नई दिल्ली, 28 अगस्त। विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षा के आयोजन सितंबर माह में कराने पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। फैसले के मुताबिक फाइनल ईयर की परीक्षा होगी। कोर्ट ने 30 सितंबर तक परीक्षा कराने के यूजीसी के सकरुलर को सही ठहराया। विश्वविद्यालय परीक्षा के नियम तय करने वाली यूजीसी कमेटी के अध्यक्ष प्रोफेसर आरसी कुहाड़ ने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का स्वागत किया है। कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच देशभर के सभी विश्वविद्यालयों में परीक्षा कैसे हो, छात्रों को शिक्षा कैसे दी जाए, विश्वविद्यालयों का नया सत्र कैसे और कब शुरू किया जाए, इसका समाधान यूजीसी की विशेषज्ञ कमेटी ने निकाला है। यूजीसी की इस कमेटी के अध्यक्ष हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आर. सी. कुहाड़ हैं।
कुहाड़ ने आईएएनएस से कहा, विद्यार्थियों के भविष्य और क रियर को ध्यान में रखते हुए हमने परीक्षा की अनिवार्यता पर जोर दिया है। क्योंकि परीक्षा के माध्यम से प्राप्त होने वाली डिग्री की स्वीकार्यता ग्लोबल स्तर पर होती है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी आज इस मूल भाव को समझते हुए अपनी बात में परीक्षा के महत्व को स्पष्ट किया है।
प्रो. आर. सी. कुहाड़ ने कहा, जहां तक बात महामारी के मुश्किल समय में स्वास्थ्य सुरक्षा की बात है, तो चाहे नीट हो या जेईई की प्रवेश परीक्षा, या फिर विश्वविद्यालय व अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों की अंतिम वर्ष व सेमेस्टर की मुख्य परीक्षाएं, सभी के स्तर पर सरकार व शिक्षण संस्थान सुरक्षा की ²ष्टि से आवश्यक उपायों को लेकर ²ढ़संकल्प है। हमारी समिति ने भी इस संबंध में शिक्षण संस्थानों से अपने स्तर पर विशेष ध्यान देने की सिफारिश की है।
कालेजों में अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षाएं नहीं कराई गई तो यूजीसी उनकी डिग्रियों को मान्यता नहीं देगी। यूजीसी के इसी निर्णय को देखते हुए अभी तक 600 से अधिक विश्वविद्यालयों ने अंतिम वर्ष की परीक्षाएं करवाने पर सहमति जताई है।
परीक्षाओं को लेकर अभी तक 818 विश्वविद्यालयों ने यूजीसी को अपना जवाब भेजा है। अपने जवाब में देशभर के 209 विभिन्न विश्वविद्यालयों ने बताया कि वे अपने संस्थानों में यूजीसी के दिशा निर्देश के अनुसार परीक्षाएं सफलतापूर्वक पूरी करवा चुके हैं।
इनके अलावा, 394 विभिन्न विश्वविद्यालय अगस्त और सितंबर में ऑनलाइन, ऑफलाइन एवं मिश्रित संसाधनों से परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। देशभर के लगभग सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने अंतिम वर्ष की परीक्षाएं लिए जाने पर अपनी सहमति दी है।
उधर यूजीसी ने शुक्रवार को कहा, विश्वविद्यालयों की परीक्षा के लिए 6 जुलाई को निर्धारित किए गए दिशा-निदेशरें पर 51 केंद्रीय विश्वविद्यालयों से सकारात्मक जवाब मिला है। इनमें से कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने अंतिम वर्ष और अंतिम सेमेस्टर की ऑनलाइन परीक्षाएं पूरी करवा ली हैं जबकि शेष रह गए केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने 30 सितंबर से पहले इस प्रकार की परीक्षाएं करवा लेने का आश्वासन दिया है।(IANS)
पटना, 28 अगस्त। बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी वर्चुअल रैली को संबोधित करेंगे। कांग्रेस राज्य में 100 वर्चुअल महासम्मेलन आयोजित करेगी, जिसे 'बिहार क्रांति वर्चुअल महासम्मेलन' का नाम दिया गया है। ये वर्चुअल रैलियां 1 से 21 सितम्बर तक आयोजित की जाएंगी। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और बिहार विधानसभा चुनाव प्रभारी अजय कपूर ने शुक्रवार को 'सदाकत आश्रम' में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इसकी जानकारी देते हुए कहा कि कांग्रेस पूरे राज्य में 100 वर्चुअल महासम्मेलन आयोजित करेगी।
उन्होंने कहा कि 1 से 21 सितबंर के बीच होने वाले 'बिहार क्रांति वर्चुअल महासम्मेलन' को पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी संबोधित करेंगे।
राज्य की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर अजय कपूर ने दावा करते हुए कहा कि राज्य के लोग सरकार बदलना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, लोग एक ऐसी सरकार चाहते हैं जो विकास के लिए काम करे और लोगों के हितों की रक्षा करें। इसके लिए जनता कांग्रेस की तरफ देख रही है। इस बार कांग्रेस पार्टी का हर कार्यकर्ता मजबूती के साथ चुनाव लड़ेगा और बिहार विधान सभा चुनाव में चौकाने वाले नतीजे सामने आएंगे।"
बिहार क्रांति वर्चुअल महासम्मेलन को संबोधित करने वाले नेताओं का जिक्र करते हुए कपूर ने बताया कि दिल्ली से दो नेता, 5 राज्य स्तरीय और जिला से 10 नेता रैली को संबोधित करेंगे।
उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत बेतिया जिले से होगी, इससे लोगों को जोड़ने के लिए पार्टी 'मिस्ड कॉल कैंपेन' चलाएगी।
चुनाव लड़ने के लिए सीटों की संख्या पर अजय कपूर ने कहा, पार्टी कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी इसका फैसला हाईकमान करेगा। राहुल गांधी जी स्वयं रूचि ले रहे हैं। हम एक सम्मानजनक संख्या पर चुनाव लड़ेंगे।"
इस मौके पर राज्य सभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह और बिहार विधान परिषद सदस्य समीर सिंह भी मौजूद थे।(IANS)
नई दिल्ली, 28 अगस्त। सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान (एनसीएमईआई) अधिनियम, 2004 को चुनौती देते हुए दायर जनहित याचिका मामले में केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया है। याचिका में शैक्षणिक संस्थानों को संचालित करने के उद्देश्य से जनसंख्या के आधार पर राज्यों द्वारा अल्पसंख्यक स्थिति का निर्धारण करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि अनुच्छेद 29-30 के तहत इन राज्यों में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को राज्य में बहुसंख्यक समुदाय द्वारा अवैध रूप से छीना जा रहा है, क्योंकि केंद्र ने उन्हें एनसीएमईआई अधिनियम के तहत अल्पसंख्यक अधिसूचित नहीं किया है।
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी निर्देश देने और यह घोषणा करने का आग्रह किया कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान अधिनियम 2004 की धारा 2 (एफ), मनमाना, तर्कहीन और संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 29 और 30 के खिलाफ है।
