अंतरराष्ट्रीय
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने एक बार फिर भारत की "स्वतंत्र विदेश नीति" की प्रशंसा की है. उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की रूस से तले ख़रीदने के मसले पर अमेरिकी दवाब को नज़रअंदाज़ करने की भी तारीफ़ की.
इमरान ख़ान पाकिस्तान की 75वीं वर्षगांठ पर लाहौर में हुई अपने पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ़ की रैली में बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि अमेरिका के लगातार दवाब के बावजूद भारत रूस से सस्ता तेल ख़रीदने पर अडिग रहा. इमरान ख़ान ने कहा कि भारत ने रूसी तेल इसलिए ख़रीद क्योंकि ऐसा करना लोगों के हित में है, लेकिन पाकिस्तान की शहबाज़ शरीफ़ की सरकार कहती है कि पाकिस्तान के लिए बिना अमेरिकी समर्थन के जीना संभव नहीं है.
इमरान ख़ान ने रैली के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की एक प्रेसवार्ता का वीडियो प्ले किया और कहा, "भारत के विदेश मंत्री को हुक्म दिया कि आप रूस से तेल न ख़रीदें. हिंदूस्तान अमेरिका का 'रणनीतिक सहयोगी' है.हमारा कोई अमेरिका के ख़िलाफ़ एलांयस नहीं है. इसके बावजदू देखें रूस से तेल ख़रीदने को मना करना पर उनके विदेश ने क्या कहा."
इसके बाद इमरान ख़ान ने रैली के एक बड़े स्क्रीन पर जून 2022 का भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का एक वीडियो चलाया.
ये वीडियो स्लोवाकिया में हई 'ग्लोबसेक-2022 ब्रातिस्लावा फ़ोरम' का था. रूस से तेल ख़रीदने के विषय पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा था कि कोई भी देश भारत को अपने लोगों के लिए एक बेहतर डील करने से कोई नहीं रोक सकता. एस जयशंकर के इस जवाब ने भारत समेत दुनिया भर के मीडिया में सुर्खियां बटोरी थीं.
रविवार को वीडियो चलाने के बाद इमरान ख़ान ने कहा, "ये होता है आज़ाद मुल्क. हमारे यहाँ इंपोर्टड हुकूमत जब आई, तब तक हमने रूसियों से सस्ता तेल लेने की बात कर ली थी. लेकिन इनकी हिम्मत नहीं थी कि (अमेरिका से) कहें कि हमारे लोग महंगाई झेल रहे हैं."
इमरान ख़ान ने पाकिस्तानी की शहबाज़ शरीफ़ सरकार पर हमला करते हुए कहा, "वो हिंदुस्तान जो हमारे साथ आज़ाद हुआ था, उनमें इतनी ख़ुद्दारी है कि वो अपने लोगों की ज़रुरतों के मुताबिक अपनी फ़ॉरेन पॉलिसी बनाते हैं. तो ये हमारे कौन (शहबाज़ शरीफ़ सरकार की तरफ़ संकेत) आ गए हैं जो उनके पैरों में लेटे हुए हैं."
क्रिकेट से सियासत में आए 69 वर्षीय इमरान ख़ान की राजनीतिक पार्टी पिछले महीने पाकिस्तान संसद में अविश्वास प्रस्ताव हार गई थी. उसके बाद विपक्षी की सरकार अस्तित्व में आई जिसने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के भाई शहबाज़ शरीफ़ को प्रधानमंत्री बनाया था. लेकिन इमरान ख़ान ने बार-बार दोहराया है कि उनकी सरकार गिराने के पीछे अमेरिका का हाथ है क्योंकि उनकी सरकार एक स्वतंत्र विदेशी नीति अपना रही थी.
ये पहली बार नहीं है कि जब पाकिस्तान तहरीके इंसाफ़ (पीटीआई) के चेयरमैन ने एक स्वतंत्र विदेश नीति अपनाने के लिए भारत की तारीफ़ की हो.
इसी वर्ष मई के महीने में उन्होंने भारत को स्वतंत्र विदेश नीति अपनाने की प्रशंसा करते हुए कहा था कि अमेरिका की हिम्मत नहीं है कि वो भारत को डिक्टेट करे क्योंकि भारत एक आज़ाद मुल्क़ है.
उस वक़्त इमरान ख़ान ने कहा था, "भारत रूस से तेल और हथियार ख़रीद रहा है लेकिन अमेरिका उसको कुछ नहीं बोलता क्योंकि भारत एक आज़ाद मुल्क़ है. भारत ईरान के साथ भी व्यापार करता है लेकिन अमेरिका इसपर भी कोई आपत्ति नहीं जताता."
इमरान ख़ान सत्ता खोने के बाद सारे पाकिस्तान में बड़ी-बड़ी रैलियां कर रहे हैं. उन्हें सुनने आ रही भारी भीड़ से वर्तमान में सत्तारूढ़ गठबंधन अक्सर असहज दिखा है.
रैलियों के दौरान इमरान ख़ान मौजूदा पाकिस्तान सरकार पर रूस से तेल ख़रीदने के विषय में अमेरिकी दवाब के आगे झुकने के आरोप लगाते रहे हैं. साथ ही वे दोहराते रहे हैं कि उनकी सरकार गिराने के पीछे अमेरिका का हाथ था.
पाकिस्तान की 75वीं वर्षगांठ के दौरान लाहौर में अपनी स्पीच के दौरान इमख़ान ख़ान ने फिर कहा, "अगर भारत अपने लोगों की हितों की रक्षा कर सकता है तो पाकिस्तान सरकार भी ऐसा क्यों नहीं कर सकती."
इमरान ख़ान ने कहा कि वो एंटी-अमेरिकन नहीं है और अमेरिका के साथ दोस्ताना रिश्ते चाहते हैं लेकिन उनका ग़ुलाम नहीं बनना चाहते. उन्होंने कहा कि पूर्व अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनके सम्मानजनक संबंध थे.
इमरान ख़ान ने दावा किया, "आप पाकिस्तान-अमेरिकन समुदाय में किसी से भी पूछ लें. ट्रंप ने मुझे जो प्रोटोकोल दिया वो मुझसे पहले किसी को नहीं मिला था. रैली के दौरान इमरान ने अपनी पार्टी का असली आज़ादी का रोडमैप भी पेश किया. हक़ीक़ी आज़ादी नाम के इस रोडमैप का उद्देश्य शहबाज़ शरीफ़ सरकार को काउंटर करते हुए जल्द संसदीय चुनाव करवाना है. (bbc.com)
ऐसी रिपोर्टें हैं कि मिस्र के गिज़ा शहर में रविवार को आग लगने के कारण एक चर्च नष्ट हो गया है और बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं और साथ ही कई लोग घायल भी हुए हैं.
बीबीसी की अरबी सेवा की रिपोर्ट के अनुसार, दुर्घटना में 41 लोग मरे हैं जबकि 14 लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सुरक्षा विभाग के सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इस घटना में कम से 35 लोग मरे हैं जबकि 45 लोग घायल हुए हैं.
गिज़ा शहर के इम्बाबा क्षेत्र में अबू सिफिन चर्च में घटना के वक़्त बड़ी संख्या में लोग सामूहिक प्रार्थना कर रहे थे.
आग लगने की वजह बिजली का शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है.
मिस्र के राष्ट्रपति ने घटना पर शोक जताया है और मरने वालों के प्रति संवेदना प्रकट की है. (bbc.com)
सऊदी अरब की दिग्गज तेल कंपनी अरामको ने चालू वित्त की दूसरी तिमाही में 48.4 अरब डॉलर का मुनाफा हासिल किया है. यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से तेल के दाम बढ़ने की वजह से कंपनी के मुनाफे में इजाफा हुआ है.
कंपनी की शुद्ध आय पिछले साल की तुलना में 90 फीसदी बढ़ी है. पहली तिमाही में कंपनी की शुद्ध आय 39.5 अरब डॉलर थी. अरामको के अलावा एक्सॉन मोबिल, शेवरॉन, शेल. टोटल एनर्जिज और ईनी जैसी दुनिया की दिग्गज कंपनियों को भी जबरदस्त मुनाफा हुआ है.
सऊदी अरामको के सीईओ अमीन एच नासर ने कहा कि ग्लोबल मार्केट में उतारचढ़ाव और आर्थिक अनिश्चितता और पहली छमाही के घटनाक्रम को देखते हुए तेल उद्योग में निवेश बढ़ाना जरूरी है.
उन्होंने कहा, ''इस दशक के बाकी सालों में भी तेल की मांग बढ़ती हुई दिख रही है.'' (bbc.com)
ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में गोलीबारी की ख़बर आ रही है. गोलीबारी की इस घटना के बाद से एयरपोर्ट को खाली करा लिया गया है.
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उन्होंने तीन गोलियां चलने की आवाज़ सुनी. पुलिस ने एक संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में भी लिया है.
फिलहाल किसी के घायल होने की कोई सूचना नहीं है.
