट बाजार की दुकानों से लिए गए एक सैंपल में बर्ड फ्लू वायरस पाए जाने के बाद यहां कुक्कुट बाजार को सतर्कता एवं सावधानी की ²ष्टि से आगामी सात दिनों तक बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही मुर्गियों एंव अंडो आदि के विनिष्टीकरण की कार्यवाही की जा रही है ताकि रोग संकमण के फैलाव से रोका जा सके।
इसके अलावा सीहोर, बालाघाट, दमोह, उज्जैन, बैतुल, भिंड से राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा रोग अनुसंधान प्रयोगशाला भोपाल को भेजे गए नमूनों में बर्ड फ्लू वायरस नहीं पाया गया है।
ज्ञात हो कि पूर्व में इंदौर और नीमच जिले में बर्ड फ्लू से प्रभावित क्षेत्र के आस-पास कुक्कुट बाजार आदि को सतर्कता एवं सावधानी की ²ष्टि से अगले सात दिनों के लिये बंद किया गया है। अब कुल मिलाकर तीन जिलों में कुक्कुट बाजार को सात दिनों के लिए एहतियाती तौर पर बंद किया गया है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 10 जनवरी | उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अवैध रूप से प्रमोशन पाए चार अपर जिला सूचना अधिकारियों को पदावनत कर दिया है। उन्हें चपरासी, चौकीदार, सिनेमा ऑपरेटर-कम-प्रचार सहायक बना दिया गया है। इन चारों का प्रमोशन नियमों को ताक पर रखकर किया गया था, जिसके कारण यह सख्त कदम उठाया गया है।
बरेली में अपर जिला सूचना अधिकारी के रूप में तैनात नरसिंह को पदावनत कर चपरासी बना दिया गया है, जबकि फिरोजाबाद के अपर जिला सूचना अधिकारी दया शंकर को चौकीदार के रूप में जॉइन करने के लिए कहा गया है।
इसी तरह, विनोद कुमार शर्मा और अनिल कुमार सिंह, जिन्हें क्रमश: मथुरा और भदोही में अपर जिला सूचना अधिकारी के रूप में पदोन्नत किया गया था, सिनेमा ऑपरेटर कम प्रचार सहायक के रूप में फिर से अपने पिछले प्रोफाइल पर काम करेंगे।
सूचना विभाग में एक सहायक ने इन चारों की अवैध पदोन्नति के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी, जिन्हें अतिरिक्त सूचना अधिकारियों के रूप में पदोन्नत किया गया था।
अदालत ने, हालांकि, याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि पदोन्नति के अधिकार को सेवा नियमों द्वारा कड़ाई से विनियमित किया गया था।
अदालत ने निदेशक (सूचना) को निर्देश दिया कि वे प्रतिनिधित्व पर फैसला करें और याचिकाकर्ता की शिकायत पर विचार करें कि उनके रैंक के अन्य कर्मचारियों को पदोन्नत किया गया था।
अदालत के आदेश के बाद, सूचना विभाग ने रिकॉर्ड की जांच की और पाया कि चार कर्मचारियों को इस आशय के किसी भी नियम के अभाव के बावजूद पदोन्नत किया गया था।
एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा, "यह तय किया गया कि सभी चार व्यक्तियों को पदावनत किया जाना चाहिए क्योंकि इस तरह से प्रमोशन के लिए कोई नियम नहीं है।" (आईएएनएस)
सौतिक बिश्वास
1996 में माइकल जैक्सन का मुंबई में एक शो हुआ था. दर्शकों के खचाखच भीड़ के बीच आयोजित यह माइकल जैक्सन का भारत में इकलौता शो रहा.
नवंबर की पहली तारीख़ को स्पोटर्स एरीना में आयोजित इस शो को क़रीब 35 हज़ार दर्शकों ने देखा था. सितंबर 1996 से अक्टूबर 1997 के बीच जैक्सन ने वर्ल्ड टूर करके 83 शो किए थे, मुंबई उनमें से एक था.
उस दौर में महाराष्ट्र में शिव सेना की सरकार थी. शिव सेना की तत्कालीन सरकार ने इस शो को चैरिटेबल कार्यक्रम बताते हुए इस पर लगने वाले मनोरंजन कर को माफ़ कर दिया था.
लेकिन जल्द ही ये शो क़ानूनी उलझनों में फँस गया, जिसके लपेटे में सरकार, कंसर्ट के आयोजक और उपभोक्ता संरक्षण समूह के लोग थे. सवाल यह उठ रहा था कि क्या जैक्सन के शो का कर माफ़ किया जा सकता है और जैक्सन के संगीत को किस तरह के कार्यक्रम के तौर पर परिभाषित करेंगे.
नंवबर, 1996 में इंडिया टुडे ने इस ख़बर को प्रकाशित करते हुए शीर्षक दिया था जैक्सन के शो की कर माफी की वजह कुछ ही लोगों को पता है.
