अंतरराष्ट्रीय
-स्वामीनाथन नटराजन और अहमन ख़्वाजा
अब धीरे-धीरे पाकिस्तान में बाढ़ पीड़ितों को मदद पहुँचनी शुरू हो गई है.
लेकिन अब भी भयंकर बाढ़ के कारण विस्थापित लाखों लोगों तक मदद नहीं पहुँच पा रही है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री हिना रब्बानी ख़ार ने देश में बाढ़ को 'प्रलय जैसा संकट' बताया है.
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के बेहद ग़रीब लोग न के बराबर कार्बन उत्सर्जन करते हैं लेकिन जलवायु परिवर्तन की सबसे बड़ी मार उन्हें ही पड़ रही है."
पाकिस्तान का एक तिहाई हिस्सा पानी में डूबा हुआ है. बाढ़ में अब तक कम से कम एक हज़ार लोग मारे जा चुके हैं. एक अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान को बाढ़ से करीब 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है.
'मैंने पानी से लाशें निकाली हैं'
बीबीसी ने पाकिस्तान में कुछ ऐसे लोगों से बात की है जिन्होंने अपना सबकुछ गंवा दिया है.
अब इन लोगों को किसी भी तरह की मदद का इंतज़ार है.
मोहम्मद अवेस तारिक़ कहते हैं, "मेरे यहाँ कई लोगों की मौत हुई है. मैं और मेरे साथियों ने बाढ़ के पानी से 15 से अधिक लाशें निकाली हैं."
बीस वर्षीय मोहम्मद अवेस तारिक़ डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे हैं और इस्लामाबाद से 490 किलोमीटर दूर तौंसा शरीफ़ नाम के क़स्बे में रहते हैं.
क़स्बे का अधिकतर हिस्सा जलमग्न है. इसी में शहर का कब्रिस्तान भी शामिल है.
बाढ़ की मार झेल रहे कई लोग ख़ुद को प्लास्टिक शीट से ढक कर ही काम चला रहे हैं. नीचे बाढ़ का पानी और आसमान से गिरती बारिश लोगों को राहत की सांस नहीं लेने दे रही है
"कब्रिस्तान में कोई सूखी जगह बची ही नहीं है. पूरा इलाक़ा पानी में डूबा पड़ा है. इसलिए हमने फ़ैसला किया कि मृतकों को उनके घर में दफ़ना दिया जाए."
बाढ़ के पानी में डूब कर मरे कई लोगों को लाशें अब लापता हैं. इन्हीं लाशों को खोजते हुए तारिक़ को एहसास हुआ कि बाढ़ के विषय में कोई पूर्वानुमान या चेतावनी न होने के परिणाम कितने भयंकर हो सकते हैं.
तारिक़ बताते हैं, "मैंने अपने शहर के करीब एक गांव में एक पांच साल के बच्चे को कीचड़ से सना हुआ पाया. मुझे वहां लोगों ने बताया कि कुछ ही घंटे पहले फ़्लैश फ़्लड आया था और उसमें ये बच्चा और उसके पिता फंस गए थे."
"पिता ने किसी तरह से बच्चे को तो सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दिया लेकिन ख़ुद को नहीं बचा पाए."
गांव वालों ने किसी तरह से पिता के शव को निकाल लिया और लड़का अब अपनी मां के पास सुरक्षित है.
तारिक़ बताते हैं, "10 से 22 अगस्त के बीच हमारा इलाक़ा जलमग्न था. लेकिन अब बारिश रुक गई है. और पानी का स्तर नीचे आ रहा है."
तारिक़ ने ये भी बताया कि अब गांव के लोग शहरों का रुख़ कर रहे हैं ताकि पानी से बचाव हो सके और कहीं सिर छिपाने के लिए सुरक्षित जगह मिल जाए. और इस वजह से उन जगहों पर भी असर पड़ रहा है जो शुरुआत में बाढ़ से बच गई थीं.
तारिक़ का ख़ुद का घर पानी में डूबा पड़ा है. उनके क़स्बे में कई लोगों के घर पानी में पूरी तरह से डूबे पड़े हैं. लेकिन क़रीब एक हफ़्ते बाद बिजली लौट आई है जिससे स्थानीय लोगों को राहत है.
'झील के पानी से बह गए कई घर'
34 वर्षीय पीरज़ादा प्रॉपर्टी डीलर हैं और ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह प्रांत के बुनी इलाक़े में रहते हैं.
पीरज़ादा कहते हैं, "मेरे इलाक़े में कम से कम छह गांव बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित हैं. बहुत सारे लोगों के घर तबाह हो गए हैं. सौ से अधिक घर बाढ़ में बह गए हैं."
"बाढ़ का का पानी बुनी इलाक़े में तो नहीं पहुँचा है पर आस-पास के गांवों में भीषण तबाही हुई है. यहां भारी बारिश हुई है. साथ ही कुछ झीलों का पानी भी उफान पर रहा है. इन सभी कारणों से भयंकर बाढ़ आई है."
पीरज़ादा कहते हैं कि आस-पास के गांवों में किसी के मरने की तो उन्हें जानकारी नहीं है लेकिन उनके यहाँ सैकड़ों लोग विस्थापित हो चुके हैं और वे सभी अब टेंटों मे रह रहे हैं.
उन्होंने बीबीसी को बताया कि बहुत सारे घरों में घुटने तक कीचड़ भरा हुआ है और लोगों को पीने के पानी और ज़रूरत के बाक़ी सामान की भारी क़िल्लत है.
पीरज़ादा कहते हैं कि उनके क़स्बे में ग्लेशियर से बनी झील के पानी से सैंकड़ों घर डूब चुके हैं
'हम बाढ़ प्रभावित नहीं हैं इसलिए मदद कर रहे हैं'
पीरज़ादा ने बीबीसी को बताया, "लोगों को ठंड से बचने के लिए स्वेटर चाहिए, कंबल चाहिए क्योंकि यहां काफ़ी ठंड हो गई है. सितंबर के अंत तक यहाँ का तापमान शून्य से नीचे चला जाएगा. तब लोग टेंटों में नहीं रह पाएंगे."
पाकिस्तान पंजाब के गुजरात ज़िले के मुबीन अंसार ने भी बीबीसी से बात की.
वो बताते हैं कि उनके यहाँ बाढ़ नहीं आई है. वे उन लोगों को मदद में व्यस्त हैं जो बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं.
"दरअसल हमारे इलाक़े में कोई बाढ़ नहीं है. इतनी बारिश भी नहीं हुई है. अब हम अपने लोगों से बाढ़ प्रभावितों की मदद की गुहार कर रहे हैं."
हर संभव मदद की कोशिश
मुबीन 300 लोगों के अपने गांव से बाढ़ पीड़ितों के लिए कपड़े इकट्ठा कर रहे हैं.
"हम लोगों से मदद मांगने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं. हम मस्जिद में भी राहत सामग्री जमा कर रहे हैं. "
अंसार बताते हैं कि उन लोगों ने अब तक कपड़ों, चावल और दालों से भरा एक ट्रक बाढ़ पीड़ितों को दान कर दिया है.
"हम अब बेबी फ़ूड और सैनेटरी नैपकिन ख़रीदने की योजना बना रहे हैं."
अंसार के गांव वालों ने लोगों की मदद के लिए करीब चार लाख रुपये भी जमा किए हैं. अंसार और उनके दोस्त हर संभव मदद की कोशिश कर रहे हैं. (bbc.com/hindi)
मुंबई, 3 सितंबर | बॉम्बे हाईकोर्ट ने औरंगाबाद के एक व्यक्ति द्वारा दायर मामले में पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई), माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स और केंद्र को नोटिस जारी किया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उनकी मेडिको बेटी की मौत कोविशील्ड वैक्सीन के साइड-इफेक्ट्स के कारण हुई थी और मुआवजे के तौर पर एक हजार करोड़ रुपये की मांग की। याचिकाकर्ता दिलीप लुनावत ने तर्क दिया है कि उनकी 33 वर्षीय बेटी स्नेहल लुनावत, जो नासिक के एसएमबीटी डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में सीनियर लेक्चरर भी थीं, को अन्य सभी स्वास्थ्यकर्मियों के साथ वैक्सीन लेने के लिए मजबूर किया गया था।
दिलीप लूनावत ने कहा कि उनकी बेटी को आश्वासन दिया गया था कि टीके पूरी तरह से सुरक्षित हैं और इससे उसके शरीर को कोई खतरा नहीं है, फिर भी 1 मार्च, 2021 को उनकी बेटी की मौत हो गई। उसे 28 जनवरी, 2021 को टीका लगा था और उसका प्रमाणपत्र भी है।
उन्होंने कहा कि कुछ दिनों बाद उसे गंभीर सिरदर्द और उल्टी का सामना करना पड़ा और उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों को उसके मस्तिष्क में रक्तस्राव होने का पता चला। लूनावत की याचिका के अनुसार, टीके के कथित दुष्प्रभावों के कारण उनकी बेटी ने बाद में दम तोड़ दिया।
उन्होंने याचिका में ड्रग कंट्रोलर-जनरल ऑफ इंडिया, डॉ. वी.जी. सोमानी और एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया जैसे विशेषज्ञों के विचारों और साक्षात्कारों का भी हवाला दिया।
फरवरी 2022 में दायर अपनी याचिका में दिलीप लुनावत ने कहा कि 2020 में एसआईआई, पुणे ने बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ साझेदारी की, ताकि अन्य तीसरी दुनिया के देशों के लिए भारत में कोविशील्ड टीकों की 10 करोड़ खुराक का निर्माण और वितरण की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके।
याचिका में कहा गया है, "याचिकाकर्ता ने अपनी बड़ी बेटी को खो दिया। उसके नुकसान को न तो शब्दों में समझाया जा सकता है और न ही पैसे के रूप में मुआवजे से भरपाई की जा सकती है।"
परिवार को अंतरिम मुआवजे के रूप में 1,000 करोड़ रुपये की मांग करते हुए याचिका में कहा गया है कि मुआवजा देकर केवल किसी प्रकार की सहायता की जा सकती है।
दिलीप लुनावत ने यह घोषणा करने की भी मांग की कि राज्य के अधिकारी उनकी बेटी की मौत के लिए 'झूठे बयानों' के लिए जिम्मेदार हैं। साथ ही कहा, अधिकारियों को नागरिकों की और मौतों को रोकने और टीकों के दुष्प्रभावों को प्रकाशित करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
याचिका में आग्रह किया गया है कि राज्य के अधिकारियों को एसआईआई से मुआवजे की राशि वसूल करने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए, जिसने कोविशील्ड वैक्सीन का निर्माण किया था। (आईएएनएस)|
इस्लामाबाद, 3 सितम्बर | न्यूली फॉर्म्ड नेशनल फ्लड रिस्पांस एंड कॉर्डिनेटर सेंटर (एनएफआरसीसी) की पहली बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान संघीय योजना मंत्री अहसान इकबाल ने शनिवार को कहा कि पाकिस्तान इस समय दुनिया के सबसे बड़ी जलवायु त्रासदी से जूझ रहा है।
इस साल, देश के उन क्षेत्रों में मानसून प्रभावित हुआ, जहां आमतौर पर अधिक बारिश नहीं होती है और जिन क्षेत्रों में हर साल भारी वर्षा होती है, उन क्षेत्रों को इस बार मानसून ने बख्श दिया।
समा टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, मंत्री ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि पाकिस्तान ने 30 साल के औसत की तुलना में इस साल अधिक बारिश हुई है। जिसके चलते पूरे क्षेत्र में भयंकर बाढ़ आई है।
मंत्री ने कहा, पाकिस्तान द्वारा सामना की गई आपदा के पैमाने की तुलना अमेरिका में तूफान कट्रीना से हुई तबाही से की जा सकती है, जिसने प्राकृतिक आपदा के सामने दुनिया की महाशक्ति को असहाय बना दिया।
उन्होंने कहा कि देश साहस के साथ विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रहा है और जल्द ही लोगों के सहयोग से विजय भी प्राप्त करेगा।
मंत्री ने आगे बताया कि सिंध और बलूचिस्तान के कुछ क्षेत्रों में जहां आमतौर पर 40 मिमी से कम बारिश होती है, वहां लगभग 1,500 मिमी बारिश हुई, जिसके चलते भारी नुकसान हुआ।
उन्होंने आगे कहा कि दक्षिण पंजाब के कई हिस्सों में, खासकर खैबर पख्तूनख्वा और गिलगित-बाल्टिस्तान में मूसलाधार बारिश और बाढ़ के कारण भारी नुकसान की खबरें सामने आई।
उन्होंने कहा, पहाड़ी क्षेत्रों में हुई मसूलाधार बारिश के कारण आई बाढ़ में कम से कम दस लाख घर बह गए और 5,000 किमी सड़क क्षतिग्रस्त हो गई।
मंत्री द्वारा साझा की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि बलूचिस्तान के कुल 34 जिले 1.2 मिलियन एकड़ से अधिक भूमि में फैले हुए हैं, जिनमें से लासबेला सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
देश में जून के मध्य से आई विनाशकारी बाढ़ में अब तक कम से कम 1,265 लोगों की मौत हो गई।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के अनुसार, बाढ़ में 12,577 लोग घायल हुए हैं, जबकि 320,680 घर नष्ट हो गए हैं। वहीं 3,766 जानवरों की जान चली गई है।
एनडीएमए ने कहा कि बाढ़ से अब तक 169,676 लोगों को बचाया गया है। मौजूदा समय में 627,793 लोग में शिविरों में रह रहे हैं। (आईएएनएस)|
अमृतसर, 3 सितम्बर (आईएएनएस)| संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) में भारतीय राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने कहा कि भारत और अमेरिका पांच प्रमुख क्षेत्रों में घनिष्ठ संबंध विकसित कर रहे हैं, जो दोनों देशों के लिए मददगार साबित हो सकते हैं। तरणजीत सिंह संधू ने शनिवार को अमृतसर का दौरा किया।
अमृतसर के रहने वाले संधू ने स्वर्ण मंदिर में मत्था टेका और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रधान कार्यालय तेजा सिंह समुंदरी हॉल का दौरा किया, जिसका नाम उनके दादा तेजा सिंह समुंदरी के नाम पर रखा गया था।
उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों रक्षा और रणनीतिक मामलों, स्वास्थ्य देखभाल, पर्यावरण सहित ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, सौर और बैटरी प्रौद्योगिकी, आईटी, डिजिटल स्टार्टअप और इनोवेशन आदि के क्षेत्रों में एक मजबूत और घनिष्ठ संबंध विकसित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अमेरिका में आपूर्ति की जाने वाली जेनेरिक दवाओं में से 55 प्रतिशत भारत में निर्मित होती हैं, जो कि विशेष रूप से मुद्रास्फीति के दौरान सस्ती दवा की अपार क्षमता को दर्शाता है।
पोलैंड, 3 सितंबर । अमेरिका के बाद अब पोलैंड में भारतीयों को नस्लीय आधार पर निशाना बनाया गया है. सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक शख़्स एक भारतीय को 'परजीवी' कहते हुए भारत लौटने के लिए बोल रहा है.
