अंतरराष्ट्रीय
करीब छह घंटे तक ठीक से काम न कर पाने के बाद सोशल मीडिया साइट फेसबुक और उसके सहयोगी ऐप्स वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम मंगलवार सुबह धीरे-धीरे काम करने लगे.
सोमवार देर रात सोशल मीडिया ऐप्स फेसबुक, वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम ने काम करना बंद कर दिया. शुरुआत में मामूली तकनीकी खामी लगने वाली समस्या धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैल गई और फेसबुक को अपने ग्राहकों से माफी मांगनी पड़ी.
फेसबुक ने लिखा, "हम पर निर्भर करने वाले दुनियाभर में लोगों और व्यापारों के उन सभी विशाल समुदायों से हम माफी मांगते हैं. हम अपने ऐप्स और सेवाओं को वापस लाने के लिए पूरी मेहनत कर रहे हैं. जैसे ही वे लौटेंगे, हम आपको बताएंगे. तब तक धीरज धरने का शुक्रिया.”
इस दौरान फेसबुक के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज हुई. एक वक्त तो कंपनी के शेयरों में 4.9 प्रतिशत तक गिरावट आ गई थी. ब्लूमबर्ग ने रिपोर्ट दी है कि फेसबुक के मालिक मार्क जकरबर्ग की निजी संपत्ति में इस दौरान छह अरब डॉलर का नुकसान हुआ.
क्या हुआ, कैसे हुआ
इन तीनों ऐप्स का मालिक फेसबुक ही है. दुनियाभर में इंटरनेट बंद होने पर निगाह रखने वाली संस्था डाउनडिटेक्टर ने कहा है कि यह फेसबुक का अब तक की सबसे बड़ी समस्याओं में से थी और दुनियाभर के एक करोड़ से ज्यादा लोगों ने समस्या दर्ज की.
पिछले बार फेसबुक इतने बड़े पैमाने पर 2019 में बंद हुआ था, तब 14 घंटे तक ऐप बंद रहे थे. भारतीय समय के हिसाब से रात करीब 9.30 बजे इन ऐप्स ने काम करना बंद किया था और सुबह साढ़े तीन बजे के आस पास ये वापस काम करने लगे.
फेसबुक के मुख्य तकनीकी अफसर माइक श्रोएपफर ने कहा कि पूरी तरह से सेवाओं को लौटने में कुछ समय लग सकता है.
समस्या इतनी बड़ी थी कुछ लोगों ने फेसबुक के अन्य ऐप्स जैसे ऑक्युलस में भी दिक्कत होने की बात कही. पोकीमॉन गो जैसे ऐप्स जिनमें लॉग इन करने के लिए फेसबुक की जरूरत होती है, वे भी समस्या से ग्रस्त हुए.
आधिकारिक तौर पर तो यह नहीं बताया गया है कि दिक्कत क्या थी लेकिन कई सॉफ्टवेयर विशेषज्ञाओं ने अनुमान जाहिर किया है कि इसका संबंध DNS यानी डोमेन नेम सिस्टम हो सकता है, जो इंटरनेट के लिए अड्रेस बुक जैसा होता है.
इसी साल दुनिया की कई बड़ी वेबसाइटों को डीएनएस में समस्या के चलते बंदी झेलनी पड़ी थी.
लोगों ने उड़ाया मजाक
जब फेसबुक और उसके ऐप्स बंद थे, तब ट्विटर पर बड़ी संख्या में लोगों ने फेसबुक पर टिप्पणियां कीं. ट्विटर ने खुद भी एक ट्वीट कर कहा, "लगभग सभी को हैलो.”
अमेरिका की गोपनीय सूचनाएं उजागर करने वाले एडवर्ड स्नोडन ने इस मौके पर लोगों से कहा कि उन्हें सिग्नल जैसे ऐप इस्तेमाल करने चाहिए.
स्नोडन ने ट्विटर पर लिखा, "फेसबुक के वॉट्सऐप का बंद होना याद दिलाता है कि आपको और आपके दोस्तों को शायद सिग्नल जैसा एक ज्यादा निजी, अलाभकारी विकल्प इस्तेमाल करना चाहिए, या फिर कोई भी ओपन-सॉर्स ऐप जो आपको पसंद हो.”
कुछ लोगों ने फेसबुक के बंद होने को समाज के लिए अच्छा बताया. अमेरिकी विसलब्लोअर डेविड वाइसमैन ने ट्विटर पर लिखा, "अगर आपको लगता है कि फेसबुक का बंद होना समाज के लिए अच्छा है तो रीट्वीट करें.”
फेसबुक के राजदार का इंटरव्यू
सोशल मीडिया वेबसाइट के साथ यह दिक्कत उस इंटरव्यू के ठीक अगले दिन आई, जिसमें कंपनी की पूर्व कर्मचारी फ्रांसिस हॉगन ने अमेरिकी टीवी चैनल सीबीएस को बताया कि फेसबुक सुरक्षा से ज्यादा तवज्जो बढ़त को देती है.
फ्रांसिस हॉगन ने कई दस्तावेज उजागर किए हैं. वह संसद की एक उप समिति के सामने भी गवाही देने वाली हैं, जिसमें ‘प्रोटेक्टिंग किड्स ऑनलाइन' विषय पर जांच हो रही है.
हॉगन ने पहली बार अपनी पहचान सार्वजनिक की है. 37 वर्षीय हॉगन फेसबुक में प्रॉडक्ट मैनेजर के तौर पर काम करती थीं. उन्होंने सीबीएस से कहा कि उन्होंने इसी साल की शुरुआत में कंपनी छोड़ दी थी क्योंकि वह आजिज आ गई थीं.
नौकरी छोड़ने के बाद हॉगन ने कई अंदरूनी दस्तावेज मीडिया में सार्वजनिक किए थे जिन्हें फेसबुक ने गुमराह करने वाला बताया था.
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी, डीपीए)
लड़कियों को बाकी बीमारियों की तरह पीरियड्स (Period Pain) के 5 दिनों में भी दर्द, चिड़चिड़ापन और तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में कई बार वो सामान्य दिनों की तरह काम भी नहीं कर पातीं. 13 साल की एक लड़की के साथ भी कुछ ऐसा ही था, जब उसके पिता ने स्कूल से उसे छुट्टी देने की रिक्वेस्ट की. हालांकि स्कूल ने पीरियड (Leave from School) के दर्द को छुट्टी देने की वजह नहीं माना.
मार्कस एलेन (Marcus Alleyne) नाम के 37 साल के शख्स को स्कूल का ये रवैया कहीं से भी स्वीकार्य नहीं लगा. उन्होंने अपनी 13 साल की बेटी इज़ी (Izzy) को पीरियड के दौरान छुट्टी न मिलने को एक गंभीर मसला माना और स्कूल प्रबंधन तक से इसे लेकर बात की. भड़के पिता ने उन्हें इस गलती के लिए जमकर फटकार भी लगाई.
स्कूल को पीरियड का दर्द छुट्टी की वजह नहीं लगा
ब्रिटेन (Britain) के रहने वाले मार्कस एलेन के परिवार में उनकी दो बेटियां भी हैं. वे अपनी बेटियों को बहुत प्यार करते हैं. उनकी बड़ी बेटी इज़ी (Izzy) माध्यमिक विद्यालय में पढ़ती है. एक सुबह जब उसे पीरियड का तेज़ दर्द हो रहा था, तो उन्होंने लड़की के स्कूल में फोन करके बताया कि वो बीमार है. उसे पीरियड्स के चलते दर्द और दूसरी परेशानियां भी हो रही हैं. जवाब में स्कूल की ओर से कहा गया कि – पीरियड का दर्द छुट्टी के लिए वैध कारण नहीं है. ये सुनते ही मार्कस एलेन का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया.
खुद भी डॉक्टर हैं मार्कस
इज़ी के पिता मार्कस एलन खुद भी रॉयल नेवी (Royal Navy) के पूर्व चिकित्सक रह चुके हैं. जब स्कूल ने उनकी बेटी के दर्द को न समझकर उसे स्कूल में एब्सेंट लगा दिया, तो पिता भड़क गए. प्लायमाउथ लाइव से बात करते हुए उन्होंने बताया है कि- ‘ये कोई माइग्रेन के दर्द की बात नहीं थी. मुझे लगा कि इसमें हम क्या कर सकते हैं? ऐसे में स्कूल के स्टूडेंट वेलफेयर ऑफिसर से बात करने के लिए मैंने संपर्क किया, लेकिन अभी कोई जवाब नहीं आया.’ मार्कस ने अब पीरियड के दर्द को छुट्टी के लिए वाजिब वजह बनाने के लिए एक याचिका दायर की है. मार्कस 3 बच्चों के पिता हैं और इसमें 2 बेटियां हैं, जिन पर उन्हें गर्व है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा है कि दौलत छुपाने के मामले में लीक हुई जानकारियों में देश के जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उनकी सरकार उसकी जांच कराएगी.
इस लीक को पैंडोरा पेपर्स नाम दिया गया है. इनमें पाकिस्तान के सैंकड़ों के लोगों नाम हैं. प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के मंत्रिमंडल के कई लोगों के नाम भी इसमें शामिल हैं. लीक के मुताबिक ऑफ़शोर कंपनियों में निवेश के जरिए ये लोग गुपचुप तरीके से दौलत बाहर ले गए.
इस लीक को दुनिया के अब तक के सबसे बड़े वित्तीय लीक्स में से एक माना जा रहा है. इसके जरिए दुनिया भर के कारोबारियों और नेताओं की गुप्त डील सामने लाई गई हैं.
गुपचुप तरीके से रखी गई दौलत की जानकारी ग्लोबल इन्वेस्टिगेशन (वैश्विक स्तर पर हुई जांच) के जरिए सामने आई. ये जांच इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ़ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) को लीक की गईं 1.2 करोड़ फाइलों पर आधारित है. आईसीआईजे ने दुनिया भर के 140 से अधिक मीडिया ऑर्गनाइजेशन के साथ मिलकर काम किया.
पाकिस्तान की मीडिया में आई रिपोर्टों के मुताबिक पैंडोरा पेपर्स में देश के 700 से ज़्यादा लोगों के नाम हैं. इनमें इमरान ख़ान के मंत्रिमंडल के दो सदस्य शामिल हैं.
लीक हुए दस्तावेजों के मुताबिक पाकिस्तान के वित्त मंत्री शौकत तरीन और उनके परिवार के सदस्यों की चार ऑफ़ोशर फर्म हैं.
कंपनियों के पेपरवर्क को देखने वाले वित्तीय सलाहकार तारिक़ फवाद मलिक ने आईसीआईजे को बताया कि ये कंपनियां तरीन के परिवार ने इस इरादे से बनाईं थीं कि सऊदी के कारोबारी संपर्कों के जरिए एक बैंक में निवेश किया जा सके. मलिक ने आगे बताया कि लेकिन ये डील आगे नहीं बढ़ पाई.
लीक दस्तावेज़ों से भी पता चलता है कि जल संसाधन मंत्री चौधरी मुनीस इलाही ने ऑफ़शोर टैक्स पनाहगाहों में निवेश की योजना से हाथ खींच लिया जब उन्हें चेतावनी दी गई कि इनके बारे में पाकिस्तान के टैक्स विभाग को सूचित कर दिया जाएगा.
हालाँकि इलाही परिवार के एक प्रवक्ता ने इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा कि उनकी संपत्तियों का ब्यौरा क़ानून के हिसाब से घोषित किया गया है.
प्रवक्ता ने कहा,"इन दस्तावेज़ों में राजनीतिक बदले की भावना से डेटा को ग़लत संदर्भ में पेश किया गया है."
इमरान ख़ान ने सोमवार को एक ट्वीट में कहा कि वो इन पेपर्स में उजागर की गई बातों का स्वागत करते हैं.
2016 में, प्रधानमंत्री बनने से पहले इमरान ख़ान ने देश के उन अमीरों की दौलत बाहर छिपाने की जाँच करवाने के लिए विपक्ष की ओर से की जा रही माँग की अगुआई की थी जिनके नाम इससे पहले जारी हुए पनामा पेपर्स लीक में सामने आए थे.