सुकेतु मेहता ने अपनी पुस्तक मैक्सिमम सिटी में लिखा है कि सुपरस्टार जैक्सन ने कंसर्ट से होने वाली कमाई -जो दस लाख डॉलर से अधिक थी- शिव सेना के किसी यूथ प्रोजेक्ट को देने का वादा किया था.
लेकिन उपभोक्ता संरक्षण समूह मुंबई ग्राहक पंचायत ने इस कर माफ़ी को बंबई हाई कोर्ट में चुनौती दी.
पाँच हज़ार रुपए तक का था टिकट
मुंबई ग्राहक पंचायत के चेयरमैन शिरीष देशपांडे ने बीबीसी को बताया, "कंसर्ट के आयोजन से कुछ ही दिन पहले सरकार ने दवाइयों पर बिक्री कर बढ़ाया था. हमलोगों का कहना था कि आप दवाइयों पर तो कर बढ़ा रहे हैं, तो संपन्न लोगों के म्यूज़िक कंसर्ट को कैसे टैक्स फ्री कर सकते हैं. उस समय में कंसर्ट के एक टिकट की क़ीमत पांच हज़ार रुपए तक थी जो बहुत ज़्यादा थी."
भारत में टिकट को सस्ता करने के उद्देश्य से कुछ फ़िल्मों और मनोरंजन के शो को टैक्स फ्री किया जाता है. रिपोर्टों के मुताबिक़ जैक्सन का इवेंट एक तरह से फंड जमा करने का इवेंट बन गया था, जिसमें इवेंट का आयोजन करने वाली मैनजमेंट कंपनी और शिव सेना के यूथ एंप्लॉयमेंट प्रोजेक्ट को लाभ मिलना था.
बंबई हाई कोर्ट ने उपभोक्ता संरक्षण समूह की याचिका पर सुनवाई करते हुए कंसर्ट के टिकटों की बिक्री से हुई तीन करोड़ की आमदनी को फ्रीज कर दिया, कर माफ़ी को लंबित कर दिया और सरकार को इस कर माफ़ी को मेरिट के आधार पर फिर से देखने को कहा. इस बात पर भी बहस हुई कि क्या पॉप म्यूज़िक के कंसर्ट को कर माफ़ी दी जा सकती है?
बहरहाल, म्यूज़िकल कंसर्ट के आयोजन के 24 साल बाद और ढेरों सुनवाई के बाद, महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार ने कर माफ़ी के फ़ैसले को बरकरार रखा है. संयोग यह है कि कर माफ़ी के फ़ैसले को बरक़रार रखने का फ़ैसला भी शिवसेना गठबंधन सरकार ने ही किया है.
बीते सप्ताह महाराष्ट्र के मंत्री सुभाष देसाई ने कहा कि कैबिनेट ने माइकल जैक्सन के 1996 के कंसर्ट के करीब 33 लाख रुपए के मनोरजंन कर माफ़ करने का प्रस्ताव पारित किया है. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि अब इवेंट के आयोजक सरकार से यह पैसा क्लेम कर सकते हैं.
वहीं शिरीष देशपांडे ने कहा, "हम चाहते हैं कि यह पैसा सरकार के कोष में ही जमा रहे क्योंकि चैरिटी तो अब है नहीं." बहरहाल, 1996 में भारतीय संगीत प्रेमियों के लिए जैक्सन का शो किसी दुर्लभ आयोजन से कम नहीं था.
सुपरहिट था कंसर्ट
तब मुंबई के एक बड़े कारोबारी ने जैक्सन के लिए कार ड्राइव की थी. मुंबई के सबसे लग्ज़री होटल के बाहर उनकी एक झलक देखने वालों की भीड़ जमा थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ उनके कमरे में दीवार की पूरी लंबाई का मिरर लगाया था जिस पर जाते वक़्त उन्होंने अपने हस्ताक्षर किए थे. जैक्सन अपने इस यात्रा में बाल ठाकरे के घर भी गए थे.
जैक्सन के भारत में बेशुमार प्रशंसक थे. मुंबई एयरपोर्ट पर जैक्सन का स्वगात करने के लिए हज़ारों लोग जमा हो गए थे.
कंसर्ट के आयोजकों में से एक ने मीडिया से कहा था, "मुझे याद है कि वे अपने निजी विमान से आए थे और उनके टीम के दूसरे साथी चार अलग अलग विमानों में थे. एयरपोर्ट एक घंटे तक ठहर गया था क्योंकि अधिकारी, एयरक्राफ्ट के क्रू मेंबर सब जैक्सन का अभिवादन करना चाहते थे."