यूरोपीय देश पोलैंड के इस वीडियो में एक विदेशी व्यक्ति सड़क पर चलते एक भारतीय शख़्स को रोकता है और पूछता है कि आप पोलैंड में क्यों रह रहे हैं.
इस पर भारतीय शख़्स उनका वीडियो बनाने से मना करता है लेकिन विदेशी व्यक्ति कहता है, ''क्योंकि मैं अमेरिका से हूं. अमेरिका में आप जैसे कई लोग हैं. आप यहां क्यों हैं? क्या आपको लगता है कि आप पोलैंड में घुसपैठ कर रहे हैं? आपका अपना देश है. आप वहां क्यों नहीं जाते? आप भारत क्यों नहीं जाते, क्या आप भारत से हैं?''
इस पर भारतीय शख़्स फिर से वीडियो बनाने से मना करता है लेकिन, विदेशी व्यक्ति कहता है, ''मैं आपको फ़िल्म कर सकता हूं क्योंकि ये हमारा देश है. मैं यूरोपीय हूं और ये मेरा अधिकार है. यूरोपीय लोग जानना चाहते हैं कि आप हमारे देश में घुसपैठ क्यों करना चाहते हैं.''
''आप सफ़ेद लोगों की ज़मीन पर क्यों आ रहे हैं, हमारी कड़ी मेहनत का हिस्सा लेने के लिए. आप अपने देश को मज़बूत क्यों नहीं करते? आप परजीवी क्यों बन रहे हैं. आप हमारी नस्ल का नरसंहार कर रहे हैं. आप घुसपैठिये हैं.''
इस वीडियो में कभी-कभी नस्लीय टिप्पणी करने वाला शख़्स भी दिखाई दे रहा है. अंत में भारतीय शख़्स फ़ोन पर कुछ बात करता है और उसके बाद दोनों अलग-अलग रास्ते पर चले जाते हैं.
इस वीडियो का भारत में सोशल मीडिया पर विरोध हो रहा है और दुर्व्यवहार करने वाले शख़्स को पकड़े जाने की मांग हो रही है.
इससे पहले अमेरिका के टेक्सास से भी एक वीडियो सामने आया था जिसमें एक महिला भारतीय मूल की चार महिलाओं के ख़िलाफ़ नस्लीय टिप्पणियां कर रही थीं.
इस अमेरिकी-मैक्सिकन महिला ने मारपीट की और बंदूक दिखाकर गोली मारने की धमकी भी दी. बाद में मैक्सिको की पुलिस ने आरोपी महिला को गिरफ़्तार कर लिया है. (bbc.com/hindi)
संयुक्त राष्ट्र, 3 सितंबर | सयुंक्त राष्ट्र भोजन, साफ पानी और अन्य आपातकालीन राहत आपूर्ति प्रदान करके बाढ़ प्रभावित पाकिस्तान की मदद कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के सहयोगी प्रवक्ता एरी कानेको ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता में कहा, संयुक्त राष्ट्र की टीम ने मानवीय सहयोगियों के साथ 300,000 लोगों को भोजन सहायता और 55,000 लोगों को साफ पानी उपलब्ध कराया है।
कानेको ने कहा, "हमारे सहयोगियों ने प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करने के लिए 14 मोबाइल क्लीनिक भी तैनात किए हैं।"
इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र की टीम और मानवीय सहयोगियों ने देश में शरणार्थी और मेजबान समुदायों को टेंट, प्लास्टिक तिरपाल, खाना पकाने के स्टोव, कंबल, सोलर लैंप और स्लीपिंग मैट समेत 71,000 से अधिक आपातकालीन राहत सामग्री वितरित की है।
कानेको ने कहा कि सहायता की आपूर्ति और लोगों के लिए सुरक्षित स्थानों तक पहुंच एक बड़ी बाधा बनी हुई है, कुल मिलाकर 5,000 किमी से अधिक सड़कें और 243 पुल क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गए हैं।
प्रवक्ता के अनुसार, पाकिस्तान में 11 लाख से अधिक घर क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गए हैं। 470,000 से अधिक लोग शिविरों में रह रहे हैं।
रिकॉर्ड मॉनसून बारिश ने पाकिस्तान के एक तिहाई हिस्से को जलमग्न कर दिया है। जून के बाद से एक हजार से अधिक लोगों की जान चली गई है। फसलें बर्बाद हो गई हैं और 10 लाख से अधिक घरों को क्षतिग्रस्त हो गए हैं। (आईएएनएस)|
श्रीलंका में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद देश छोड़कर गए पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे अब वापस लौट आए हैं. गोटाबाया राजपक्षे पहले अस्थायी वीज़ा के साथ थाईलैंड में रह रहे थे और उसके बाद वो सिंगापुर गए थे.
बताया जा रहा है कि कुछ श्रीलंकाई मंत्रियों की उनसे एयरपोर्ट पर भी मुलाक़ात हुई है.
श्रीलंका में ख़राब आर्थिक हालात और बढ़ती महंगाई को लेकर इसी साल जुलाई में ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए थे. श्रीलंका में पेट्रोल और खाने के सामान की कमी हो गई थी और चीज़ों के दाम बेतहाशा बढ़ गए थे.
लोगों ने देश के इन हालात के लिए गोटाबाया सरकार को ज़िम्मेदार बताया था और अप्रैल से ही इसका विरोध हो रहा था.
विरोध प्रदर्शन इतने उग्र हो गए थे कि प्रदर्शनकारी गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफ़े की मांग करते हुए राष्ट्रपति के सरकारी आवास में घुस गए थे. उन्होंने प्रधानमंत्री के निजी आवास को आग के हवाले कर दिया था.
इसके बाद गोटाबाया राजपक्षे सैन्य विमान से देश छोड़कर मालदीव चले गए थे और इसके बाद सिंगापुर पहुंचे थे. वहीं, से उन्होंने अपना इस्तीफ़ा भेजा था. उनके बाद रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका के राष्ट्रपति बने थे.
वापस लौटने पर विरोध का डर
गोटाबाया राजपक्षे का वापस लौटना फिर से विवाद पैदा कर सकता है जबकि मौजूदा सरकार और ज़्यादा विरोध प्रदर्शन नहीं चाहती है.
विरोध प्रदर्शनकारियों के एक प्रमुख नेता फादर जीवंथा पीरिस ने बीबीसी से कहा, ''हम राजपक्षे के आने का विरोध नहीं करते. कोई भी श्रीलंकाई नागरिक देश वापस आ सकता है. लोग उनकी सरकार के कथित भ्रष्टाचार के कारण सड़कों पर निकले थे. हमारी उनसे कोई निजी दुश्मनी नहीं है.''
वहीं, दूसरे प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वो राजपक्षे के फिर से राजनीति या सरकार से जुड़ने की कोशिशों का विरोध करेंगे.
श्रीलंकाई मीडिया के मुताबिक़, सरकार गोटाबाया राजपक्षे को सेंट्रल कोलंबिया के एक घर में रख सकती है लेकिन ये साफ़ नहीं है कि वो सीधे घर जाएंगे या पहले किसी सुरक्षित सैन्य ठिकाने पर जाएंगे.
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बीबीसी को बताया कि गोटाबाया राजपक्षे को पूर्व राष्ट्रपति के तौर पर सुरक्षा दी जाएगी.
-सारा स्मिथ और मैक्स माट्ज़ा
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप के नारे 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' का समर्थन करने वाले लोग देश के लोकतंत्र के लिए ख़तरा हैं.
पेनसिल्वेनिया में एक अहम भाषण के दौरान राष्ट्रपति बाइडन ने कहा, "ऐसे लोगों ने देश को पीछे ले जाने का पक्का इरादा कर लिया है."
हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव्स में रिपल्बिकन पार्टी के नेता केविन मैकार्थी ने राष्ट्रपति बाइडन पर कहा, "बाइडन ने अमेरिका की आत्मा पर गहरे घाव दिए हैं."
अमेरिका में दोनों नेताओं के ये तीखे भाषण मध्यावधि चुनावों के ठीक दो महीने पहले हुए हैं. ये चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इसके नतीज़ों से वॉशिंगटन में सत्ता का संतुलन तय होगा.
डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति ने गुरुवार रात के इस भाषण के लिए वेन्यू के तौर पर फिलाडेल्फिया के इंडिपेंडेंस हॉल को चुना. यही वो जगह है जहां अमेरिका की स्वतंत्रता के घोषणापत्र पर दस्तखत हुए थे.
साल 2020 में जब जो बाइडन ने अपनी चुनावी मुहिम शुरू की थी तो 'अमेरिका की आत्मा' को फिर से पहले जैसा करने का नारा बुलंद किया था.
उन्होंने कहा, "दो साल पहले ट्रंप के लिए वोट देने वाले 7 करोड़ 40 लाख अमेरिकियों की मैं आलोचना नहीं करता हूं. हरेक रिपब्लिकन, यहां तक ज़्यादातर रिपब्लिकंस भी 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' (मागा) के एजेंडे का समर्थन नहीं करते हैं."
जो बाइडन ने कहा, "लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि आज की तारीख़ में रिपब्लिकन पार्टी पर डोनाल्ड ट्रंप और मागा रिपब्लिकंस का गहरा असर है और ये देश के लिए ख़तरा है."
राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि यूएस कैपिटल पर हमला बोलने वाले ट्रंप समर्थकों की भीड़ खुद को देशभक्त मानती थी न कि बलवाई.
उन्होंने कहा, "लंबे समय तक हम खुद से ये कहते रहे कि अमेरिकी लोकतंत्र एक गारंटीशुदा चीज़ है लेकिन ऐसा नहीं है. हमें इसकी रक्षा करनी होगी. इसे सहेजना होगा. इसके लिए स्टैंड लेना होगा. और ये हममें से हरेक की जिम्मेदारी है."