दावे पर विवाद
इस बीच, पाकिस्तान में एक अलग ही विवाद खड़ा हो गया जब सरकारी टीवी चैनल पीटीवी ने ये ग़लत दावा कर दिया कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के एक नाती जुनैद सफ़दर का भी नाम इन दस्तावेज़ों में शामिल है.
सरकारी टीवी पर आरोप लगाया गया कि सफ़दर के नाम पर पाँच कंपनियाँ रजिस्टर्ड हैं. इसे इमरान ख़ान के एक असिस्टेंट और सरकार के एक अन्य सदस्य ने भी ट्वीट किया.
रविवार को "PandoraLeaks" के नाम से एक ट्विटर एकाउंट भी सामने आया जिसमें जुनैद सफ़दर के बारे में दावे किए गए. मगर इस एकाउंट का पैंडोरा पेपर्स से कोई संबंध नहीं है.
पाकिस्तान में पैंडोरा पेपर्स जाँच से जुड़े पत्रकारों की एक टीम ने बीबीसी से इस बात की पुष्टि की है कि दस्तावेज़ों में जुनैद सफ़दर का नाम नहीं है.
नवाज़ शरीफ़ ने 2017 में पनामा पेपर्स में नाम आने के बाद ही प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
हालाँकि उनके दामाद अली डार का नाम पैंडोरा पेपर्स में आए नामों में शामिल है. डार ने कोई भी अवैध काम करने से इनकार किया है और कहा है कि वो टैक्स के लिहाज से पाकिस्तान के निवासी नहीं हैं.
आईसीआईएज के मुताबिक़, 117 देशों के 600 से ज़्यादा पत्रकारों ने पैंडोरा पेपर्स दस्तावेज़ों पर काम किया है. ब्रिटेन में बीबीसी पैनोरमा और गार्डियन अख़बार ने जाँच की अगुआई की.(bbc.com)
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर | इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) के पेंडोरा पेपर्स में मीडिया समूह के मालिकों से लेकर सेना के जवानों के परिवार के सदस्यों से लेकर व्यवसायियों और अधिकारियों तक कई पाकिस्तानी व्यक्तियों की पहचान की गई है। इनमें दुनियाभर के हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों के नाम हैं। अखबार डॉन के मुताबिक, रविवार को इस एक्सपो का अनावरण किया गया और पहले से रिपोर्ट किए गए कुछ नामों में पाकिस्तान के वित्तमंत्री शौकत तारिन और सीनेटर फैसल वावड़ा सहित पीटीआई के नेतृत्व वाली सरकार के प्रमुख व्यक्ति शामिल हैं।
सोमवार को प्रकाशित द न्यूज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जंग समूह के प्रधान संपादक मीर शकीलुर रहमान, डॉन के सीईओ हमीद हारून और एक्सप्रेस मीडिया समूह के सीईओ सुल्तान अली लखानी भी ऑफशोर कंपनियों के मालिक हैं।
जाने माने पत्रकार और पाकिस्तान टुडे के दिवंगत संपादक आरिफ निजामी का नाम भी रिपोर्ट में था। उनके पास बीवीआई में न्यू माइल प्रोडक्शन लिमिटेड का स्वामित्व था, जिसे जुलाई 2000 में उनके साथ शामिल किया गया था और उनकी पत्नी को इसके लाभकारी मालिक के रूप में घोषित किया गया था।
द न्यूज की रिपोर्ट ने पेंडोरा पेपर्स में नामित अधिक पूर्व सैन्य नेताओं और उनके परिवार के सदस्यों की पहचान की।
रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब के पूर्व गवर्नर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) खालिद मकबूल के दामाद, अहसान लतीफ के पास एक अपतटीय कंपनी डायलन कैपिटल लिमिटेड थी जो बीवीआई अधिकार क्षेत्र में पंजीकृत थी।
इसमें कहा गया है कि दस्तावेजों के अनुसार, कंपनी को 'यूके और यूएई में कुछ संपत्तियों के लिए निवेश होल्डिंग' के लिए शामिल किया गया था, लेकिन इसका इस्तेमाल रूस की वैकस ऑयल कंपनी लिमिटेड से एलपीजी (तरल पेट्रोलियम गैस) आयात करने के लिए किया गया था।
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) तनवीर ताहिर की पत्नी जहरा तनवीर को भी बीवीआई अधिकार क्षेत्र में एक ऑफशोर कंपनी एनर प्लास्टिक लिमिटेड के मालिक के रूप में पहचाना गया था।
पेशावर जाल्मी फ्रेंचाइजी के मालिक जावेद अफरीदी भी पेंडोरा पेपर्स के खुलासे के अनुसार तीन अपतटीय कंपनियों के मालिक हैं : ओल्ड ट्रैफर्ड प्रॉपर्टीज लिमिटेड, सटन गैस वर्क्स प्रॉपर्टीज लिमिटेड और गैस वर्क्स प्रॉपर्टी लिमिटेड।
रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल बैंक के अध्यक्ष आरिफ उस्मानी ने मार्च 2018 में बीवीआई ऑफशोर टैक्स हेवन में एक कंपनी सासा पार्टनर्स इंक को शामिल किया। इसमें कहा गया है कि पेंडोरा पेपर्स ने उन्हें कंपनी के लाभकारी मालिक के रूप में प्रकट किया, उन्होंने बैंक में संपत्ति रखी थी।
रिपोर्ट में राष्ट्रीय निवेश ट्रस्ट के प्रबंध निदेशक अदनान अफरीदी की भी पहचान की गई है, जिन्होंने अक्टूबर 2011 में बीवीआई क्षेत्राधिकार में एक ऑफशोर कंपनी, वेरिटास एडवाइजरी सर्विसेज लिमिटेड को पंजीकृत किया था। (आईएएनएस)
विज्ञान बिल्कुल स्पष्ट है. ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रोकना है. लेकिन यह होगा कैसे? दूसरे शब्दों में, हमें इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए किस तरह के बदलाव लाने की जरूरत है?
धरती इस समय 1.1 डिग्री सेल्सियस की रफ्तार से गर्म हो रही है. 1.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के लिए हमें कार्बन प्रदूषण को 2030 तक घटा कर मौजूदा स्तर के आधे तक और 2050 तक शून्य तक लाना होगा. लेकिन यह होगा कैसे? पेरिस समझौते के इस बेहद जरूरी लक्ष्य का हमारी अर्थव्यवस्थाओं और हमारी रोजमर्रा की जिंदगी के लिए क्या मतलब है?
फ्रांसीसी थिंक टैंक आईडीडीआरआई में कम उत्सर्जन विकास के विशेषज्ञ हेनरी वाइसमैन कहते हैं कि इसके लिए हमने "सब कुछ" बदलना होगा. वाइसमैन संयुक्त राष्ट्र की 2018 की उस रिपोर्ट के मुख्य लेखक भी हैं जिसने पहली बार 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को हासिल करने का रास्ता बताया था.
सब कुछ एक साथ
वो कहते हैं, "और यह आमूलचूल बदलाव होगा. हमें ऊर्जा के उत्पादन और खपत के अपने तरीके, महत्वपूर्ण औद्योगिक उत्पादों को बनाने के तरीके, एक जगह से दूसरी जगह जाने के तरीके, खुद को गर्म रखने के तरीके और खाने के तरीके को पूरी तरह तरह से बदलना होगा."
इतने बड़े लक्ष्य को देखते हुए मुमकिन है कि एक बार में एक क्षेत्र पर काम करने का ख्याल आए, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि हमारे पास उसके लिए पर्याप्त समय बचा नहीं है. डेनमार्क के तकनीकी विश्वविद्यालय में शोधकर्ता ऐन ओलहॉफ कहती हैं, "अगर हमें 1.5 डिग्री सेल्सियस वाले रास्ते पर आगे बढ़ना है तो हमें सब कुछ तुरंत और एक साथ करने की जरूरत है."
ओलहॉफ इस लक्ष्य को हासिल करने में हमारी तरक्की पर नजर रखने वाली संयुक्त राष्ट्र की "उत्सर्जन गैप" रिपोर्ट के लेखकों में से एक हैं. जानकार इस बात पर सहमत हैं कि अगर ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को 2030 तक 60 से 25 अरब टन तक लाना है तो ऊर्जा, कृषि, निर्माण, यातायात, उद्योग और फॉरेस्ट्री वो छह क्षेत्र हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है.
ऊर्जा उत्पादन अकेले 70 प्रतिशत उत्सर्जन का जिम्मेदार है और माना जाता है कि इसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा तरक्की की उम्मीद की जा सकती है. इसमें भी बिजली उत्पादन का विशेष स्थान है क्योंकि आधा उत्सर्जन इसी क्षेत्र में होता है.
राजनीतिक इच्छाशक्ति
ओलहॉफ कहती हैं, "अगर आपको एक क्षेत्र को चुनना है तो वो ऊर्जा है, ना सिर्फ इसलिए क्योंकि इस क्षेत्र में उत्सर्जन को कम करने की संभावना सबसे ज्यादा है बल्कि इसलिए भी क्योंकि इसमें कुछ ऐसी उपलब्धियां हैं जो आसानी से हासिल की जा सकती हैं."
उन्होंने यह भी कहा, "हमें यह करने के लिए जिस तकनीक की जरूरत है वो हमारे पास है, मुख्य रूप से यह राजनीतिक इच्छाशक्ति का मामला है." जिस जीवाश्म ईंधन पर सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जा रहा है और जो सबसे ज्यादा गंदा भी है वो है कोयला.
क्लाइमेट एनालिटिक्स एनजीओ में उत्सर्जन कम करने की योजनाओं पर काम करने वाली टीम के प्रमुख मैथ्यू गिड्डेन मानते हैं, "कोयले से चलने वाले ऊर्जा संयंत्र आज कुल बिजली आपूर्ति के 40 प्रतिशत हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं और इन्हें दो दशकों के अंदर खत्म करने की जरूरत है."
उन्होंने कहा कि अमीर देशों को अग्रणी भूमिका निभाने की जरूरत है और उन सबके कार्बन उगलने वाले कोयल संयंत्रों को 2030 तक बंद कर देना चाहिए. यूरोपीय संघ में इसका मतलब होगा अगले 10 सालों तक हर दो हफ्तों पर तीन संयंत्रों को बंद करना.
सौर और वायु ऊर्जा पर ध्यान
अमेरिका में इसका मतलब होगा हर 14 दिनों पर एक संयंत्र को बंद करना. लेकिन दुनिया में कोयले की जितनी कुल खपत होती है उसमें से चीन अकेले आधा कोयला जलाता है, इसलिए अगर चीन इस राह पर आगे नहीं बढ़ेगा तो 1.5 डिग्री सेल्सियस का लक्ष्य हासिल नहीं हो पाएगा.
गिड्डेन कहते हैं, "अगर आप कोयले से चलने वाले चीन के 1,082 संयंत्रों को पेरिस समझौते के हिसाब से बंद करना शुरू करेंगे तो हर हफ्ते एक संयंत्र बंद करना पड़ेगा" और ऐसा 2040 तक करते रहना पड़ेगा. यह समय सीमा अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने कार्बन न्यूट्रल बनने के लिए वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र के लिए तय की थी.
इस लक्ष्य के लिए सौर और वायु ऊर्जा के उत्पादन की क्षमता को भी 2030 तक चार गुना बढ़ाने की जरूरत है. लेकिन सिर्फ बिजली को कार्बन न्यूट्रल बनाना पर्याप्त नहीं है. हर क्षेत्र को अपने उत्सर्जन को खत्म करना होगा. यातायात में आईईए ने कहा है कि 2035 के बाद इंटरनल कंबशन इंजन नहीं बेचे जाने चाहिए.
कृषि में उत्पादन के ऐसे तरीकों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा जा रहा है जिनमें नाइट्रस ऑक्साइड (एन20) का उत्सर्जन ना होता हो. एन20 कार्बोन डाइऑक्साइड और मीथेन के बाद तीसरी सबसे ज्यादा जरूरी ग्रीनहाउस गैस है.