लेकिन इस आयोजन को लेकर विवाद भी हुआ था. विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि कैसे हिंदूवादी पार्टी पाश्चात्य मूल्यों वाली पश्चिमी पॉप कंसर्ट का समर्थन कर रही है.
शिव सेना के कुछ नेताओं को लग रहा था कि यह कंसर्ट अश्लीलता की सीमा को छूने वाला है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक़ तब शिव सेना की सहयोगी रही बीजेपी ने अपने नेताओं को इस कंसर्ट से दूर रहने को कहा था. इंडिया टुडे से बात करते हुए बीजेपी के एक नेता ने कहा था क्या शिव सेना के लिए हमारे संबंधों से ज़्यादा महत्वपूर्ण माइकल जैक्सन हैं?
सुकेतु मेहता की किताब के मुताबिक़ बाल ठाकरे ने जैक्सन का समर्थन करते हुए कहा था, "जैक्सन एक महान कलाकार हैं. हमें उन्हें एक कलाकार के तौर पर स्वीकार करना चाहिए. उनके मूवमेंट शानदार हैं. अधिकांश लोग उनके तरह मूव नहीं कर सकते. आप वैसा करने की कोशिश में अपनी हड्डियां तुड़वा लेंगे."
बाल ठाकरे के मुताबिक, "और जहां तक संस्कृति की बात है, तो वे अमरीका के मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसे स्वीकार करने में भारत को क्या समस्या होगी. हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि जैक्सन अमरीकी संस्कृति का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं."
50 साल की उम्र में जैक्सन का निधन जून, 2009 में लॉस एंजिलिस में हुआ था, उन पर बच्चों के यौन उत्पीड़न का आरोप भी लगा था. लेकिन 1996 में मुंबई में उनका कंसर्ट सुपरहिट साबित हुआ था.
एक प्रशंसक के मुताबिक़, "जैक्सन ने हेलिकॉप्टर से स्टेडियम के चक्कर लगाए थे और रॉकेट से उन्होंने एंट्री की थी." उस इवेंट को कवर करने वाले एक पत्रकार ने इसके बारे में कोंडे नैस्ट ट्रैवलर से कहा था, "जो लोग अंदर नहीं जा पाए थे वह बाहर सड़कों पर जमा हो गए थे. उन दिनों आवाज़ पर आज की तरह कोई पाबंदी नहीं थी, तो म्यूज़िकल कंसर्ट की आवाज़ मीलों तक सुनी गई थी. लोग गलियों में गा रहे थे और थिरक रहे थे." (bbc.com/hindi)
बदायूं, 10 जनवरी | उत्तर प्रदेश के बदायूं में एक दर्दनाक वाकया सामने आया है, जहां एक शख्स के जान की दुश्मन उसके परिवार वाले ही बन बैठे। 55 वर्षीय व्यक्ति को बेटी के प्रेम संबंध पर आपत्ति जताने पर बेटी और परिवार के अन्य सदस्यों ने जलाकर मार डाला। पुलिस ने यह जानकारी दी। मृतक की पहचान मोहम्मद आमिर के रूप में हुई है। बुरी तरह से जले आमिर ने शुक्रवार रात को अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया और शनिवार की शाम उसके दूर के रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने उसका अंतिम संस्कार किया।
अपनी मौत से पहले, आमिर ने पुलिस को एक बयान दिया जिसमें उसने बताया कि बेटी के प्रेम संबंध पर आपत्ति जताने पर उसकी बेटी, बेटे, पत्नी और उसके भतीजे ने उस पर पेट्रोल डाला और आग के हवाले कर दिया।
पुलिस ने परिवार के सदस्यों के खिलाफ धारा 307 (हत्या का प्रयास करने) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। सभी आरोपी फरार हैं।
(आईएएनएस)
फतेहपुर (उप्र), 10 जनवरी | उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में एक आदमी ने अपनी नवविवाहित बेटी की गोली मारकर हत्या कर दी। कथित तौर पर बेटी अपने प्रेमी के साथ संपर्क में थी। पुलिस ने कहा कि आरोपी चंद्र मोहन सिंह अपनी 20 वर्षीय बेटी स्वाति के ससुराल वालों से परेशान था। ससुराल वाले स्वाति पर यह आरोप लगाते हुए पिता के घर छोड़ गए थे कि उसके प्रेमी के साथ अवैध संबंध शादी के बाद भी है।
शनिवार को अपनी बेटी को गोली मारने के बाद जयसिंहपुर गांव के निवासी चन्द्र मोहन ने पुलिस थाने में जाकर आत्मसमर्पण कर दिया। थाने में वह अपनी लाइसेंसी डबल बैरल बंदूक लेकर पहुंचा, जिससे उसने बेटी को गाली मारी थी। आरोपी ने स्वाति पर तीन गोलियां दागीं थीं, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी।