बाइडन के भाषण के जवाब में केविन मैकार्थी के अलावा पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी अपने नारे 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' का बचाव किया है. ट्रंप ने कहा कि उनके विरोधी ने 'अमेरिका को धमकाया' है.
बाइडन के भाषण के समय वहां मौजूद बीबीसी संवाददाता ने बताया कि एक शख़्स जो शायद उनसे असहमत था, उसने विरोध में नारेबाज़ी भी की.
बाइडन ने अपने भाषण के दौरान दो बार उस शख़्स को संबोधित किया. दूसरी बार उन्होंने कहा, "उन्हें नाराज़गी जताने का हक है. यही लोकतंत्र है."
देश में एकता का माहौल बनाने का वादा करके राष्ट्रपति बनने वाले जो बाइडन ने हाल के समय में डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों पर अपने हमले तेज़ किए हैं.
पिछले हफ़्ते जो बाइडन ने 'कट्टरपंथी रिपब्लिकंस' को 'फासीवादी' करार दिया था.
केविन मैकार्थी का भाषण
हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव्स में रिपल्बिकन पार्टी के नेता केविन मैकार्थी ने बाइडन के संबोधन से थोड़ी देर पहले बाइडन के होमटाउन स्क्रैंटन से अपना भाषण दिया.
कैलिफोर्निया से कांग्रेस सदस्य कैविन मैकार्थी ने कहा, "राष्ट्रपति बाइडन ने अपने साथी अमेरिकियों को बांटने, अपमानित करने और नीचा दिखाने का रास्ता चुना है. क्यों? सिर्फ़ इसलिए क्योंकि वे ट्रंप की नीतियों से असहमत हैं. ये नेतृत्व नहीं है."
कैविन मैकार्थी ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडन को करोड़ों अमेरिकियों से फासीवादी कहकर लांछने लगाने के लिए माफी मांगनी चाहिए.
रिपब्लिकन पार्टी के इस नेता ने कहा कि बाइडन प्रशासन ने अमेरिका पर महंगाई, खुली सीमाएं, कोविड की वजह से स्कूलों की बंदी, अफ़ग़ानिस्तान से प्रतिकूल परिस्थितियों में सैनिकों की वापसी और दो दशकों में देश में अपराध का रिकॉर्ड स्तर जैसी समस्याएं थोप दी हैं.
उन्होंने कहा, "पिछले दो साल में जो बाइडन ने अमेरिका की आत्मा, अमेरिकी लोगों, उसके क़ानूनों और देश के सबसे पवित्र मूल्यों पर हमला किया है. उन्होंने हमारे लोकतंत्र पर हमला बोला है. उनकी नीतियों ने अमेरिका की आत्मा को गहरे ज़ख्म दिए हैं, अमेरिका का मनोबल कमज़ोर किया है, उसका भरोसा तोड़ा है."
बाइडन की कोशिश
डोनाल्ड ट्रंप ने बाइडन की आलोचना का जवाब अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रूथ' पर दिया है. उन्होंने कहा, "अगर वे अमेरिका को फिर से महान नहीं बनाना चाहते हैं तो उन्हें अमेरिका प्रतिनिधित्व निश्चित रूप से नहीं करना चाहिए."
बीबीसी के नॉर्थ अमेरिका रिपोर्टर एंथनी ज़र्शर ने कहा, "पिछले एक साल में पहली बार राष्ट्रपति जो बाइडन की राजनीतिक रेटिंग का ग्राफ़ ऊपर जाता हुआ दिख रहा है. उनकी अप्रूवल रेटिंग 'बहुत ख़राब' से सुधरकर 'ख़राब' पर आई है. इससे भी ज़्यादा ये हो रहा है कि राष्ट्रपति बाइडन के निजी संघर्ष डेमोक्रेट्स के लिए चुनावी परेशानी का सबब बनते हुए नहीं दिख रहे हैं."
"हालांकि पिछले कुछ महीनों में डेमोक्रेट्स ने रिपब्लिकंस के मुक़ाबले अच्छा प्रदर्शन किया है. बाइडन की किस्मत अच्छी चल रही है लेकिन इसमें उनके किसी योगदान का असर नहीं दिखता. वे हाल में कोविड से संक्रमित हुए और राष्ट्रपति के तौर पर उनकी शक्तियों की सीमाएं भी सामने आईं. लेकिन किसी अच्छी ख़बर का क्रेडिट लेने से किसी राजनेता को कभी नहीं रोका जा सकता है.
राष्ट्रपति बाइडन का गुरुवार का भाषण भी उसी दिशा में था मानो वे हालात ठीक रहने की सूरत में उसका क्रेडिट लेने की परिस्थितियां तय करना चाहते हों. अमेरिकी लोकतंत्र को ख़तरा और मध्यावधि चुनाव में बहस का रुख इसी मुद्दे के इर्द-गिर्द रहे, बाइडन की कोशिश इसी पर फोकस लग रही है. और अगर हालात अनुकूल नहीं रहे तो इसका ठीकरा भी उन्हीं के सिर पर फूटेगा.
मतदाताओं का नज़रिया
वहीं, बाइडन ने जिस जगह पर ये भाषण दिया, वहां से 120 मील की दूरी पर स्थित छोटे से शहर न्यूफाउंडलैंड के वोटर्स राष्ट्रपति की इस बात से सहमत नहीं दिखे कि लोकतंत्र को ख़तरा है.
अमेरिकियों के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चिंता पेट्रोल की क़ीमतों को लेकर है. कई मतदाताओं ने ट्रंप के समय की अर्थव्यवस्था की तुलना मौजूदा हालात से की.
लेकिन खुद को आजीवन रिपब्लिकन बताने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि वो ट्रंप या उनकी ओर से दिए गए किसी उम्मीदवार के लिए कभी वोट नहीं करेंगे.
नवंबर में जो वोट डाले जाएंगे, उसमें बैलट पेपर पर कहीं ट्रंप का नाम तो नहीं होगा लेकिन उनकी मौजूदगी को खारिज करना नामुमकिन है.
इस सप्ताहांत पर ट्रंप एक रैली को संबोधित करने जा रहे हैं. रिपब्लिकन पार्टी के कुछ उम्मीदवार इस राज्य में पूर्व राष्ट्रपति के समर्थन से चुनावी रेस में आगे बढ़ने में कामयाब रहे.(bbc.com/hindi)
ईगल पास (टेक्सास), 3 सितंबर। अमेरिकी राज्य टेक्सास के ईगल पास में बेहद खतरनाक सीमा को पार करने की कोशिश के बाद रियो ग्रांडे में कम से कम आठ शरणार्थी मृत पाए गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अमेरिका के सीमा शुल्क एवं सीमा रक्षा (सीबीपी) और मेक्सिको के अधिकारियों को बृहस्पतिवार को ये शव मिले। ऐसी जानकारी है कि बड़ी संख्या में लोगों के एक समूह ने भारी बारिश के बाद क्षेत्र से गुजरने वाली एक नदी को पार करने की कोशिश की।
सीबीपी के एक बयान के अनुसार, अमेरिकी अधिकारियों को छह शव मिले जबकि मेक्सिको के दलों ने दो अन्य शव बरामद किए। अमेरिकी अधिकारियों ने नदी से 37 अन्य लोगों को निकाला तथा 16 और शरणार्थियों को हिरासत में लिया जबकि मेक्सिको के अधिकारियों ने 39 शरणार्थियों को हिरासत में लिया।
सीबीपी ने यह नहीं बताया कि शरणार्थी किस देश के थे तथा उन्होंने बचाव एवं खोज अभियान पर और कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं दी।
सीमा पर डेल रियो सेक्टर अवैध रूप से सीमा पार करने का सबसे व्यस्त स्थान बन गया है। इसमें ईगल पास भी शामिल है। यह क्षेत्र जल्द ही टेक्सास के रियो ग्रांडे वैली को पीछे छोड़ सकता है जो पिछले एक दशक से अवैध रूप से सीमा पार करने का सबसे मुफीद स्थान रहा है।
सीबीपी ने पिछले महीने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया था कि उसे अक्टूबर से जुलाई तक इस क्षेत्र में 200 से अधिक शरणार्थियों के शव मिले हैं। (एपी)
अफगानिस्तान के हेरात शहर की मस्जिद के बाहर हुए विस्फोट में तालिबान समर्थक एक मौलवी की भी मौत हुई है. इस हमले में कुल 18 लोगों की जान गई है.
अधिकारियों का कहना है कि मुजीब रहमान अंसारी अपने भाई के साथ मारे गए. वे अफगानिस्तान में तालिबान सरकार का समर्थन करने के लिए जाने जाते थे.
इस हमले की निंदा करते हुए तालिबान ने इसे भयावह और कायरतापूर्ण बताया है. तालिबान ने कहा कि अभी तक ये साफ नहीं है कि इस हमले के पीछे कौन है.
तालिबान के एक प्रवक्ता ने ट्वीट कर कहा कि दुर्भाग्य से देश के लोकप्रिय मौलवी मुजीब रहमान अंसारी जुमे की नमाज के दौरान कायरतापूर्ण हमले में शहीद हो गए. इस्लामिक अमीरात उनकी शहादत पर गहरा दुख व्यक्त करता है. घटना के पीछे अपराधियों को उनके इस जघन्य अपराध के लिए सजा दी जाएगी.
पुलिस के मुताबिक मुजीब रहमान अंसारी शुक्रवार दोपहर की नमाज अदा करने के लिए गजरगाह मस्जिद पहुंच रहे थे, तभी एक आत्मघाती हमलावर ने मौलवी का हाथ चूमा और खुद को उड़ा लिया.
समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार मौलवी मुजीब रहमान ने तालिबान के सत्ता संभालने के बाद कहा ता कि तालिबानी झंडा आसानी से नहीं फहराया गया है और इसे आसानी से नहीं उतारा जाएगा.
फिलहाल हमले की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली है, लेकिन आतंकवादी इस्लामिक स्टेट (आईएस) पहले कई बार उनके लिए धमकी देने वाले वीडियो जारी कर चुका है. (bbc.com/hindi)
अर्जेंटीना की उपराष्ट्रपति क्रिस्टीना फ़र्नांडिज़ डि किर्चनर को एक बंदूकधारी ने सरेआम जान से मारने की कोशिश की जिसमें वो बाल-बाल बच गईं.
क्रिस्टीना फ़र्नांडिज़ अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में अपने घर के बाहर समर्थकों से मिल रही थीं, उसी समय भीड़ से एक शख़्स ने निकलकर उनके चेहरे पर पिस्तौल तान दी.
अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो फ़र्नांडिज़ ने कहा कि पिस्तौल में पाँच गोलियां भरी थीं, लेकिन जब ट्रिगर दबाया गया तो गोली नहीं चली.
किर्चनर अर्जेंटीना की राष्ट्रपति भी रह चुकी हैं और उन पर अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप हैं. वो अपने ऊपर लगे आरोपों को ख़ारिज करती आई हैं.
इसी मामले में गुरुवार को वो अदालत से सुनवाई के बाद घर लौट रही थीं, जब उनकी हत्या की कोशिश की गई.
पुलिस ने कहा कि हमलावर को हिरासत में ले लिया गया है. स्थानीय मीडिया में हमलावर की पहचान 35 वर्ष के ब्राज़ील के एक शख्स के तौर पर बताई जा रही है. हालाँकि, अभी भी हमले का कारण पता लगाने की कोशिश की जा रही है.
'हत्या की कोशिश'
इस घटना के बाद अर्जेंटीना के राष्ट्रपति एल्बर्टो फ़र्नांडिज़ ने देर रात देश को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि "क्रिस्टीना ज़िंदा बच गईं क्योंकि, किसी वजह से वो पिस्तौल नहीं चली जिसमें कि पाँच गोलियाँ भरी थीं".
राष्ट्रपति ने हमलावर की निंदा की. उन्होंने किर्चनर की हत्या की कोशिश को 1983 में लोकतंत्र वापसी के बाद देश के इतिहास की 'सबसे गंभीर' घटना करार दिया.
राष्ट्रपति ने कहा, "हम किसी से गहरे मतभेद हो सकते हैं लेकिन नफ़रती बयान नहीं दिए जा सकते क्योंकि इससे हिंसा बढ़ती है और हिंसा के साथ-साथ लोकतंत्र का रहना संभव नहीं है."
हमले के बाद उन्होंने शुक्रवार को राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया है ताकि अर्जेंटीना के लोग "जीवन, लोकतंत्र और अपनी उपराष्ट्रपति के प्रति एकजुटता प्रदर्शित कर सकें".