रोजमर्रा के बदलाव
उत्सर्जन कम करने के लिए गोमांस के उत्पादन और खपत को भी कम करने की जरूरत है क्योंकि यह सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाला मांस है. इसके अलावा आवासीय और व्यावसायिक इमारतों के नवीनीकरण की जरूरत है क्योंकि या यातायात जितना ही उत्सर्जन करती हैं.
सीमेंट और इस्पात जैसे भारी कार्बन वाले उद्योगों के लिए उत्पादन के नए तरीके ईजाद करने की भी जरूरत है. अंत में, हमें पृथ्वी के ट्रॉपिकल वर्षा वनों के विनाश को भी रोकना होगा, क्योंकि वो भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड को सोख लेते हैं.
इम्पीरियल कॉलेज लंदन के ग्रंथम इंस्टीट्यूट में शोध की निदेशक जोरि रोगेल्ज ने बताया, "यह विकल्पों का सवाल है. ऐसा कोई रास्ता नहीं हैं जहां हम किसी विकल्प को चुनते ना हों."
ना सिर्फ आम लोगों द्वारा चुने गए विकल्पों पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है, बल्कि परमाणु ऊर्जा, बायो ऊर्जा की भूमिका से जुड़े विकल्पों को भी चुनने की जरूरत है. रोगेल्ज का कहना है कि सबसे ज्यादा हमें "दूरदर्शिता वाले नेतृत्व की जरूरत है. सरकार बहुत जरूरी हैं." (dw.com)
सीके/एए (एएफपी)
स्वीडन के कलाकार लार्स विल्क्स की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. वो एक विवादित कार्टून को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा में आए थे. इस कार्टून में उन्होंने एक कुत्ते का शरीर बनाया था और उस पर पैगंबर मोहम्मद साहब का सिर लगाया था.
हादसे से जुड़ी रिपोर्टों के मुताबिक विल्क्स एक पुलिस वाहन में सवार थे जिसकी दक्षिणी स्वीडन के मारकरद शहर में एक ट्रक से टक्कर हो गई.
इस हादसे में दो पुलिसकर्मियों की भी मौत हो गई. वहीं ट्रक के ड्राइवर को भी चोट आई है.
विल्क्स 75 साल के थे. पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बनाने के बाद उन्हें कई धमकियां मिली थीं और इसी वजह से उन्हें पुलिस सुरक्षा मिली हुई थी.
इसे लेकर कई मुसलमान नाराज़ हो गए थे. उनकी नज़र में पैगंबर का चित्र बनाना ईशनिंदा है.
इसके एक साल पहले डेनमार्क के एक अखबार ने पैगंबर मोहम्मद के कार्टून प्रकाशित किए थे.
पुलिस ने क्या कहा?
विल्क्स की मौत को लेकर पुलिस ने एक बयान जारी किया गया है. इसमें कहा गया है कि इस बात की जानकारी नहीं हो सकी है कि ये टक्कर कैसे हुई. पुलिस के मुताबिक शुरुआती जांच से लगता है कि इसमें और किसी की भूमिका नहीं थी.
पुलिस के एक प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, " इस मामले की किसी दूसरी सड़क दुर्घटना की तरह जांच की जा रही है. इसमें दो पुलिसवालों की भी मौत हुई है. इसकी जांच अभियोजक दफ़्तर की विशेष शाखा को सौंपी गई है."
उन्होंने ये भी कहा कि इस मामले में किसी तरह की साजिश का कोई संदेह नहीं है.
स्थानीय मीडिया में आईं रिपोर्टों के मुताबिक विल्क्स पुलिस की जिस गाड़ी में सवार थे वो बहुत तेज़ रफ़्तार में दौड़ रही थी.
एक प्रत्यक्षदर्शी ने 'अफटोनब्लैडेट' नाम के अख़बार को बताया कि ये माना जा रहा है कि विल्क्स की कार का संतुलन बिगड़ गया और वो तेज़ रफ़्तार में सड़क के दूसरी तरफ आ गई.
सामने से आ रहे ट्रक के पास रोकने का वक़्त नहीं था और दोनों के बीच 'तेज़ रफ़्तार' में ज़ोरदार टक्कर हुई.
हादसे के बाद गाड़ी में आग लग गई. हालात पर काबू पाने के लिए आपातकालीन विभाग के वाहन मौके पर पहुंचे.
कार्टून पर विवाद
विल्क्स ने साल 2007 में जो कार्टून बनाया था, उसे लेकर पूरी दुनिया में उनके ख़िलाफ़ नाराज़गी देखी गई थी. स्वीडन के तत्कालीन प्रधानमंत्री फ्रेडरिक रेनफेल्ड ने हालात को सामान्य बनाने के लिए 22 मुसलमान देशों के राजदूतों से मुलाक़ात की थी.
इसके कुछ दिन बाद इराक़ में सक्रिय अल-क़ायदा ने उनकी जान लेने पर एक लाख अमेरिकी डॉलर का इनाम रखा था.
साल 2015 में विल्क्स कोपनहेगन में अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हुई एक बहस में शामिल हुए जहाँ गोलियां चलाकर हमला किया गया. तब विल्क्स ने कहा था कि शायद हमले का निशाना वही थे. तब हमले में एक फ़िल्म डायरेक्टर की मौत हो गई थी.
उन्हें सबसे ज़्यादा चर्चा मोहम्मद साहब के कार्टून की वजह से मिली. वो एक ऐसे कलाकार थे जो अपने चित्रों के जरिए अधिकारों की बात उठाते थे.
उन्होंने दक्षिणी स्वीडन के एक संरक्षित क्षेत्र में बिना अनुमति लड़की की मूर्ति बनाई थी जिसे लेकर लंबा क़ानूनी संघर्ष चला.
इसी साल जुलाई में पैगंबर साहब का कार्टून बनाने वाले डेनमार्क के कार्टूनिस्ट कर्ट वेस्टरगार्ड की मौत हो गई थी. वो 86 साल के थे और लंबे समय से बीमार थे.
कर्ट वेस्टरगार्ड ने पैगंबर मोहम्मद का रेखाचित्र बनाया था. उनके इस कैरिकेचर को जहां कुछ लोगों ने रचनात्मकता से जोड़कर देखा था, वहीं मुसलमानों के एक बड़े वर्ग ने इसे लेकर आपत्ति जताई थी.
वेस्टरगार्ड ने साल 2005 में पैगंबर मोहम्मद का एक कथित विवादास्पद कार्टून बनाया. इसकी दुनिया भर में चर्चा हुई.
पांच साल पहले पनामा पेपर लीक ने सारी दुनिया में तहलका मचा दिया था। बड़ी-बड़ी हस्तियों की फर्जी कंपनियों और टैक्स चोरी की सच्चाई सामने आई थी। अब एक बार फिर ICIJ ने अब तक का सबसे बड़ा खुलासा किया है।
पंडोरा पेपर्स लीक मामले में अब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का नाम सामने आ रहा है। दुनिया के कुछ शीर्ष पदों पर बैठे लोगों के गुप्त वित्तीय लेन-देन की जानकारी देने वाले दस्तावेजों में पुतिन की कथित गर्लफ्रेंड का भी नाम शामिल है। वित्तीय दस्तावेज दावा करते हैं कि पुतिन की प्रेमिका 100 मिलियन डॉलर संपत्ति की मालकिन है। पंडोरा पेपर्स में सैकड़ों वैश्विक नेताओं के नाम शामिल हैं। इसमें पुतिन से जुड़े कई लोग, मशहूर हस्तियां और कुछ अमीर लोगों के नाम भी हैं।
दस्तावेजों में पुतिन की मोनाको में स्थित गुप्त संपत्ति का भी जिक्र है। इसमें विदेश में स्थित एक कंपनी के बारे में खुलासा किया गया जिसका स्वामित्व कथित रूप से उनकी गर्लफ्रेंड के पास है। दावा किया जा रहा है उनकी प्रेमिका ने एक अपार्टमेंट खरीदा था जिसकी कीमत 4.1 मिलियन डॉलर है। यह लग्जरी फ्लैट ब्रोकविले डेवलपमेंट लिमिटेड द्वारा खरीदा गया। पंडोरा पेपर्स में खुलासा हुआ है कि फ्लैट की मालकिन Svetlana Krivonogikh नाम की एक महिला है।
100 मिलियन डॉलर की मालकिन
पुतिन के साथ दोस्ती के बाद यह महिला 100 मिलियन डॉलर संपत्ति की मालकिन बन गई। इसमें सेंट पीटर्सबर्ग में एक फ्लैट, मॉस्को में जमीन और लग्जरी क्रूज भी शामिल है। रूस के खोजी आउटलेट Proekt के मुताबिक कभी साफ-सफाई का काम करने वाली अमीर महिला और पुतिन का एक बच्चा भी है। पुतिन की प्रेमिका से जुड़ा गुप्त वित्तीय लेनदेन सितंबर 2003 में मोनाको में हुआ था।
पहचान बदलकर खरीदा फ्लैट
कैसीनो के ठीक नीचे एक आलीशान फ्लैट खरीदा गया। फ्लैट के खरीदार की पहचान रहस्यमयी थी। आधिकारिक रूप से खरीदार एक विदेशी कंपनी Brockville Development Ltd.थी। इस कंपनी का स्वामित्व दो लोगों के पास था, पहले सेफ्टन सिक्योरिटीज और बाद में रेडनर इन्वेस्टमेंट्स एसए। संपत्ति का असली खरीदार पर्दे के पीछे छिपा हुआ था। पंडोरा पेपर्स ने इसका खुलासा किया कि 2003 में एक 28 साल की महिला Svetlana Krivonogikh इसकी असली मालकिन थी।
पुतिन के संपर्क में आने के बाद बदले दिन
कुछ सालों बाद यह महिला देखते ही देखते अरबों की संपत्ति की मालकिन बन गई। उसने अपने होमटाउन सेंट पीटर्सबर्ग में एक आलीशान फ्लैट खरीदा। Krivonogikh का अतीत बेहद साधारण था। वह एक स्टोर में क्लीनर का काम करती थी और एक बिजनस स्टूडेंट थी। दावा किया जा रहा है कि पुतिन के संपर्क में आने के बाद उसके दिन बदल गए।
विज्ञान बिल्कुल स्पष्ट है. ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रोकना है. लेकिन यह होगा कैसे? दूसरे शब्दों में, हमें इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए किस तरह के बदलाव लाने की जरूरत है?
धरती इस समय 1.1 डिग्री सेल्सियस की रफ्तार से गर्म हो रही है. 1.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के लिए हमें कार्बन प्रदूषण को 2030 तक घटा कर मौजूदा स्तर के आधे तक और 2050 तक शून्य तक लाना होगा. लेकिन यह होगा कैसे? पेरिस समझौते के इस बेहद जरूरी लक्ष्य का हमारी अर्थव्यवस्थाओं और हमारी रोजमर्रा की जिंदगी के लिए क्या मतलब है?
फ्रांसीसी थिंक टैंक आईडीडीआरआई में कम उत्सर्जन विकास के विशेषज्ञ हेनरी वाइसमैन कहते हैं कि इसके लिए हमने "सब कुछ" बदलना होगा. वाइसमैन संयुक्त राष्ट्र की 2018 की उस रिपोर्ट के मुख्य लेखक भी हैं जिसने पहली बार 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को हासिल करने का रास्ता बताया था.
सब कुछ एक साथ
वो कहते हैं, "और यह आमूलचूल बदलाव होगा. हमें ऊर्जा के उत्पादन और खपत के अपने तरीके, महत्वपूर्ण औद्योगिक उत्पादों को बनाने के तरीके, एक जगह से दूसरी जगह जाने के तरीके, खुद को गर्म रखने के तरीके और खाने के तरीके को पूरी तरह तरह से बदलना होगा."
इतने बड़े लक्ष्य को देखते हुए मुमकिन है कि एक बार में एक क्षेत्र पर काम करने का ख्याल आए, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि हमारे पास उसके लिए पर्याप्त समय बचा नहीं है. डेनमार्क के तकनीकी विश्वविद्यालय में शोधकर्ता ऐन ओलहॉफ कहती हैं, "अगर हमें 1.5 डिग्री सेल्सियस वाले रास्ते पर आगे बढ़ना है तो हमें सब कुछ तुरंत और एक साथ करने की जरूरत है."