खबरों के मुताबिक, स्वाति की शादी करीब एक साल पहले कानपुर के सचेंडी के सिंहपुर इलाके के नागेंद्र सिंह से हुई थी।
सर्कल ऑफिसर (सिटी) अनिल कुमार ने बताया, "उसके अवैध संबंध के बारे में जानने के बाद ससुराल वालों ने गुरुवार को उसे उसके माता-पिता के घर वापस भेज दिया। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, वह अपने प्रेमी के साथ संबंध खत्म करने के लिए तैयार नहीं थी। पिता के साथ बहस और हाथापाई के बाद चंद्र मोहन ने अपनी लाइसेंसी बंदूक से गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। मरने के बाद उसने कंट्रोल रूम को फोन कर बताया कि उसने बेटी की हत्या कर दी है और वह गिरफ्तार होने का इंतजार कर रहा है। बाद में चंद्र मोहन खुद ही थरियांव पुलिस स्टेशन आ गए। स्वाति के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।"
चंद्र मोहन ने पुलिस से कहा कि उसने विवाहित बेटी की हरकतों से तंग आकर ऐसा कदम उठाया है।
अधिकारी ने यह भी बताया, "मृतका की मां और भाई घटना के बाद से घर से गायब हैं। हम उन्हें खोज रहे हैं और मृतका के ससुराल वालों से भी पूछताछ कर रहे हैं।"
(आईएएनएस)
भारत में गरीबी रेखा से नीचे वाले घरों में रहने वाले तकरीबन 30 फीसदी बुजुर्ग ही इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना का लाभ उठा पा रहे हैं। यह जानकारी हाल में बुजुर्ग आबादी पर कराए गए एक सरकारी सर्वे में सामने आई है।
45 से अधिक उम्र के 72,000 से ज्यादा लोगों पर कराए गए इस सर्वे में पता चला कि असल में, 60 वर्ष व उससे अधिक उम्र के सिर्फ 55 फीसदी लोगों को ही इस योजना की जानकारी थी। 1995 में शुरू की गई इस योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे के वृद्ध लोगों को 600 से 1000 रुपये दिए जाते हैं।
6 जनवरी को जारी की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक, सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने वाली दो अन्य योजनाओं के बारे में बुजुर्गों के बीच जागरूकता और नामांकन और भी कम रहे। अधिकतर बुजुर्गों (54 फीसदी) ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना के बारे में नहीं सुना, जिसके तहत गरीबी रेखा से नीचे आने वाली 40 साल से अधिक उम्र की विधवाओं को 300 रुपये दिए जाते हैं।
अप्रैल 2017 से दिसंबर 2018 तक इस सर्वे के दौरान इस आबादी में से एक चौथाई से भी कम को यह पेंशन मिली। 65 वर्ष से अधिक उम्र के गरीब नागरिकों को अनाज मुहैया कराने वाली केंद्रीय अन्नपूर्णा योजना के लिए शहरी आबादी में से सिर्फ 2.5 फीसदी और ग्रामीण आबादी में से सिर्फ 1.5 फीसदी बुजुर्गों ने अपना नाम दर्ज कराया है। दोनों ही क्षेत्रों के 13 फीसदी से भी कम बुजुर्गों को इस योजना के बारे में जानकारी है।
इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना और इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना को लेकर बुजुर्गों में अधिक जागरूकता हरियाणा (78 फीसदी), हिमाचल प्रदेश (77 फीसदी), बिहार (82 फीसदी), झारखंड (78 फीसदी), ओड़िशा (74 फीसदी), असम (84 फीसदी) और दादरा व नगर हवेली (78 फीसदी) में है। अध्ययन के मुताबिक, शिक्षा का स्तर बढ़ने के साथ वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन व अन्नपूर्णा योजना के प्रति जागरूकता का स्तर बढ़ता है।
इन योजनाओं का लाभ उठा रहे बुजुर्गों में शहरी बुजुर्गों की हिस्सेदारी ग्रामीण बुजुर्गों से कम है।
हालांकि यह योजनाएं गरीबी रेखा से नीचे के घरों के बुजुर्गों के लिए है, लेकिन वृद्धावस्था पेंशन का फायदा 18 फीसदी ऐसे पुरुष बुजुर्गों को हुआ जो गरीबी रेखा से ऊपर के घरों में रहते हैं। जबकि विधवा पेंशन का फ़ायदा गैर-गरीब घरों की 16 फीसदी वृद्ध महिलाओं को मिला।