अर्जेंटीना की आर्थिक मामलों के मंत्री सर्जियो मैसा ने इस हमले के प्रयास को 'हत्या की कोशिश' कहा है.
उन्होंने ट्वीट किया, "जब बहस में हिंसा और नफ़रत भर जाए तो, समाज बर्बाद हो जाते हैं और इस तरह की स्थितियां पैदा होती हैं: हत्या की कोशिश की गई."
कैमरे में क़ैद हुई घटना
स्थानीय मीडिया में जो वीडियो फुटेज शेयर हो रहे हैं उनमें एक शख़्स को उपराष्ट्रपति के सिर पर बंदूक तानकर गोली चलाते देखा जा सकता है.
इसके बाद उपराष्ट्रपति ने अपना सिर नीचे कर लिया लेकिन बंदूक जाम होने की वजह से गोली नहीं चली.
सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक अन्य वीडियो में भीड़ में मौजूद लोगों को संदिग्ध हमलावर से उपराष्ट्रपति को बचाते देखा जा सकता है.
एक पुलिस प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि हमलावर शख्स को गिरफ़्तार करने के कुछ देर बाद घटनास्थल से कुछ मीटर की दूरी से बंदूक भी बरामद कर ली गई है.
69 वर्षीय क्रिस्टीन किर्चनर वर्ष 2007 से 2015 के बीच अर्जेंटीना की राष्ट्रपति रह चुकी हैं.
वे 2019 में भी चुनाव में उतरने वाली थीं मगर फिर उन्होंने घोषणा की कि वो उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ेंगी. उन्होंने अपनी जगह अपने पूर्व चीफ़-ऑफ़-स्टाफ़ अल्बर्टो फ़र्नांडीज़ को राष्ट्रपति चुनाव में उतारा जो जीतकर राष्ट्रपति बने.
किर्चनर पर आरोप हैं कि उन्होंने अपने कार्यकाल में सरकारी खजाने में हेराफेरी की. उन पर अपने व्यवसायी दोस्त लाज़ोरे बाएज़ को दक्षिणी अर्जेंटीना के सांता क्रुज़ प्रांत में सड़क निर्माण के सौदों में फ़ायदा पहुँचाने का आरोप लगाया गया.
भ्रष्टाचार के इन मामलों की सुनवाई शुरू होने के बाद हाल के दिनों में उनके घर के बाहर उनके सैकड़ों समर्थक जुटते रहे हैं.
इस मामले में दोषी पाए जाने पर उन्हें 12 साल तक की जेल की सज़ा हो सकती है और उन्हें आजीवन राजनीति से प्रतिबंधित किया जा सकता है.
उपराष्ट्रपति किर्चनर पर राष्ट्रपति रहते हुए कई और भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हैं.
उनके ख़िलाफ़ जिस मामले की सुनवाई जारी है, उसमें अगले कुछ महीनों के अंदर फ़ैसला आ सकता है.
हालांकि, सेनेट की अध्यक्ष होने के नाते किर्चनर को विशेष छूट मिली हुई है.
उन्हें तब तक जेल नहीं भेजा जा सकता, जब तक सुप्रीम कोर्ट उनकी सज़ा मंज़ूर न करे या फिर 2023 के अंत में होने वाले चुनावों में वो हार न जाएं. (bbc.com/hindi)
मास्को, 2 सितम्बर | स्विफ्ट अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणाली से रूस के अलग होने से चौंकाने वाले परिणाम हो सकते हैं। कई देश अब वैकल्पिक उपायों पर विचार कर रहे हैं। ग्यारह देश पहले ही रूसी एमआईआर भुगतान प्रणाली में शामिल हो चुके हैं और 15 से अधिक ने अपनी इच्छा व्यक्त की है, उनमें से भारत भी है।
भारत और रूस पहले से ही अपने-अपने भुगतान तंत्र को एकीकृत करने के लिए बातचीत कर रहे हैं ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार प्रभावित न हो। दोनों देशों को एक ऐसी वित्तीय प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है जो रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों से प्रभावित न हो।
जुलाई में, पहली बार, रूस से माल भारत में भूमि द्वारा भेजा गया था। नया व्यापार मार्ग, रूस से माल को मध्य एशिया और ईरान से गुजरने की अनुमति देता है। इससे एक ही बार में दो समस्याओं का समाधान होता है - स्वेज नहर से जहाज द्वारा परिवहन और प्रतिबंधों के डर का समाधान।
भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने इस साल व्यापार की मात्रा में 40 प्रतिशत की वृद्धि की भविष्यवाणी की है। एन प्लस ग्रुप और आरयूएसएएल के संस्थापक ओलेग डेरिपस्का ने अपने हालिया साक्षात्कार में इसी तरह की स्थिति की घोषणा की। वह अगले दशक में दोनों देशों के बीच 120-150 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार की क्षमता का आकलन करते हैं।
रूसी और भारतीय भुगतान प्रणालियों की पारस्परिक मान्यता तर्क संगत दिखती है। हालांकि रुपया-रूबल का व्यापार अतीत में सफल नहीं रहा है, लेकिन चल रहे भू-राजनीतिक बदलावों ने दोनों देशों को बाधाओं को हल करने के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया है।
द्विपक्षीय व्यापार भुगतान में राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग का विस्तार करने के लिए देश पहले से ही बातचीत कर रहे हैं। यह व्यवस्था अनिवार्य रूप से दोनों देशों के बीच अमेरिकी डॉलर, यूरो या ब्रिटिश पाउंड के बजाय उनकी मुद्राओं में भुगतान के निपटान की सुविधा प्रदान करती है।
एसजेएम के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने इंडिया नैरेटिव को बताया, "रूस के खिलाफ मौजूदा स्थिति और प्रतिबंधों को देखते हुए भुगतान प्रणाली अब रणनीतिक है। भुगतान प्रणाली में आत्मनिर्भर होना अत्यंत महत्वपूर्ण है और हमें उस दिशा में काम करने की आवश्यकता है।"
महाजन ने कहा, "हमारी अपनी भुगतान प्रणाली है, हमें यह देखने की जरूरत है कि इसकी वैश्विक स्वीकृति कैसे बढ़ाई जाए।" उन्होंने कहा कि भारत को रूस के स्वदेशी एमआईआर के साथ अपनी भुगतान प्रणाली को एकीकृत करने का प्रयास करना चाहिए।
इस प्रकार, स्विफ्ट से रूस को अलग करने के अमेरिका के कदम ने वैश्विक व्यापार के डी-डॉलराइजेशन की आवश्यकता पर भी ध्यान केंद्रित किया है।
वर्तमान भू-राजनीतिक और आर्थिक संदर्भ में, नए रणनीतिक गठबंधनों का निर्माण और स्थानीय बाजार-उन्मुख प्रणालियों का विकास भारत और पूर्व के अन्य देशों के लिए लाभ प्राप्त करने के लिए एक जरूरी कदम है। (आईएएनएस)|
पेरिस, 2 सितम्बर | फ्रांस की प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न ने कहा है कि कंपनियों के लिए इस सर्दी में बिजली कटौती 'संभव' है। फ्रांस इंटर द्वारा रूसी गैस कटौती और फ्रांस के कई परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की अनुपलब्धता के कारण ऊर्जा की कमी के बारे में पूछे जाने पर बोर्न ने गुरुवार को कहा कि ये बिजली कटौती केवल कंपनियों को चिंतित करेगी।
उन्होंने जोर देकर कहा, "मैं पुष्टि करती हूं कि भले ही सर्दी के मौसम में हमें आपूर्ति की समस्या का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन घरों में गैस की कटौती नहीं होगी।"
बोर्न ने कहा, गैस कटौती के संभावित परिणामों का आकलन करने के लिए कंपनियों के साथ चर्चा चल रही है।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, उन्होंने कहा कि उपभोग के अधिकार का तंत्र कंपनियों को अपनी कटौती का आदान-प्रदान करने की अनुमति देगा।
उन्होंने आगे कहा, "जिस कंपनी को ऐसा लगता है कि हम कटौती करने जा रहे हैं, वह उस कंपनी से सहमत हो सकती है जिसके लिए यह कम गंभीर होगा।"
इस सप्ताह की शुरुआत में, बोर्न ने फ्रांसीसी प्रसारक टीएमसी से कहा था कि ऐसा भी समय हो सकता है, जब बहुत ठंड हो, तो व्यक्तियों के लिए आपूर्ति में समस्या हो सकती है।
उन्होंने यह भी खुलासा किया कि 2023 की शुरुआत से, कीमतों में वृद्धि भी घरों के लिए ज्यादा लगती है।
फ्रांस के ऊर्जा संक्रमण मंत्री, एग्नेस पैनियर-रनचर ने अगस्त में पहले घोषणा की थी कि इस सर्दी में संभावित कमी की तैयारी में देश के गैस भंडार 80 प्रतिशत भरे हुए थे।
उन्होंने कहा कि फ्रांस अपने लक्ष्यों से आगे है और देश के सामरिक गैस भंडार को 1 नवंबर तक 100 प्रतिशत भर दिया जाएगा।
सर्दियों के लिए देश की ऊर्जा योजना पर चर्चा के लिए शुक्रवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों रक्षा परिषद की बैठक करेंगे। (आईएएनएस)|
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि फ़िलहाल भारत से सब्ज़ियां आयात करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. देश में लगातार बढ़ती महंगाई के बाद पाकिस्तान में भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते बहाल करने की मांग उठने लगी है.
पाकिस्तान में सब्ज़ियों और फलों के दाम आसमान छू रहे हैं और कुछ लोग कह रहे हैं कि पाकिस्तान को अब भारत से सब्ज़ियां मंगानी चाहिए.
लेकिन पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता आसिम इफ़्तिख़ार अहमद ने गुरुवार को कहा, "हम इस क्षेत्र में कई देशों के संपर्क में है ताकि जल्द से जल्द सब्ज़ियां आयात की जा सकें."
प्रवक्ता के बयान से पहले पाकिस्तान के कई बिज़नेस चैंबर्स ने पाकिस्तान सरकार से, भारत से सब्ज़ियां और फल आयात करने की अनुमति देने का आग्रह किया था.
भारत में खाद्य सामग्री आयात का करने का आयडिया सोमवार को सबसे पहले देश के वित्त मंत्री मिफ़्ताह इस्माइल ने दिया था.
लेकिन बुधवार को मिफ़्ताह इस्माइल ने कहा था कि भारत से आयात करने के विषय में उनकी सरकार गठबंधन की अन्य पार्टियां से सलाह मशविरा करेगी. .
गुरुवार को फ़ैसलाबाद चैंबर्स ऑफ़ कॉमर्स के अध्यक्ष आतिफ़ मुनीर ने कहा, '' भारत जैसे पड़ोसी देश के साथ कारोबार बहाल करना ज़रूरी है क्योंकि इससे माल ढुलाई के पैसे बचते हैं. इससे पाकिस्तान के लोगों को सस्ते में सब्ज़ियां और फल मिल सकेंगे."
भारत से टमाटर और प्याज़ मंगाने का सुझाव क्यों?
पड़ोसी देश से टमाटर और प्याज़ आयात करने का सुझाव पाकिस्तान के केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय की बैठक में दिया गया था, जिसमें हाल ही में हुई बारिश से सब्ज़ियों का उत्पादन प्रभावित होने और बाज़ार में इसकी कमी पर विचार किया गया था.
बैठक में पाकिस्तान फ्रूट एंड वेजिटेबल्स इंपोर्टर्स एक्सपोर्टर्स मर्चेंट्स एसोसिएशन ने सुझाव दिया था कि बाज़ार में स्थिरता लाने के लिए तुरंत तीन महीने की अवधि के लिए प्याज़ और टमाटर के आयात पर ड्यूटी और टैक्स में छूट के अलावा भारत से भी इन दोनों सब्ज़ियों के आयात की अनुमति दी जाए.
एसोसिएशन के पैट्रन इन चीफ़ वहीद अहमद ने कहा, "सिंध में 80 फ़ीसदी से ज़्यादा प्याज़ की फ़सल बाढ़ से तबाह हो गई है और टमाटर की फ़सल को भी काफ़ी नुक़सान हुआ है. इसी तरह बलूचिस्तान में भी प्याज़ के सीज़न के दौरान तूफ़ानी बारिश और बाढ़ से फ़सल बर्बाद हो गई है." (bbc.com/hindi)
-अज़ीज़ुल्लाह ख़ान
"बाढ़ तो थी ही लेकिन पानी के साथ एक बड़ा पत्थर भी आया जिसने होटल की इमारत की नींव हिला दी थी. जिसके बाद इमारत ऊपर से गिर गई लेकिन अभी भी उन्हें उम्मीद है कि होटल की इमारत काफ़ी हद तक बच गई है."