ओलहॉफ इस लक्ष्य को हासिल करने में हमारी तरक्की पर नजर रखने वाली संयुक्त राष्ट्र की "उत्सर्जन गैप" रिपोर्ट के लेखकों में से एक हैं. जानकार इस बात पर सहमत हैं कि अगर ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को 2030 तक 60 से 25 अरब टन तक लाना है तो ऊर्जा, कृषि, निर्माण, यातायात, उद्योग और फॉरेस्ट्री वो छह क्षेत्र हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है.
ऊर्जा उत्पादन अकेले 70 प्रतिशत उत्सर्जन का जिम्मेदार है और माना जाता है कि इसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा तरक्की की उम्मीद की जा सकती है. इसमें भी बिजली उत्पादन का विशेष स्थान है क्योंकि आधा उत्सर्जन इसी क्षेत्र में होता है.
राजनीतिक इच्छाशक्ति
ओलहॉफ कहती हैं, "अगर आपको एक क्षेत्र को चुनना है तो वो ऊर्जा है, ना सिर्फ इसलिए क्योंकि इस क्षेत्र में उत्सर्जन को कम करने की संभावना सबसे ज्यादा है बल्कि इसलिए भी क्योंकि इसमें कुछ ऐसी उपलब्धियां हैं जो आसानी से हासिल की जा सकती हैं."
उन्होंने यह भी कहा, "हमें यह करने के लिए जिस तकनीक की जरूरत है वो हमारे पास है, मुख्य रूप से यह राजनीतिक इच्छाशक्ति का मामला है." जिस जीवाश्म ईंधन पर सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जा रहा है और जो सबसे ज्यादा गंदा भी है वो है कोयला.
क्लाइमेट एनालिटिक्स एनजीओ में उत्सर्जन कम करने की योजनाओं पर काम करने वाली टीम के प्रमुख मैथ्यू गिड्डेन मानते हैं, "कोयले से चलने वाले ऊर्जा संयंत्र आज कुल बिजली आपूर्ति के 40 प्रतिशत हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं और इन्हें दो दशकों के अंदर खत्म करने की जरूरत है."
उन्होंने कहा कि अमीर देशों को अग्रणी भूमिका निभाने की जरूरत है और उन सबके कार्बन उगलने वाले कोयल संयंत्रों को 2030 तक बंद कर देना चाहिए. यूरोपीय संघ में इसका मतलब होगा अगले 10 सालों तक हर दो हफ्तों पर तीन संयंत्रों को बंद करना.
सौर और वायु ऊर्जा पर ध्यान
अमेरिका में इसका मतलब होगा हर 14 दिनों पर एक संयंत्र को बंद करना. लेकिन दुनिया में कोयले की जितनी कुल खपत होती है उसमें से चीन अकेले आधा कोयला जलाता है, इसलिए अगर चीन इस राह पर आगे नहीं बढ़ेगा तो 1.5 डिग्री सेल्सियस का लक्ष्य हासिल नहीं हो पाएगा.
गिड्डेन कहते हैं, "अगर आप कोयले से चलने वाले चीन के 1,082 संयंत्रों को पेरिस समझौते के हिसाब से बंद करना शुरू करेंगे तो हर हफ्ते एक संयंत्र बंद करना पड़ेगा" और ऐसा 2040 तक करते रहना पड़ेगा. यह समय सीमा अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने कार्बन न्यूट्रल बनने के लिए वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र के लिए तय की थी.
इस लक्ष्य के लिए सौर और वायु ऊर्जा के उत्पादन की क्षमता को भी 2030 तक चार गुना बढ़ाने की जरूरत है. लेकिन सिर्फ बिजली को कार्बन न्यूट्रल बनाना पर्याप्त नहीं है. हर क्षेत्र को अपने उत्सर्जन को खत्म करना होगा. यातायात में आईईए ने कहा है कि 2035 के बाद इंटरनल कंबशन इंजन नहीं बेचे जाने चाहिए.
कृषि में उत्पादन के ऐसे तरीकों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा जा रहा है जिनमें नाइट्रस ऑक्साइड (एन20) का उत्सर्जन ना होता हो. एन20 कार्बोन डाइऑक्साइड और मीथेन के बाद तीसरी सबसे ज्यादा जरूरी ग्रीनहाउस गैस है.
रोजमर्रा के बदलाव
उत्सर्जन कम करने के लिए गोमांस के उत्पादन और खपत को भी कम करने की जरूरत है क्योंकि यह सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाला मांस है. इसके अलावा आवासीय और व्यावसायिक इमारतों के नवीनीकरण की जरूरत है क्योंकि या यातायात जितना ही उत्सर्जन करती हैं.
सीमेंट और इस्पात जैसे भारी कार्बन वाले उद्योगों के लिए उत्पादन के नए तरीके ईजाद करने की भी जरूरत है. अंत में, हमें पृथ्वी के ट्रॉपिकल वर्षा वनों के विनाश को भी रोकना होगा, क्योंकि वो भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड को सोख लेते हैं.
इम्पीरियल कॉलेज लंदन के ग्रंथम इंस्टीट्यूट में शोध की निदेशक जोरि रोगेल्ज ने बताया, "यह विकल्पों का सवाल है. ऐसा कोई रास्ता नहीं हैं जहां हम किसी विकल्प को चुनते ना हों."
ना सिर्फ आम लोगों द्वारा चुने गए विकल्पों पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है, बल्कि परमाणु ऊर्जा, बायो ऊर्जा की भूमिका से जुड़े विकल्पों को भी चुनने की जरूरत है. रोगेल्ज का कहना है कि सबसे ज्यादा हमें "दूरदर्शिता वाले नेतृत्व की जरूरत है. सरकार बहुत जरूरी हैं."
सीके/एए (एएफपी)
निवर्तमान जापानी प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने किशिदा के पदभार ग्रहण करने का रास्ता साफ करते हुए अपने मंत्रिमंडल को भंग कर दिया है.
निवर्तमान जापानी प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने अपने मंत्रिमंडल को भंग कर दिया है, जिससे फूमियो किशिदा के पदभार ग्रहण करने का रास्ता साफ हो गया है. जापान के नए प्रधानमंत्री किशिदा एक विशेष संसदीय सत्र के बाद सोमवार को औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण करने के लिए तैयार हैं.
किशिदा ने पिछले हफ्ते सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रैटिक पार्टी (एलडीपी) के नेता पद का चुनाव जीता था. इस जीत के साथ ही उनका प्रधानमंत्री बनना तय था. वह संसदीय वोट के बाद प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण करेंगे, जिसे औपचारिकता के रूप में माना जा रहा है. जापान की संसद के निचले सदन में एलडीपी को बहुमत प्राप्त है.
1885 में देश ने कैबिनेट प्रणाली को अपनाया था, किशिदा जापान के 100वें प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. सुगा ने पिछले साल सितंबर में ही प्रधानमंत्री पद संभाला था, जब पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था. सुगा ने इसी साल सितंबर के शुरुआत में सत्तारूढ़ पार्टी के नेतृत्व के दोबारा चुनावों में हिस्सा नहीं लेना का ऐलान किया था. सुगा की लोकप्रियता उनके महामारी प्रबंधन की तीखी आलोचना के बाद गिर गई थी.
किशिदा से क्या उम्मीदें हैं?
जापान के नए प्रधानमंत्री के कंधे पर कोरोनो वायरस महामारी के बाद अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने की जिम्मेदारी है. किशिदा का कहना है कि वह पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए "आबेनॉमिक्स" के रूप में जाने वाले आर्थिक सुधारों को जारी रखना चाहते हैं, जो विस्तारवादी मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं.
वे इस साल के अंत तक कोरोना के कारण प्रभावित कारोबार को सहायता देने के लिए करीब 269 अरब डॉलर के बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन पैकेज को एक साथ रखना चाहता हैं.
उन्होंने पिछले दो दशकों के नव-उदारवाद से दूर हटने का वादा किया और "नए जापानी पूंजीवाद" की घोषणा की है. उन्होंने कर कानूनों में बदलाव करके और लोगों की आय बढ़ाने के उपाय पर भी काम करने की योजना बनाई है.
कैबिनेट में किसको मिलेगी जगह?
आने वाली सरकार में शीर्ष पद या तो पूर्व रूढ़िवादी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के सहयोगियों या निवर्तमान वित्त मंत्री तारो आसो जा सकते हैं. आबे के विश्वासपात्र अकीरा अमारी एलडीपी के नए महासचिव हैं.
जापानी मीडिया का कहना है कि विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी और आबे के भाई रक्षा मंत्री नोबुओ किशी अपने पद पर बने रहेंगे. किशिदा 28 नवंबर को होने वाले चुनाव में एलडीपी का नेतृत्व करेंगे.
एए/वीके (डीपीए, रॉयटर्स)
14 कंपनियों के लाखों लीक दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि दुनियाभर के राजनेताओं, अरबपतियों और अन्य मशहूर हस्तियों ने किस तरह धन बचाने और जमा करने के लिए टैक्स पनाहगाहों का इस्तेमाल किया है.
पैंडोरा पेपर्स के नाम से चर्चित इस खुलासे में ऐसी 29 हजार कंपनियों और ट्रस्ट का पता चला है जिन्हें विदेशों में बनाया गया था. 14 कंपनियों के एक करोड़ 20 लाख दस्तावेजों का इंटरनेशनल कन्सॉर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स ने एक साल तक अध्ययन किया है जिसके बाद ऐसा दावा किया गया है कि विभिन्न देशों के व्यापारियों, उद्योगपतियों, राजनेताओं और खेल व मनोरंजन जगत की मशहूर हस्तियों ने अपना धन छिपाया.
भारत के कई बड़े नाम
इस पड़ताल में भारत का अखबार इंडियन एक्सप्रेस शामिल था. अखबार के मुताबिक इन दस्तावेजों में 300 से ज्यादा भारतीयों के नाम हैं जिनमें उद्योपति अनिल अंबानी, नीरव मोदी की बहन और किरन मजूमदार शॉ के पति जैसे लोग शामिल हैं.
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 60 से ज्यादा महत्वपूर्ण लोगों और कंपनियों की पड़ताल की गई है जिनका खुलासा आने वाले दिनों में किया जाएगा. अखबार लिखता है कि पनामा पेपर्स के खुलासे के बाद धनकुबेरों ने अपना धन छिपाने के नए तरीके खोज लिए हैं.
मिसाल के तौर पर क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने पनामा पेपर्स खुलासे के सिर्फ तीन महीने बाद ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स में अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी. सचिन तेंदुलकर के वकील ने कहा है कि उनका सारा निवेश वैध है.
अब भारतीय उद्योगपति विदेशों में कई ट्रस्ट स्थापित कर रहे हैं ताकि अपने धन को अलग अलग हिस्सों में बांटकर सरकारी निगाहों से बचा जा सकें. इनमें भारत, रूस, अमेरिका और मेक्सिको समेत कई देशों के 130 अरबपति शामिल हैं.
सैकड़ों नेताओं के नाम
विदेशों के जिन बड़े लोगों के नाम पैंडोरा पेपर्स खुलासे में उजागर किए गए हैं उनमें जॉर्डन के राजा, उक्रेन, केन्या और इक्वेडोर के राष्ट्रपति, चेक रिपब्लिक के प्रधानमंत्री और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर शामिल हैं.
इन दस्तावेजों में कम से कम 35 मौजूदा या पूर्व राष्ट्राध्यक्षों के नाम लिए गए हैं. दस्तावेज दिखाते हैं कि किस तरह किंग अब्दुल्ला द्वितीय ने मैलिबु, कैलिफॉर्निया, वॉशिंगटन और लंदन में अपनी 100 मिलियन डॉलर की संपत्तियां बनाने के लिए कर से राहत देने वाली जगहों पर कंपनियों का एक नेटवर्क खड़ा किया.
चेक रिपब्लिक के प्रधानमंत्री आंद्रेय बाबिस ने उस विदेशी निवेश को छिपा लिया, जिसके जरिए दक्षिणी फ्रांस में 2.2 करोड़ डॉलर का एक बंगला खरीदा.