वृद्धवस्था पेंशन के 30 फीसदी लाभार्थियों ने बताया कि पेंशन की राशि देर से मिली और 24 फीसदी ने बताया कि दस्तावेज प्रस्तुत करने में उन्हें परेशानी उठानी पड़ी।
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार द्वारा वरिष्ठ नागरिकों को प्रदान की गई विभिन्न प्रकार की छूट जैसे- ट्रेन, बस और विमान यात्रा में डिस्काउंट, बैंक अकाउंट खुलवाने और लोन लेने के लिए ख़ास ब्याज दर और आयकर में कटौती के बारे में सिर्फ 28 फीसदी बुजुर्गों को पता है। सिर्फ 5 फीसदी वरिष्ठ नागरिक ऐसी छूट का फ़ायदा उठा पाए हैं।
इन रियायतों को लेकर वरिष्ठजनों में जागरूकता सबसे ज्यादा महाराष्ट्र (65 फीसदी) में है और सबसे कम नागालैंड (2 फीसदी) में है। महाराष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अधिकतर वरिष्ठ नागरिक ऐसी रियायतों से वाक़िफ़ नहीं हैं।
शहरी इलाकों के तकरीबन 37 फीसदी बुजुर्गों ने कम से कम एक बार इन रियायतों का लाभ उठाया है, ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 25 फीसदी है। वहीं 33 फीसदी पुरुषों ने इसका लाभ उठाया, जबकि महिलाओं में ये आंकड़ा 24 फीसदी रहा।
रिपोर्ट का कहना है कि, इन रियायतों को लेकर जागरूकता और इनका फ़ायदा उठाने के मामले में ग्रामीण वरिष्ठ नागरिक काफी पीछे हैं, लिहाजा गैर सरकारी संस्थाओं और पंचायत के माध्यम से ग्रामीण इलाकों में अभियान चलकर ग्रामीण वृद्धजनों को जागरूक करने में मदद मिल सकती है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इन रियायतों का फ़ायदा वे बुजुर्ग अधिक उठा रहे हैं जो आर्थिक रूप से बेहतर स्थिति में हैं क्योंकि वे इस मामले में अधिक जागरूक हैं। (downtoearth)
नई दिल्ली, 10 जनवरी | मध्यप्रदेश में भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन कोवैक्सिन के तीसरे चरण के ट्रायल में हिस्सा लेने वाले वालंटियर की कथित रूप से मौत के मामले में कंपनी का बयान सामने आया है। भारत बायोटेक ने इस आरोप को पूरी तरह से खारिज कर दिया है कि व्यक्ति की मौत कोरोना वैक्सीन के डोज के कारण ही हुई है। हैदराबाद स्थित कंपनी ने शनिवार को स्पष्ट किया कि यह मृत्यु वैक्सीन से संबंधित नहीं है, बल्कि व्यक्ति की मौत कार्डियो रेस्पिरेटरी फेल होने के कारण हुई है। इसके अलावा जांच में जहर के कारण मौत की वजह बताई जा रही है।
भारत बायोटेक ने एक बयान में कहा, "गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल द्वारा जारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार और भोपाल पुलिस की जांच रिपोर्ट में जो बताया गया है, उसके अनुसार व्यक्ति की मौत कार्डियो रेस्पिरेटरी फेल होने के कारण हुई है। इसके अलावा जांच में जहर भी मौत की वजह बताई जा रही है।"
कंपनी ने कहा कि वैक्सीन की डोज के नौवें दिन वालंटियर की मौत इस बात को स्पष्ट करती है कि यह ट्रायल से जुड़ा मामला नहीं है।
कंपनी ने कहा, "प्रारंभिक समीक्षाओं के नौ दिनों के बाद स्वयंसेवक का निधन हो गया, यह दर्शाता है कि मृत्यु अध्ययन डोजिंग से संबंधित नहीं है।"
दरअसल मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल के एक निजी अस्पताल में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के तीसरे ट्रायल के दौरान टीका लगवाने वाले 42 वर्षीय वालंटियर की कुछ दिनों बाद ही कथित तौर पर 21 दिसंबर को मौत हो गई थी।
कोवैक्सीन के लिए चल रहे नैदानिक परीक्षण (क्लीनिकल ट्रायल) में भाग लेने वाले व्यक्ति की मौत के बाद वैक्सीन पर सवाल खड़े होने लगे, जिसके बाद अब कंपनी ने सफाई दी है।
कंपनी ने स्पष्टीकरण देने के साथ ही मृतक के परिवार के साथ सहानुभूति भी व्यक्त की है। कंपनी ने कहा, "हमारी सहानुभूति मृतक के परिवार के साथ है।"
भारत बायोटेक की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि तीसरे चरण के ट्रायल के सभी मानदंडों को पूरा किया गया था और सात दिनों के पोस्ट कॉल में वांलटियर में कोई प्रभाव भी नहीं पाया गया था और व्यक्ति स्वस्थ था तथा उसकी सारी रिपोर्ट भी ठीक थी।