सेंट्रल पुलिस एयरपोर्ट की तलाशी ले रही है. इस संबंध में विस्तृत जानकारी का इंतज़ार है. ये गोलीबारी टर्मिनल के चेक-इन वाली जगह हुई. (bbc.com)
इस्लामाबाद, 14 अगस्त। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शनिवार को कहा कि देश आर्थिक प्रगति करके ही विकास कर सकता है।
शरीफ ने देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर टेलीविजन और रेडियो पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान इस समय जो आर्थिक उथल-पुथल देख रहा है, उसे उससे बाहर निकलने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने विपक्षी नेता के रूप में (तत्कालीन) सरकार को अर्थव्यवस्था के चार्टर की पेशकश की थी और प्रधानमंत्री के रूप में मैं एक बार फिर इस प्रस्ताव को दोहराता हूं।’’
उन्होंने कहा कि देश आर्थिक प्रगति के बिना विकास नहीं कर सकता।
शरीफ ने अपने संबोधन के दौरान पाकिस्तानी आंदोलन के नेताओं को श्रद्धांजलि दी और पूरी दुनिया में रह रहे लाखों पाकिस्तानियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी।
उन्होंने मौजूदा राजनीतिक तनाव के कारण देश के समक्ष मौजूद भावनात्मक संकट के साथ-साथ आर्थिक संकट पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने आर्थिक संकट के लिए पिछली सरकार को जिम्मेदार ठहराया और देश में स्थिरता लाने का संकल्प लिया। (भाषा)
(योषिता सिंह)
न्यूयॉर्क, 14 अगस्त। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने प्रख्यात लेखक सलमान रुश्दी पर हुए हमले को “कायरतापूर्ण और घिनौना“ कृत्य करार देते हुए कहा है कि वह इससे स्तब्ध और बेहद दुखी हैं।
घेब्रेयसस ने ट्वीट किया, “सलमान रुश्दी पर हुए हमले से स्तब्ध और बेहद दुखी हूं। यह एक “कायरतापूर्ण और घिनौना“ कृत्य है। मेरी प्रार्थनाएं उनके और उनके प्रियजनों के साथ हैं।”
अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान सलमान रुश्दी पर हमला हुआ था।
मुंबई में जन्मे और बुकर पुरस्कार से सम्मानित रुश्दी (75) पश्चिमी न्यूयॉर्क के चौटाउक्वा संस्थान में एक कार्यक्रम के दौरान अपना व्याख्यान शुरू करने वाले ही थे कि तभी आरोपी मंच पर चढ़ा और रुश्दी को घूंसे मारे और चाकू से हमला कर दिया। हमले में गंभीर रूप से घायल हुए रुश्दी वेंटिलेटर पर हैं।
विवादास्पद लेखक रुश्दी को ‘‘द सैटेनिक वर्सेज’’ लिखने के बाद वर्षों तक इस्लामी चरमपंथियों से मौत की धमकियों का सामना करना पड़ा था। उन्हें न्यूजर्सी के 24-वर्षीय निवासी हादी मतार ने पश्चिमी न्यूयॉर्क राज्य में एक कार्यक्रम में चाकू मार दिया।
रुश्दी की चौथी पुस्तक ‘‘द सैटेनिक वर्सेज’’ 1988 में आने के बाद उन्हें नौ साल तक छिपकर रहना पड़ा। इस पुस्तक को लेकर ईरान के तत्कालीन सर्वोच्च धार्मिक नेता आयतुल्ला खामनेई ने रुश्दी पर ईशनिंदा का आरोप लगाते हुए उनकी हत्या के लिए फतवा जारी किया था।
सलमान रुश्दी पर चाकू से हमला करने वाले न्यू जर्सी निवासी 24 वर्षीय हदी मतार पर हत्या का प्रयास और हमला करने के आरोप लगाये गये हैं।
न्यूयॉर्क राज्य पुलिस ने कहा कि आपराधिक जांच ब्यूरो ने शुक्रवार को मतार को हत्या का प्रयास और हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया।
मतार को पुलिस कार्यालय ले जाने के बाद चौटाउक्वा काउंटी जेल भेजा गया है। (भाषा)
पेरिस, 13 अगस्त | फ्रांस में भीषण गर्मी का कहर जारी है। लू की तीसरी लहर में तापमान 38-41 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने देश की राष्ट्रीय मौसम सेवा मेटियो-फ्रांस के हवाले से कहा, "गर्मी की लहर जो 31 जुलाई से शुरू हुई थी और मुख्य रूप से सप्ताह की शुरुआत तक भूमध्यसागरीय क्षेत्रों से संबंधित थी, अब दक्षिण-पश्चिम और अटलांटिक तट तक फैल गई है।"
देश में जुलाई में बारिश कम हुई है। अगस्त में बारिश के आसार भी बेहद कम है।
मेटियो-फ्रांस ने चेतावनी दी है कि तापमान के बढ़ने से मिट्टी की नमी पर बुरा असर पड़ रहा है, जिससे देश सूखे को और बढ़ सकता है। (आईएएनएस)|
सोल, 13 अगस्त | देश में कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में सामान्य स्थिति की ओर बढ़ने के साथ उत्तर कोरिया ने फेस मास्क लगाने के आदेश को हटा दिया है और एंटी-वायरस प्रतिबंधों में ढील दे दी है। समाचार एजेंसी योनहाप की रिपोर्ट के अनुसार, इस सप्ताह की शुरुआत में उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन ने कोरोना वायरस के खिलाफ जीत की घोषणा की। तीन महीने बाद देश की ओर से पहली बार कोविड-19 को लेकर सूचना दी गई।
प्योंगयांग की आधिकारिक कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) के अनुसार, फ्रंटलाइन क्षेत्रों, सीमावर्ती शहरों और काउंटियों को छोड़कर पूरे देश में फेस मास्क से जुड़े आदेशों को वापस ले लिया गया है और अन्य एंटी-वायरस प्रतिबंध हटा दिए गए हैं।
लेकिन केसीएनए के अनुसार, फ्लू जैसे सांस से संबंधित बीमारियों के लक्षणों के मामले में मास्क पहनने की सलाह दी गई है। (आईएएनएस)|
अदन (यमन), 13 अगस्त | यमनी सरकारी बलों की इकाइयों के बीच तनाव तब बढ़ गया, जब नवगठित राष्ट्रपति नेतृत्व परिषद (पीएलसी) ने तेल समृद्ध प्रांत शबवा में विद्रोही सुरक्षा अधिकारियों को उनके पदों से हटाने पर जोर दिया। एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी शिन्हुआ को बताया, "मुस्लिम ब्रदरहुड से संबद्ध इस्ला पार्टी से जुड़े सैन्य नेताओं ने पड़ोसी प्रांत मारिब में अपनी इकाइयां जुटाईं और शबवा की ओर आगे बढ़ना शुरू कर दिया, जो पिछले दिनों के दौरान घातक लड़ाई देखी गई थी।"
उन्होंने स्पष्ट किया कि "शबवा की सीमाओं के पास के क्षेत्रों में अभी भी छिटपुट लड़ाई देखी जा रही है, क्योंकि इस्ला पार्टी अन्य प्रतिद्वंद्वी ताकतों से शबवा में अधिकार पर कब्जा करने पर जोर देती है।"
शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले शुक्रवार को इस्ला पार्टी ने एक बयान जारी किया, जिसमें शबवा में ताजा घटनाओं के विरोध में पीएलसी और सरकार से अपने प्रतिनिधियों को वापस लेने की धमकी दी गई थी।
शबवा की स्थानीय सरकार के एक अन्य अधिकारी ने शिन्हुआ को बताया कि "देश के रक्षा और आंतरिक मंत्री, क्रमश: विद्रोही अधिकारियों को एक तरफ खड़े होने और अपने बख्तरबंद वाहनों और भारी हथियारों को पीएलसी द्वारा नियुक्त नए नेताओं को सौंपने के लिए मनाने का प्रयास कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "लेकिन इस्ला के बयान ने यमनी मंत्रियों द्वारा किए जा रहे प्रयासों को विफल कर दिया, जिसका उद्देश्य जमीनी स्तर पर स्थिति को सामान्य करना और सरकार समर्थक बलों के बीच घातक घुसपैठ को समाप्त करना था।"
पीएलसी ने सोमवार को इस्ला पार्टी से जुड़ी विशेष सुरक्षा इकाइयों का नेतृत्व करने के लिए नए नेताओं को नियुक्त किया, जिससे शबवा की प्रांतीय राजधानी अताक में प्रतिद्वंद्वी सुरक्षा इकाइयों के बीच घातक सड़क लड़ाई शुरू हो गई।
शबवा गवर्नर ने बुधवार को दक्षिणी जायंट्स ब्रिगेड के सैनिकों को विद्रोही सैनिकों पर नकेल कसने और प्रांत में स्थानीय राज्य सुविधाओं को सुरक्षित करने के लिए एक सैन्य अभियान चलाने का आदेश दिया।
एक चिकित्सा अधिकारी ने गुरुवार को शिन्हुआ को बताया कि शबवा में हुई झड़पों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 28 हो गई और 68 लोग घायल हो गए।