दस्तावेजों में लगभग 1,000 विदेशी कंपनियों के बारे में पता चला है जिन्हें दुनियाभर के 336 मंत्रियों, नेताओं और सरकारी अधिकारियों ने स्थापित किया था. इनमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के कैबिनेट मंत्री और उनके परिजन भी शामिल हैं.
अमीरों के नए तरीके
इंडियन एक्सप्रेस लिखता है, "पैंडोरा पेपर्स दिखाते हैं कि धन-मशीन दुनिया के हर हिस्से में सक्रिय है. अमेरिका समेत दुनिया के सबसे अमीर देशों की वित्तीय राजधानियां भी इनमें शामिल हैं. अमेरिका और यूरोप में स्थित वैश्विक बैंक, वकालत कंपनियां और अकाउंटिंग फर्म भी इस व्यवस्था को मदद करते हैं.”
मिसाल के तौर पर पैंडोरा पेपर्स से पता चला कि दुनियाभर के बैंकों ने पनामा की एक वकालत कंपनी एल्कोगल (Alemán, Cordero, Galindo & Lee - Alcogal) की मदद से कम से कम 3,926 ग्राहकों के लिए विदेशों में कंपनियां स्थापित कीं. इस कंपनी के दफ्तर न्यूजीलैंड, उरुग्वे और यूएई में भी हैं. इस कंपनी ने ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स अमेरिकी बैंक मॉर्गन स्टैनली के आग्रह पर 312 कंपनियां बनाईं.
14 कंपनियों से मिले जिन दस्तावेजों की पड़ताल के आधार पर डॉयचे वेले की टर्किश सेवा समेत दुनिया के 150 मीडिया संस्थानों के 600 से ज्यादा पत्रकारों ने जो रिपोर्ट छापी हैं, वे 1996 से 2020 तक के हैं. और जिन कंपनियों व ट्रस्ट बनाने की बात हो रही है वे 1971 से 2018 के बीच स्थापित हुईं.
वीके/एए (एएफपी, डीपीए)
इटली की अंतरिक्ष यात्री समांथा क्रिस्टोफोरेटी जैसी एक बार्बी गुड़िया को जीरो ग्रैविटी फ्लाइट पर भेजा गया. लड़कियों को अंतरिक्ष विज्ञान की ओर आकर्षित करने के लिए यह प्रतीकात्मक कदम उठाया गया.
डॉयचे वेले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) ने एक गुड़िया को जीरो ग्रैविटी फ्लाइट की सैर कराई है. 4-10 अक्टूबर तक विश्व अंतरिक्ष सप्ताह मनाया जा रहा है, जिस मौके पर यह विशेष फ्लाइट आयोजित हुई.
अंतरिक्ष की सैर पर गई बार्बी गुड़िया विश्व रिकॉर्ड धारी इतालवी अंतरिक्ष यात्री समांथा क्रिस्टोफोरेटी का रूपांतरण है. इस पूरी कवायद का मकसद बच्चियों और लड़कियों को साइंस, तकनीक, गणित और इंजीनियरिंग जैसे विषय अपनाकर अंतरिक्ष विज्ञान में करियर बनाने के लिए प्रेरित करना है.
इस साल विश्व अंतरिक्ष सप्ताह का मकसद अंतरिक्ष में महिलाओं के योगदान को सम्मानित करना है. इसलिए खिलौने बनाने वाली कंपनी मैटल इंक ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और क्रिस्टोफोरेटी के साथ गठजोड़ किया था.
इस गठजोड़ के तहत क्रिस्टोफोरेटी की शक्ल की एक गुड़िया तैयार की गई और उसने वह सब किया जो किसी अंतरिक्ष यात्री को अभियान पर जाने से पहले ट्रेनिंग के लिए करना पड़ता है. जर्मनी स्थित ईएसए बेस पर गुड़िया को जीरो ग्रैविटी का अनुभव कराया गया.
आदर्श हैं क्रिस्टोफोरेटी
44 वर्षीय क्रिस्टोफोरेटी ने वीडियो के जरिए एक बयान में कहा, "छोटी समांथा गुड़िया एक पैराबोलिक फ्लाइट पर जा चुकी है यानी उसे भारहीनता का कुछ तो अनुभव हो ही चुका है. मुझे उम्मीद है कि यह सब दिखाकर हम छोटी बच्चियों में अंतरिक्ष के प्रति कुछ उत्सुकता पैदा कर सकेंगे. हो सकता है वे तस्वीरें, कुछ लड़कियों के दिलों में एक जुनून पैदा कर दें. और वह अद्भुत होगा.”
क्रिस्टोफोरेटी अंतरिक्ष में जाने वालीं इटली की पहली महिला हैं. इस वक्त अपने अगले अंतरिक्ष अभियान के लिए ईएसए में ट्रेनिंग ले रही हैं. यह अभियान अगले साल अप्रैल से शुरू होगा, जिसके लिए क्रिस्टोफोरेटी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाएंगी.
क्रिस्टोफोरेटी ने अंतरिक्ष यात्रा पर 199 दिन और 16 घंटे बिताए थे जो किसी भी यूरोपीय अंतरिक्ष यात्री के लिए एक रिकॉर्ड था. वह जून 2017 में अंतरिक्ष से लौटी थीं. बाद में यह रिकॉर्ड पहले पेगी विट्सन और फिर क्रिस्टीना कोख ने तोड़ा.
इस पूरे प्रोजेक्ट के तहत बार्बी अपनी वेबसाइट पर अंतरिक्ष के बारे में शिक्षा उपलब्ध करवा रही है. क्रिस्टोफोरेटी की हमशक्ल गुड़िया की बिक्री से जो पैसा आएगा उसे ‘विमिन इन एयरोस्पेस' संस्था को दिया जाएगा जो एक पीचएडी छात्रा की मदद करेगी.
अंतरिक्ष में महिलाएं
पहली बार 1963 में कोई महिला अंतरिक्ष में गई थी जब रूस की वेलेनेटीना व्लादीमिरोवना तेरेशकोवा ने रूस के वोस्तोक अभियान पर 16 जून को उड़ान भरीं. उन्होंने लगभग तीन दिन अंतरिक्ष में बिताए और धरती के 48 चक्कर लगाए. अब तक अंतरिक्ष में किसी एकल अभियान पर जाने वालीं वह एकमात्र महिला हैं.
वैसे तो मनुष्य के अंतरिक्ष में पहुंचने के दो साल के भीतर ही पहली महिला को अंतरिक्ष यात्रा मौका मिल गया लेकिन दूसरी महिला को इसके लिए दो दशक तक इंतजार करना पड़ा. दूसरी महिला भी एक रूसी ही थी जब तत्कालीन सोवियत संघ ने स्वेटलाना सावितिसकाया को 1982 में अंतरिक्ष में भेजा. उसके एक साल बाद अमेरिका की पहली महिला के तौर पर सैली राइड अंतरिक्ष यात्रा पर गई थीं.
तब से अब तक 65 महिलाएं अंतरिक्ष यात्रा कर चुकी हैं. लेकिन पुरुषों के मुकाबले यह संख्या मात्र 10 प्रतिशत है. चांद पर अब तक कोई महिला नहीं जा पाई है. अमेरिका के आर्टेमिस कार्यक्रम के तहत इस लक्ष्य को हासिल करने की तैयारी की जा रही है. (dw.com)
-संजीव शर्मा
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर| लीक हुए लाखों दस्तावेजों में दुनिया के 35 वर्तमान और पूर्व नेताओं, 91 देशों और क्षेत्रों के 330 से अधिक राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों और भगोड़ों, चोर कलाकारों, हत्यारों बड़ी वैश्विक हस्तियों के नाम हैं। वित्तीय रहस्यों को उजागर करने वाले अंतर्राष्ट्रीय खोजी पत्रकार संघ (आईसीआईजे) ने यह खुलासा किया।
गुप्त दस्तावेज जॉर्डन के राजा, यूक्रेन, केन्या और इक्वाडोर के राष्ट्रपतियों, चेक गणराज्य के प्रधानमंत्री और पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के छुपे हुए लेनदेन को उजागर करते हैं।
फाइलें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अनौपचारिक प्रचार मंत्री और रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, तुर्की और अन्य देशों के 130 से अधिक अरबपतियों की वित्तीय गतिविधियों का भी विवरण देती हैं।
लीक हुए रिकॉर्ड से पता चलता है कि कई शक्ति खिलाड़ी जो अपतटीय प्रणाली को समाप्त करने में मदद कर सकते हैं, इसके बजाय इसका लाभ उठाते हैं। गुप्त कंपनियों और ट्रस्टों में संपत्ति जमा करना, जबकि उनकी सरकारें अपराधियों को समृद्ध करने वाले अवैध धन की वैश्विक धारा को धीमा करने के लिए काम करती हैं।
दस्तावेजों में सामने आए छिपे खजाने :
फ्रेंच रिवेरा में 2.2 करोड़ डॉलर का एक शैटॉ, एक सिनेमा और दो स्विमिंग पूल - चेक गणराज्य के लोकलुभावन प्रधानमंत्री द्वारा अपतटीय कंपनियों के माध्यम से खरीदा गया। यह खुलासा कर एक अरबपति ने आर्थिक और राजनीतिक अभिजात वर्ग के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई है।
ग्वाटेमाला के सबसे शक्तिशाली परिवारों में से एक, एक राजवंश जो एक साबुन और लिपस्टिक समूह को नियंत्रित करता है, जिस पर श्रमिकों और पृथ्वी को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया है, के वंशज द्वारा संयुक्त राज्य के एक गोपनीयता-छायांकित ट्रस्ट में 1.3 करोड़ डॉलर से अधिक की संपत्ति है।
अरब स्प्रिंग के दौरान बेरोजगारी और भ्रष्टाचार का विरोध करने के लिए जॉर्डन के लोगों द्वारा सड़कों को भरने के बाद के वर्षों में जॉर्डन के राजा द्वारा मालिबू में तीन समुद्र तट पर तीन अपतटीय कंपनियों के माध्यम से 6.8 करोड़ डॉलर में खरीदा गया।
इन गुप्त अभिलेखों को पेंडोरा पेपर्स के रूप में जाना जाता है। (आईएएनएस)
संजीव शर्मा
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर| पेंडोरा पेपर्स के तहत लीक हुए दस्तावेजों से पता चला है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के आंतरिक घेरे के प्रमुख सदस्य, जिनमें कैबिनेट मंत्री, उनके परिवार और प्रमुख वित्तीय समर्थक शामिल हैं, के पास कई तरह की कंपनियां और ट्रस्ट हैं, जिनके पास लाखों डॉलर का छिपा हुआ धन है।
सैन्य नेताओं को भी फंसाया गया है। दस्तावेजों में कोई सुझाव नहीं है कि खान खुद अपतटीय कंपनियों के मालिक हैं।
जिन लोगों की संपत्ति का खुलासा हुआ है उनमें खान के वित्त मंत्री शौकत फैयाज अहमद तारिन और उनका परिवार और खान के वित्त और राजस्व के पूर्व सलाहकार वकार मसूद खान के बेटे शामिल हैं। रिकॉर्ड में एक शीर्ष पीटीआई दाता आरिफ नकवी के अपतटीय लेनदेन का भी पता चलता है, जो संयुक्त राज्य में धोखाधड़ी के आरोपों का सामना कर रहा है।
फाइलें दिखाती हैं कि कैसे इमरान खान के एक प्रमुख राजनीतिक सहयोगी चौधरी मूनिस इलाही ने कथित रूप से भ्रष्ट व्यापार सौदे से आय को एक गुप्त ट्रस्ट में डालने की योजना बनाई, उन्हें पाकिस्तान के कर अधिकारियों से छुपाया। इलाही ने टिप्पणी के लिए आईसीआईजे के बार-बार अनुरोध का जवाब नहीं दिया।
एक परिवार के प्रवक्ता ने रविवार को आईसीआईजे के मीडिया भागीदारों से कहा, राजनीतिक उत्पीड़न के कारण भ्रामक व्याख्याएं और डेटा को नापाक कारणों से फाइलों में प्रसारित किया गया है। परिवार की संपत्ति लागू कानून के अनुसार घोषित की जाती है।
रहस्योद्घाटन पेंडोरा पेपर्स का हिस्सा हैं, जो छायादार अपतटीय वित्तीय प्रणाली की एक नई वैश्विक जांच है जो बहुराष्ट्रीय निगमों, अमीर, प्रसिद्ध और शक्तिशाली को करों से बचने और अन्यथा अपने धन की रक्षा करने की अनुमति देता है। जांच 14 अपतटीय सेवा फर्मों की 1.19 करोड़ से अधिक गोपनीय फाइलों पर आधारित है जो इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स को लीक हुई और दुनियाभर के 150 समाचार संगठनों के साथ साझा की गई।