उपाध्याय ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, अजय रस्तोगी और अनिरुद्ध बोस की एक पीठ के समक्ष दलील दी कि 6 जनवरी, 2005 को अधिनियम जब एस 2 (एफ) के तहत शक्तियों का प्रयोग कर लागू हुआ, तब केंद्र ने मनमाने ढंग से राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक के रूप में 5 समुदायों को सूचित किया, जिसमें मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी शामिल है, जो कि टीएमए पाई के शासन की भावना के खिलाफ है।
याचिका में कहा गया है, कार्रवाई की मांग आज तक जारी है, क्योंकि यहूदी धर्म, बाहिस्म और हिंदू धर्म के अनुयायी, जो लद्दाख, मिजोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब, मणिपुर में वास्तविक तौर पर अल्पसंख्यक हैं, वे राज्य स्तर पर अपनी पहचान अल्पसंख्यक न होने के कारण अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और उसका लाभ नहीं उठा सकते हैं, इस प्रकार अनुच्छेद 29-30 के तहत उनके मूल अधिकार खतरे में है।
इस मामले पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद पीठ ने छह सप्ताह में नोटिस का जवाब देने का आदेश जारी किया है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि लक्षद्वीप (96.58 प्रतिशत) और कश्मीर (96 प्रतिशत) में मुसलमान बहुमत में हैं और लद्दाख (44 प्रतिशत), असम (34.20 प्रतिशत), पश्चिम बंगाल (27.5 प्रतिशत), केरल (26.60 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (19.30 प्रतिशत), बिहार(18 प्रतिशत) में उनकी काफी जनसंख्या है और वे अपनी पसंद के शिक्षण संस्थानों की स्थापना और प्रशासन का लाभ ले सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा, "नागालैंड (88.10 फीसदी), मिजोरम (87.16 फीसदी) और मेघालय (74.59 फीसदी) में ईसाई बहुसंख्यक हैं, और अरुणाचल, गोवा, केरल, मणिपुर, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी उनकी आबादी काफी है, वे भी स्थापना और प्रशासन भी कर सकते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "लद्दाख में हिंदू मात्र 1 प्रतिशत, मिजोरम में 2.75 प्रतिशत, लक्षद्वीप में 2.77 प्रतिशत, कश्मीर में 4 प्रतिशत, नागालैंड में 8.74 प्रतिशत, मेघालय में 11.52 प्रतिशत, अरुणाचल प्रदेश में 29 प्रतिशत, पंजाब में 38.49 प्रतिशत, मणिपुर में 41.29 प्रतिशत हैं, लेकिन केंद्र ने उन्हें अल्पसंख्यक घोषित नहीं किया है, जिससे वे अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान की स्थापना नहीं कर सकते।"
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रार्थना करते हुए कहा, "वैकल्पिक रूप से आदेश देने की घोषणा करें कि यहूदी, बाहिस्म और हिंदू धर्म के अनुयायी, जो लद्दाख, मिजोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और मणिपुर में अल्पसंख्यक हैं, वे अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और उनका प्रशासन कर सकते हैं।"(IANS)
नई दिल्ली, 28 अगस्त। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ऐसे कुछ राज्यों के संपर्क में बना हुआ है, जहां एक गिरोह केंद्रीय वित्तीय जांच एजेंसी के नाम पर फर्जी नोटिस जारी कर लोगों और बैंकों से जबरन वसूली के गोरखधंधे में लिप्त है।
ईडी कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली के लगातार संपर्क में है। एजेंसी का कहना है कि इन राज्यों में एक गिरोह सक्रिय है, जो लोगों को फर्जी तरीके से तलब करके और नोटिस जारी करते हुए धोखाधड़ी की कोशिशों में लगा है। यह गिरोह वित्तीय जांच एजेंसी की आड़ में बैंकों और व्यापारियों को नोटिस जारी करता है।
एजेंसी अन्य राज्य पुलिस बलों के साथ भी संपर्क में है, कि क्या उनके क्षेत्र में भी कोई ऐसा अपराध संज्ञान में आया है, ताकि निर्दोष लोगों को इन अपराधियों की करतूतों से बचाया जा सके। सभी राज्य पुलिसबलों के निदेशक जनरलों को एक लिखित संचार में ईडी ने उन्हें ऐसे गिरोह की गतिविधियों के बारे में सतर्क रहने को कहा है।
ईडी की जांच के अनुसार, गिरोह के सदस्यों ने निर्दोष व्यापारियों और व्यक्तियों के बैंक खातों को फ्रीज करने के निर्देश के साथ बैंकों को फर्जी नोटिस जारी किए। इसी तरह, गिरोह ने व्यापारियों और लोगों को फर्जी समन और पत्र भी जारी किए और उन्हें ईडी के कार्यालय में उपस्थित होने के लिए कहा।
प्रारंभिक सत्यापन करने के बाद, ईडी ने संबंधित अधिकारियों की मदद से बैंकों को ऐसे फर्जी पत्रों के बारे में पुलिस शिकायत दर्ज करने के निर्देश के साथ स्पष्टीकरण जारी किया। ईडी ने भी फर्जी पत्रों और सम्मन के बारे में व्यक्तियों को इसी तरह के स्पष्टीकरण जारी किए।
हाल के दिनों में प्राप्त कई शिकायतों के बाद ईडी ने अपनी जांच शुरू की। एजेंसी के संज्ञान में आया कि ईडी के नाम से विभिन्न बैंकों और कुछ विशिष्ट व्यक्तियों को फर्जी पत्र भेजे गए। यह फर्जी नोटिस और पत्र कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली के व्यापारियों और लोगों को भेजे गए।
विशिष्ट इनपुट के आधार पर, ईडी ने पिछले सप्ताह दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को सतर्क किया, जो इस सप्ताह के शुरू में गिरोह से जुड़े पांच ऐसे अपराधियों को गिरफ्तार करने में सफल रही और उन्हें गुरुवार को दिल्ली की अदालत में पेश किया।
एजेंसी ने कहा, "गिरफ्तार गिरोह के सदस्यों की उम्र 24 से 35 वर्ष के बीच है और वे दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के हैं। वे जबरन वसूली और धोखाधड़ी के विभिन्न मामलों में शामिल हैं।"
केंद्रीय एजेंसी का कहना है कि गिरोह ने ईडी अधिकारियों के तौर पर व्यापारियों और अन्य व्यक्तियों को निशाना बनाया।
ईडी को इन अपराधियों के बारे में महाराष्ट्र के एक व्यक्ति से शिकायत मिली थी।(IANS)
नई दिल्ली, 28 अगस्त। भारतीय जनता पार्टी ने एक आरटीआई के जरिए अरविंद केजरीवाल सरकार पर कोरोना काल के चार महीनों में 48 करोड़ रुपये विज्ञापनों पर खर्च करने का दावा किया है। पार्टी का कहना है कि हर रोज 40 लाख रुपये विज्ञापनों पर खर्च करने के लिए केजरीवाल सरकार के पास धनराशि हैं, लेकिन कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं। दरअसल, आवेदक हरीश खुराना की ओर से आरटीआई से मांगी गई जानकारी से पता चला कि केजरीवाल सरकार ने जुलाई में सर्वाधिक 45.94 करोड़ रुपये विज्ञापनों पर खर्च किए, वहीं जून में 1.81 करोड़ और अप्रैल में 66 लाख रुपये का विज्ञापन जारी किया गया।