यमन 2014 के अंत से एक गृहयुद्ध में फंस गया है, जब ईरान समर्थित हौथी मिलिशिया ने कई उत्तरी प्रांतों पर नियंत्रण कर लिया और सऊदी समर्थित यमनी सरकार को राजधानी सना से बाहर कर दिया।
युद्ध ने हजारों लोगों को मार डाला, 40 लाख लोग विस्थापित हुए और सबसे गरीब अरब देश को भुखमरी के कगार पर धकेल दिया। (आईएएनएस)|
न्यूयॉर्क, 13 अगस्त| अमेरिका के न्यूयॉर्क में मशहूर लेखक सलमान रुश्दी पर शुक्रवार को एक साहित्यिक कार्यक्रम के दौरान एक बदमाश ने चाकू से हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। फिलहाल उन्हें अस्पताल में वेंटिलेटर पर रखा गया है। समाचार एजेंसी डीपीए ने बताया कि शुक्रवार देर रात एक बयान में रुश्दी के एजेंट एंड्र्यू वायली ने कहा, "खबर अच्छी नहीं है। सलमान की एक आंख खोने की संभावना है, उनकी हाथ की नसें कट गई थीं। वहीं, हमले के कारण उनका लिवर भी क्षतिग्रस्त हो गया है।"
एक पुलिस प्रवक्ता के अनुसार, घटना चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन में हुई। हमलावर तेजी से मंच पर आया और रुश्दी पर चाकू से हमला कर दिया। इस दौरान मंच पर मौजूद इंटरव्यूअर के सिर पर भी हल्की चोट आई है।
पुलिस ने आरोपी की पहचान 24 वर्षीय हादी मटर के रूप में की है जो न्यू जर्सी का है। आधिकारियों का कहना है कि हमले के पीछे का कारण अभी भी अस्पष्ट है।
हमले के बाद रुश्दी को हेलीकॉप्टर से अस्पताल ले जाए जाने से पहले दर्शकों में शामिल एक डॉक्टर ने उनका उपचार किया।
अधिकारियों ने कहा कि हमलावर ने रुश्दी के गर्दन और पेट पर चाकू से वार किया है।
सलमान रुश्दी द्वारा मुस्लिम परंपराओं पर लिखे गए उपन्यास 'द सैटेनिक वर्सेस' को लेकर ईरान के धार्मिक नेता अयातुल्ला खामैनी ने 1988 में उनके खिलाफ फतवा जारी किया था। हमले को उसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
हालांकि, ईरान के एक राजनयिक ने कहा, "हमारा इस हमले से कोई लेना-देना नहीं है।"
रुश्दी का जन्म भारतीय स्वतंत्रता के वर्ष 1947 में मुंबई में हुआ था। उन्होंने ब्रिटेन में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में इतिहास की पढ़ाई की है।
उन्हें उपन्यास 'मिडनाइट्स चिल्ड्रन' के लिए 1981 में 'बुकर प्राइज' और 1983 में 'बेस्ट ऑफ द बुकर्स' पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
रुश्दी ने लेखक के तौर पर शुरुआत 1975 में अपने पहले उपन्यास 'ग्राइमस' के साथ की थी।
(आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 13 अगस्त | पावेल ड्यूरोव के दो सप्ताह से एप्पल के एप रिव्यू में अपडेट होने के एक दिन बाद टेलीग्राम के सीईओ और संस्थापक ने अब फीचर जारी कर दिया है। ड्यूरोव के अनुसार, नया अपडेट इमोजी से संबंधित सुविधाओं के साथ आता है। हालांकि, एक गायब है, क्योंकि तकनीकी दिग्गज ने विशेष रूप से इसे हटाने का अनुरोध किया था।
सीईओ और संस्थापक ने अपने पर लिखा टेलीग्राम चैनल, "मेरे पिछले पोस्ट के व्यापक मीडिया कवरेज के बाद एप्पल ने टेलीमोजी को हटाकर हमारे लंबित टेलीग्राम अपडेट को कम करने की मांग के साथ हमारे पास वापस आ गया - मानक इमोजी के उच्च गुणवत्ता वाले वेक्टर-एनिमेटेड संस्करण।"
ड्यूरोव ने कहा कि यह एप्पल की ओर से एक हैरान करने वाला कदम है, क्योंकि टेलीमोजी अपने स्थिर कम-रिजॉल्यूशन इमोजी के लिए एक बिल्कुल नया आयाम लाएगा और उनके पारिस्थितिकी तंत्र को काफी समृद्ध करेगा।
ड्यूरोव ने कहा, "लेकिन यह टेलीग्राम लॉन्ग टर्म के लिए अच्छा है, क्योंकि अब हम टेलीमोजी को और भी अनोखा और पहचानने योग्य बनाएंगे। इसके अलावा, हमने आज के अपडेट में 10 अन्य इमोजी पैक शामिल किए हैं - साथ में किसी भी उपयोगकर्ता के लिए अपना इमोजी अपलोड करने की क्षमता।"
उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना एक दिलचस्प इंजीनियरिंग चुनौती थी कि सहज एनिमेशन वाले सैकड़ों वेक्टर-आधारित इमोजी एक साथ किसी भी मोबाइल फोन की स्क्रीन पर चल सकें।
टेलीग्राम ने कहा कि यह मोबाइल एप में इसे लागू करने वाली पहली कंपनी है।
कुछ हफ्तों में उपयोगकर्ता किसी संदेश की प्रतिक्रिया के रूप में कोई भी कस्टम इमोजी जोड़ सकेंगे और इमोजी को उनके नाम के आगे अपनी वर्तमान स्थिति के रूप में प्रदर्शित कर सकेंगे।
कंपनी ने यह भी उल्लेख किया है कि नया अपडेट पहले प्रीमियम ग्राहकों के लिए उपलब्ध होगा। (आईएएनएस)
फिरोज़े अकबारियन और सोफ़िया बेतीज़ा
ईरान में, शादी से पहले कौमार्य कई लड़कियों और उनके परिवारों के लिए बेहद अहम है. कई बार पुरुष वर्जिनिटी सर्टिफ़िकेट (कौमार्य का प्रमाण पत्र) मांगते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन इस प्रथा को मानवाधिकारों के ख़िलाफ़ मानता है.
पिछले एक साल से, इस प्रथा के ख़िलाफ़ आंदोलन चलाने वालों की तादाद भी बढ़ी है.
"तुमने मुझे फंसाकर मुझसे शादी कर ली क्योंकि तुम वर्जिन नहीं थीं, अगर सच पता होता तो कोई भी तुमसे शादी ना करता."
मरियम ने जब पहली बार अपने पति के साथ सेक्स किया तो उन्होंने यही ताना मारा.
मरियम ने अपने पति को ये समझाने की कोशिश की कि भले ही सेक्स के दौरान उन्हें रक्तस्राव ना हुआ लेकिन उन्होंने इससे पहले कभी सेक्स नहीं किया था. लेकिन उनके पति ने उनकी एक ना सुनी और उनसे वर्जिनिटी सर्टिफ़िकेट लाने के लिए कहा.
ये ईरान में कोई असामान्य बात नहीं है. शादी तय होने के बाद बहुत सी महिलाएं डॉक्टरों के पास जाती हैं और वर्जिनिटी सर्टिफ़िकेट बनवाती हैं.
हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक वर्जिनिटी टेस्ट का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.
मरियम के सर्टिफ़िकेट पर लिखा था कि उनका हाइमन लचीला है और हो सकता है सेक्स के दौरान उन्हें रक्तस्राव ना हो.
"इससे मेरे सम्मान को ठेस पहुंची है. मैंने कुछ भी ग़लत नहीं किया था, लेकिन मेरे पति मेरा अपमान करते रहे. मैं इस अपमान को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी. मैंने गोलियां खाकर आत्महत्या का प्रयास किया."
मरियम को समय रहते अस्पताल ले जाया गया और उनकी जान बच गई.
प्रथा के ख़िलाफ़ आंदोलन
मरियम की कहानी ईरान की कई महिलाओं की ज़िंदगी का सच है. शादी से पहले वर्जिन होना अब भी बहुत सी महिलाओं और उनके परिवारों के लिए बेहद अहम है. ये एक ऐसा मूल्य है जो ईरान की संरक्षणवादी संस्कृति का हिस्सा है.
लेकिन हाल के दिनों में चीज़ों कुछ बदल रही हैं. देश भर में महिलाएं और पुरुष वर्जिनिटी सर्टिफ़िकेट की प्रथा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं.
पिछले साल नवंबर में, ऑनलाइन शुरू की गई एक याचिका पर एक महीने के भीतर ही 25 हज़ार से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए.
ये पहली बार था जब वर्जिनिटी टेस्ट को ईरान में इतनी बड़ी तादाद में लोगों ने चुनौती दी.
नेदा कहती हैं, "ये ना सिर्फ़ निजता का हनन है बल्कि बहुत अपमानजनक भी है."
नेदा जब 17 साल की थीं और तेहरान में छात्रा थीं तब उन्होंने अपने बॉयफ्रेंड के साथ सेक्स किया और अपनी वर्जिनिटी गंवा दी.
"मैं बहुत घबरा गई थी और डरी हुई थी कि अगर मेरे परिवार में पता चला तो क्या होगा."
नेदा ने अपने हाइमन को ठीक कराने का फ़ैसला लिया.
तकनीकी तौर पर ईरान में ऐसा कराना ग़ैर क़ानूनी नहीं है. लेकिन इसके सामाजिक परीणाम बहुत गंभीर हो सकते हैं. ऐसे में कोई अस्पताल ये करने के लिए तैयार नहीं होता है.