पेंडोरा पेपर्स की जांच में नागरिक सरकार और सैन्य नेताओं को उजागर किया गया है जो व्यापक गरीबी और कर से बचने वाले देश में बड़ी मात्रा में धन छुपा रहे हैं।
नए लीक हुए रिकॉर्ड से पता चलता है कि पाकिस्तान के कुलीनों द्वारा अपतटीय सेवाओं के उपयोग को पनामा पेपर्स के निष्कर्षों के प्रतिद्वंद्वी बनाया गया, जिसके कारण नवाज शरीफ का पतन हुआ और तीन साल पहले इमरान खान को सत्ता में लाने में मदद मिली। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर| देश से भागने के लिए अफगानिस्तान में एक विशेष मीडिया आउटलेट के साथ अपने जुड़ाव को साबित करने के लिए सैकड़ों अफगानों ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। अमेरिका द्वारा अफगानों को निकालने की प्रक्रिया शुरू करने के बाद अफगानिस्तान में एक निर्दिष्ट मीडिया आउटलेट में काम करने वाले एक विशेष व्यक्ति को दिखाने के लिए नकली दस्तावेजों की प्रवृत्ति तेज हो गई।
15 अगस्त को अशरफ गनी सरकार के पतन के बाद, एक विदेशी देश में भागने की तलाश में हजारों अफगानों ने काबुल हवाईअड्डे पर धावा बोल दिया।
उल्लेखनीय है कि अब तक 110,000 से अधिक लोगों को निकाला जा चुका है और प्रक्रिया जारी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि असुरक्षा, गरीबी, नौकरी छूटना, लड़कियों और महिलाओं के अनिश्चित भविष्य और कुछ अन्य कारणों ने अमेरिका के नेतृत्व वाली निकासी प्रक्रिया में कई अफगानों को देश से भागने के लिए प्रेरित किया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में कुछ मीडिया आउटलेट और नागरिक समाज संगठनों ने फर्जी दस्तावेज जैसे रोजगार कार्ड, एचआर पत्र, अनुभव पत्र, सिफारिश पत्र और अन्य प्रासंगिक दस्तावेज पेश करना शुरू कर दिया है और यहां तक कि वे सोशल मीडिया पेजों में फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए अभियान चला रहे हैं।
एक दूतावास के एक कर्मचारी ने बिना नाम बताए जाने की इच्छा जताते हुए कहा, मैं बड़ी संख्या में ऐसे पत्रकारों को जानता हूं जो अफगानिस्तान में रहते हैं, लेकिन सैकड़ों अन्य लोगों ने फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके पत्रकारों के नाम पर विदेश यात्रा की, मेरा एक रिश्तेदार इसका उदाहरण है। पत्रकारिता का अध्ययन नहीं किया और मीडिया के साथ काम नहीं किया, लेकिन रक्षा मंत्रालय के पूर्व प्रवक्ता फवाद अमन ने दो दुकानदारों के लिए कार्ड बनाए जो अब अमेरिका में हैं।
उन्होंने कहा कि विदेश जाने की कोशिश कर रहे लोगों के लिए दस्तावेज बनाने में काफी फजीर्वाड़ा किया गया। उन्होंने कहा कि इसमें पत्रकारों के संघ भी शामिल हैं।
कई लोगों ने अपने संबंधों का इस्तेमाल किया, यहां तक कि ग्रामीण इलाकों में प्रसारित होने वाले स्थानीय रेडियो स्टेशनों का भी इसके लिए दुरुपयोग किया जाता है। इन मीडिया आउटलेट्स ने उनके रिश्तेदारों और दोस्तों को भागने में मदद करने के लिए एचआर पत्र और साथ ही आईडी कार्ड प्रदान किए। अधिकांश सरकारी अधिकारी जिनके संबंध थे मीडिया ने एचआर पत्र के लिए नई कार्यालय सहित पत्रकार संघों जैसे मीडिया को संदर्भित किया है। (आईएएनएस)
अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में एक मस्जिद के बाहर विस्फोट की रिपोर्टें मिल रही हैं.
समाचार एजेंसी एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार, धमाके में में 'कई लोगों के मरने' की ख़बर है.
तालिबान के प्रवक्ता ज़बिहुल्लाह मुजाहिद ने ट्विटर पर बताया कि काबुल की ईदगाह मस्जिद के प्रवेश द्वार पर ये धमाका हुआ है.
रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि मस्जिद के भीतर ज़बिहुल्लाह मुजाहिद की मां का फातिहा पढ़ा जा रहा था. (bbc.com)
ताइवान ने कहा कि है शनिवार को उसके रक्षा वायु क्षेत्र में 39 चीनी सैन्य विमानों ने उड़ान भरी. ये चीन से आया अभी तक का सबसे बड़ा बेड़ा था.
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि विमान दो खेप में आए, पहले दिन में और फिर शाम में. शुक्रवार को 38 विमान इस ज़ोन में घुसे थे जिनमें परमाणु क्षमता वाले विमान भी शामिल थे. चीन ताइवान को ख़ुद से अलग हुआ हिस्सा मानता है लेकिन ताइवान खुद को एक संप्रभू राज्य मानता है.
ताइवान पिछले एक साल के चीनी विमानों के लगातार घुसपैठ की शिकायत कर रहा है. ताइवान के प्रीमियर सू-सेंग-शांग ने शनिवार को पत्रकारों से कहा, "चीन बेवजह लगातार सैन्य आक्रमण में लगा हुआ है और इलाके में शांति को नुकसान पहुंचा रहा है."
चीन की सरकार ने इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है. ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि दिन में 20 चीनी एयरक्राफ्ट आए और रात में 19 विमान सीमा के अंदक घुसे.
'एयर डिफेंस आइडेंटिफ़िरकेशन ज़ोन' देश की सीमा के बाहर होता है लेकिन सुरक्षा के नज़रिएये से वहां विदेशी विमानों की पहचान कर मॉनिटर और कंट्रोल किया जाता है .
यह स्व-घोषित होता और तकनीकी रूप से अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र के अंतरगर्त आता है. शुक्रवार को ऐसी ही एक घटना ताइवान और फिलिफिंस के बीच समुद्र में भी ऐसी ही घटना हुई है. तालिबान ने अपने विमान भेजकर और मिसाइल सिस्टम को तैनात कर जवाब दिया. (bbc.com)
वाशिंगटन, 3 अक्टूबर | कोरोना के वैश्विक मामले बढ़कर 23.45 करोड़ हो गए है। इस महामारी से अब तक कुल 47.9 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं, जबकि 6.28 अरब से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेशन हुआ है। ये आंकड़े जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने साझा किए हैं। रविवार की सुबह अपने नवीनतम अपडेट में, यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने बताया कि वर्तमान वैश्विक मामले, मरने वालों और टीकाकरण की संख्या क्रमश: 234,577,843, 4,796,500 और 6,282,822,928 हो गई है।
सीएसएसई के अनुसार, 43,658,910 और 700,959 पर दुनिया के सबसे अधिक मामलों और मौतों के साथ अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित देश बना हुआ है।
कोरोना संक्रमण के मामले में भारत 33,791,061 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है।
सीएसएसई के आंकड़े के अनुसार, 30 लाख से ज्यादा मामलों वाले अन्य सबसे प्रभावित देश ब्राजील (21,459,117), यूके (7,908,091), रूस (7,449,689), तुर्की (7,181,500), फ्रांस (7,116,415), ईरान (5,611,700), अर्जेंटीना (5,259,352), स्पेन (4,961,128), कोलम्बिया (4,960,641), इटली (4,679,067), जर्मनी (4,255,543), इंडोनेशिया (4,218,142) और मैक्सिको (3,671,611) हैं।
जिन देशों ने 100,000 से ज्यादा मौतों का आंकड़ा पार कर लिया है, उनमें ब्राजील (597,723), भारत (448,573), मैक्सिको (277,978), रूस (205,297), पेरू (199,423), इंडोनेशिया (142,115), यूके (137,295), इटली (130,998), ईरान (120,880), कोलंबिया (126,372), फ्रांस (117,578) और अर्जेंटीना (115,239) शामिल हैं।(आईएएनएस)
जकार्ता, 2 अक्टूबर | कोरोना महामारी के बीच इस साल जनवरी से अगस्त के बीच 1,061,530 विदेशी पर्यटकों ने इंडोनेशिया का दौरा किया। ये आंकड़े देश की केंद्रीय सांख्यिकी एजेंसी ने साझा किए हैं। एजेंसी के प्रमुख मार्गो युवोनो ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि इंडोनेशिया में विदेशी पर्यटकों की संख्या अभी भी धीमी आर्थिक विकास के कारण कम है, खासकर उन क्षेत्रों में जो मुख्य आर्थिक चालक के रूप में पर्यटन पर निर्भर हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, युवोनो ने बताया कि उस अवधि के दौरान देश में प्रवेश करने वाले विदेशी पर्यटकों में हवाई मार्ग से 79,080, समुद्र के द्वारा 301,340 और भूमि द्वारा 681,110 लोग शामिल हुए थे।
इस बीच, अगस्त 2021 में इंडोनेशिया आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या 127,310 तक पहुंच गई, जो 2020 के इसी महीने में 161,550 की तुलना में 21.19 प्रतिशत की कमी है।
जुलाई 2021 में इसी तरह की यात्राओं की संख्या की तुलना में 6 प्रतिशत की गिरावट भी आई।
पिछले महीने, इंडोनेशिया ने कानून और मानवाधिकार मंत्रालय द्वारा एक मंत्रिस्तरीय विनियमन जारी करने के बाद विदेशियों के लिए अपनी कुछ सीमाओं को फिर से खोल दिया, जो पर्यटकों के लिए आवेदन और पूरी तरह से टीकाकरण वाले यात्रियों के लिए सीमित प्रवास वीजा को फिर से खोलेगा।
पहले, केवल राजनयिक और सेवा वीजा वाले विदेशियों को ही देश में प्रवेश करने की अनुमति थी।
परिवहन मंत्रालय के अनुसार, जो यात्री द्वीपसमूह में प्रवेश करना चाहते हैं, दोनों इंडोनेशियाई और विदेशियों को वैक्सीन प्रमाण पत्र दिखाने के अलावा पूरी तरह से टीका लगाया जाना चाहिए और निगेटिव पीसीआर परीक्षण के परिणाम प्रस्थान समय से 72 घंटे पहले नहीं लिए गए हैं।
आगमन पर, यात्रियों को एक और पीसीआर परीक्षण करना होगा और निगेटिव घोषित होने पर आठ दिनों के क्वारंटीन को पूरा करना होगा।
पीसीआर टेस्ट का एक और निगेटिव रिजल्ट आठवें दिन जरूरी होगा।
इंडोनेशियाई और विदेशियों दोनों को पेडुली लिंडुंगी संपर्क अनुरेखण आवेदन के अंदर इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य चेतावनी कार्ड (ई-एचएसी) भरना आवश्यक है।
एक विदेशी को स्वास्थ्य बीमा द्वारा कवर होने का प्रमाण भी दिखाना होगा, जिससे इंडोनेशिया में रहने के दौरान कोविड -19 सहित व्यक्ति के स्वास्थ्य खचरें को कवर करने की उम्मीद है। (आईएएनएस)
क़तर में शनिवार को पहली बार राष्ट्रीय चुनाव हो रहे हैं. दरअसल, ये देश की सलाहकार परिषद शूरा काउंसिल के चुनाव हैं, जिन्हें देश के पहले विधायी चुनाव के तौर पर भी देखा जा रहा है.