यह कहना है कालाम में स्थित न्यू हनीमून होटल के मालिक हुमायूं शिनवारी का, जिनके होटल के गिरने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था.
यह होटल नदी के अंदर बनाया गया था. यह पहली बार नहीं है जब इस होटल को नुक़सान पहुंचा है, बल्कि 2010 में आई बाढ़ में भी इस होटल की इमारत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी.
स्वात के ऊपरी इलाक़ों कालाम, बहरीन और मदीन में, जहां ऊंचे हरे भरे पहाड़ हैं, एक नदी भी है. इसके किनारे पर बैठकर लोग पानी की तेज़ लहरों का आनंद लेते हैं.
इसीलिए इन इलाक़ों में आप कहीं भी चले जाएं, होटल और मनोरंजन स्थलों के अलावा दुकानें भी नदी के किनारे ही बनी हुई दिखेंगी.
न्यू हनीमून होटल के मालिक हुमायूं शिनवारी ने बीबीसी को बताया कि जो पर्यटक आते हैं वे ऐसे होटल को पसंद करते हैं जो नदी के अंदर हों या कम से कम नदी के क़रीब हों.
हुमायूं शिनवारी ने इस होटल को साल 1992 में बनाया था. उन्होंने बताया, "उस समय किसी ने उन्हें यह नहीं बताया था कि यहां होटल बनाना मना है, उस समय हमें मलाकंड मंडल विकास प्राधिकरण ने परमिट जारी किया था. यह वह समय था जब कालाम में कुछ भी नहीं था, पर्यटन बहुत कम था और मैंने यहां निवेश किया था."
जब उनसे कहा गया कि नदी के अंदर होटल नहीं बना सकते, क्योंकि यह पर्यावरण के ख़िलाफ़ है और पानी के रास्ते में रुकावट डालने से समस्या पैदा हो सकती है, तो उनका कहना था कि इसके लिए उन्होंने सभी क़दम उठाए थे. इस जगह पर नदी का काफ़ी बड़ा क्षेत्र है और उन्होंने इस क्षेत्र में कभी भी इतनी भयंकर बाढ़ आने के बारे में नहीं सुना था.
कितना नुक़सान कितनी तबाही?
बुनियादी तौर पर स्वात के कालाम, बहरीन और मदीन जैसे ऊपरी इलाक़ों में सब कुछ बाढ़ से बह गया है.
बाढ़ के बाद आधिकारिक स्तर पर दो दिन पहले ही आंकड़े जारी किए गए हैं, जिनके अनुसार अकेले स्वात ज़िले में ही पंद्रह लोग मारे गए हैं और पंद्रह घायल हुए हैं, जबकि 84 घर पूरी तरह से तबाह हो गए हैं और 128 घरों को आंशिक रूप से नुक़सान पहुंचा है.
इसमें होटलों का ज़िक्र नहीं है लेकिन अगर केवल बहरीन का ज़िक्र करें जो एक छोटा सा इलाक़ा है, तो यहां नदी के किनारे बने लगभग सभी होटलों, दुकानों और घरों को या तो नुक़सान पहुंचा हैं या वो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं.
कालाम तक सड़क मार्ग से नहीं पहुंचा जा सकता है, लेकिन वहां से ख़बरें आ रही हैं कि बहरीन से ज़्यादा नुक़सान कालाम में हुआ है. स्वात में 13 बिजली के खंभे और 46 पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं. अनाधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़, नुक़सान इससे कहीं ज़्यादा हुआ है.
स्वात में भारी तबाही के आसार
स्वात के विभिन्न इलाक़ों में नदियों में जैसे-जैसे पानी का बहाव सामान्य हो रहा है और रास्ते खोले जा रहे हैं, तबाही और नुक़सान का भी पता चल रहा है.
इनमें नदी के किनारे बने लगभग 40 होटल भी प्रभावित हुए हैं, जिनमें से कुछ तो पूरी तरह से तबाह हो गए हैं, जिनके निशान भी दिखाई नहीं दे रहे हैं, जबकि कुछ को आंशिक रूप से नुक़सान पहुंचा है.
बहरीन और स्वात के बीच लगभग 40 किलोमीटर की दूरी है, यह एक पर्यटन स्थल है और यहां आकर लोग नदी के तेज़ बहाव और ख़ूबसूरत नज़ारों का आनंद लेते हैं.
बहरीन में नदी के किनारे जो होटल और दुकानें थीं उनमे से कुछ का तो अब निशान भी बाक़ी नहीं रहा है. वहां या तो सिर्फ़ पत्थर और रेत हैं या फिर तेज़ लहरें हैं. बहरीन के बाहरी इलाक़े पख़्तूनाबाद और झील कॉलोनी में बहुत से घर गिर चुके हैं.
यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि साल 2002 से पहले इस संबंध में कोई क़ानून नहीं था और अगर था भी तो उस पर अमल नहीं किया जा रहा है.
स्थानीय पत्रकार और दैनिक शुमाल स्वात के संपादक ग़ुलाम फ़ारूक़ ने बीबीसी को बताया कि अगर नदी के किनारे बनी इमारतों की जांच की जाए तो स्वात के पास ऊपरी लिंडकाई से कालाम और उससे आगे नदी के किनारे कई अवैध निर्माण हुए हैं, लेकिन कोई पूछने वाला नहीं है.
उन्होंने कहा कि रेवेन्यू रिकॉर्ड 1950 का है और पता नहीं इसमें कितने संशोधन किए गए हैं और इसे कितना इसकी मूल स्थिति में रखा गया है.
होटल मालिकों का कहना है कि उनकी इमारतें नदी से दूर थीं, इस बार बाढ़ का स्तर ही ज़्यादा था, जिस वजह से इतनी तबाही हुई हैं.
बहरीन में एक होटल के मालिक वक़ार अहमद ने बीबीसी को बताया कि उनसे यह कहा जा रहा है कि होटल नदी के अंदर क्यों बनाया था, तो उन्होंने यही जवाब दिया कि "होटल नदी से दूर था."
होटल और दरिया के बीच पार्किंग एरिया था और एक रेस्टोरेंट भी था लेकिन पानी तो होटल की तीसरी मंज़िल तक आ गया था.
स्थानीय लोगों के बीच ये कहा जाता है कि नदी अपने रास्ते में आने वाली रुकावट को ख़ुद ही हटा देती है. पहले भी ऐसा देखने में आया है. जहां अतिक्रमण किया गया था, वह बाढ़ से तबाह हो गया था.
न्यू हनीमून होटल- तबाही के बाद भी निर्माण
न्यू हनीमून होटल को पहली बार नुक़सान नहीं पहुंचा है, बल्कि साल 2010 की बाढ़ में भी यह बुरी तरह प्रभावित हुआ था.
होटल के मालिक हुमायूं शिनवारी ने बताया कि उनका होटल 2010 में तबाह हो गया था, लेकिन उन्होंने सोचा था कि ऐसी बाढ़ फिर कभी नहीं आएगी.
उन्होंने कहा कि पुनर्निर्माण के बाद उन्होंने होटल की सुरक्षा के लिए एक सेफ़्टी वाल भी बनाई थी, लेकिन दो साल पहले प्रशासन ने अतिक्रमण के कारण इसे हटा दिया था. अगर वो सेफ़्टी वाल होती तो शायद आज इतना नुक़सान न होता.
वे ज़्यादा परेशान नहीं थे, बस इसे अल्लाह की मर्ज़ी मानते हैं. उनका कहना था कि उन्होंने इस होटल पर 70 से 80 करोड़ रुपये का निवेश किया था और स्थानीय प्राधिकरण ने इसे फोर स्टार का दर्जा दिया था. न्यू हनीमून होटल उस इलाक़े का बड़ा होटल था जहां विदेशी पर्यटक भी ठहरते थे.
हुमायूं शिनवारी ने बताया कि उनके होटल में कुल 138 कमरे थे और उनके होटल के कर्मचारियों की संख्या 120 तक है.
उन्होंने कहा कि उनके अनुमान के मुताबिक़ होटल 50 से 60 फ़ीसदी ठीक है, इसे ज़्यादा नुक़सान नहीं पहुंचा है.
जब उनसे पूछा गया कि वीडियो से तो ऐसा लगता है कि इसकी नींव हिल गई होगी, तो उन्होंने कहा कि एक बड़ा पत्थर नींव से टकराया था, जिससे नुक़सान हुआ. साथ ही उन्होंने कहा कि "इसकी मरम्मत हो जाएगी और जो नुक़सान पानी से हुआ है, उम्मीद है कि यह बहुत ज़्यादा नहीं होगा."
क़ानून क्या है और कौन ज़िम्मेदार है?
हालाँकि इस बारे में बहुत चर्चा हो रही है और साल 2010 में आई बाढ़ के बाद तो यह समझा जा रहा था, कि अब नदी के किनारे निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी. लेकिन इसके बावजूद नदी के किनारे धड़ाधड़ निर्माण हो रहा था और प्रांत में पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर ऐसा लग रहा था कि सब कुछ जायज़ क़रार दिया जा रहा था.
सिंचाई विभाग के अधिकारी मोहम्मद बख़्तियार ने कहा कि मुख्य रूप से इस क्षेत्र के इतिहास में जो बड़ी बाढ़ आई हैं, उनमे से एक बाढ़ साल 1927 में आई थी. वहीं 2010 में जो बाढ़ आई थी उसकी विभीषिका और भी बड़े पैमाने पर थी. जबकि ये जो ताज़ा बाढ़ के हालात है, न केवल ये अब तक के सबसे बड़े पैमाने पर है बल्कि इसमें नुकसान भी सबसे बड़ा ही हुआ है.
उन्होंने बताया कि अगर रेवेन्यू रिकॉर्ड को देखें तो इस नदी का अपना रास्ता 50 से 70 फ़ीट है, जो कालाम और अन्य क्षेत्रों से होकर गुज़रती है, लेकिन इसके अंदर निर्माण के कारण बहुत सी रुकावटें आई हैं.
इस बारे में साल 2002 में क़ानून बनाया गया था जब रिवर प्रोटेक्शन ऑर्डिनेंस जारी किया गया था. यह ऑर्डिनेंस उस समय के मलाकंड डिवीज़न तक लागू था.
बाद में इस ऑर्डिनेंस को 2014 में एक्ट का दर्जा दिया गया था. इसके तहत नदी में या उसके आस पास किसी भी निर्माण के लिए एनओसी लेना ज़रूरी किया गया था.
इसके मुताबिक़ अगर नदी के अंदर या उसके आसपास कोई निर्माण होगा, तो इसे स्वयं गिराने के लिए निर्माणकर्ता को 7 दिन का नोटिस ज़ारी किया जाएगा. अगर निर्माणकर्ता ने उसे नहीं गिराया तो प्रशासन कार्रवाई करेगा.
इसके अलावा इस क़ानून के तहत नदी के 200 फ़ीट के दायरे में कोई निर्माण नहीं किया जाएगा और अगर ऐसा किया जाता है तो कार्रवाई की जाएगी.
बख़्तियार ख़ान ने कहा कि शुरू में इस पर कार्रवाई करने की ज़िम्मेदारी तहसील नगर निगम के अधिकारी को दी गई थी, लेकिन ज़ाहिरी तौर पर इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी और निर्माण करने का सिलसिला जारी रहा.
उन्होंने कहा कि साल 2018 में दोबारा संशोधन किए गए और असिस्टेंट कमिश्नर को यह अधिकार दिया गया कि वो नदी के अंदर बनी इमारतों का निरीक्षण करें और अगर कहीं कोई अवैध निर्माण हो रहा है तो उस पर कार्रवाई करें.
यह पूछे जाने पर कि क्या सिंचाई विभाग के अधिकारी इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं कर सकते थे, तो उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग की भूमिका बस इतनी है कि वो बाढ़ के स्तर पर नज़र रखते हैं और यह देखते हैं कि पानी का प्रवाह किस हद तक है.
न्यू हनीमून होटल के मालिक हुमायूं शिनवारी ने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किया जाता है.