नेदा ने एक निजी क्लिनिक का पता लगाया जो गुप्त तरीक़े से ऐसा करने को तैयार था लेकिन उसकी क़ीमत बहुत ज़्यादा थी.
वो कहती हैं, "मैंने अपना सारा पैसा इस पर ख़र्च कर दिया. अपना लैपटॉप, सोना और मोबाइल फ़ोन तक बेच दिया."
घरेलू हिंसाः वो अफ़ग़ान महिला जिनके पति ने उनकी नाक काट दी
उन्हें एक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर भी करने पड़े जिस पर लिखा था कि अगर कुछ ग़लत होता है तो पूरी ज़िम्मेदारी उनकी है.
फिर एक मिडवाइफ़ ने ये प्रक्रिया पूरी की. इसमें क़रीब चालीस मिनट लगे.
लेकिन नेदा को पूरी तरह ठीक होने में कई सप्ताह लगे.
वो याद करती हैं, "मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मैं अपनी टांगे नहीं हिला पा रही थी."
नेदा ने ये सब अपने परिवार से छुपाया था.
"मैं बहुत अकेली हो गई थी. लेकिन मुझे लगता है कि उन्हें पता चलने के डर की वजह से मैं उस दर्द को बर्दाश्त कर पाई."
आख़िर में, नेदा ने जो दर्द सहा, उससे उन्हें कोई फ़ायदा नहीं हुआ.
एक साल बाद नेदा को कोई मिला जो उनसे शादी करना चाहता था. लेकिन जब उन्होंने सेक्स किया तो रक्तस्राव नहीं हुआ और वो प्रक्रिया नाकाम हो गई.
"मेरे बॉयफ्रेंड ने मुझ पर शादी के लिए फंसाने का इल्ज़ाम लगाया. उसने कहा कि मैं झूठी हूं और वो मुझे छोड़ कर चला गया."
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भले ही कहा हो को वर्जिनिटी टेस्ट का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और ये अनैतिक है लेकिन आज भी दुनिया के कई देशों में ये प्रचलित है, इनमें इंडोनेशिया, इराक़ और तुर्की भी शामिल हैं.
वहीं ईरान की मेडिकल संस्थाओं का कहना है कि वो वर्जिनिटी टेस्ट विशेष परिस्थितियों में ही करते हैं- जैसे कि अदालत का कोई मामला हो या फिर बलात्कार के आरोप.
हालांकि अभी भी वर्जिनिटी सर्टिफ़िकेट की अधिकतर मांग वो जोड़े ही करते हैं जो शादी करने जा रहे हों. ऐसे में ये लोग निजी क्लिनिकों में जाते हैं. आमतौर पर लड़कियों के साथ उनकी माएं भी होती हैं.
महिला डॉक्टर या मिडवाइफ़ टेस्ट करती हैं और फिर सर्टिफ़िकेट जारी करती हैं. इसमें लड़की का पूरा नाम, उसके पिता का नाम और राष्ट्रीय पहचान पत्र के अलावा कुछ फोटो भी होते हैं. इस सर्टिफ़िकेट पर हाइमन कि स्थिति दर्ज होती है और आमतौर पर ये भी लिखा होता है, 'लड़की वर्जिन प्रतीत होती है.'
अधिक रूढ़िवादी परिवारों में इस दस्तावेज़ पर दो गवाहों के भी दस्तखत होते हैं जो आमतौर पर माएं होती हैं.
डॉ. फ़रीबा कई सालों से इस तरह के सर्टिफ़िकेट जारी करती रही हैं. वो स्वीकार करती हैं कि ये एक अपमानजनक प्रथा है. हालांकि वो ये मानती हैं कि वास्तविकता में वो महिलाओं की मदद ही कर रही हैं.
"उन पर परिवारों का इतना अधिक दबाव होता है कि कई बार मैं दंपति के लिए मौखिक रूप से झूठ बोल देती हूं. अगर वो सेक्स कर चुके हैं और शादी करना चाहते हैं तो मैं परिवार के सामने कहती हूं कि लड़की वर्जिन है."
लेकिन बहुत से पुरुषों के लिए अभी भी वर्जिन लड़की से शादी करना ही प्राथमिकता है.
शिराज़ के रहने वाले 34 वर्षीय इलेक्ट्रीशियन अली कहते हैं, "अगर कोई लड़की शादी से पहले ही अपनी वर्जिनिटी गंवा देती है तो वो भरोसेमंद नहीं हैं. वो किसी और पुरुष के लिए अपने पति को भी छोड़ सकती है."
वर्जिनिटी टेस्ट के ख़िलाफ़ भले ही लोग अब बोल रहे हों और प्रदर्शन हो रहे हैं लेकिन ईरान के समाज और संस्कृति में ये विचार इतना गहरा है कि सरकार के नज़दीकी भविष्य में इस पर प्रतिबंध लगाने की संभावना बहुत कम ही नज़र आती है.
उत्पीड़न करने वाले पति के साथ रहने और अपनी ही जान लेने का प्रयास करने के चार साल बाद अदालत के ज़रिए मरियम को तलाक़ मिल सका.
कुछ सप्ताह पहले ही वो फिर से सिंगल हुई हैं.
वो कहती हैं, "दोबारा फिर से किसी पुरुष पर भरोसा करना बहुत मुश्किल होगा. मैं नज़दीक भविष्य में दोबारा अपनी शादी होते हुए नहीं देखती हूं."
दसियों हज़ार अन्य महिलाओं की तरह उन्होंने भी वर्जिनिटी सर्टिफ़िकेट की प्रथा के ख़िलाफ़ ऑनलाइन याचिका पर दस्तखत किए हैं.
हालांकि वो ये मानती है कि जल्द ही कोई बदलाव नहीं आएगा, यहां तक अपने जीवनकाल में भी वो कोई बदलाव आता नहीं देखती हैं, लेकिन उन्हें विश्वास है कि एक दिन ऐसा आएगा जब उनके देश में महिलाओं को अधिक बराबरी हासिल होगी.
"मुझे विश्वास है कि एक दिन ऐसा ज़रूर आएगा जब लड़कियों को इस तरह की अपमानजनक स्थिति से नहीं गुज़रना होगा."
(नोट- इस रिपोर्ट में पहचान छुपाने के लिए सभी नाम बदल दिए गए हैं.) (bbc.com)
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के उप-प्रमुख अब्दुल रऊफ अज़हर सहित कई चरमपंथियों पर प्रतिबंध लगाकर वैश्विक चरमपंथी करार देने वाले प्रस्ताव पर चीन द्वारा लगाई गई तकनीकी रोक को भारत ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है.
इस प्रस्ताव को भारत और अमेरिका ने पेश किया था, जिस पर विचार करने की बात कहकर चीन ने रोक लगा दी. दो महीनों से भी कम समय में यह दूसरी बार है जब चीन ने इस प्रस्ताव पर रोक लगाई है.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने शुक्रवार को इस पर अपनी चिंता ज़ाहिर की है.
उन्होंने कहा, "जैश-ए-मोहम्मद का उप-प्रमुख अब्दुल रऊफ अज़हर आतंकवाद की कई घटनाओं में लगातार शामिल रहा है. चाहे 1999 में इंडियन एयरलाइंस का अपहरण हो या 2001 में संसद पर हुए हमला, या 2014 में कठुआ आर्मी कैंप और 2016 में पठानकोट के वायुसेना बेस पर हुए हमले."
अरिंदम बागची ने आगे कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि दुनिया के चुनिंदा कुख्यात आतंकवादियों से जुड़े सच्चे और साक्ष्यों पर आधारित प्रस्ताव रोक दिए जा रहे हैं. दोहरे मानक और राजनीतिकरण के चलते प्रतिबंध लगाने वाली समिति की विश्वसनीयता अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है."
"यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक लड़ाई की बात आती है तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय एक साथ मिलकर आवाज़ उठाने में असमर्थ रहा है. 9 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने खुली बहस में ये मुद्दा उठाया है."
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन द्वारा तकनीकी रोक लगाए जाने पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है, "यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर संयुक्त राष्ट्र में हमारे स्थायी प्रतिनिधि ने बयान देकर अपनी चिंता को विस्तार से उठाया है. हमने दुख के साथ गौर किया है कि लिस्टिंग प्रस्ताव पर लगी ये रोक अब्दुल रऊफ अज़हर के लिए लगाई गई है."
ताइवान पर क्या कहा?
वहीं ताइवान के मौजूदा हालात पर बागची ने कहा, "कई अन्य देशों की तरह भारत भी हाल के घटनाक्रमों से चिंतित है. हम संयम बरतने, स्टेटस बदलने के लिए होने वाली एकतरफा कार्रवाई से बचने, तनाव कम करने और इलाके में शांति और स्थिरता बनाए रखने का प्रयास करने का आग्रह करते हैं."
अरिंदम बागची के अनुसार, "भारत की प्रासंगिक नीतियां सबको पता है और वो अभी भी है. उन्हें दोहराने की ज़रूरत नहीं है." (bbc.com)
पाकिस्तान के 'डॉन' अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, पाकिस्तानी नौसेना ने अरब सागर में डूबे एक भारतीय जहाज पर सवार नौ लोगों की जान बचाई है.