इस मसले पर शुक्रवार को प्रदेश कार्यालय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने कहा कि आरटीआई से जानकारी मिली है कि, कोरोना काल में प्रतिदिन 40 लाख के हिसाब से पिछले 4 महीने में केजरीवाल सरकार ने 48 करोड़ रुपये केवल विज्ञापन पर खर्च कर दिए। पिछले साल भी दिल्ली सराकर ने विज्ञापन पर 200 करोड़ रुपये खर्च कर दिए थे, जो कि 55 लाख रुपये प्रतिदिन बैठता है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि, " एक तरफ दिल्ली सरकार कहती है उनके पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं, लेकिन दूसरी तरफ हर रोज 40 लाख रुपये के विज्ञापन देने के लिए उसके पास पैसे हैं।"
उन्होंने कहा, "अगर इस पैसे का सही तरीके से दिल्ली सरकार इस्तेमाल करती तो, प्रतिदिन 2 लाख लोगों को मु़फ्त भोजन मिल सकता था, मतलब पिछले 5 महीने में 3 करोड़ लोगों को मु़फ्त भोजन मिल जाता। इन पैसों से दिल्ली में प्रतिदिन 26 वेंटिलेटर खरीदे जा सकते थे, यानी इन 5 महीनों में 3900 वेंटिलेटर खरीदे जा सकते थे।"
आदेश कुमार गुप्ता ने कहा कि "एक तरफ उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया कल जीएसटी कॉउंसिल में दिल्ली के पास पैसा ना होने की बात करते हैं, वहीं दूसरी तरफ पिछले साल केजरीवाल सरकार ने 200 करोड़ और इस साल पिछले 4 महीने में 48 करोड़ झूठे विज्ञापनों में बर्बाद कर डाले।"
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल बताएं कि उन्होंने दिल्ली सरकार के फंड से इन पांच महीनों में कितने लोगों को मास्क, सैनिटाइजर, राशन किट, काढ़ा और खाना बांटा है।(IANS)
रांची, 28 अगस्त। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आईआईटी-जेईई और नीट की परीक्षा को स्थगित करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को चिट्ठी लिखी है। पत्र में सोरेन ने लिखा है, "दोनों परीक्षा छात्रों के करियर के लिए अति महत्वपूर्ण है और ये परीक्षाएं छात्रों का भविष्य तय करेंगी। सभी परीक्षार्थी इसके लिए कड़ी मेहनत करते हैं, इसलिए यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि छात्र स्वास्थ्य सुरक्षा और शांति के माहौल में परीक्षा दें।"
उन्होंने कहा, "देश के लोग कोरोना महामारी से लड़ रहे हैं, जिसने लाखों को प्रभावित किया है और इससे हजारों लोगों की मौत हो गई है। इस महामारी का आर्थिक क्षेत्र में भी नकारात्मक असर पड़ा है। स्वास्थ्य को लेकर डर और साथ ही आर्थिक व्यवधान की वजह से लोगों में तनाव व्याप्त है।"
उन्होंने कहा, "कोरोना रोकने की रणनीति के तहत, झारखंड सरकार ने अभी तक सार्वजनिक बस ट्रांसपोर्ट या फिर रेस्टॉरेंट को खोला नहीं है। इसलिए परीक्षार्थियों और अभिभावकों को गंभीर लॉजिस्टिक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।"
सोरेन ने कहा, "कुछ छात्र कंटेनमेंट जोन में रहते हैं। फलस्वरूप क्षेत्र से निकलना उनके लिए मुश्किल होगा। यह भी हो सकता है कि परीक्षार्थी या उनके परिजन कोरोना संक्रमित हों। इनसब परिस्थितियों में ज्यादा परीक्षार्थियों का शामिल होना मुश्किल होगा।(IANS)
मुंबई, 28 अगस्त। टेलीवीजन चैनलों पर रिया चक्रबर्ती के दिए इंटरव्यू के एक दिन बाद सुशांत सिंह राजपूत के परिवार के वकील विकास सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक बयान जारी किया। विकास सिंह ने ट्वीट किया, मेरा दृढ़ विश्वास है कि जो लोग कानूनी प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं, उनकी मीडिया पब्लीसिटी पर रोक लगनी चाहिए। अगर वो निर्दोष हैं तो ये उनकी प्रतिष्ठा को खराब करता है, और अगर वो दोषी हैं तो अनुचित रू प से उन्हें कवरेज मिल जाता है।
विकास सिंह का ये ट्वीट रिया के टेलीविजन इंटरव्यू के एक दिन बाद आया जिसमें रिया ने सुशांत के परिवार वालों पर कई आरोप लगाए।
रिया के इसी इंटरव्यू के बाद सुशांत की बहन श्वेता सिंह कीर्ति ने ट्वीट किया, जैसा कि रिया ने अपने इंटरव्यू में आरोप लगाया कि हम अपने भाई से प्यार नहीं करते थे। हां, ये सही है! क्या मैं इसीलिए अमेरिका से भारत जनवरी में आई तब जब मुझे पता चला कि मेरा भाई चंडीगढ़ में है और उसकी तबीयत ठीक नहीं है। मैं अपना बिजनेस छोड़ कर वहां से भागी भागी आई थी।
श्वेता ने रिया के बारे में आगे लिखा, तुमको इतनी हिम्मत है नेशनल मीडिया पर आने और मेरे भाई की छवि बिगाड़ने की, वो भी उसके मरने के बाद। तुमको क्या लगता है कि भगवान ये सब नहीं देख रहे हैं। मैं देखूंगी कि भगवान तुम्हारे साथ क्या करते हैं।(IANS)
पटना, 28 अगस्त। जन अधिकार पार्टी (जाप) आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में 150 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। सीटों पर सामान्य विचारधारा वाली पार्टियों के साथ गठबंधन करेगी। इसकी घोषणा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव ने शुक्रवार को की। पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पप्पू यादव ने दावा करते हुए कहा कि "बिहार के हालात पर टीवी चौनलों के किए गए सर्वेक्षण के अनुसार जन अधिकार पार्टी बिहार की जनता की पहली पसंद है।" उन्होंने कहा कि पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में ये निर्णय लिया गया कि पार्टी 150 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
जाप अध्यक्ष ने कहा, "हम पटना की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। पटना के दोनों सांसद, अधिकतर विधायक, शहरी विकास मंत्री और मेयर भाजपा के हैं, लेकिन फिर भी पटना देश का सबसे गंदा शहर है। हम सत्ता में आए तो तीन साल के भीतर पटना को एशिया का सबसे स्वच्छ शहर बनाएंगे।"
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि "40 विधानसभा क्षेत्रों में हमारी मतादान केंद्र स्तर तक कमेटी तैयार हो गई है और अगले दो सप्ताह में 60 और विधानसभा क्षेत्रों में कमेटी तैयार हो जाएगी।"
उन्होंने कहा कि पार्टी अगले सप्ताह प्रतिज्ञा पत्र जारी करेगी और सितम्बर के अंतिम सप्ताह में उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी।
आगे उन्होंने कहा कि " हमारी पार्टी 80 टिकट युवाओं और 30 टिकट महिलाओं को देगी। उन्होने स्पष्ट करते हुए कहा कि पार्टी किसी अपराधी को टिकट नहीं देगी।
पप्पू यादव ने जेईई और नीट परीक्षा पर विपक्षी पार्टियों पर भी सवाल उठाए हैं।
इस दौरान पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अखलाक अहमद, राष्ट्रीय प्रधान महासचिव एजाज अहमद सहित कई नेता मौजूद रहे।(IANS)