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने तीन जनवरी को सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड की कोविड-19 वैक्सीन कोविशिल्ड के साथ ही भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी प्रदान की थी। इस मंजूरी के साथ ही वैक्सीन निर्माता कंपनियों का बड़े पैमाने पर अपना टीकाकरण अभियान चलाने का मार्ग प्रशस्त हुआ था।
भारत बायोटेक की ओर से निर्मित की गई कोवैक्सीन एक स्वदेशी वैक्सीन है।
--आईएएनएस
मुंबई, 10 जनवरी | महाराष्ट्र में कोरोना से मरने वालों की संख्या शनिवार को 50,000 का आंकड़ा पार कर गई। स्वास्थ्य अधिकारियों ने याद दिलाया कि 9 मार्च, 2020 को पुणे से पहले पहल कोविड-19 के दो मामले सामने आए थे। इस तरह राज्य में कोराना से मौतों का आंकड़ा स्पेन में 51,874 मौतों से ठीक नीचे और कोलंबिया में 45,431 मौतों से ऊपर है। यह वल्डरेमीटर का नवीनतम आंकड़ा है।
राज्य में औ 57 मौतें होने के साथ शनिवार को कोरोना से मरने वालों की कुल संख्या 50,027 हो गई।
राज्य में कोरोना संक्रमण के 3,581 नए मामले आने के साथ संक्रमितों की कुल संख्या 19,65,556 तक जा पहुंची।
राज्य में अगले सप्ताह कोविड-19 टीकाकरण अभियान शुरू होने की संभावना है। मगर उससे पहले राज्य प्रवेश कर चुके कोरोनावायरस के नए ब्रिटेन स्टेन की चुनौतियों से जूझ रहा है।
--आईएएनएस
पंजाब के किसान संगठनों ने शनिवार को कहा कि केंद्र ने कृषि कानूनों का सुप्रीम कोर्ट के ज़रिए हल निकालने की जो बात कही है, वो इस मुद्दे को लंबा खींच कर आंदोलन को पटरी से उतारने के लिए सरकार की एक चाल है.
पंजाब के सबसे बड़े संगठनों में से एक भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) और किसान मज़दूर संघर्ष समिति जो अब भी अमृतसर में 'रेल रोको' आंदोलन चला रही है, इन्होंने कहा है कि किसानों के साथ 8 जनवरी की बैठक के दौरान केंद्र ने सुझाव दिया कि कृषि क़ानूनों से संबंधित फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ना अच्छा होगा और ये स्पष्ट रूप से संकेत हैं कि सरकार एक समाधान खोजने में देरी करना चाहती है.
बीकेयू (उगराहां) के राज्य सचिव शिंगारा सिंह मान ने द हिंदू को बताया, “सुप्रीम कोर्ट पर इस मुद्दे को छोड़ने का सुझाव बताता है कि सरकार चल रहे विवाद का हल खोजने में देरी करना चाहती है. उनका इरादा केवल इस मुद्दे को लंबा खींचना है और हमारी मांगों को पूरा नहीं करना है. सरकार लोगों के आंदोलन को दबाना चाहती है. हमने पहले ही सरकार के सुझाव को ख़ारिज कर दिया है.”
उन्होंने कहा, “सरकार की मंशा बहुत स्पष्ट है. वे अदालतों को शामिल करके किसान आंदोलन को तोड़ना चाहते हैं.”
वे कहते हैं कि बीकेयू-उग्राहन अन्य संगठनों के साथ सभी विवादित कृषि कानूनों को वापस लिए जाने और सभी राज्यों में सभी फ़सलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी ख़रीद को एक क़ानूनी अधिकार बनाने के लिए मज़बूती से खड़ा है.
किसान मज़दूर संघर्ष समिति की पंजाब इकाई के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि बैठक में भाग लेने वाली सभी यूनियनों ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ने के सरकार के संकेत को ख़ारिज कर दिया था.
उन्होंने कहा, “सरकार मामले को लंबे समय के लिए अदालत में ले जाना चाहती है. वे इस मुद्दे को हल नहीं करना चाहते.”
पंधेर ने कहा कि किसान संगठन अपने आंदोलन को तेज करने के लिए बिल्कुल तैयार हैं और उन्होंने 26 जनवरी को नई दिल्ली में प्रस्तावित 'ट्रैक्टर परेड' को सफल बनाने के लिए देश भर के किसानों और खेतिहर मजदूरों से अपील की है.
भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह ने कहा कि केंद्र ने कानून बनाए हैं और वो आसानी से उन्हें निरस्त भी कर सकता है.