ये सभी एक भारतीय जहाज के चालक दल के सदस्य थे.
पाकिस्तानी नौसेना ने अपने एक बयान में कहा, "नौसेना ने इमरजेंसी कॉल का तुरंत जवाब दिया और पाकिस्तान समुद्री सूचना केंद्र ने पास के एक व्यापारी जहाज 'माउंट क्रुइबेके' से डूबते जहाज के फंसे हुए चालक दल को आवश्यक सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया."
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय जहाज "जमना सागर" 9 अगस्त को बलूचिस्तान प्रांत के ग्वादर शहर के पास अपने 10 चालक दल के सदस्यों के साथ डूब गया था.
सैमसंग के उत्तराधिकारी और साल 2017 में रिश्वतखोरी और गबन के आरोप में दोषी करार दिए गए ली जे योंग को दक्षिण कोरियाई सरकार ने माफ़ी दे दी है. ली जे-योंग को विशेष राष्ट्रपति क्षमादान के तहत ये माफ़ी दी गई है.
दक्षिण कोरिया के सबसे शक्तिशाली सफ़ेदपोश अपराधियों में से एक जे-योंग को पूर्व राष्ट्रपति पार्क ग्यून-हे को रिश्वत देने के आरोप में दो बार जेल हुई थी.
सैमसंग के प्रमुख ने दो कंपनियों के विलय को लेकर राष्ट्रपति से समर्थन मांगा था और उन्हें इसके लिए आठ मिलियन डॉलर रिश्वत की पेशकश की थी. जब ये ख़बर बाहर आई तो दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में पूर्व राष्ट्रपति के विरुद्ध जमकर विरोध प्रदर्शन हुए.
नतीजा ये हुआ कि राष्ट्रपति को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी और योंग को भी जेल जाना पड़ा. अब दक्षिण कोरियाई सरकार ने उन्हें माफ़ कर दिया है.
सरकार ने ली जे-योंग को मिली माफ़ी को सही ठहराते हुए कहा कि महामारी के बाद देश के आर्थिक सुधार के लिए फ़िलहाल उनकी ज़रूरत है. देश की सबसे बड़ी कंपनी के वास्तविक नेता का वापस आना ज़रूरी है. (bbc.com)
अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं की शिक्षा के हिमायती नामचीन मौलवी शेख़ रहीमुल्लाह हक़्क़ानी की काबुल में एक आत्मघाती हमले में मौत हो गई है.
तालिबान के सूत्रों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया है कि हमला ऐसे व्यक्ति ने किया जिसका एक पैर नहीं था और उसने प्लास्टिक के बने अपने कृत्रिम पैर में विस्फोटक छिपाया था.
तालिबान सरकार के गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रॉयटर्स से कहा,"हम पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि वो कौन शख्स था जो उन्हें शेख़ रहीमुल्लाह हक़्क़ानी के निजी दफ़्तर जैसी अहम जगह पर लेकर आया. ये अफ़ग़ानिस्तान के लिए एक बहुत बड़ा नुक़सान है."
इस आत्मघाती हमले की ज़िम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली है. इस्लामिक स्टेट पहले भी रहीमुल्लाह पर हमले कर चुका है.
स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक ये हमला अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में एक मदरसे के भीतर हुआ है.
शेख़ हक़्क़ानी अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार के समर्थक थे और उन्हें इस्लामिक स्टेट इन ख़ुरासान (आईएस-के) का घोर विरोधी माना जाता था.
आईएस-के, इस्लामिक स्टेट की शाखा है जो अफ़ग़ानिस्तान में सक्रिय है. ये ग्रुप तालिबान के शासन का विरोध करता है.
पिछले साल 15 अगस्त को तालिबान के लड़ाके देश की राजधानी काबुल में दाखिल हुए थे. उसके बाद से ये अफ़ग़ानिस्तान में सबसे बड़ी हस्ती की हत्या बताई जा रही है.
तालिबान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया, "ये अफ़ग़ानिस्तान की इस्लामी अमीरात के लिए एक बहुत बड़ा झटका है. हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि इस हमले के पीछे कौन लोग शामिल थे."
एक जैसा नाम होने के बावजूद शेख़ हक़्क़ानी का अफ़ग़ानिस्तान की राजनीति में अहम हक़्क़ानी मिलिटेंट ग्रुप से कोई नाता नहीं था.
शेख़ हक़्क़ानी अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं की शिक्षा के पक्ष में फ़तवा जारी कर चुके हैं.
इसी साल बीबीसी संवाददाता सिकंदर किरमानी से बातचीत में उन्होंने कहा था कि अफ़ग़ान महिलाओं और लड़कियों को पढ़ने का हक़ है.
उन्होंने कहा था, "शरियत में महिलाओं और लड़कियों को न पढ़ने देनें का कोई ज़िक्र नहीं है. ये बिल्कुल न्यायसंगत नहीं है. सभी धार्मिक किताबें ये कहती हैं कि महिलाओं की शिक्षा की अनुमति है और अनिवार्य है. क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान जैसे मुल्कों में अगर कोई महिला बीमार होती है तो ये बेहतर होगा कि उसका इलाज कोई महिला डॉक्टर ही करे. "
अफ़ग़ानिस्तान के कुछ ही प्रांतों में लड़कियों को पढ़ने दिया जाता है. बाक़ी देश में लड़कियों के स्कूल फ़िलहाल बंद पड़े हैं.
अफ़गानिस्तान में तालिबान लड़कियों के हाई स्कूलों को खोलने का वादा करने के बाद भी मुकर चुके हैं. तालिबान प्रशासन ने कहा था कि लड़कियों के लिए यूनिफॉर्म अभी तय नहीं हुई है. इसलिए स्कूल नहीं खोले जा रहे हैं.
अगस्त 2021 में जब अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हुआ था तो पूरे देश में स्कूल बंद कर दिए गए थे. ये स्कूल अब खुलने वाले थे लेकिन इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है.
कुछ इलाक़ों में लड़कियों के स्कूल खुले हैं लेकिन अधिकतर देश में अब भी बच्चियां पढ़ाई-लिखाई से दूर हैं.
जब तालिबान के सत्ता में आने के बाद शिक्षा मंत्रालय ने अचानक एलान किया था कि लड़कियों के सेकेंडरी स्कूल बंद रहेंगे, तो इसकी सख़्त आलोचना हुई थी.
एक ऐसे विषय पर तालिबान से अलग राय रखते हुए भी शेख़ हक़्क़ानी, काबुल के नए हुक़्मरानों के क़रीबी थे.
शेख हक़्क़ानी पर इससे पहले भी दो बार हमला हो चुका है. पिछला हमला 2020 में हुए था. उस वक़्त भी इस्लामिक स्टेट ने पाकिस्तानी शहर पेशावर में हुए हमले की ज़िम्मेदारी ली थी.(bbc.com)
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के घर मार-ए-लागो रिजॉर्ट पर हाल ही अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई की छापेमारी का मुद्दा शांत होने को नाम नहीं ले रहा.
गुरुवार को अमेरिकी न्याय विभाग ने फ्लोरिडा की अदालत से उस सर्च वारंट को सार्वजनिक करने की अपील की, जिसके आधार पर एफबीआई ने ट्रंप के घर पर छापेमारी की.
डोनाल्ड ट्रंप ने भी अपने एक बयान में कहा कि वो सर्च वारंट को तत्काल सार्वजनिक करने के पक्ष में हैं. हालांकि वो ये बातें भी दोहराते नज़र आए कि उनकी घर हुई छापेमारी गैरज़रूरी और राजनीति से प्रेरित थी.
बीते सोमवार को ट्रंप के घर में छापेमारी के दौरान एफबीआई ने दस्तावेज़ों से भरे एक दर्जन बॉक्स बरामद किए थे, लेकिन इन दस्तावेज़ों से जुड़ी कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई.
माना जा रहा है कि एफबीआई की छापेमारी के तार उस जांच से जुड़ी है जिसमें ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि पूर्व राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस के कुछ गोपनीय रिकॉर्ड और संवेदनशील दस्तावेज़ हटाए तो नहीं हैं.
अमेरिकी अख़बार वाशिंगटन पोस्ट ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि एफबीआई परमाणु हथियारों से जुड़े दस्तावेज़ों की तलाश में ट्रंप के घर पहुंची थी. (bbc.com/hindi)
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वो ज़ेपोरीज़िया परमाणु संयंत्र में मौजूद रूसी सैनिकों को तुरंत वहां से निकलने को कहे.
रूस पर न्यूक्लियर ब्लैकमेल का आरोप लगाते हुए ज़ेलेंस्की ने कहा है कि रूसी फौज का वहां से निकलना यूक्रेन ही नहीं पूरी दुनिया के हित में है.
उनका ये बयान संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद आया है. अमेरिका और चीन ने भी इस न्यूक्लियर प्लांट में संयुक्त राष्ट्र के एक्सपर्ट को जाने देने की अपील की है.
यूएन में यूक्रेन के राजदूत ने कहा, "अगर वहां से रेडिएशन का रिसाव हुआ तो हम में से कोई भी हवाओं का रुख़ नहीं रोक पाएगा. लेकिन दुनिया आतंकी देश को तो रोक सकती है."