उन्होंने कहा कि तबाही सिर्फ़ होटलों की ही नहीं हुई सरकारी सड़कों की भी हुई है. सरकार को नदी से दूर सड़क बनानी चाहिए थी, जिस पर अरबों रुपये का नुक़सान हुआ है. इसी तरह नदी के पास स्थित अन्य सरकारी संपत्तियों को भी नुक़सान पहुंचा है.
सिंचाई विभाग के अधिकारी बख़्तियार ख़ान ने कहा कि उन्होंने सरकार को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने सुझाव दिया है कि "स्थानीय स्तर पर एक समिति बनाई जाए, जिसमें तहसील कमिटी के अधिकारी जैसे पटवारी, राजस्व विभाग के अधिकारी, सिंचाई विभाग और अन्य संबंधित अधिकारियों को शामिल किया जाए, जो यह तय करें कि पानी ने कहां तक कटाव किया है. उसको चिह्नित करें और इसके अंदर जितना भी निर्माण है उसको हटा दिया जाए और इस क्षेत्र में आगे किसी भी निर्माण की अनुमति न दी जाए."
स्थानीय स्तर पर कहा जा रहा है कि इसमें लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाए और पता लगाया जाए कि क्या नदी की सीमा के अंदर अतिक्रमण किया गया है और क्या प्रशासन या संबंधित अधिकारियों ने इस संबंध में कोई कार्रवाई की है या नहीं. (bbc.com/hindi)
लंदन, एक सितंबर। एक सर्वेक्षण में लोगों ने बोरिस जॉनसन को ब्रिटेन का अब तक का सबसे ‘खराब’ प्रधानमंत्री करार दिया है जिनका कार्यकाल अगले सप्ताह समाप्त होने वाला है।
मार्केट अनुसंधान कंपनी ‘इप्सोस’ द्वारा किए गए सर्वेक्षण में शामिल लोगों से 1945 से युद्धकाल के बाद के ब्रिटेन के प्रधानमंत्रियों के प्रदर्शन के बारे में पूछा गया था जिनमें से 49 प्रतिशत लोगों ने निवर्तमान प्रधानमंत्री के काम को ‘खराब’ बताया। लगभग 41 प्रतिशत लोगों ने थेरेसा मे और 38 प्रतिशत लोगों ने डेविड कैमरन के काम को खराब बताया।
वहीं, जॉनसन के घोषित राजनीतिक नायक विंस्टन चर्चिल को 62 प्रतिशत लोगों ने अच्छा आदमी बताया और कहा कि युद्ध के समय के इस नेता ने अच्छा काम किया था।
इप्सोस में राजनीतिक अनुसंधान मामलों के निदेशक कीरन पेडले ने कहा, "विंस्टन चर्चिल प्रधानमंत्रियों की हमारी सूची में शीर्ष पर बने हुए हैं। जनता को लगता है कि उन्होंने अच्छा काम किया। उनके बाद मार्ग्रेट थैचर का नाम है।"
उन्होंने कहा, "बोरिस जॉनसन उस सूची में चौथे स्थान पर रहने से उचित रूप से संतुष्ट होंगे लेकिन खराब काम करने के मामले में सूची में शीर्ष पर रहने से कम खुश होंगे।"
इप्सोस के सर्वेक्षण में शामिल 1,100 लोगों में से लगभग 33 प्रतिशत ने कहा कि पार्टीगेट घोटाले से प्रभावित निवर्तमान नेता जॉनसन ने अच्छा काम किया है। वहीं, टोनी ब्लेयर के काम को 36 प्रतिशत और मार्ग्रेट थैचर के काम को 43 प्रतिशत लोगों ने अच्छा बताया।
यह सर्वेक्षण 19 से 22 अगस्त के बीच किया गया था। (भाषा)
इस्लामाबाद, 1 सितंबर | पाकिस्तान के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का बेलआउट कार्यक्रम फिर से शुरू किए जाने के बाद स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) को 1.16 अरब डॉलर की लंबित किस्त मिली। इससे देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता आने की संभावना है। देश का वित्तीय बाजार इस समय अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले स्थानीय मुद्रा में गिरावट जारी है।
पाकिस्तान के लिए आईएमएफ द्वारा लगाए गए अनुमानों के अनुसार, देश की अर्थव्यवस्था लगभग 3.5 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी, लेकिन औसत मुद्रास्फीति दर लगभग 19.9 प्रतिशत अनुमानित है। हालांकि इस बीच बाढ़ ने देश के एक तिहाई हिस्से को प्रभावित किया है।
आईएमएफ ने ऋण के आकार को 6 अरब डॉलर से बढ़ाकर 6.5 अरब डॉलर करने की भी मंजूरी दी है।
आईएमएफ बेलआउट पैकेज का शुरुआती कार्यकाल सितंबर 2022 में समाप्त होना था। हालांकि, आधे से अधिक राशि का वितरण नहीं किया गया, जिसका मुख्य कारण है इमरान खान की पूर्व सरकार का आईएमएफ के साथ सौदे की प्रतिबद्धताएं पूरी करने में विफल रहना।
मौजूदा शहबाज शरीफ सरकार को देश को पूरी तरह से आर्थिक मंदी में डूबने से बचाने के लिए अलोकप्रिय और कठिन निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। यही कारण था कि आईएमएफ की मांग पर सरकार ने पेट्रोलियम, बिजली और गैस की कीमतें बढ़ाने का बड़ा फैसला लिया और देश को गंभीर मुद्रास्फीति में धकेल दिया।
वित्तमंत्री मिफ्ताह इस्माइल के अनुसार, फैसले मजबूरी में लिए गए, क्योंकि आईएमएफ की पूर्व-शर्तो का पालन न करने पर पाकिस्तान के माली हालात श्रीलंका जैसे हो जाएंगे, क्योंकि देश दिवालिया होने की ओर बढ़ रहा था।
हालांकि, अब जब आईएमएफ खैरात पैकेज को पुनर्जीवित किया गया है और पाकिस्तान के लिए विस्तारित फंड सुविधा (ईएफएफ) के तहत सातवें और आठवें समीक्षा के 1.16 अरब डॉलर के संयुक्त किस्त के साथ फिर से सक्रिय किया गया है। पाकिस्तान में वित्तीय बाजार विकास के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहा है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये का मूल्य बढ़ना शुरू हो गया है।
केंद्रीय बैंक ने कहा, "यह एसबीपी के विदेशी मुद्रा भंडार में सुधार करने में मदद करेगा और बहुपक्षीय और द्विपक्षीय स्रोतों से अन्य नियोजित प्रवाह की प्राप्ति की सुविधा भी प्रदान करेगा।"
आईएमएफ के उप निदेशक एंटोनेटर सईह ने कहा, "ऊर्जा क्षेत्र की व्यवहार्यता को मजबूत करने और ईंधन शुल्क और ऊर्जा शुल्कों में निर्धारित वृद्धि का पालन करने सहित निरंतर नुकसान को कम करने के प्रयास भी जरूरी हैं।"
आईएमएफ ने इस बात पर भी जोर दिया है कि पाकिस्तान को उच्च ब्याज दरों और बाजार द्वारा निर्धारित विनिमय दर की नीति का पालन करते रहने की जरूरत है। (आईएएनएस)
लिस्बन , 1 सितंबर। पुर्तगाल में गर्भवती भारतीय महिला को देश के एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भेजे जाने और इस दौरान उसका निधन होने की दुखद घटना के बाद देश की स्वास्थ्य मंत्री मार्टा टेमिडो ने पद से इस्तीफा दे दिया है। अधिकारियों ने इस घटना की जांच के आदेश दिए हैं।
घटना के अनुसार 34 वर्षीय भारतीय महिला को सैंटा मारिया अस्पताल से एंबुलेंस से एक अन्य अस्पताल ले जाया जा रहा था और इसी दौरान उसे दिल का दौरा पड़ा। सैंटा मारिया अस्पताल में नवजात देखभाल (नियोनेटलॉजी) सेवा में जगह नहीं थी जिसके कारण उसे दूसरे अस्पताल ले जाया जा रहा था।
बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में बुधवार को कहा कि पुर्तगाल में ये इकलौती घटना नहीं है। इस वर्ष कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जिनके लिए आलोचकों ने देश भर में अस्पतालों में नवजात देखभाल इकाइयों में कर्मचारियों की घोर कमी को जिम्मेदार ठहराया है।
टेमिडो 2018 से स्वास्थ्य मंत्री का पद संभाल रही थीं और देश में कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान हालात को बेहतर तरीके से संभालने का श्रेय उन्हें दिया जाता है लेकिन मंगलवार को सरकार ने एक बयान जारी करके कहा कि टेमिडो ने ‘‘यह महसूस किया है कि वह अब इस पद पर बनी नहीं रह सकतीं।’’
पुर्तगाल की समाचार एजेंसी ‘लूसा’ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि देश के प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा ने कहा कि महिला का निधन ‘‘वह निर्णायक घटना’’ रही, जिससे टेमिडो ने इस्तीफा देने का निर्णय लिया।
प्रसव तथा मातृ देखभाल इकाइयों में कर्मचारियों की घोर कमी और कुछ इकाइयों को बंद किए जाने, जिसके कारण महिलाओं को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है, के लिए देश की सरकार की कठोर आलोचना हुई जिसके बाद सरकार ने यह बयान दिया है।
स्थानीय मीडिया की एक खबर के अनुसार पर्यटन के लिये आई गर्भवती महिला को लिस्बन के सैंटा मारिया अस्पताल से ले जाया जा रहा था क्योंकि उसकी (अस्पताल की) नवजात देखभाल इकाई में जगह नहीं थी।
रिपोर्ट में चिकित्सक के हवाले से बताया गया कि महिला का तत्काल ऑपरेशन किया गया और उसने एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया। महिला की मौत के मामले की जांच की जा रही है। (भाषा)
जिम्बाब्वे में मवेशियों पर पैसा निवेश करना बढ़ता व्यापर बन गया है. यहां महंगाई बहुत ज्यादा है, इसलिए लोग अपना पैसा बैंकों में रखने की बजाय गायों में निवेश कर रहे हैं. विशेषज्ञ इसे सोने के सिक्कों से बेहतर बता रहे हैं.
जिम्बाब्वे के लोगों के लिए मवेशियों में निवेश करना सबसे ज्यादा फायदे का सौदा बन गया है. दक्षिण अफ्रीकी देश में महंगाई चरम पर है और लोगों का भरोसा बैंकों और पारंपरिक पेंशन फंडों से उठ गया है. इस साल जून में जिम्बाब्वे की सालाना महंगाई दर 192 प्रतिशत पर पहुंच गई. बीते एक साल में यह सबसे ज्यादा है. इसकी वजह है यूक्रेन की लड़ाई जिसने वैश्विक स्तर पर उपभोक्ता सामानों की कीमत बढ़ा दी है. बीते 20 सालों में जिम्बाब्वे के बहुत से लोगों ने बैंकों और पेंशन फंडों में जमा अपनी रकम गंवा दी है.
"रंभाती बैंक"
कुछ लोग अपने निवेश को बचाने के लिये सुरक्षित उपाय ढूंढ रहे हैं और मवेशियों में निवेश उनके लिए फायदेमंद साबित हो रहा है. टेड एडवर्ड्स सिल्वरबैंक एसेट मैनेजर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं, मजाक में कुछ लोग इनकी कंपनी को "रंभाती बैंक" भी कहते हैं. यह एक यूनिट ट्रस्ट है जो मोटे तौर पर मवेशियों पर आधारित है. एडवर्ड्स के मुताबिक कारोबार जबर्दस्त तरीके से फैल रहा है. एडवर्ड्स का कहना है, "गायें कुछ लोगों के लिए सुरक्षित विकल्प हैं." उन्होंने यह भी बताया कि कुछ एसेट मैनेजमेंट कंपनियां मवेशियों में निवेश के जरिये निवेशकों के लिये पैसा बनाने के पारंपरिक तरीके लेकर आई हैं. एडवर्ड्स की कंपनी ने एक यूनिट ट्रस्ट इनवेस्टमेंट फंड बनाया है जिसमें लोग स्थानीय मुद्रा का इस्तेमाल कर निवेश कर सकते हैं.
मवेशियों की कीमत में स्थायित्व
एडवर्ड्स ने डीडब्ल्यू को बताया कि गुजरे सालों में मवेशियों ने दिखाया है कि वो महंगाई के झटकों को बर्दाश्त कर सकते हैं, "हमने एक यूनिट ट्रस्ट फंड बनाया है जिसका नाम है मोंबे मारी ट्रस्ट फंड. हमने मवेशियों को ट्रस्ट फंड में यूनिट बना दिया है जिसके जरिये मवेशी उद्योग में निवेश को लुभाया जा रहा है."