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| सुदर्शन टीवी चैनल पर प्रसारित एक विवादित प्रोमो के मद्देनजर जामिया मिलिया इस्लामिया ने शिक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर इस मुद्दे की जानकारी दी है और उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। अपने पत्र में, विश्वविद्यालय ने कहा है कि सुदर्शन टीवी ने न केवल विश्वविद्यालय और एक विशेष समुदाय की छवि को धूमिल करने की कोशिश की है बल्कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की छवि को भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है।
सुदर्शन टीवी के एडिटर-इन-चीफ सुरेश चव्हाणके के एंकरिंग वाले प्रोमो में, यूपीएससी परीक्षा के माध्यम से नौकरशाही में मुसलमानों के प्रवेश पर सवाल उठाते हुए देखा गया, जिसके बाद जामिया ने यह कदम उठाया है।
चव्हाणके ने 25 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस को टैग करते हुए प्रोमो भी ट्वीट किया और इसे 10 लाख से अधिक बार देखा गया।
नौकरशाही में मुसलमानों को 'घुसपैठियो' की संज्ञा देते हुए, उन्होंने यह भी सवाल उठाया था समुदाय के सदस्य प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा को बड़ी संख्या में कैसे पास कर रहे हैं। उन्होंने जामिया की आवासीय कोचिंग अकादमी के छात्रों को 'जामिया के जिहादियों' के रूप में बताया था।
ट्वीट को लेकर मीडिया यूजर्स ने तीखी प्रतिक्रिया दी और उनके अकाउंट को सस्पेंड करने और एफआईआर दर्ज करने की मांग की।
इस बीच, आईएएस एसोसिएशन ने भी चैनल की निंदा करते हुए ट्वीट किया है, "सुदर्शन टीवी द्वारा धर्म के आधार पर नागरिक सेवाओं में उम्मीदवारों को निशाना बनाने वाली एक खबर को बढ़ावा दिया जा रहा है। हम पत्रकारिता के सांप्रदायिक और गैरजिम्मेदाराना रूप की निंदा करते हैं।"
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| पूर्वोत्तर दिल्ली की मंडोली जेल से कथित तौर पर चलाए जा रहे एक उगाही (जबरन वसूली) रैकेट का दिल्ली पुलिस ने भंडाफोड़ किया है और इस सिलसिले में जेल के 50 वर्षीय मुख्य जेल वार्डन सहित पांच को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने कहा कि नंदू गैंग का एक सक्रिय सदस्य जो जबरन वसूली कर धंधे में शामिल होने के कारण कुख्यात है, उसकी पहचान विकास के रूप में हुई है जो रैकेट का मास्टरमाइंड है और कथित तौर पर जेल से इसका संचालन करता है, जहां वह वर्तमान में बंद है।
जहां मुख्य वार्डन की पहचान राजेंद्र सिंह के रूप में की गई है, वहीं अन्य चार आरोपी जगमोहन (23), विकास (28), प्रमोद कुमार (30) और हनी राजपाल (35) हैं।
प्रमोद, जो न्यायिक हिरासत में था, को हाल ही में अंतरिम जमानत मिली थी, जबकि राजपाल हत्या के आरोप में जेल में बंद हैं।
पूछताछ के दौरान, प्रमोद ने कबूला कि जेल में उसकी मुलाकात राजपाल से हुई, जो इस समय एक हत्या के मामले में मंडोली जेल में है।
जब उसे अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया, तो राजपाल ने प्रमोद को जेल में 10 सिम कार्ड देने और मुख्य वार्डन राजेंद्र के माध्यम से जेल भेजने के लिए बुलाया, जिसके लिए उसे 2000 रुपये प्रति सिम देने का वादा किया गया था।
द्वारका के डीसीप एन्टो अल्फोंस ने कहा, "इस पर, उसने अपने नाम पर 4 सिम जारी कराए और अपने भाई जगमोहन के नाम पर 6 सिम जारी कराए और अलग-अलग मौकों पर मुख्य वार्डन राजेंद्र को मंडोली जेल और खजुरी खास चौक पर सौंप दिया।"
जांच के दौरान, सिम कार्ड डीलरों की जांच की गई, उनका रिकॉर्ड चेक किया गया और 50 वर्षीय आरोपी राजेन्द्र सिंह को गिरफ्तार किया गया।
उसके खुलासे और व्हाट्सएप चैट के आधार पर, टीम ने दिल्ली के गांव बक्करवाला निवासी हनी राजपाल और इस रैकेट के मास्टरमाइंड विकास उर्फ पीके को गिरफ्तार कर लिया।
भुवनेश्वर, 28 अगस्त (आईएएनएस)| ओडिशा में फिर एक बार एक दिन में सबसे अधिक 3,682 कोरोनावायरस के मामले सामने आए। इसके साथ ही राज्य में इस वायरस से संक्रमितों की संख्या 94,668 हो गई है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार को ये जानकारी दी। पिछले 24 घंटों में कोविड-19 से आठ लोगों की मौत हुई है। इसके साथ ही इस राज्य में मरने वालों की कुल संख्या 456 हो गई है।
भुवनेश्वर और गंजम जिलों में दो-दो मौतें हुई हैं। इसके अलावा भद्रक, बलांगीर, बारगढ़ और रायगादा जिलों में एक-एक मौत दर्ज हुई है।
नए मामलों में 2,241 क्वारंटीन सेंटर से मिले हैं जबकि 1,441 लोकल इंफेक्शन हैं।
राज्य में एक्टिव मामलों की कुल संख्या 28,836 है, जबकि 65,323 मरीज ठीक हो कर घर जा चुके हैं।
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने शुक्रवार को सुशांत सिंह राजपूत के पिता के के सिंह और बहन रानी सिंह से भेंट कर कहा है कि उन्हें जल्द इंसाफ मिलेगा। केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने सुशांत सिंह के जीजा ओपी सिंह के फरीदाबाद स्थित पुलिस कमिश्नर आवास पर करीब आधे घंटे तक परिवार से बात कर सांत्वना दी। इस दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि सीबीआई की जांच से दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा। सीबीआई की जांच से बॉलीवुड का माफिया बेनकाब होगा। बॉलीवुड में एक पूरा गैंग काम करता है, जो प्रतिभाओं को दबाने की कोशिश करता है। रामदास अठावले ने कहा कि वो घटना की शुरूआत से ही इस संगीन मामले की सीबीआई जांच के पक्षधर थे। पिता के के सिंह ने सुशांत की मौत के पीछे गहरी साजिश का अंदेशा जताया। उन्होंने मुंबई पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए। बहन रानी सिंह ने भी सुशांत की संदिग्ध मौत को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए।
रामदास अठावले महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य भी हैं। ऐसे में सुशांत सिंह राजपूत के पिता और बहन से उनकी इस मुलाकात के काफी मायने हैं। रामदास अठावले सुशांत सिंह राजपूत केस में शुरूआत से उच्चस्तरीय जांच की मांग करते रहे हैं। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि जल्द ही सीबीआई के हाथ सभी दोषियों के गिरेबान तक पहुंचेगे। सुशांत सिंह राजपूत की हत्या की आशंका है।
मनोज पाठक
पटना, 28 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एक बार फि र से राजनीतिक दलों द्वारा 'दोस्तों' की खोज प्राारंभ हो गई है। इस बीच विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल घटक दलों के बीच जहां एक ओर नाराजगी की बातें सामने आ रही हैं, वहीं वामपंथी दलों की राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन से नजदीकियां बढ रही हैं।