लेकिन रूस ने साफ़ किया है कि वो न्यूक्लियर प्लांट की हिफ़ाज़त कर रहा है. (bbc.com/hindi)
-सैम कबराल
सानिया ख़ान कहती थीं कि जब वह अपनी असफल शादी से बाहर निकलीं तो उनके दक्षिण एशियाई मुस्लिम समुदाय ने उन्हें ऐसा महसूस कराया जैसे उनकी 'ज़िंदगी नाकाम' हो चुकी है.
लेकिन फिर उन्हें टिक टॉक ने सहारा दिया, जहाँ उन्हें अनजान लोगों से समर्थन और सहारा मिला.
अमेरिका में रहने वाली पाकिस्तानी मूल की सानिया इस सब के बीच अपनी ज़िंदगी संभाल ही रही थीं कि तभी उनका पूर्व पति लौटा, और उन्हें मार डाला.
इस रिपोर्ट के में ऐसे विवरण हैं जो कुछ दर्शकों को विचलित कर सकते हैं.
21 जुलाई - सानिया ख़ान ने पूरी तैयारी कर ली थी. उनके बैग पैक हो चुके थे. अमेरिका के इलिनॉय राज्य के शिकागो शहर से वो बस निकलने वाली थीं.
29 वर्षीय सानिया अपनी पुरानी ज़िंदगी को पीछे छोड़ एक नई शुरुआत की ओर क़दम बढ़ा रही थीं.
मगर हुआ कुछ और. अमेरिका के टेनेसी में वो अपने घर लौटीं - एक ताबूत में.
इसके तीन दिन पहले, पुलिस को सानिया शिकागो में एक घर के दरवाज़े के पास गिरी मिलीं, उनके शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही थी. ये वो घर था जहाँ वो कभी अपने पति राहील अहमद के साथ रहा करती थीं, जिनसे वो अब अलग हो चुकी थीं. उनके सिर के पीछे गोली लगी थी, और उनकी मौके पर ही मौत हो चुकी थी.
पुलिस के आने पर 36 साल के राहील अहमद ने खुद को भी गोली मार ली. और उनकी भी मौत हो गई.
शिकागो सन-टाइम्स के साथ साझा की गई पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक ''सानिया और राहील का तलाक़ हुआ था.''
तलाक़ के बाद राहील एक दूसरे शहर में रहने चले गए थे. लेकिन ''अपनी शादी को बचाने के लिए'' वो 700 मील का सफर तय करके अपने पुराने घर वापस आए थे.
सानिया ख़ान की ज़िंदगी का ये सबसे दुखद और अंतिम अध्याय बन गया.
सानिया एक युवा पाकिस्तानी-अमेरिकी फोटोग्राफ़र थीं जिन्हें हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिकटॉक पर ऐसी महिला के तौर पर पहचान मिली थी जो ख़राब शादी के सदमे और तलाक़ से जुड़े कलंक के ख़िलाफ़ लड़ रही हैं.
उनकी मौत से उनके दोस्त को तगड़ा झटका लगा है. उनके ऑनलाइन प्रशंसक और कई महिलाओं के लिए भी ये हैरानी की बात है.
ये महिलाएं कहती हैं कि वो सामाजिक दबाव के चलते एक झंझावातों में फँसी शादी निभाने को मजबूर हैं.
सानिया के साथ यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली एक दोस्त ब्रिआना विलियम्स बताती हैं, ''सानिया के लिए 29वाँ साल एक नई शुरुआत बनने वाला था. वो बहुत खुश थीं.''
सानिया के दोस्तों के लिए वो एक सच्ची, सकारात्मक और निस्वार्थ महिला थीं. 31 साल की मेहरू शेख़ सानिया को अपनी सबसे अच्छी दोस्त बताती हैं.
मेहरू कहती हैं, ''भले ही उनकी ज़िंदगी में मुश्किलें चल रही हों लेकिन आपका दिन कैसा गुज़र रहा है, ये पूछने वाली वह पहली शख़्स होती थीं.''
इंस्टाग्राम पर उन्होंने अपना पहला सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल बनाया था. फोटोग्राफ़ी को अपना जुनून बताते हुए उन्होंने लिखा है, ''मैं लोगों को कैमरा के सामने ख़ुद के और एक-दूसरे के प्यार में पड़ जाने में मदद करती हूं.''
सानिया ख़ान अक्सर बड़े क्लाइंट्स के लिए शादियों, मैटरनिटी, बेबी शावर और अन्य बडे़ मौकों की फोटोग्राफी किया करती थीं.
मेहरू शेख़ बताती हैं, ''कैमरा के पीछे वो जीवंत लगती थीं. उन्हें लोगों को कैमरा के सामने सहज करने और उनके स्वाभाविक हाव-भाव को कैमरे में कैद करने की कला हासिल थी.''
जब पति की मानसिक बीमारी का पता चला
सानिया अपनी ज़िंदगी में भी इसी तरह की खुशी चाहती थीं. राहील अहमद से पांच साल के रिश्ते के बाद दोनों ने जून 2021 में शादी कर ली और दोनों शिकागो रहने चले गए.
उनके बचपन की एक दोस्त ने बताया है कि ''उनकी शादी एक बहुत ही भव्य और पाकिस्तानी अंदाज़ में हुई थी. लेकिन, वो शादी झूठ के पुलिंदों पर खड़ी थी.''
सानिया के दोस्तों का दावा है कि राहील अहमद को लंबे समय से मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां थीं. दोनों शादी से पहले ज़्यादातर लॉन्ग डिस्टेंस रिश्ते में थे जिसके कारण दोनों एक-दूसरे के बारे में ठीक से नहीं जान पाए.
सानिया की दोस्त कहती हैं कि सानिया ने उन्हें बताया था कि दिसंबर में परेशानियां काफ़ी बढ़ गयीं क्योंकि राहील अहमद की मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं एक संकट में तब्दील हो गयीं जिससे उन्होंने (सानिया) खुद को असुरक्षित महसूस किया.
बीबीसी ने इस संबंध में राहील अहमद के परिवार से बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई.
सानिया ख़ान के परिवार ने भी इस संबंध में बात करने से इनकार कर दिया है.
क्या कहते हैं आँकड़े
वॉयलेंस पॉलिसी सेंटर के मुताबिक, अमेरिका में हर हफ़्ते एक दर्जन हत्या-आत्महत्या के मामले आते हैं. इनमें से दो तिहाई मामले दंपतियों के बीच होते हैं.
अपने पार्टनर के साथ ख़राब रिश्तों में रह रही महिलाओं के लिए मानसिक बीमारी और रिश्तों की समस्याएं सबसे बड़े ख़तरे माने जाते हैं.
घरेलू हिंसा विशेषज्ञ कहते हैं कि महिलाओं को रिश्ते से अलग होने पर अपने ही पार्टनर से मारे जाने का ख़तरा सबसे ज़्यादा होता है.
लेकिन दिसंबर में जो हुआ उसके बाद सानिया ख़ान ने अपनी असफल होती शादी के बारे में दोस्तों से बात करने का फ़ैसला किया.
दोस्त बताते हैं कि सानिया ने अपने वैवाहिक जीवन से जुड़ी मुश्किलों के बारे में बताया. इन दोस्तों के मुताबिक़, सानिया ने बताया था कि उनके पति रात को सोते नहीं हैं और अज़ीब सा व्यवहार करते हैं. वो किसी से मदद या थेरेपी भी नहीं लेना चाहते और उनकी मानसिक बीमारी सानिया के लिए बोझ बनती जा रही है.
दोस्तों का आरोप है कि जब वो सानिया को शादी से निकलने के लिए बोल रहे थे तो दूसरे शख़्स उन्हें शादी में बने रहने की सलाह दे रहे थे.
26 साल की ब्रिआना विलियम्स ने कहा कि जब वो आख़िरी बार मई में शिकागो में मिले थे तो सानिया रो पड़ी थीं.
उन्होंने बीबीसी को बताया, ''सानिया ने कहा था कि तलाक़ को शर्मनाक माना जाता है और वो बिल्कुल अकेली पड़ गई हैं. वो कहा करती थीं कि लोग क्या कहेंगे.''
सानिया ख़ान के माता-पिता का भी तलाक़ हो गया था.
ऐसे में उन्हें अनुभव था कि समाज में शादी से अलग होने पर लोगों की कैसी प्रतिक्रिया होती है.
समाज के दबाव से जूझते लोग
शिकागो की एक संस्था 'अपना घर' की एग्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर नेहा गिल कहती हैं, ''परिवारों पर बहुत सांस्कृतिक दबाव होता है, उन्हें चिंता होती है कि दुनिया इसे कैसे देखेगी.''
'अपना घर' शादी में दुर्व्यवहार का सामना करने वाली दक्षिण एशियाई महिलाओं को सांस्कृतिक तौर पर अहम सेवाएं प्रदान करता है.
नेहा गिल कहती हैं, ''कई दक्षिण एशियाई समुदाय महिलाओं को कमतर मानते हैं और उन्हें लगता है कि महिलाओं पर किसी का नियंत्रण होना ज़रूरी है. संस्कृतियां बहुत सामुदायिक है यानी वो निजी सुरक्षा और भलाई से ऊपर परिवार या समुदाय को रखते हैं.''