फिलहाल एक यूनिट 100 किलो जीवित मवेशी के बराबर है. एडवर्ड्स बताते हैं, "इसमें निवेश उन सब लोगों के लिये खुला है जो यूनिट ट्रस्ट के यूनिट खरीदना चाहते हैं." मवेशी यूनिट ट्रस्ट भले ही नई बात हो लेकिन जिम्बाब्वे में पारंपरिक रूप से मवेशी ग्रामीण किसानों के लिये संपत्ति का जरिया रहे हैं.
गायों में निवेश से पैसे पर नियंत्रण
जिम्बाब्वे का दक्षिणी हिस्सा प्रमुख रूप से मवेशियों के फार्मों के लिये जाना जाता है. किसान जेंजेले एंडेबेले कहते हैं कि उन्हें कभी भी मवेशियों में निवेश करने का अफसोस नहीं हुआ. आज देश में महंगाई की वजह से जो हालात हैं उनमें भी एंडेबेले का काम मजे में चल रहा है. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "मैं अपने मवेशियों से क्या कर सकता हूं इस पर मेरा थोड़ा नियंत्रण है. आप सचमुच हिसाब कर सकते हैं, आपके मवेशी की एक समय के बाद कीमत बढ़ेगी और फिर आप चाहें तो उसे बेच सकते हैं."
महंगाई का हाल चाहे जो हो लेकिन मवेशी अपनी एक कीमत बनाये रखते हैं. इसके साथ ही प्रजनन की संभावना के कारण लंबे समय में अपना मोल बढ़ा लेते हैं क्योंकि हर साल औसतन एक बछड़े का जन्म होता है.
ऐसे काम करती है गाय में निवेश की योजना
निवेशकों का दल चाहे तो पूरे गाय में निवेश कर सकता है या फिर लोग स्वतंत्र रूप से गाय या बछड़े में हिस्सेदारी खरीद सकते हैं. जब गाय बछड़े को जन्म देती है तो उसकी कीमत क्लाइंट के पोर्टफोलियो में जुड़ जाती है.
बछड़ों को बाद में बैल की तरह बेच दिया जाता है और इससे मिले पैसे से उसी कीमत की बछिया खरीदी जाती है. ऊंचे दर्जे के जीवों को बेचने से भी रिटर्न में फायदा होता है.
गाय में निवेश के जोखिम
मवेशियों को लंबे समय से अफ्रीका में संपत्ति के रूप में देखा जाता रहा है. फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक जिम्बाब्वे की जीडीपी में मवेशियों की हिस्सेदारी 35 से 38 प्रतिशत है. गाय में निवेश के जोखिम भी हैं.
जिस तरह से महंगाई मुद्रा में निवेश को चट कर सकती है, मवेशी भी सूखे या बीमारियों की चपेट आ कर खत्म हो सकते हैं. हालांकि गिफ्ट मुगानो जैसे अर्थशास्त्रियों का कहना है कि जिम्बाब्वे में जिस तरह की आर्थिक उठा पटक चल रही है उसमें निवेश का यह विकल्प ज्यादा सुरक्षित है.
सोने के सिक्के या गाय
मुगानो ने डीडब्ल्यू से कहा, "गायों या दूसरे मवेशियों में निवेश सोने के सिक्कों में निवेश से बढ़िया है. जब मवेशी बच्चा देते हैं तो वो आपके लिये ब्याज है. यह ज्यादा अच्छा बैंक है, बजाय इसके कि आप बैंक में पैसा जमा करें और महंगाई उसे साफ कर दे."
जिम्बाब्वे के केंद्रीय बैंक ने जुलाई से आमलोगों को सोने के सिक्के बेचना शुरू किया है जिससे कि महंगाई के दौर में लोगों का निवेश सुरक्षित रखा जा सके. सोने के सिक्के स्थानीय मुद्रा, डॉलर और दूसरी विदेशी मुद्राओं में बेची जाती हैं.
विक्टोरिया फॉल्स के नाम रखे गये मोसीओआ टुन्या सोने के सिक्के मुख्य रूप से सोने के बने हैं और इन्हें दुकानों में खरीदारी के अलावा कर्ज या उधार लेने के लिये सिक्योरिटी के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है. (dw.com)
वाशिंगटन, 1 सितम्बर | अमेरिका में जीने की औसत उम्र में लगातार दूसरे वर्ष 2021 में गिरावट आई है और लगभग 100 वर्षों में यह सबसे बड़ी गिरावट है। सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने नेशनल पब्लिक रेडियो की रिपोर्ट के हवाले से कहा, 2019 में, देश में पैदा हुए किसी व्यक्ति की संभावित आयु लगभग 80 साल थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि, 2020 में कोविड 19 महामारी के कारण जीने की औसत उम्र घटकर 77 साल हो गई और पिछले साल यानि 2021 में ये गिरकर 76.1 साल हो गई।
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के विश्लेषण के अनुसार, 2021 में संभावित आयु में गिरावट सबसे ज्यादा अमेरिकी भारतीय और अलास्का के मूल के लोगों में देखी गई।
2020 और 2021 के बीच इस समूह के लिए औसत आयु दो साल गिर गई, 2020 में 67.1 से 2021 में 65.2 हो गई।
सीडीसी के आंकड़े भी पुरुषों और महिलाओं के बीच औसत आयु में काफी अंतर को उजागर करते हैं। पुरुषों के लिए औसत आयु लगभग एक वर्ष गिरकर 2021 में 73.2 हो गई, जबकि महिलाओं की जीवन प्रत्याशा 10 महीने में गिरकर 79.1 वर्ष हो गई।
हृदय रोग, जिगर की पुरानी बीमारी और सिरोसिस और आत्महत्याओं से होने वाली मौतों का भी महत्वपूर्ण योगदान था।
बीबीसी ने बताया कि, अमेरिका में औसत आयु दुनिया भर के विकसित देशों में सबसे कम है।
ब्रिटेन में, औसत आयु पुरुषों के लिए लगभग 79 वर्ष और महिलाओं के लिए 2020 में 82.9 थी, जो 40 वर्षों में पहली बार गिर गई।
विश्व बैंक के नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, हांगकांग और जापान में दुनिया की सबसे अधिक औसत आयु है जो लगभग 85 वर्ष है, इसके बाद सिंगापुर में 84 वर्ष है।
स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे सहित देशों में औसत आयु लगभग 83 साल है। (आईएएनएस)
सऊदी अरब ने सोशल मीडिया पर पोस्ट को लेकर एक महिला को 45 साल की जेल की सज़ा सुनाई है. जानकारों के अनुसार सऊदी अरब में इस तरह का ये दूसरा मामला है.
सऊदी अरब की एक टेररिज़म कोर्ट ने नूरा बिंत सईद अल-कहतानी को सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए सामाजिक ढांचे को बिगाड़ने की कोशिश और सरकारी आदेश के उल्लंघन का दोषी पाया है.
ख़बरों के अनुसार, महिला ने सऊदी अरब के नेताओं की आलोचना की थी. हालांकि, इसके अतिरिक्त उनके सोशल मीडिया पोस्ट्स से जुड़ी कोई जानकारी अब तक साझा नहीं की गई है.
इससे पहले 9 अगस्त को एक अन्य महिला को ट्विटर पर उनकी गतिविधियों के लिए 34 साल की जेल की क़ैद सुनाई गई थी. ये महिला लीड्स यूनिवर्सिटी में पीएचडी की छात्रा थीं. इनका नाम सलमा अल-शेहाब बताया जा रहा है.
उन्हें इसी साल जनवरी में सऊदी अरब में छुट्टियां मनाते समय गिरफ़्तार किया गया था. सलमा शेहाब को भी सरकारी आदेश के उल्लंघन सहित कई अन्य आरोपों में दोषी पाया गया था.
मामले के जानकार ने बीबीसी न्यूज़ऑवर प्रोग्राम के दौरान बताया कि कहतानी के ख़िलाफ़ लगे आरोपों का दायरा काफ़ी बड़ा है. उन्हें आतंकवाद-रोधी और साइबर अपराध विरोधी कानूनों के तहत सज़ा दी गई है. ये ऐसे कानून हैं, जिसके तहत दूर-दूर तक सरकार की आलोचना से जुड़े पोस्ट को भी अपराध माना जा सकता है.
बीते साल से अब तक कुछ अन्य महिला कार्यकर्ताओं को भी सोशल मीडिया पोस्ट के लिए कथित तौर पर हिरासत में लिया जा चुका है. अब आशंका जताई जा रही है कि इन्हें भी कड़ी सज़ा सुनाई जा सकती है. (bbc.com/hindi)
चीन के शिनजियांग प्रांत में उत्पीड़न के आरोपों को लेकर आई एक रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने चीन पर मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन का आरोप लगाया है.
चीन ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) से रिपोर्ट जारी ना करने की अपील की है और इसे पश्चिमी देशों का 'तमाशा' बताया है.
रिपोर्ट में वीगर मुसलमान और अन्य जातीय अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का दावा किया गया है, जिससे चीन ने इनकार किया है.
लेकिन, जाँचकर्ताओं का कहना है कि उन्हें प्रताड़ना के विश्वसनीय प्रमाण मिले हैं जिन्हें ''मानवता के ख़िलाफ़ अपराध'' कहा जा सकता है.
उन्होंने चीन पर अल्पसंख्यकों के अधिकारों के दमन के लिए अस्पष्ट राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानूनों के इस्तेमाल करने और मनमाने तरीक़े से लोगों को हिरासत में रखने का आरोप लगाया है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने ये रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा था. रिपोर्ट में कहा गया है कि कैदियों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता है जिसमें सेक्शुअल और जेंडर आधारित हिंसा भी शामिल है.
इसके अलावा उन पर परिवार नियोजन की नीतियों को भेदभावपूर्ण तरीक़े से थोपा जाता है.
चीन पर शिनजियांग में वीगर मुसलमानों को डिटेंशन कैंप में रखने का आरोप लगता है
संयुक्त राष्ट्र ने सिफ़ारिश की है कि चीन को उन लोगों को रिहा करने के लिए तुरंत क़दम उठाने चाहिए, जिनकी आज़ादी छीन ली गई है. साथ ही कहा है कि चीन की कुछ कार्रवाइयां अंतरराष्ट्रीय अपराध के तहत आ सकती हैं. इसमें मानवता के ख़िलाफ़ अपराध भी शामिल है.
यूएन ने कहा है कि ये सुनिश्चित नहीं किया जा सकता कि सरकार ने कितने लोगों को पकड़कर रखा है. मानवाधिकार समूहों का कहना है कि शिनजियांग प्रांत में 10 लाख से ज़्यादा लोगों को हिरासत में रखा गया है.
60 संस्थाओं का नेतृत्व करने वाली वर्ल्ड वीगर कांग्रेस ने इस रिपोर्ट का स्वागत किया है और इसे पर तुरंत अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की मांग की है.
लेकिन, ये रिपोर्ट पहले ही देख चुके चीन ने उत्पीड़न के आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि ये कैंप आंतकवाद से लड़ने का एक तरीक़ा हैं. (bbc.com/hindi)
रूस ने यूरोप को गैस की सप्लाई पूरी तरह से बंद कर दी है. नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइन 1 से सप्लाई बंद करते हुए रूस की सरकारी गैस कंपनी गैजप्रॉम ने कहा है कि पाइपलाइन में बड़ी मरम्मत की जरूरत है.
कंपनी ने कहा है कि नॉर्ड स्ट्रीम 1 गैस पाइपलाइन से सप्लाई अगले तीन दिनों तक बंद रहेगी. रूस इस गैस पाइपलाइन के जरिये यूरोप को पहले ही सप्लाई काफी कम कर चुका है. रूस इन आरोपों का खंडन करता रहा है कि वह पश्चिमी देशों के खिलाफ एनर्जी सप्लाई को युद्ध के हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है.
नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन 1200 किलोमीटर लंबी है और यह बाल्टिक सागर के अंदर से गुजरती है. यह पाइपलाइन सेंट पीटर्सबर्ग के नजदीक रूसी समुद्री तट से उत्तरी पूर्वी जर्मनी तक पहुंचती है. रूस के मुताबिक पहले भी मरम्मत के लिए ये पाइपलाइन जुलाई में दस दिनों के लिए बंद रही थी. अभी भी यह अपनी परिचालन क्षमता के 20 फीसदी पर ही काम कर रही है. रूस का कहना है कि खराब उपकरणों की वजह से ऐसा हो रहा है. जर्मनी इस गैस का सबसे प्रमुख ग्राहक है.