राजग को टक्कर देने के लिए वामपंथी पार्टियां महागठबंधन के नेताओं के संपर्क में हैं और इसे लेकर बैठकों का दौर भी शुरू हो गया है।
वामपंथी दलों के नेताओं ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह से बुधवार को मुलाकात की और इस मामले को लेकर चर्चा की। बैठक में सभी दलों में गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने पर सहमति बनी है, हालांकि अभी सीट बंटवारे को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का एक संयुक्त शिष्टमंडल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह से मिला और इस बारे में चर्चा की।
भाकपा के प्रदेश सचिव रामनरेश पांडे ने बताया कि दलों में इस बात पर सहमति बनी कि राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, भाकपा, माकपा, अन्य वामपंथी दल एवं अन्य पार्टियां मिलकर सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने कहा कि सभी दलों के बीच सम्मानजनक तरीके से सीटों के बंटवारे पर जल्द ही सहमति बना ली जाएगी।
उन्होंने कहा, "किसी भी परिस्थिति में व्यापक गठबंधन के बीच किसी प्रकार की अड़चन नहीं आने दी जाएगी। सभी पक्ष आपसी समझदारी और व्यापक राजनीतिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ेंगे।"
उल्लेखनीय है कि अन्य पार्टियों से समझौता के लिए राजद ने अपने प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को अधिकृत किया है।
वैसे इससे पहले भी भाकपा और माकपा, राजद या जनता दल के साथ गठबंधन में रह चुकी है, लेकिन यह पहली बार होगा जब भाकपा (माले) भी राजद के इस गठबंधन में होगी।
भाकपा (माले) के फि लहाल तीन विधायक हैं।
भाकपा (माले) के कार्यालय सचिव कुमार परवेज कहते हैं कि हमलोग राजद के साथ गठबंधन के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास पहले से ही तीन सीटें हैं और भोजपुर, पटना, अरवल और सीवान जिले में एक दर्जन से अधिक सीटों पर हमारी अच्छी पकड़ है।
उन्होंने कहा, "यह एक अच्छे संकेत की तरह दिखता है कि तीनों वामपंथी दल बिहार में महागठबंधन का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि वामपंथी दलों की इच्छा विपक्ष मजबूत और एकता के साथ चुनाव में उतरने की है और नीतीश कुमार के गठबंधन को शिकस्त देने की।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में भी वामपंथी दलों को कुछ सीटों पर समझौता हुआ था, लेकन बेगूसराय सीट पर जेएनयू छात्र संघ के पूर्व नेता कन्हैया कुमार के प्रत्याशी बनने के बाद वहां समझौता नहीं हो सका था।
बहरहाल, राजद और वामपंथी दलों के इस चुनाव में समझौता होने के बाद चुनाव प्रचार में तेजस्वी और कन्हैया मंच साझा करेंगे या नहीं यह देखना दिलचस्प होगा।
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पीएनबी घोटाले के आरोपी मेहुल चोकसी द्वारा नेटफ्लिक्स के आगामी सीरीज 'बैड बॉय बिलियनेयर्स : इंडिया' के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति नवीन चावला की अगुवाई वाली हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश पीठ ने दी।
अपने आदेश में, न्यायाधीश चावला ने कहा, "याचिकाकर्ता की याचिका का समाधान सिविल सूट (दीवानी न्यायालय) में होगा क्योंकि जैसा कि याचिकाकर्ता द्वारा आरोप लगाया गया है कि यह उसके निजी अधिकार का हनन है। दुरुपयोग को लेकर पेश की गई प्रस्तुतियों के मद्देनजर, वर्तमान याचिका को खारिज किया जाता है और याचिकाकर्ता के पास दूसरे उचित कानूनी उपाय का विकल्प खुला है।"
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 (कोरोनावायरस) चुनाव स्थगित करने का आधार नहीं हो सकता, और उसने बिहार के कोरोना मुक्त होने तक विधानसभा चुनाव स्थगित कराने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। न्यायाधीश अशोक भूषण की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि कोविड-19 चुनाव स्थगित करने का आधार नहीं हो सकता है और अदालत चुनाव आयोग को यह नहीं बता सकती है कि इस मुद्दे पर क्या किया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत के समक्ष तर्क दिया कि उसे चुनाव की अधिसूचना को रोकना चाहिए।
पीठ ने जवाब दिया, "हम चुनाव आयोग से चुनाव नहीं कराने के लिए कैसे कह सकते हैं?"
याचिकाकर्ता ने जोर देकर कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून कहता है कि असाधारण परिस्थितियों में चुनाव स्थगित किए जा सकते हैं।
पीठ ने जवाब दिया कि यह फैसला चुनाव आयोग को करना है न कि शीर्ष अदालत को। पीठ ने दोहराया कि वह चुनाव आयोग को चुनाव नहीं कराने का निर्देश नहीं दे सकती है।
याचिकाकर्ता ने जोर देकर कहा कि मानव जीवन सर्वोपरि है न कि चुनाव, क्योंकि लोग कोरोनोवायरस संक्रमण के कारण पीड़ित हैं।
पीठ ने कहा कि वह ऐसा आदेश पारित नहीं कर सकती। यह भी कहा कि याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है क्योंकि राज्य चुनाव की अधिसूचना अभी तक जारी नहीं की गई है और यह समय से पहले है।
याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से चुनाव आयोग और राज्य में बीमारी को लेकर जमीनी हालात के संबंध में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से रिपोर्ट मांगने का अनुरोध किया।
पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग स्थिति के बारे में देखेगा और मामले पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने याचिका खारिज कर दी।
मनोज पाठक
पटना, 28 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार में विपक्षी दलों के गठबंधन में शामिल घटक दलों के बीच नाराजगी के बाद प्रमुख घटक दल राष्ट्रीय जनत दल (राजद) इस साल के अंत में होने वाले संभावित विधानसभा चुनाव में कम से कम 150 से 160 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर 'आत्मनिर्भर' बनने की इच्छा रखती है। राजद को अपने बलबूते सरकार बनाने की चाह है।
राजद के एक नेता ने दावा करते हुए कहा कि राजद पिछले विधानसभा चुनाव वाली गलती दोहराने के मूड में नहीं है, कि गठबंधन में शामिल किसी एक दल के समर्थन वापस लेने से वे सरकार से ही बाहर हो जाए।
राजद का मानना है कि इस चुनाव में भी पार्टी अपने पुराने वोटबैंक एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण के जरिए बहुमत के करीब पहुंचना चाहती है। यही काराण है कि राजद अपने इस मजबूत आधार को फि र से साधने की कोशिश करेगी।