उन्होंने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट जाने की ज़रूरत नहीं है. सरकार को किसानों की मांग को सुनना चाहिए और कानूनों को तुरंत रद्द करना चाहिए.” (बीबीसी)
नई दिल्ली, 9 जनवरी| देश के सात राज्यों- केरल, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, गुजरात और उत्तर प्रदेश में बर्ड फ्लू की पुष्टि हो चुकी है। इसके अलावा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और दिल्ली को पक्षियों की हुई अकाल मृत्यु की जांच रिपोर्ट का इंतजार है। केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने शनिवार को यह जानकारी दी।
मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, हरियाणा के पंचकूला जिले की दो मुर्गीपालन कंपनियों से लिए गए नमूनों में आईसीएआर-एनआईएचएसएडी द्वारा एवियन फ्लू (एआई) की पुष्टि के बाद मध्यप्रदेश के शिवपुरी, राजगढ़, शाजापुर, आगर, विदिशा, उत्तर प्रदेश के जूलॉजिकल पार्क, कानपुर और राजस्थान के प्रतापगढ़ व दौसा जिलों में प्रवासी पक्षियों में एवियन फ्लू के मामले दर्ज किए गए हैं।
विभाग ने प्रभावित राज्यों के लिए परामर्श जारी किया है, जिससे बीमारी का प्रसार रोका जा सके। अभी तक सात राज्यों केरल, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, गुजरात और उत्तर प्रदेश में इस बीमारी की पुष्टि हो चुकी है।
छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिले में आठ जनवरी 2021 की रात और नौ जनवरी 2021 की सुबह मुर्गियों और जंगली पक्षियों की असामान्य मृत्यु की खबरें आई हैं। राज्य ने आपात स्थिति के लिए आरआरटी दलों का गठन कर दिया है और निर्दिष्ट प्रयोगशाला को नमूने भी भेज दिए गए हैं।
इसके अलावा, संजय झील, दिल्ली से भी बत्तखों की असामान्य मृत्यु की खबरें प्राप्त हुई हैं। परीक्षण के लिए नमूने निर्दिष्ट प्रयोगशाला को भेज दिए गए हैं। महाराष्ट्र के मुंबई, ठाणे, दापोली, परभणी और बीड जिलों से एआई की पुष्टि के लिए मृत कौओं के नमूने एनआईएचएसएडी को भेज दिए गए हैं।
इस बीच केरल के दो प्रभावित जिलों में पक्षियों को मारने का अभियान पूरा हो गया है और केरल राज्य में पोस्ट ऑपरेशनल सर्विलांस प्रोग्राम से जुड़े दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
केरल, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के प्रभावित इलाकों की निगरानी के उद्देश्य से भ्रमण के लिए केंद्रीय दल नियुक्त कर दिए गए हैं और केरल में महामारी की जांच के लिए केंद्रीय दल पहुंच गए हैं।(आईएएनएस)
चंडीगढ़, 9 जनवरी| बीएसएफ ने कहा कि पंजाब के अमृतसर सेक्टर में तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने छह पाकिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार किया, जो अनजाने में सीमा पार कर भारतीय सीमा में घुस गए और बाद में उन्हें पाकिस्तान रेंजर्स को सौंप दिया गया। पूछताछ के दौरान पता चला कि वे शुक्रवार शाम अनजाने में भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर गए थे। उनके पास से कुछ भी आपत्तिजनक बरामद नहीं हुआ।
बीएसएफ ने पाकिस्तान रेंजर्स से संपर्क किया और इस मुद्दे पर विरोध दर्ज कराया।
बीएसएफ ने एक बयान में कहा, "पाकिस्तान रेंजर्स के अनुरोध पर, बीएसएफ ने मानवीय आधार पर पाकिस्तानी लोगों को लगभग 5.30 बजे पाकिस्तानी रेंजरों को सौंपा।"
पिछले साल भी, सीमा पार करने वाले छह पाकिस्तानियों को मानवीय आधार पर बीएसएफ, पंजाब फ्रंटियर द्वारा पाकिस्तान रेंजर्स को सौंप दिया गया था। (आईएएनएस)
लखनऊ, 9 जनवरी| उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले विभिन्न राजनीतिक दल अपनी-अपनी पैठ बनाने में जुटे हैं। इसे लेकर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर बेहद सक्रिय हैं। शनिवार को लखनऊ में ओम प्रकाश राजभर और भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर के बीच करीब एक घंटे की वार्ता हुई है। माना जा रहा है कि इनके बीच भागीदारी संकल्प मोर्चा में शामिल होने पर सहमति बनी है।
पश्चिमी यूपी में खासी पकड़ रखने वाले भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर ने बीते दिनों पूर्वी राज्य के कई जिलों का दौरा किया था। मऊ, आजमगढ़, गाजीपुर तथा बलिया के दौरे के बाद शनिवार को चंद्रशेखर लखनऊ लौटे। लखनऊ के एक होटल में शनिवार को भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर तथा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर की मुलाकात करीब एक घंटा की थी। माना जा रहा है कि इनके बीच विधानसभा चुनाव 2022 के साथ ही भागीदारी संकल्प मोर्चा में शामिल होने पर चर्चा हुई और दोनों के बीच में इसको लेकर सहमति भी बनी है।