लेकिन, अपने दोस्तों की मदद से सानिया ख़ान ने तलाक़ फाइल किया और अगस्त में इसकी सुनवाई होनी थी.
दोस्तों ने बताया कि उन्होंने अपने दरवाज़ों के ताले भी बदल लिए थे.
उन्होंने टिकटॉक पर अपनी कहानी बतानी शुरू की और वहां अपना नाम ''द ब्लैक शीप'' रखा था.
उनकी एक पोस्ट में लिखा था, ''दक्षिण एशियाई महिला होने के नाते तलाक़ से गुजरना ज़िंदगी में असफल होने जैसा लगता है.''
एक और पोस्ट कहती है, ''मेरे परिवार के लोगों ने मुझसे कहा कि अगर मैं अपने पति को छोड़ दूंगी तो मैं शैतान को जीतने दूंगी. अगर मैं प्रॉस्टिच्यूट की तरह कपड़े पहनती हूं तो अपने घर वापस आने पर वो मुझे मार देंगे.''
जब टिकटॉक पर मिली पहचान
यूनिवर्सिटी की एक और दोस्त 28 साल की नैटी उस समय को याद करती हैं जब सानिया ख़ान टिकटॉक पर वायरल हुई थीं. नैटी ने उनका उपनाम जाहिर ना करने का अनुरोध किया है.
नैटी कहती हैं, ''वो फ़ोन पर मुझसे बात करते हुए बहुत खुश थी. उन्होंने कहा कि मुझे यही करना है: मेरे रिश्ते के बारे में बताना और ख़राब शादियों से निकलने वाली महिलाओं का नेतृत्व करना.''
नैटी के मुताबिक हर पोस्ट के साथ सानिया ख़ान को शांति और मजबूती मिलती थी, चाहें उनका अपनी शादी की मुश्किलें सार्वजनिक करने के लिए विरोध ही क्यों ना होता हो.
सानिया ख़ान की मौत तक टिकटॉक पर उनके 20 हज़ार प्रशंसक थे. 35 साल की पाकिस्तानी-अमेरिकी मुसलमान महिला बिस्मा परवेज़ भी उनमें से एक थीं.
उन्होंने कहा, ''मुझे याद है जब मैंने उनका पहला वीडियो देखा था. मैंने उनके लिए प्रार्थना की. महिलाओं को ऐसे मामलों में सब्र रखने के लिए बोला जाता है और ख़राब रिश्ते का जवाब सब्र रखना नहीं है.''
बिस्मा परवेज़ ने अपने एक टिकटॉक वीडियो में सानिया की मौत पर ख़ेद जताया है जिसे कई लोगों ने शेयर किया. तब से इस मामले पर बहुत चर्चा होने लगी.
'अपना घर' संस्था ने कहा है कि वो सानिया ख़ान की मौत के एक महीने होने पर उनकी याद में एक वर्चुअल पैनल चर्चा रखने वाला है.
दोस्तों और सोशल मीडिया पर अपने प्रशंसकों से मिल रहे प्यार के बीच हाई स्कूल में सानिया की पूर्व सहपाठी ने शिकागो में चट्टानूगा स्कूल फ़ॉर आर्ट्स एंड साइंसेज में उनके नाम पर एक स्कॉलरशिप शुरू की है.
बिस्मा परवेज़ कहती हैं, ''हर कोई चुप है, लेकिन सोशल मीडिया आपको यह समझने में मदद करता है कि यह एक वैश्विक समस्या है.''
वह कहती हैं, ''हम महिलाओं को हमेशा अपनी सुरक्षा करने के लिए कहते हैं लेकिन लड़कों की ऐसी परवरिश भी ज़रूरी है कि वो महिलाओं का सम्मान करें. इसकी शुरुआत घर से होती है और हर घर को ये बदलाव करने की ज़रूरत है.'' (bbc.com)
इराक़, 11 अगस्त । इराक़ी अभिनेत्री इनास तालेब ने ब्रिटेन के प्रतिष्ठित अख़बार द इकॉनोमिस्ट के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई करने का फ़ैसला किया है.
द इकॉनोमिस्ट ने हाल ही में एक लेख छापा था जो अरब दुनिया की महिलाओं के बारे में था. इस लेख में अरबी महिलाओं को वहां के पुरुषों की तुलना में 'मोटा' बताया गया था.
इस लेख के लिए इनसा तालेब की एक तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था. उन्होंने इस पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए क़ानूनी कार्रवाई करने का रास्ता चुना है.
इराक़ की जानी-मानी अभिनेत्री और टॉक-शो की होस्ट इनास तालेब ने एक इंटरव्यू में बताया है कि उनकी तस्वीर का इस्तेमाल बिना किसी संदर्भ के, उनकी अनुमति के बिना किया गया है. उन्होंने इसे अपनी निजता का उल्लंघन बताया है.
उनका दावा है कि उनकी तस्वीर के साथ छेड़छाड़ यानी फ़ोटोशॉप भी किया गया है.
इस संबंध में इकॉनोमिस्ट से उनका कमेंट लेने की कोशिश की गई लेकिन अभी तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है.
इस लेख का शीर्षक था- "Why Women Are Fatter Than Men in the Arab World" (अरब दुनिया में पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक मोटी क्यों हैं).
यह लेख जुलाई के अंत में प्रकाशित हुआ था, जिसमें तालेब की तस्वीर को इस्तेमाल किया गया था. उनकी यह तस्वीर नौ महीने पुरानी, बेबीलोन इंटरनेशनल फेस्टिवल के वक़्त खींची गई थी.
इसमें यह तर्क दिया गया है कि ग़रीबी और महिलाओं को घर से बाहर न निकलने देने के लिए लगाए गए सामाजिक प्रतिबंध उन कारणों में से हैं, जिनकी वजह से पुरुषों की तुलना में अरब महिलाएं अधिक वज़न वाली हैं.
लेख में एक वजह ये भी दी गई है कि ऐसा हो सकता है कि कुछ पुरुषों को महिलाओं के 'कर्व्स' अधिक आकर्षक लगते हों. लेख के अनुसार, "इराक़ी, आदर्श सुंदरता के रूप में पर्याप्त 'कर्व्स' वाली तालेब का उदाहरण देते हैं."
महिलाओं का अपमान
तालेब ने इस लेख को अरब महिलाओं का अपमान बताया है.
उन्होंने लिखा है, "यह अरब महिलाओं का अपमान है और ख़ासतौर पर इराक़ी महिलाओं का."
वह पूछती है कि आख़िर इकॉनोमिस्ट, अरब दुनिया की 'मोटी' महिलाओं में इतनी रुचि ले रहा है बजाय यूरोप और अमेरिका में रुचि लेने के.
जॉर्डन से अल-अरबिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, "इस लेख की वजह से सोशल-मीडिया पर उन्हें बुली किया गया."
उन्होंने न्यू लाइन्स पत्रिका से कहा कि वह जैसी दिखती हैं, वह उससे खुश हैं.
उन्होंने पत्रिका से कहा कि उनके लिए यही सबसे अधिक मायने रखता है.
कौन हैं तालिब
42 साल की तालिब इराक़ की एक अभिनेत्री जिनके इंस्टाग्राम पर नब्बे लाख से अधिक फ़ॉलोअर्स हैं.
अल-अरबिया को दिए अपने इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि यह इकॉनोमिस्ट का दुर्भाग्य है कि उन्होंने उन्हें नाराज़ किया.
उन्होंने कहा कि शायद उन्हें यह पता नहीं है कि मैं एक सेलेब्रिटी और एक पब्लिक फ़िगर हूं.