सूत्रों का दावा है कि टिकट वितरण में भी इस समीकरण का खास ख्याल भी रखा जाएगा। सूत्र बताते हैं कि राजद इस चुनाव में कुल 243 सीटों में से 150 से 160 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाह रही है।
उल्लेखनीय है कि पिछले चुनाव में राजद ने 101 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे जबकि उसकी सहयोगी जदयू 101 और कांग्रेस को 41 सीटों पर चुनाव लड़े थे। चुनाव के बाद राजद 80 सीटों पर जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, जबकि जदयू को 71 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। इसके बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने थे और उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदाराी राजद के नेता तेजस्वी यादव को मिली थी।
इसके बाद 2017 में जदयू और राजद की दोस्ती बिखर गई और जदयू गठबंधन से बाहर निकल गया, जिससे राजद-कांग्रेस की भगीदारी वाली सरकार गिर गई। इसके बाद जदयू ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली।
सूत्रों का कहना है कि राजद, कांग्रेस, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) वाले महागठबंधन में कांग्रेस दूसरी सबसे पार्टी होगी। कांग्रेस फिलहाल 80 सीटों पर अपना दावा पेश कर रही है। महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा गठबंधन से बाहर निकल गई है।
राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी हालांकि कहते हैं कि अभी सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर कहीं कोई मतभेद नहीं है। पार्टी के सभी नेता बैठकर इसे तय कर लेंगे। राजद के एक अन्य नेता कहते हैं कि राजद का अपना वोट बैंक है और फिलहराल राजद सबसे बडी पार्टी है ।
कानपुर, 28 अगस्त (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश पुलिस के एक निलंबित सब-इंस्पेक्टर पर सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। पुलिस के अनुसार, सब-इंस्पेक्टर विजय प्रताप ने एक धर्म विशेष के खिलाफ भी अपमानजनक टिप्पणी की थी।
कोतवाली पुलिस स्टेशन में जिला भाजपा अध्यक्ष अजय प्रताप धाकरे और अखिल भारतीय ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष शैलेंद्र चौधरी की शिकायतों के बाद मामला दर्ज किया गया है।
अधिकारी (सिटी) वैभव पांडेय ने कहा कि दोषी पुलिस अधिकारी पर आईपीसी और आईटी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
विजय प्रताप ने तब सुर्खियां बटोरी थीं, जब उन्होंने नवंबर 2019 में बिठोली पुलिस स्टेशन में अपने स्थानांतरण के विरोध में 65 किलोमीटर की दौड़ लगाई थी।
उन्होंने तब एक ट्वीट भी पोस्ट किया था, जिसमें लिखा था, "आरआई (पुलिस के रिजर्व इंस्पेक्टर) के तानाशाही रवैये के कारण मेरा तबादला किया जा रहा है। मुझे एसएसपी द्वारा आरक्षित पुलिस लाइनों में वापस रहने के लिए कहा गया था, लेकिन मुझे आरआई द्वारा जबरन बिठोली में स्थानांतरित किया जा रहा है। आप इसे मेरा गुस्सा समझे या दुख, लेकिन मैं बिठोली दौड़ कर जाऊंगा।"
इटावा के एसपी (सिटी), राम यश सिंह ने कहा, "सब-इंस्पेक्टर को रिजर्व पुलिस लाइंस से बिठोली में स्थानांतरित किया गया था। किसी भी अनुशासित अधिकारी की तरह ट्रांसफर ऑर्डर को स्वीकार करने के बजाय, उन्होंने सोशल मीडिया पर एक संदेश पोस्ट किया।"
संदीप पौराणिक
भोपाल/दतिया, 28 अगस्त (आईएएनएस)| कोरोना संक्रमण के विस्तार को रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को बड़ा हथियार माना गया है और इसी के चलते देश के अन्य हिस्सों की तरह मध्य प्रदेश में भी स्कूल बंद हैं और बच्चों का खेलना कूदना भी कम है। इन स्थितियों में बाल कथाएं बच्चों के लिए बड़ा सहारा बन गई है।
मध्यप्रदेश के दतिया जिले में बच्चों को मनोरंजक और ज्ञानवर्धक कहानियां उपलब्ध कराने के लिए जिला बाल अधिकार मंच के तहत गठित विद्यालय स्तरीय बाल अधिकार मंच ने पुस्तकालय शुरू किए हैं। यह पुस्तकालय जिले के दो गांव सेमई और दुर्गापुर में चलाए जा रहे हैं। इन पुस्तकालयों में उपलब्ध पुस्तकों की बाल कथाओं के जरिए बच्चे अपना मनोरंजन और ज्ञानार्जन करने में लगे हैं।
गैर सरकारी संगठन स्वदेश ग्रामोत्थान समिति के मुख्य कार्यकारी रामजी राय ने आईएएनएस को बताया है कि जिले में चाइल्ड राइट ऑब्जर्वेटरी द्वारा बच्चों में अपने अधिकारों के प्रति जागृति लाने के लिए राज्य के पच्चीस जिलों में जिला बाल अधिकार मंचों का गठन किया गया है। इसी के तहत दतिया में विद्यालय स्तर पर 11 बाल अधिकार मंच बनाए गए है। इन्हीं में से दो -- गांव सेमई और दुर्गापुर में विद्यालय स्तर पर बने बाल अधिकार मंच ने बच्चों के लिए कोरोना काल में बाल कथाओं की पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए पुस्तकालय शुरु किए हैं।
उन्होंने आगे बताया कि दोनों ही गांव में मंच के एक-एक सदस्य के घर 25-25 बाल कथाओं पर आधारित पुस्तकें पुस्तकालय के तौर पर रखी गई हैं, जिन्हें बच्चे अपनी रूचि के अनुसार संबंधित सदस्य के यहां से हर रोज बदल-बदल कर अपने घर पुस्तकें ले जाते हैं। जब वे उस किताब की कहानी पढ़ लेते है या दूसरी किताब की जरुरत महसूस करते है तो उसे बदल कर ले लेते है।
सेमई गांव की छात्रा बृज कुंवर पांचाल कोरोना के समय मिली बाल कथाओं की किताबों से बड़ी खुश है। उनका कहना है कि स्कूल बंद हैं और खेलना कूदना भी लगभग बंद ही है, इन स्थितियों में यह किताबें जहां मनोरंजन कर रही हैं वहीं कई ज्ञानवर्धक जानकारियां भी दे रही हैं।
इसी तरह दुर्गापुर में बच्चों को बाल कथाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी मंच के बृजेंद्र पटवा पर है। वह बताते है कि गांव के हम सभी बच्चों के लिए यह बाल कथाओं की किताबें बड़ी उपयोगी हो गई हैं। कोरोना के कारण घर से निकलना बंद है ऐसे में स्कूल की पढ़ाई पूरे समय तो हो नहीं सकती और टीवी भी देखें तो कितनी देर, ऐसे में यह बाल कथाएं पढ़कर नई-नई जानकारियां हासिल कर रहे हैं।
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में इन दिनों संगठन चुनाव की मांग तेज हो गई है। कई वरिष्ठ नेता इसको लेकर मुखर हैं। राज्यसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि एक प्रतिशत लोग भी इस बात के समर्थन में नहीं हो सकते हैं कि अध्यक्ष पद पर किसी को बिना चुनाव के नियुक्त कर दिया जाए। आजाद उन नेताओं में से हैं, जिन्होंने कांग्रेस के अंदर संगठन चुनाव की मांग करते हुए सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी।