अल जज़ीरा के मुताबिक़ मैदान में 294 उम्मीदवार खड़े हैं, जिनमें 29 महिलाएं शामिल हैं. देश के 30 ज़िलों में बनाए गए मतदान केंद्रों पर वोट डाले जाएंगे.
हालांकि, इस चुनाव को लेकर भी काफ़ी सवाल खड़े हो रहे हैं लेकिन यह चुनाव अपने आप में ऐतिहासिक है.
45 सदस्यों वाली शूरा काउंसिल के 30 सदस्यों के लिए यह चुनाव हो रहा है जबकि 15 सदस्यों को देश के शासक अमीर शेख़ तमीम बिन हम्माद अल-थानी ख़ुद चुनेंगे.
क्या है शूरा काउंसिल
देश के शासक अल-थानी ने इन ऐतिहासिक चुनावों की मतदान की तारीख़ दो अक्तूबर को तय की थी.
शूरा काउंसिल के पास देश की सामान्य नीतियों और बजट को मंज़ूरी देने का विधायी अधिकार है लेकिन उसका रक्षा, सुरक्षा, आर्थिक और निवेश आधारित नीति बनाने वाले कार्यकारी निकायों पर कोई नियंत्रण नहीं है.
इस कारण माना जाता है कि इस परिषद के पास सीमित शक्तियां हैं और देश के शासक ही सबसे ताक़तवर हैं.
लेकिन फिर भी विश्लेषकों का मानना है कि बहरीन, ओमान और कुवैत के बाद इस खाड़ी देश का लोकतंत्र की ओर यह पहला क़दम है.
बहरीन और ओमान में भी ऐसे ही सलाहकार निकाय हैं जबकि कुवैत में पूरी तरह से निर्वाचित एक संसद है.
कहां है पेच
साल 2003 में संवैधानिक जनमत संग्रह के बाद इन चुनावों को अनुमति दी गई थी लेकिन आलोचकों का मानना है कि मतदान की पात्रता बहुत बारीक है.
देश में अब तक म्यूनिसिपल इलेक्शन होते रहे हैं और लोग मतदान करते रहे हैं लेकिन राजनीतिक पार्टियों पर प्रतिबंध है.
क़तर में इस समय सबसे अधिक विवाद मतदान को लेकर ही है क्योंकि इसमें सभी नागरिक वोट नहीं डाल सकते हैं.
दुनिया के सबसे बड़े लिक्विफ़ाइड प्राकृतिक गैस उत्पादक इस खाड़ी देश में विदेशी कामगारों की भारी संख्या है और देश की आबादी तक़रीबन 30 लाख है लेकिन इसमें से सिर्फ़ 10% लोग ही यानी तीन लाख लोग वोट कर सकते हैं.
देश के चुनावी क़ानून के तहत मतदान के लिए मूल निवासियों और नागरिकों में अंतर बताया गया है. इसका कई मानवाधिकार संगठन और आम नागरिक विरोध कर रहे हैं.
इसी क़ानून के कारण 90% क़तरी नागरिक मतदान करने या चुनाव में खड़े होने से रोक दिए गए हैं.
क्या है मतदान के लिए क़ानून
इस साल जुलाई में अमीर शेख़ तमीम बिन हम्माद अल-थानी ने जो क़ानून पास किया था, उसके अनुसार 18 साल से अधिक आयु के वो नागरिक जिनकी मूल नागरिकता क़तरी रही है या फिर वो आम नागरिक जो यह साबित कर दें कि उनके पूर्वज क़तर में ही पैदा हुए थे वो लोग मतदान कर सकते हैं.
उन लोगों को अपने पूर्वजों के बारे में साबित करना होगा कि 1930 से पहले वे लोग क़तरी क्षेत्र में रह रहे थे. इसके बाद ही वो मतदान कर सकते हैं.
वहीं वो लोग, जिन्होंने क़तर की नागरिकता ले रखी है वो न ही मतदान कर सकते हैं और न ही चुनाव लड़ सकते हैं.
बीते महीने ह्यूमन राइट्स वॉच के मध्य-पूर्व के उप-निदेशक एडम कूगल ने कहा था कि सरकार में नागरिकों की भागीदारी की क़तर की कोशिशों का जश्न मनाया जा सकता है लेकिन कई क़तरी नागरिकों को मतदान का अधिकार न देकर इस पर कलंक लग गया है.
उन्होंने कहा कि नए क़ानून क़तर को लोगों को यह याद दिलाते हैं कि वे सभी समान नहीं हैं.
एक ख़ास जनजाति भी है नाराज़
इसके अलावा चुनाव क़ानून के एक अनुच्छेद की वजह से देश का जनजातीय समुदाय भी ख़ासा नाराज़ है.
इस क़ानून के अनुसार जो भी शख़्स 1971 में क़तर के गठन के बाद से लगातार देश में नहीं रहा है वो भी चुनाव में भाग नहीं ले सकता है. माना जा रहा है कि यह क़ानून ख़ासतौर पर ख़ानाबदोश क़तरी जनजाति अल-मुर्रा के लिए लाया गया है.
ह्युमन राइट्स वॉच के अनुसार, अगस्त महीने में इसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए थे, जिसमें अल-मुर्रा जनजाति के अधिकतर लोग शामिल थे और कम से कम 15 लोगों को गिरफ़्तार किया गया था.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स क़तर के सूत्रों के हवाले से लिखती है कि 'हिंसा भड़काने और नफ़रत भरे भाषण' को लेकर दो लोग अब भी हिरासत में हैं.
अल-मुर्रा जनजाति और क़तर के शाही परिवार के बीच संबंध हमेशा से ख़राब रहे हैं. साल 2017 में जब क़तर और सऊदी अरब के बीच तनातनी बढ़ गई थी तब इस जनजाति के अधिकतर सदस्यों ने सऊदी अरब का पक्ष लिया था.
वहीं अमवाज डॉट मीडिया के अनुसार, मुर्रा समुदाय के कुछ लोग 1996 के तख़्तापलट में कथित तौर पर शामिल थे. वे लोग पद से हटाए गए अमीर शेख़ ख़लीफ़ा बिन हम्माद को वापस गद्दी पर बैठाना चाहते थे. हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स में इन दावों को ख़ारिज किया जाता रहा है.
चुनाव क़ानून को लेकर क़तर के विदेश मंत्री ने कहा है कि चुनावी प्रक्रिया को लेकर जो भी समीक्षा करनी हो वो अगली शूरा काउंसिल करेगी यह एक 'साफ़ प्रक्रिया' है.
कैसा है यह परिवर्तन
क़तर दुनिया का सबसे बड़े गैस उत्पादक देश और अमेरिका का सहयोगी है. उसके यहाँ दुनिया में सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आया यानी 59,000 डॉलर है. इस कारण भी वहाँ पर सामाजिक और राजनीतिक अशांति की संभावना कम ही रही है.
चुनावी प्रक्रिया पर रॉयटर्स से अरब गल्फ़ स्टेट्स इंस्टिट्यूट की क्रिस्टीन स्मिथ दीवान कहती हैं कि क़तर का नेतृत्व सावधानी से आगे बढ़ रहा है, उसने कई तरह से इसमें भागीदारी करने पर रोक लगा दी है और राजनीतिक वाद-विवाद और उसके नतीजों पर महत्वपूर्ण नियंत्रण रख रखा है.
वो कहती हैं कि लोकप्रिय राजनीति यहां पर अप्रत्याशित है लेकिन उनका मानना है कि समय के साथ-साथ जैसे-जैसे राजनीतिक मंच विकसित होगा क़तर के लोग अपनी भूमिका और अधिकारों को लेकर अधिक जागरूक होंगे.
क़तर में अगले साल फ़ुटबॉल विश्व कप खेला जाना है क्या उससे पहले वो अपनी छवि अधिक लोकतांत्रिक दिखाने पर ज़ोर दे रहा है?
इस पर यूरोपियन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस की रिसर्च फ़ैलो चिंसिया बियांको कहती हैं कि उन्हें नहीं लगता है कि क़तर के अमीर यह सब एक पीआर स्टंट के तौर पर कर रहे हैं.
उन्होंने जर्मन ब्रॉडकास्टर डीडब्ल्यू से कहा क़तर का नेतृत्व साल 2009 से ही शूरा चुनाव को लेकर बात कर रहा था लेकिन उन्होंने इसे लागू करने को लेकर अभी तक इंतज़ार किया है, हालांकि उनके पास पीआर स्टंट करने को लेकर अच्छे कारण भी थे. क़तर संकट के दौरान उनके इस्लामी समूहों को समर्थन करने को लेकर ख़ूबर नकारात्मक मीडिया कवरेज हुई थी.