इससे पहले ओवैसी से राजभर की भेंट के बाद औवेसी की योजना भी पता चली थी। औवैसी की योजना यूपी में मुस्लिम-ओबीसी समीकरण बनाने की है। प्रदेश में 52 प्रतिशत ओबीसी वोटबैंक को यह लोग अपनी ट्रंप कार्ड मान रहे हैं। ओवैसी के यूपी मिशन में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर अहम कड़ी बन रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे ओम प्रकाश राजभर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले छोटे-छोटे दलों को एकजुट करने में लगे हैं। इसी क्रम में ओमप्रकाश राजभर ने सबसे पहले प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के साथ वार्ता शुरू की। इसके बाद राजभर ने एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को लखनऊ आमंत्रित किया।
यह लोग शिवपाल सिंह यादव तथा भीम आर्मी जैसे छोटे-छोटे दलों को मिलाकर सूबे में एक बड़ी राजनीतिक ताकत बनने का ख्वाब संजो रहे हैं। राजभर ने हाल ही में ओबीसी समुदाय के आठ दलों के साथ मिलकर भाजपा के खिलाफ भागीदारी संकल्प मोर्चा नाम से गठबंधन बनाया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 जनवरी| दिल्ली-हरियाणा सिंघु सीमा पर पंजाब के 40 वर्षीय एक किसान ने जहर खाकर खुदखुशी कर ली। मृतक अमरिंदर सिंह पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले के रहने वाले थे। शनिवार देर शाम उन्होंने सल्फास खा लिया, जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मृत्यु हो गई। सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे एक किसान ने बताया कि, "शाम बॉर्डर के मुख्य स्टेज के पीछे उन्होंने सल्फास खाया, वहीं स्टेज के सामने मौजूद पंडाल के सामने आकर गिर गए, मौके पर खड़े अन्य किसान उन्हें अस्पताल ले गए, जहां उनकी करीब शाम 7 बजे मृत्यु हो गई।"
हालांकि किसान ने किन कारणों से खुदकुशी की ये साफ नहीं हो पाया है, साथ ही धरनास्थल पर मौजूद प्रदर्शनकारियों को मृतक के पास से कोई सुसाइड नोट भी नहीं मिला है।
दरअसल कृषि कानून के विरोध में बीते डेढ़ महीने से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है। वहीं सरकार और किसान संगठनों की बातचीत के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल सका है।
हालांकि सरकार साफ कर चुकी है कि वह कानूनों को वापस नहीं लेगी, वहीं दूसरी ओर किसान भी कानून की वापसी की मांग पर अड़े हुए हैं। (आईएएनएस)
गाजीपुर बॉर्डर, 9 जनवरी | किसानों के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच आठवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही। गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं ने भी आगे की रणनीति बनाना शुरू कर दी है। बॉर्डर पर किसान नेता आज एक बैठक करेंगे। जिसमें दिल्ली से गांव के खेत खलियानों तक आंदोलन को बढ़ाने को लेकर चर्चा की जाएगी। भारतीय किसान यूनियन के उत्तरप्रदेश अध्यक्ष राजबीर सिंह जादौन ने आईएएनएस को बताया, "हमारी हर शाम एक अपने लोगों के साथ बैठक होती है और आज भी की जाएगी।"
"इस आंदोलन में नए हालात बने हैं, उन सब स्थितियों पर चर्चा होगी और सरकार जो आंकलन कर रही है कि बहुत कम लोग आंदोलन में शामिल हैं। मेरा मानना है कि हिंदुस्तान के किसान पूरी तरह से आंदोलित हो गए हैं, लेकिन किसी कारणवश वो यहां तक नहीं आ पा रहे हैं।"
"सरकार उन्हें रोक रही है या पुलिस से रुकवा रही है, पूरी तरह से दबाब बनाया जा रहा है। अब हम इस तरह के कार्यक्रम बनाएंगे और सरकार को एहसास कराएंगे की दिल्ली से लेकर खेत खलियानों तक किसान आंदोलित है और वो वहीं से संदेश देंगे कि हम इस आंदोलन में शामिल हैं।"
हालांकि इस बैठक के बाद रविवार को इसकी आधिकारिक रूप से घोषणा भी कर दी जाएगी।
दरअसल इस बैठक में इस बात पर भी चर्चा की जाएगी कि जो किसान यहां तक नहीं आ पा रहे हैं, वो वहीं रहकर किस तरह इस आंदोलन में शामिल हो सकते हैं। गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे किसान नेताओं को लगता है कि सरकार अपने इरादे साफ कर चुकी है।
दरअसल केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उम्मीद है कि अगले दौर की बैठक में मसले का समाधान निकलेगा। अगले दौर की वार्ता के लिए 15 जनवरी को फिर आंदोलनकारी किसान संगठनों के नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच बैठक तय हुई है।(आईएएनएस)