जर्मनी के गैस नेटवर्क रेगुलेटर के प्रमुख क्लॉस मुलेर ने कहा है कि रूस अगर अगले कुछ दिनों में सप्लाई फिर शुरू कर देता है तो उनका देश मौजूदा किल्लत से निकल आएगा. उन्होंने कहा,‘’ मुझे पूरी उम्मीद है कि शनिवार तक रूस से पुरानी सप्लाई ( 20 फीसदी) बहाल हो जाएगी. लेकिन वास्तव में ऐसा हो सकेगा यह कोई नहीं जानता है.
यूरोप के नेताओं का कहना है कि रूस अपनी गैस के दाम बढ़ाने के लिए सप्लाई में कटौती कर रहा है. पिछले एक साल से गैस के दाम काफी बढ़ गए हैं.
पूर्व सोवियत संघ के आख़िरी नेता मिखाइल गोर्बाचोफ़ का निधन हो गया है. उन्होंने 91 वर्ष की उम्र में अंतिम साँसें लीं. वे 1985 से 1991 तक सोवियत संघ की सत्ता में थे.
गोर्बाचोफ़ ने अपने दौर में दो सुधार किए थे जिन्होंने सोवियत संघ का भविष्य बदल डाला. ये थे 'ग्लासनोस्त' या - अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता - और 'पेरेस्त्रोइका' यानी पुनर्गठन.
'ग्लासनोस्त' या 'खुलेपन' की नीति के बाद सोवियत संघ में लोगों को सरकार की आलोचना करने का अधिकार मिला. ये ऐसी बात थी जिसके बारे में पहले कभी कल्पना भी नहीं की गई थी.
मिखाइल गोर्बाचोफ़ 1985 में सोवियत संघ या यूएसएसआर के राष्ट्रपति चुने गए थे. इसके बाद उन्होंने देश के दरवाज़े दुनिया के लिए ख़ोल दिए और बड़े स्तर पर कई सुधार किए.
हालाँकि, इन्हीं सुधारों की वजह से सोवियत संघ का विघटन हो गया. अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद वो इसे टाल नहीं सके, और वहीं से आधुनिक रूस का जन्म हुआ.
कुछ वर्षों से थे बीमार
गोर्बाचोफ़ ने जिस अस्पताल में आख़िरी सांसे लीं, उसकी ओर से बताया गया है कि सोवियत नेता लंबे समय से गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे.
हाल के वर्षों में उनकी सेहत लगातार ख़राब होती जा रही थी और उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था.
इसी साल जून महीने में कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों में ये दावा किया गया था कि किडनी की बीमारी की वजह से गोर्बाचोफ़ को अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
हालाँकि, गोर्बाचोफ़ के निधन का कारण अभी तक नहीं बताया गया है.
गोर्बाचोफ़ का अंतिम संस्कार मॉस्को में होगा. रूसी समाचार एजेंसी तास के अनुसार उन्हें नोवोदिवेची सेमेट्री उनकी पत्नी रइसा की कब्र के पास ही दफ़न किया जाएगा जिनका 1999 में ल्यूकेमिया से निधन हो गया था. रूस के कई बड़े नेताओं की कब्रें इसी कब्रगाह में हैं.
दुनिया भर से श्रद्धांजलि
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी गोर्बाचोफ़ के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है. पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने रूसी समाचार एजेंसी इंटरफ़ैक्स को ये जानकारी दी.
गोर्बाचोफ़ के निधन के बाद दुनिया भर में उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेस ने कहा उन्होंने 'इतिहास की धारा बदल दी'.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुटेरेस ने ट्विटर पर दी गई श्रद्धांजलि में लिखा, "मिखाइल गोर्बाचोफ़ ख़ास तरह के राजनेता थे. दुनिया ने एक महान वैश्विक नेता, बहुपक्षवाद और शांति के बड़े पैरोकार को आज खो दिया."
यूरोपीय संघ प्रमुख उर्सुला वॉन देर लेयेन ने भी गोर्बाचोफ़ को एक "भरोसेमंद और सम्मानित नेता" बताया है, जिन्होंने मुक्त यूरोप का रास्ता खोला था.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि वो गोर्बाचोफ़ के साहस और ईमानदारी के कायल हैं.
उन्होंने कहा, "यूक्रेन में पुतिन की आक्रामकता के समय में, सोवियत समाज को ख़ोलने के लिए गोर्बाचोफ़ की प्रतिबद्धता हम सबके लिए उदाहरण है."
गोर्बाचोफ़ 54 साल की उम्र में सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बने थे और इसी नाते वो देश के सर्वोच्च नेता भी बने.
उस समय, वो पोलित ब्यूरो के नाम से जानी जाने वाली सत्तारूढ़ परिषद के सबसे कम उम्र के सदस्य थे.
कई उम्रदराज़ नेताओं के बाद उन्हें राजनीति में ताज़ा हवा के झोंके जैसा माना जाता था.
मिख़ाइल गोर्बाचोफ़ की ग्लासनोस्त नीति ने लोगों को सरकार की आलोचना का अधिकार दिया. लेकिन इसने देश के कई इलाकों में राष्ट्रवादी भावनाओं को भी जगा दिया जो अंततः सोवियत संघ के पतन का कारण बना.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने अमेरिका के साथ हथियार नियंत्रण करने वाले सौदा किया. जब पूर्वी यूरोपीय देशों ने कम्युनिस्ट शासकों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई तो भी गोर्बाचोफ़ ने हस्तक्षेप से इनकार कर दिया.
पश्चिमी देशों में गोर्वाचोफ़ को सुधारों का जनक माना जाता है, जिन्होंने अमेरिका-ब्रिटेन सहित पश्चिमी देशों और सोवियत संघ के बीच तनाव की स्थिति में भी ऐसी परिस्थितियां बनाई, जिससे 1991 में शीत युद्ध का अंत हो गया.
पूर्व-पश्चिम के बीच संबंधों में बड़े बदलाव लाने में अहम भूमिका निभाने की वजह से गोर्बाचोफ़ को वर्ष 1990 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाज़ा गया.
लेकिन 1991 के बाद उभरे नए रूस में शैक्षिक और मानवीय परियोजनाओं पर काम करते हुए वो राजनीति के हाशिए पर आ गए.
गोर्बाचोफ़ ने 1996 में एक बार फिर से रूस की राजनीति में आने की नाक़ाम कोशिश की. उस समय राष्ट्रपति चुनावों में उन्हें सिर्फ़ 0.5 फ़ीसदी मत मिले थे.
पूर्व सोवियत संघ के आख़िरी नेता मिखाइल गोर्बाचोफ़ का निधन हो गया है. उन्होंने 91 वर्ष की उम्र में अंतिम साँसें लीं. वे 1985 से 1991 तक सोवियत संघ की सत्ता में थे.
अपने आख़िरी वर्षों में गोर्बाचोफ़ की सेहत बहुत अच्छी नहीं थी और वो ज़्यादा बात भी नहीं करते थे. दिसंबर 2016 में उन्होंने मॉस्को स्थित बीबीसी संवाददाता स्टीव रोज़नबर्ग को एक इंटरव्यू दिया था. पढ़िए इस इंटरव्यू पर तब प्रकाशित हुआ एक लेख.
बहुत से लोग रूस को अब भी सोवियत संघ कहकर बुलाते हैं और यूएसएसआर के ज़िक्र के साथ-साथ मिखाइल गोर्बाचोफ़ का नाम लेते हैं. मिख़ाइल गोर्बाचोफ़ वही शख्स हैं जिनके देखते ही देखते सोवियत संघ के टुकड़े-टुकड़े हो गए थे.
अब 85 साल के मिख़ाइल गोर्बाचोफ़ की सेहत उनका साथ नहीं देती लेकिन वे उनकी हाज़िरजवाबी कायम है. मॉस्को में मिलते समय अपनी छड़ी की तरफ इशारा करते हुए मिख़ाइल गोर्बाचोफ़ ने कहा, "देखो, अब मुझे चलने के लिए तीन टांगों की जरूरत पड़ती है."
मिख़ाइल गोर्बाचोफ़ उन लम्हों के बारे में बात करते हैं जब दुनिया बदल गई थी, सोवियत संघ बिखर गया था और दुनिया एक ध्रुवीय रह गई थी.
21 दिसंबर, 1991 को रूसी टेलीविजन पर शाम के बुलेटिन की शुरुआत नाटकीय घोषणा के साथ हुई- "गुड इवनिंग. इस वक्त की खबर है. अब सोवियत संघ का अस्तित्व नहीं रहा..."
इससे कुछ दिनों पहले ही रूस, बेलारूस और यूक्रेन के नेताओं ने सोवियत संघ से अलग होने को लेकर मुलाकात की थी.
मुलाकात के एजेंडे में स्वतंत्र राज्यों के एक राष्ट्रमंडल के गठन का मुद्दा भी था. अब आठ अन्य सोवियत राज्यों ने भी इस राष्ट्रमंडल का हिस्सा बनने का फैसला किया था.
उन सब लोगों ने मिलकर मिख़ाइल गोर्बाचोफ़ को दरकिनार करने का फैसला किया था.
गोर्बाचोफ़ सोवियत संघ के राज्यों को एक साथ रखने के लिए संघर्ष कर रहे थे.
मिख़ाइल गोर्बाचोफ़ बताते हैं, "मेरी पीठ पीछे धोखा हुआ. वे लोग सिगरेट जलाने के लिए पूरा घर जला रहे थे. बस सत्ता पाने के लिए....वे लोकतांत्रिक तरीके से ऐसा नहीं कर सकते थे. इसलिए उन्होंने अपराध किया. वह सब कुछ एक विद्रोह था."
25 दिसंबर, 1991 को मिख़ाइल गोर्बाचोफ़ ने सोवियत संघ के राष्ट्रपति पद से इस्तीफा की घोषणा की. तब क्रेमलिन में सोवियत झंडे को आखिरी बार झुकाया गया था.
मिख़ाइल गोर्बाचोफ़ बताते हैं, "हम गृह युद्ध की तरफ बढ़ रहे थे और मैं इसे बचाना चाहता था. लोग बंटे हुए थे, देश में संघर्ष की स्थिति थी, हथियारों की बाढ़ आ गई थी. इनमें परमाणु हथियार भी थे. बहुत से लोगों की जान जा सकती थी. बड़ी बर्बादी होती. मैं सत्ता से चिपके रहने के लिए ये सबकुछ होते हुए नहीं देख सकता था, इस्तीफा देना मेरी जीत थी."
अपने इस्तीफे में मिख़ाइल गोर्बाचोफ़ ने दावा किया कि उनके सुधार कार्यक्रमों की वजह से समाज को आज़ादी मिली. 25 साल बाद आज के रूस में क्या यह आजादी खतरे में है?
इस पर वह जवाब देते हैं, "यह प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है. हमें इसके बारे में खुलकर बात करने की जरूरत है. कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें आज़ादी से चिढ़ होती है. वे इसे लेकर अच्छा नहीं महसूस करते."
बातचीत में मिख़ाइल गोर्बाचोफ़ मौजूदा राष्ट्रपति की सीधी आलोचना से बचते हैं लेकिन व्लादीमिर पुतिन से अपने मतभेदों की तरफ कई बार इशारा करते हैं.
अमरीकी राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन के साथ मिख़ाइल गोर्बाचोफ़ के गर्मजोशी भरे रिश्तों की वजह से ही शीत युद्ध खत्म हुआ था. तो गोर्बाचोफ़ अमरीका के नवनिर्वाचित नेता के बारे में क्या सोचते हैं? क्या डोनल्ड ट्रंप से वे कभी मिले हैं?
मिख़ाइल गोर्बाचोफ़ कहते हैं, "मैंने उनकी ऊंची इमारतें देखी हैं लेकिन उनसे मिलने का कभी मौका नहीं मिला है. इसलिए मैं उनकी नीतियों और विचारों के बारे में कोई राय नहीं दे सकता हूं."
पश्चिम में कई लोग मिख़ाइल गोर्बाचोफ़ को हीरो की तरह देखते हैं. उन्हें पश्चिमी यूरोप को आजादी और जर्मनी के एकीकरण को मंजूरी देने वाले शख्स के तौर पर देखा जाता है लेकिन उनके अपने देश में गोर्बाचोफ़ वो नेता हैं, जिसने अपना साम्राज्य गंवा दिया था. (bbc.com/hindi)