कॉपी- मोहम्मद शाहिद
बीजिंग, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| कार्बन उत्सर्जन को कम करने की आवश्यकता के साथ-साथ ऊर्जा की मांग में वृद्धि जारी है। जिसमें हाल ही में उत्तर पश्चिमी चीन के कानसू प्रांत में नव-निर्मित थोरियम आधारित परमाणु ऊर्जा संयंत्र की महत्वपूर्ण भूमिका साबित हो जाएगी। पारंपरिक परमाणु ऊर्जा संयंत्र यूरेनियम का उपयोग करते हैं, और ऐसे परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की सुरक्षा अधिक नहीं है। और दुनिया में यूरेनियम का भंडार सीमित है। थोरियम आधारित परमाणु ऊर्जा संयंत्र उच्चतम सुरक्षा और उच्च बिजली उत्पादन क्षमता वाला परमाणु ऊर्जा संयंत्र है। उधर एक किलोग्राम थोरियम 3,500 टन कोयले के बराबर ऊर्जा पैदा कर सकता है। वर्तमान में, भारत और चीन के पास दुनिया में थोरियम का सबसे समृद्ध भंडार है। चीन की वर्तमान बिजली की मांग के अनुसार परमाणु ईंधन के रूप में थोरियम अगले 20 हजार वर्षों तक ऊर्जा की मांग को पूरा कर सकेगा। इसके अलावा, थोरियम आधारित परमाणु ऊर्जा संयंत्र में पानी से ठंडा नहीं होने की विशेषताएं भी हैं। वर्ष 2011 से चीनी वैज्ञानिकों ने निकल-आधारित सुपर ऑलॉय, ग्रेफाइट सामग्री और पिघला हुआ नमक तकनीक के विकास में महत्वपूर्ण प्रगतियां हासिल की है, जो थोरियम-आधारित परमाणु रिएक्टरों में आवश्यक है। भविष्य में चीन परमाणु ऊर्जा, हाइड्रोजन, पिघला हुआ नमक ताप भंडारण और फोटोवोल्टिक बिजली उत्पादन जैसे व्यापक निम्न-कार्बन मिश्रित ऊर्जा प्रणालियों का उपयोग करेगा।
वर्तमान में, दुनिया में 400 से अधिक परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाए गए हैं, लेकिन वे केवल 10 प्रतिशत ऊर्जा प्रदान करते हैं। हालांकि, परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए आवश्यक यूरेनियम 235 की आपूर्ति सीमित है। लेकिन थोरियम आधारित परमाणु रिएक्टर यूरेनियम रिएक्टर से इस मायने में अलग है कि यह पानी नहीं बल्कि पिघला हुआ नमक का प्रयोग करता है। इस तरह ऑपरेशन के दौरान परमाणु अपशिष्ट जल की कोई आवश्यकता नहीं होती है। थोरियम आधारित परमाणु ऊर्जा संयंत्र रेगिस्तान में बनाए जा सकते हैं, और फिर बड़े शहरों में बिजली पहुंचाने के लिए यूएचवी ट्रांसमिशन तकनीक का उपयोग किया जा सकता है। थोरियम आधारित परमाणु रिएक्टरों का ऑपरेटिंग तापमान लगभग 700 डिग्री है, और थर्मल ऊर्जा दक्षता 45 प्रतिशत -50 प्रतिशत तक पहुंच सकती है, जबकि यूरेनियम केवल 33 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। थोरियम आधारित परमाणु ऊर्जा संयंत्र पानी का उपयोग नहीं करता है, और जापान में फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र और चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र की तरह रिसाव का कोई खतरा नहीं है। थोरियम रिएक्टर द्वारा उत्पादित परमाणु अपशिष्ट 300 वर्षों के बाद प्राकृतिक अयस्क के उत्सर्जन मानक तक पहुंचेगा। जबकि यूरेनियम के परमाणु कचरे में कम से कम दसियों हजार साल लगते हैं। इसलिए थोरियम आधारित परमाणु ऊर्जा संयंत्र सुरक्षित हैं।
इसके अलावा, थोरियम परमाणु हथियारों के निर्माण के लिए उपयुक्त सामग्री नहीं है। इसलिए थोरियम आधारित परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के विकास से परमाणु हथियारों के प्रसार को रोका जा सकता है। संक्षेप में बिजली उत्पादन के लिए थोरियम आधारित पिघला हुआ नमक रिएक्टरों का उपयोग भविष्य की प्रवृत्ति है। भविष्य में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए हम बिजली उत्पादन के लिए कोयले नहीं, पर थोरियम का उपयोग कर सकेंगे। परमाणु ऊर्जा के विकास के इतिहास का सिंहावलोकन करते हुए चीन और भारत का विकास पश्चिमी देशों की तुलना में पिछड़े हुए थे। पर चीन और भारत के पास थोरियम का सबसे समृद्ध भंडार है। यदि थोरियम आधारित परमाणु ऊर्जा प्रौद्योगिकी का विस्तार किया जाए, तो चीन और भारत को विदेशी ऊर्जा पर निर्भर रहने की स्थिति से पूरी तरह छुटकारा मिल जाएगा। इसका दुनिया भर में परमाणु ऊर्जा, पर्यावरण, ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। अब चीन की थोरियम आधारित परमाणु ऊर्जा प्रौद्योगिकी पर पश्चिमी देशों का ध्यान आकर्षित है, और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने चीन के साथ सहयोग करने की उम्मीद प्रकट की है। थोरियम आधारित परमाणु ऊर्जा प्रौद्योगिकी में चीन और भारत के बीच सहयोग की व्यापक संभावनाएं भी हैं।
बेरूत, 2 अक्टूबर | संयुक्त राष्ट्र ने लेबनान के लिए अपनी आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना (ईआरपी) की रूपरेखा तैयार की है, जिसका उद्देश्य सबसे कमजोर लोगों में से 11 लाख नागरिकों को जरूरी सहायता मुहैया कराना है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, ईआरपी में कुल 38.3 करोड़ डॉलर की 119 परियोजनाएं शामिल हैं और संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि लेबनानी आबादी का लगभग 78 प्रतिशत (30 लाख लोग) गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं, जिससे संगठन को लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए मानवीय कार्यक्रमों की एक सीरीज शुरू करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
यह योजना शिक्षा, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, पानी और स्वच्छता, बाल संरक्षण और लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ सुरक्षा के क्षेत्रों में सबसे कमजोर आबादी का समर्थन करने पर केंद्रित है।
लेबनान के लिए संयुक्त राष्ट्र के उप-विशेष समन्वयक नजत रोचदी ने बेरूत में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "अपनी हाल की क्षेत्रीय यात्राओं में, मैं बच्चों, युवा और बूढ़े लेबनानी पुरुषों और महिलाओं से मिला। उनकी कहानियां दिल दहला देने वाली, कभी-कभी अपमानजनक और चौंकाने वाली हैं।"
लेबनान एक अभूतपूर्व वित्तीय संकट से गुजर रहा है, जिसमें स्थानीय मुद्रा में 90 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है, जिससे लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की क्षमता सीमित हो गई है।
अक्टूबर 2019 के विद्रोह के बाद से देश की सामाजिक स्थिरता बिगड़ने लगी, इसके साथ ही कोविड -19 का आर्थिक प्रभाव और अगस्त 2020 में बेरूत के घातक बंदरगाह विस्फोट भी शामिल हैं।
इसके अलावा, बहुत आवश्यक वित्तीय सुधारों को लागू करने के लिए एक प्रभावी सरकार बनाने में विफलता ने लेबनानी पाउंड के पतन और वार्षिक मुद्रास्फीति में 158 प्रतिशत की वृद्धि के साथ-साथ खाद्य मुद्रास्फीति में 550 प्रतिशत की वृद्धि के कारण सामाजिक आर्थिक स्थिति में गिरावट को तेज कर दिया। (आईएएनएस)
दुबई, 2 अक्टूबर | पंजाब किंग्स के गेंदबाजी कोच दामिएन राइट ने कहा है कि कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के खिलाफ मिली जीत के असली हीरो मोहम्मद शमी और अर्शदीप सिंह हैं। अर्शदीप ने 32 रन देकर तीन विकेट लिए जबकि शमी ने 23 रन देकर एक विकेट लिया था।
राइट ने कहा, "मैं वास्तव में उन दोनों से खुश हूं, वे बहुत मेहनत करते हैं और अब यह सब रंग ला रहा है। काम करने में सक्षम होना वास्तव में अच्छा है।"
पंजाब किंग्स के गेंदबाजी कोच ने रवि बिश्नोई की भी तारीफ की। टीम में वापस आने के बाद से लेग स्पिनर ने सात विकेट चटकाए हैं।
राइट ने कहा, "मुझे लगता है कि बिश्नोई एक सुपरस्टार हैं। वह आने वाले कई सालों के लिए कुछ खास होने जा रहे हैं। वह हमारे गेंदबाजी आक्रमण में असली अंतर ला रहे हैं। बिश्नोई हमें विविधता देने में सक्षम रहे है, और विकेट भी लेते हैं।"
पंजाब ने केकेआर को 20 ओवर में सात विकेट पर 165 रनों पर रोकने के बाद तीन गेंदें शेष रहते पांच विकेट से मुकाबला जीता था। इस जीत के साथ ही उसने प्लेऑफ के लिए अपनी उम्मीदों को जिंदा रखा है। (आईएएनएस)
दुबई, 2 अक्टूबर | इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर केविन पीटरसन का मानना है कि वेस्टइंडीज के क्रिस गेल के यूएई में पंजाब किंग्स के बायो-बबल को छोड़ने और टी20 विश्व कप के लिए खुद को तैयार करने के फैसले का एक कारण उनके साथ सही व्यवहार नहीं किया जाना भी था। आईपीएल की फ्रेंचाइजी ने 30 सितंबर को बयान जारी कर कहा था कि गेल बबल की परेशानी और आने वाले महीने में होने वाले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को देखते हुए पंजाब किंग्स का टीम होटल छोड़ रहे हैं और बायो-बबल से हट रहे हैं।
पीटरसन ने हालांकि स्टार स्पोटर्स से कहा, "गेल के साथ सही व्यवहार नहीं हआ। उन्हें लगता है कि वे उनका इस्तेमाल कर रहे हैं और उनसे छुटकारा पा रहे हैं। उनके जन्मदिन पर उन्हें नहीं खेलाया गया। अगर वह खुश नहीं हैं तो उन्हें वो करने दें जो वह चाहते हैं।"
इस सीजन गेल ने पंजाब के लिए 10 मुकाबले खेले और 193 रन बनाए।
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने भी कहा कि पंजाब को शेष मुकाबलों में गेल की कमी खलेगी।
गावस्कर ने कहा, "गेल जैसा गेम-चेंजर, अगर वह टीम में नहीं है, तो 100 प्रतिशत यह एक बड़ा नुकसान है। मुझे नहीं पता कि कैलकुलेशन क्या है। स्पष्ट रूप से केवल चार विदेशी खिलाड़ी ही खेल सकते हैं लेकिन वह गेम-चेंजर हैं।" (आईएएनएस)
संयुक्त राष्ट्र, 2 अक्टूबर | संयुक्त राष्ट्र के मानवतावादियों ने कहा कि शत्रुता, एक आर्थिक संकट और कोविड-19 महामारी ने उत्तर पश्चिमी सीरिया में नागरिकों की पहले से ही विकट स्थिति को और भी कठिन बना दिया है। सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) के हवाले से कहा कि दक्षिणी इदलिब में अग्रिम पंक्ति में हवाई हमलों और हिंसा की लगभग दैनिक रिपोर्टों के साथ पूरे सितंबर में उत्तर पश्चिमी सीरिया में शत्रुता की खबरें आती रहीं।
संयुक्त राष्ट्र भी कोविड-19 मामलों में स्पाइक के बारे में बेहद चिंतित है, जिसमें प्रति दिन 1,000 से अधिक लोग उत्तर पश्चिमी सीरिया में जांच में पॉजिटिव आ रहे हैं।
ओसीएचए ने कहा कि पिछले महीने अकेले पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या में 170 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, या 71,715 से अधिक मामलों में वृद्धि हुई है।
गंभीर ऑक्सीजन की कमी के शीर्ष पर, कोविड-19 के परीक्षण के लिए सीमित उपकरण एक समस्या है।
इसके अलावा, चेतावनी दी गई है कि उत्तर-पश्चिम में 3 प्रतिशत से भी कम आबादी को टीका लगाया जाता है। 1.6 मिलियन लोगों के भीड़ भरे शिविरों में रहने के साथ, कोविड-19 का प्रसार एक अतिभारित प्रणाली पर और कर लगाएगा।
इसके अलावा, उत्तर पश्चिमी सीरिया में 97 प्रतिशत आबादी अत्यधिक गरीबी में रहती है, जो भोजन, दवा और अन्य बुनियादी सेवाओं के लिए मानवीय सहायता पर निर्भर करती है।
तुर्की से सीमा-पार तंत्र के माध्यम से, संयुक्त राष्ट्र हर महीने लाखों लोगों को सहायता प्रदान कर रहा है, जिसमें कोविड -19 टीकों की डिलीवरी भी शामिल है। ओसीएचए ने कहा कि पहले क्रॉस-लाइन काफिले ने अगस्त के अंत में दमिश्क से उत्तर पश्चिमी सीरिया में विश्व खाद्य कार्यक्रम के गोदामों तक सहायता पहुंचाई, लेकिन और अधिक की जरूरत है।
फंडिंग गैप मानवीय सहायता के वितरण को सीमित कर रहा है, जीवन रक्षक सहायता के लिए आवश्यक 513 मिलियन डॉलर की लगभग दो-तिहाई आवश्यकता प्राप्त नहीं हुई है।
संयुक्त राष्ट्र सभी पक्षों से नागरिकों और नागरिक बुनियादी ढांचे की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत अपने दायित्वों को लागू करने का आह्वान करता रहता है और सभी सदस्य राज्यों से पूरे सीरिया में जरूरतमंद लोगों को अपने उदार दान को जारी रखने और बढ़ाने का आह्वान करता है। (आईएएनएस)
काबुल, 2 अक्टूबर | तालिबान की कार्यवाहक सरकार के उप प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने राष्ट्रों से अफगान दूतावासों को फिर से खोलने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि इस्लामिक अमीरात की 'किसी भी देश को नुकसान पहुंचाने की कोई नीति नहीं है'। इसकी जानकारी मीडिया रिपोर्ट से सामने आई है। टोलो न्यूज की शुक्रवार की रिपोर्ट के अनुसार बरादर ने पिछले दिन एक बैठक के दौरान यह टिप्पणी की जिसमें रूस, चीन और पाकिस्तान के राजदूतों और कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी सहित अन्य तालिबान अधिकारियों ने भाग लिया था।
कतर में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने एक ट्वीट में बरादर का हवाला देते हुए कहा, "अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात दुनिया के देशों के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं। अगर किसी को हमारे साथ कोई समस्या है, तो हम बातचीत और समझ के माध्यम से इसे हल करने के लिए तैयार हैं। हम दूसरों को नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं रखते हैं और भविष्य में अफगानिस्तान शांति का घर होगा।"
टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, मुत्ताकी ने एक बयान में कहा, "जहां तक हमारे संबंधों का सवाल है, हम घर में सुशासन का एक नया राजनीतिक अध्याय और क्षेत्र और दुनिया के साथ एक नया राजनीतिक अध्याय खोलना चाहते हैं।" (आईएएनएस)