इकॉनोमिस्ट के लेख को सोशल मीडिया पर भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. इस लेख पर नस्लवादी, सेक्सिट और शर्मनाक होने का भी आरोप लगाया गया है. (bbc.com/hindi)
हवाना, 11 अगस्त (आईएएनएस)| क्यूबा, मैक्सिको और वेनेजुएला के विशेषज्ञ और दमकलकर्मी मातंजास प्रांत में एक ईंधन भंडार में आग पर काबू पाने में सफल हो रहे हैं। 5 अगस्त को क्यूबा के तेल के 26,000 क्यूबिक मीटर वाले एक टैंक पर बिजली गिरने से आग लग गई थी और बाद में पास के तीन टैंकों को खा लिया, जिसमें एक की मौत हो गई, 14 लापता और 125 घायल हो गए।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, क्यूबाई सेना के कई विमानों ने साइट पर पानी डालना जारी रखा, जबकि मैक्सिकन नौसेना के एक हेलीकॉप्टर ने बुधवार सुबह टोही उड़ान भरी, ताकि नुकसान की सीमा का पता लगाया जा सके।
इस बीच, दो मैक्सिकन जहाजों ने आग की कुछ जेबों को बुझाने और क्षेत्र को ठंडा करने के लिए मातनजस खाड़ी से समुद्री जल के शक्तिशाली जेट लॉन्च किए, जबकि वेनेजुएला के हाइड्रोलिक पंप ने इसी उद्देश्य के लिए रासायनिक फोम के साथ पानी की आपूर्ति की।
अग्निशामकों ने अभी भी जलने वाले क्षेत्रों को नियंत्रित करने में प्रगति की है और साइट से लगभग 150 मीटर की दूरी पर स्थित चार शेष ईंधन टैंकों की रक्षा कर रहे हैं, जबकि आग प्रारंभिक क्षेत्र तक ही सीमित रही।
संचालन के अगले चरण का विवरण देने वाले अधिकारियों के अनुसार, आग की लपटों पर पांच पानी के पंपों से हमला किया जाएगा, जिसमें क्यूबा के अन्य प्रांतों के अग्निशमन विभाग और वेनेजुएला और मैक्सिकन ब्रिगेड शामिल होंगे।
ताइपे, 11 अगस्त | ताइवान की मुख्य विपक्षी पार्टी ने क्षेत्र में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा सैन्य अभ्यास के कारण जारी तनाव के बावजूद चीन के लिए एक प्रतिनिधिमंडल भेजा है। समाचार एजेंसी डीपीए की रिपोर्ट के अनुसार, ताइवान के विपक्षी कुओमिन्तांग (केएमटी) के उपाध्यक्ष एंड्रयू हसिया के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल बुधवार को चीन की यात्रा के लिए रवाना हुआ।
केएमटी के अनुसार, यह ताइवान के व्यवसायियों और चीन में अध्ययन करने वाले या रहने वाले कुछ नागरिकों से मिलने के लिए मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्वी तटीय प्रांतों, जैसे फुजि़यान और झेजियांग के साथ-साथ ग्वांगडोंग प्रांत में पर्ल नदी डेल्टा में एक लंबी-योजनाबद्ध यात्रा थी।
बीजिंग में नियुक्तियों की योजना नहीं है।
चीन में, हसिया के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल के लिए आवश्यक क्वारंटीन अवधि 21 अगस्त को समाप्त हो रही है, जिसके बाद वे 27 अगस्त को ताइवान लौट आएंगे।
यात्रा ने विवाद को जन्म दिया है, क्योंकि ताइवान पर अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी द्वारा ताइपे की यात्रा के प्रतिशोध में ताइवान के खिलाफ बीजिंग के हालिया सैन्य और आर्थिक अभियान का दबाव रहा है।
ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन केएमटी की यात्रा से परेशान थे।
त्साई ने बुधवार दोपहर अपनी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) की बैठक में कहा, "इस समय, केएमटी ने हमारे लोगों को निराश करते हुए चीन जाने पर जोर दिया। जिस तरह से यह कार्य करता है वह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को गलत संदेश भेज रहा है।"
केएमटी ने परंपरागत रूप से सत्तारूढ़ डीपीपी की तुलना में चीनी सरकार के साथ निकट संपर्क बनाए रखा है, जो स्वतंत्रता की ओर अधिक झुकता है। (आईएएनएस)|
(ललित के. झा)
वाशिंगटन, 11 अगस्त। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के भारतीय मूल के समर्थकों ने फ्लोरिडा में उनके आलीशान घर पर छापे मारे जाने के कदम को पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ ‘‘दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई’’ बताया है।
गौरतलब है कि संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने सोमवार को ट्रंप के फ्लोरिडा स्थित आवास पर छापा मारा था और उनकी तिजोरी भी तोड़ दी थी। अमेरिका का न्याय मंत्रालय इस बात की तफ्तीश कर रहा है कि क्या ट्रंप ने 2020 में व्हाइट हाउस छोड़ने के बाद अपने फ्लोरिडा स्थित आवास पर गोपनीय रिकॉर्ड छिपाए हैं।
अमेरिकी उद्यमी एवं फ्लोरिडा के ओकोला में समुदाय के नेता दिग्विजय गायकवाड़ ने बुधवार को कहा, ‘‘यह अनुचित, अन्यायपूर्ण, अनसुनी और पूरी तरह से आश्चर्यजनक कार्रवाई थी।’’
ट्रंप के भारतीय-अमेरिकी समर्थक एफबीआई के छापे के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं और उन्होंने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है।
‘इंडियन अमेरिकन ट्रंप अभियान’ की सदस्य डॉ. शोभा ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह जरूरी नहीं था और जांच करने का यह सही तरीका नहीं है। यह केवल निशाना बनाने को लेकर की गई दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई का रूप ले रहा है। कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, लेकिन साथ ही आपको उचित कार्रवाई करने की आवश्यकता है।’’
एफबीआई ने ट्रंप के घर पर ऐसे वक्त में छापा मारा है जब वह 2024 में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए अपनी दावेदारी पेश करने की तैयारी कर रहे हैं।
ट्रंप के चुनाव प्रचार अभियान के लिए निधि एकत्रित करने वाले और उनके समर्थक अल मैसन ने कहा, ‘‘ट्रंप सकारात्मकता पर एक किताब हैं। यह छापा ट्रंप के लिए सकारात्मक है उनके लिए एक तरह का आशीर्वाद है। यह निश्चित ही उन्हें 2024 में फायदा पहुंचाएगा।’’
वहीं, निवेशक एवं उद्यमी श्रीधर चित्याला ने एफबीआई के छापों को अभूतपूर्व और अवांछित बताया है। (भाषा)
इस्लामाबाद, 10 अगस्त | प्रतिबंधित फंडिंग और तोशाखाना मामलों में पीटीआई अध्यक्ष के खिलाफ मामला दर्ज करने के पाकिस्तान सरकार के कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्व गृह मंत्री शेख रशीद अहमद ने चेतावनी दी है कि इमरान खान को गिरफ्तार करने या पार्टी को तोड़ने का प्रयास देश में 'खूनी राजनीति' को बढ़ावा देगा। जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, रशीद ने कहा कि देश की सुरक्षा सत्ता से ज्यादा महत्वपूर्ण है। अफगानिस्तान में अस्थिरता का असर पाकिस्तान में शांति पर भी पड़ेगा।
संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने अवैध फंडिंग की जांच शुरू कर दी है और पीटीआई के वरिष्ठ नेताओं को पेश होने के लिए तलब किया है।
अवैध फंडिंग मामले में ईसीपी के फैसले और बलूचिस्तान हेलीकॉप्टर दुर्घटना के बाद सेना के खिलाफ अभियान चलाने के बाद सरकार पीटीआई पर नकेल कसने की कोशिश कर रही है।
जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, ट्वीट्स की एक सीरीज में सत्तारूढ़ गठबंधन को चेतावनी देते हुए, रशीद ने कहा कि आर्थिक पतन, राजनीतिक अस्थिरता, बढ़ती जबरन वसूली और आतंकवाद की घटनाएं उनकी राजनीति को समाप्त कर देंगी।
उन्होंने आगे कहा कि चीन पाकिस्तान के बारे में अच्छा सोच रहा है और शासकों को इसके संकेतों को समझना चाहिए और स्वतंत्रता दिवस को तबाही का दिन नहीं बनाना चाहिए।
इमरान खान को गिरफ्तार करना और पीटीआई को तोड़ने की योजना खूनी राजनीति की शुरूआत होगी।
उन्होंने कहा कि उनका एजेंडा इमरान खान को अयोग्य ठहराना और नवाज शरीफ को योग्य बनाना है। (आईएएनएस)|
कीव, 10 अगस्त | रूस के साथ जारी युद्ध तब तक समाप्त नहीं होगा जब तक कि क्राइमिया का काला सागर प्रायद्वीप, जिसे मास्को ने 2014 में कब्जा कर लिया गया था, मुक्त नहीं हो जाता। यह बयान यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने दिया है। डीपीए समाचार एजेंसी ने मंगलवार को अपने रात के वीडियो संबोधन में राष्ट्रपति के हवाले से कहा, "क्राइमिया यूक्रेन का हिस्सा है और हम इसे कभी नहीं छोड़ेंगे। जब तक क्राइमिया पर कब्जा है, काला सागर क्षेत्र सुरक्षित नहीं हो सकता।"
"भूमध्य सागर के तट पर कई देशों में तब तक कोई स्थिर और स्थायी शांति नहीं होगी जब तक रूस हमारे प्रायद्वीप को अपने सैन्य अड्डे के रूप में उपयोग करने में सक्षम है।"
जेलेंस्की ने आगे कहा, "यूक्रेन और पूरे स्वतंत्र यूरोप के खिलाफ यह रूसी युद्ध क्रीमिया से शुरू हुआ और क्रीमिया के साथ समाप्त होना चाहिए, इसकी मुक्ति के साथ।"
बता दे, मंगलवार को क्राइमिया के पश्चिम में स्थित नोवोफेडोरिव्का के पास साकी सैन्य अड्डे पर सिलसिलेवार विस्फोट हुए, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई। हालांकि जेलेंस्की ने अपने संबोधन में विस्फोटों का जिक्र नहीं किया।
जबकि रूस ने विस्फोटों को खास तवज्जो नहीं दिया। यूक्रेन के एक शीर्ष सलाहकार ने इस बात से इनकार किया कि कीव इसके लिए जिम्मेदार है।
क्राइमिया आधिकारिक तौर पर यूक्रेन का हिस्सा है लेकिन 2014 में एक जनमत संग्रह के बाद रूस द्वारा कब्जा कर लिया गया, जिसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय नाजायज मानता है। (आईएएनएस)|