आजाद ने आगे यह भी कहा कि अगर संगठन का चुनाव जीत कर आने वाले लोग कांग्रेस का नेतृत्व नहीं करेंगे तो पार्टी अगले 50 वर्षों तक विपक्ष में बैठी रहेगी।
गुलाम नबी आजाद ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया, "जब आप चुनाव लड़ते हैं तो कम से कम 51 प्रतिशत लोग आपके साथ होते हैं और आप पार्टी के भीतर केवल 2 से 3 लोगों के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं। एक व्यक्ति जिसे 51 प्रतिशत वोट मिलेंगे, अन्य को 10 या 15 प्रतिशत वोट मिलेंगे। जो व्यक्ति जीतेगा वह अध्यक्ष बनेगा, इसका मतलब है कि 51 प्रतिशत लोग उसके साथ हैं। चुनाव का लाभ है कि जब आप चुनाव लड़ते हैं, तो कम से कम आपकी पार्टी के 51 प्रतिशत लोग आपके साथ खड़े होते हैं। अभी अध्यक्ष बनने वाले व्यक्ति के पास एक प्रतिशत समर्थन भी नहीं हो सकता है। यदि CWC के सदस्य चुने जाते हैं, तो उन्हें हटाया नहीं जा सकता। ऐसे में समस्या क्या है।"
चुनाव की मांग को दोहराते हुए उन्होंने कहा, "जो दूसरे, तीसरे या चौथे स्थान पर रहेंगे, वे सोचेंगे कि हमें कड़ी मेहनत करते हुए पार्टी को मजबूत करना होगा और अगली बार जीतना होगा। लेकिन, अभी जो अध्यक्ष चुना गया है, उसे पार्टी के एक प्रतिशत कार्यकर्ताओं का समर्थन भी नहीं है।" उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसी को भी राज्य में पार्टी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त कर रही है। यै वैसे व्यक्ति होते हैं, जिनका दिल्ली आना-जाना लगा रहता है और जिसकी सिफारिश पार्टी के बड़े नेताओं द्वारा की जाती है।
गुलाम नबी आजाद ने आगे कहा, "हमें यह भी नहीं पता है कि ऐसे व्यक्तियों को एक या 100 प्रतिशत का समर्थन प्राप्त है। कई ऐसे हैं जिनके पास एक प्रतिशत समर्थन भी नहीं है। ऐसा राज्य, जिले, सीडब्ल्यूसी में नेतृत्व के चुनावों में होता है। नियुक्त व्यक्ति को हटाया जा सकता है, लेकिन एक निर्वाचित व्यक्ति को नहीं हटाया जा सकता है। इसमें गलत क्या है।"
उन्होंने उन नेताओं की कड़ी आलोचना की जो कांग्रेस पार्टी में संगठन चुनाव का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग वफादारी का दावा कर रहे हैं, वे वास्तव में सस्ती राजनीति कर रहे हैं और पार्टी और राष्ट्र के हितों के लिए हानिकारक हैं। आजाद ने कहा, "जो पदाधिकारी या राज्य इकाई के अध्यक्ष या ब्लॉक जिला अध्यक्ष हमारे प्रस्ताव पर हमला करते हैं, वे जानते हैं कि चुनाव होने पर वे कहीं नहीं होंगे। मैंने कहा है कि पार्टी के राज्य, जिला और ब्लॉक अध्यक्ष का चुनाव पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाना चाहिए।”
उन्होंने पिछले कई दशकों से पार्टी में चुनाव नहीं कराने के लिए अफसोस जताया और कहा, "पिछले कई दशकों से हमारे पास पार्टी में निर्वाचित निकाय नहीं हैं। हो सकता है कि हमें 10-15 साल पहले इसके लिए प्रयास करना चाहिए था। अब हम चुनाव पर चुनाव हार रहे हैं। अगर हमें वापस आना है तो हमें चुनाव के जरिए ही अपनी पार्टी को मजबूत करना होगा।' आगे उन्होंने कहा कि अगर मेरी पार्टी अगले 50 वर्षों के लिए विपक्ष में रहना चाहती है, तो पार्टी के भीतर चुनाव की कोई आवश्यकता नहीं है।(ani)
देश में कुल संक्रमितों की संख्या 33,10,235 हो गई है। इसमें 7,25,991 मामले सक्रिय हैं। वहीं, 25,23,772 लोगों को इलाज के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज किया जा चुका है। कोरोना की चपेट में आकर अब तक 60,472 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
देश में कोरोना वायरस का कहर बढ़ता ही जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के अब तक के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। 24 में रिकॉर्ड 75,760 नए केस सामने आए हैं और 1023 लोगों की मौत हो गई है।
देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 33 लाख के पार पहुंच गई है। कुल संक्रमितों की संख्या 33,10,235 हो गई है। इसमें 7,25,991 मामले सक्रिय हैं। वहीं, 25,23,772 लोगों को इलाज के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज किया जा चुका है। कोरोना की चपेट में आकर अब तक 60,472 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
देश के अलग-अलग राज्यों से कोरोना के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं वह बेहद चिंताजनक हैं। महाराष्ट्र में अब तक कोरोना के 7,18,711 केस सामने आ चुके हैं। कोरोना प्रभावित राज्यों में महाराष्ट्र पहले नंबर पर है। राज्य में कोरोना के 1,72,873 मामले सक्रिय हैं। अब तक 5,22,427 लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है और 23,089 लोगों की मौत हो चुकी है।
कोरोना प्रभावित राज्यों में तमिलनाडु दूसरे नंबर पर है। तमिलनाडु में कोरोना के अब तक 3,97,261 मामले सामने आ चुके हैं। राज्य में 52,362 सक्रिय केस हैं और 3,38,060 लोगों को अस्पताल से इलाज के बाद छुट्टी दी जा चुकी है। अब तक 6,839 लोगों की मौत हो चुकी है।
वहीं, आंध्र प्रदेश कोरोना प्रभावित राज्यों में तीसर ने नंबर पर है। राज्य में अब तक कोरोना के 3,82,469 केस सामने आ चुके हैं। इनमें 92,208 मामले सक्रिय हैं और 2,86,720 लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है। राज्य में अब तक कोरोना से 3,541 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
कोरोना प्रभावित राज्यों में कर्नाटक चौथे नंबर पर पहुंच गया है। कर्नाटक में अब तक कोरोना के 3,00,406 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 83,608 केस सक्रिय हैं और 2,11,688 लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है। राज्य में कोरोना से अब तक 5,091 लोगों की जान जा चुकी है।
उत्तर प्रदेश कोरोना प्रभावित राज्यों में पाचंवें नंबर पर है। यूपी में कोरोना के अब तक 2,03,028 मामले सामने आए हैं। प्रदेश में कोरोना के 51,325 सक्रिय मामले हैं। अब तक 1,48,562 लोगों को इलाज के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है। कोरोना की चपेट में आकर अब तक 3,141लोगों की मौत हो चुकी है।(navjivan)
एमपी, 28 अगस्त. मध्यप्रदेश के महिदपुर में सवर्णों ने श्मशान घाट पर दलित का शव जलाने से रोका परिवार के सदस्यों को अपशब्द कहे, जान से मारने की धमकी दी
दो दिन से थाने में रिपोर्ट के बावजूद दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं
इंदौर। मध्यप्रदेश में दलितों पर अत्याचार बढ़ने के रोज नए मामले सामने आ रहे हैं। गुना में एक दलित परिवार की पिटाई सहित कई मामले पिछले तीन महीने में सामने आये। शुक्रवार को मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया। महिदपुर में एक दलित के अंतिम संस्कार को दबंगों ने रोक दिया।
सवर्णों ने सार्वजनिक श्मशान घाट पर दलित का अंतिम संस्कार नहीं करने दिया। प्रदेश सरकार को इस मामले में अपनी बात सामने रखकर दोषियो पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
भीम आर्मी के विरोध के बावजूद अंतिम संस्कार नहीं करने दिया गया। श्मशान घाट के कर्ताधर्ताओं ने दलित परिवार के सदस्यों को जान से मारने की धमकी भी दी और अपशब्दों के साथ कहा कि मुंह खोला तो परिणाम बुरा होगा। बुधवार को इस घटना की थाने में रिपोर्ट के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
करीब दो घंटे तक पूरे विवाद के बाद भी श्मशानघाट का संचालन करने वाली समिति के अध्यक्ष नहीं माने। ऐसे में अंतिम संस्कार शिप्रा नदी के तट पर करना पड़ा। यहमामला बुधवार शाम महिदपुर के सत्याघाट श्मशान पर हुआ। इस घाट का संचालन एक समिति करती है।
जमालपुरा टोड़ी के रहने वाले विमल परमार के पिता जगदीश परमार देवास में भर्ती थे। वहीं उनकी मौत हो गई थी। उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव थी। अंतिम संस्कार के लिए परिजन उनका शव महिदपुर लाए थे।
इसे लेकर वह सत्या श्मशान घाट पहुंचे तो संचालक ने शव जलाने देने से इनकार कर दिया। थाना प्रभारी शंकरसिंह चौहान ने बताया कि मोहनलाल परमार ने शिकायत दर्ज कराई है कि श्मशान घाट का संचालन करने वाली समिति के अध्यक्ष प्रकाश दुबे ने अंतिम संस्कार कराने से यह कहते हुए मना कर दिया कि इस श्मशान घाट पर दलितों का अंतिम संस्कार नहीं करने देंगे।
आरोप है कि दुबे ने मोहनलाल परमार सहित विमल परमार को अपशब्द कहे और गाली-गलौच करते हुए जान से मारने की धमकी दी। वहीं आरोपी दुबे का कहना है कि अंतिम संस्कार कराने से पहले अनुमति लेनी चाहिए थी, जो नहीं ली गई थी।
हरिजन का शव नहीं जलाने दूंगा
समाज के जीवनलाल, रतनलाल, मुकेश और अशोक ने दुबे से आग्रह किया कि हम महिदपुर के रहने वाले हैँ, आप हमें जानते हो, हमें अंतिम संस्कार करने दो। लेकिन दुबे बोला, तुम हरिजनों के शव नहीं जलाने दूंगा। तुम लोग यहां से नहीं गए तो तुम लोगों को जान से खत्म कर दूंगा। समस्या का हल न निकलते देख अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के लिए शव को शिप्रा नदी किनारे ले जाया गया। वहीं अंतिम संस्कार किया गया।
प्रदर्शन के बाद थाने में दर्ज हुई रिपोर्ट
घटना से नाराज दलित परिवार के लोग भीम आर्मी के सदस्यों के साथ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने गए। लेकिन पुलिस आनाकानी करती रही। इस पर भीम आर्मी ने थाने पर प्रदर्शन किया। करीब दो घंटे तक लोग थाने का घेराव करते रहे। इसके बाद पुलिस ने श्मशान घाट संचालक प्रकाश दुबे के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया। टीआई चौहान ने बताया कि इस मामले में अभी प्रकाश दुबे की गिरफ्तारी नहीं की गई है। गिरफ्तारी के बाद ही सही स्थिति पता चलेगी।(politics)
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने दो दिन पहले भाजपा के सदस्यता अभियान में जुटी भीड़ को कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन मानते हुए, भिंड प्रशासन को दोषियों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं
इंदौर। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और मंत्रियों द्वारा लगातार कोरोना प्रोटोकॉल के उल्लंघन पर अदालत सख्त हुआ है। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने ग्वालियर में हुए भारतीय जनता पार्टी के सदस्यता अभियान पर दो दिन पहले कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
क्या भिंड के एसपी और कलेक्टर इस आयोजन में शामिल बड़े नेताओं पर कार्रवाई की हिम्मत दिखा सकेंगे। इस आयोजन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित केंद्रीय मंत्री भी शामिल हुए थे।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता हेमंत राणा की याचिका पर सुनवाई करते हुए भिंड कलेक्टर और एसपी को कोरोना के तहत केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों का उल्लंघन करने वाले संबन्धित लोगों के खिलाफ कारवाई करने के आदेश दिए हैं।
मालूम हो कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में भाजपा ने ग्वालियर के सदस्यता अभियान में 76000 कोंग्रेसियों को भाजपा में शामिल करवाने का दावा किया गया है। इस आयोजन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा सहित कई बड़े नेता शामिल हुए थे।
कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ भिण्ड के कलेक्टर और एसपी को कार्रवाई करने का 15 दिन का समय दिया है। कोर्ट ने नियमों का उल्लघंन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई रिपोर्ट 15 दिनों के भीतर कोर्ट के रजिस्ट्री कार्यालय में जमा करने के आदेश दिए हैं। क्या भिंड के एसपी और कलेक्टर मुख्यमंत्री सहित बड़े नेताओं पर कार्रवाई का साहस कर पाएंगे ?
अदालत ने कहा -जब अंत्येष्टि शादी में निश्चित संख्या तो
ऐसे राजनीतिक आंदोलन की अनुमति क्यों ?
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जब शादी, अंत्येष्टि में निश्चित संख्या से ज़्यादा व्यक्तियों के शामिल होने की अनुमति नहीं है। तो ग्वालियर में इतने बड़े स्तर पर वो भी बिना किसी शारीरिक दूरी को सुनिश्चित किए कार्यक्रम के आयोजन को आखिर अनुमति कैसे मिल गई?
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी ने कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक और दिन का समय मांगा था। लेकिन कोर्ट ने महा महाधिवक्ता की मांग को खारिज करते हुए सुनवाई जारी रखी।
राजनीतिक दल को सार्वजनिक कार्यक्रम की अनुमति कैसे मिल गई?
याचिकाकर्ता हेमंत राणा के वकील राजीव शर्मा ने कहा कि ग्वालियर में प्रतिदिन कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है। लेकिन यहां पर तीन दिन तक पूरी भीड़ भाड़ में सदस्यता कार्यक्रम चलाया गया। राजीव शर्मा ने कहा कि अगर यहां के निवासियों के बीच कोरोना का भयंकर विस्फोट होता है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
हेमंत राणा द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि ऐसे समय में जब चुनाव आयोग ने चुनावों को लेकर कोई दिशा निर्देश जारी नहीं हुए हैं तो किसी भी राजनीतिक दल को सार्वजनिक कार्यक्रम की अनुमति कैसे मिल गई? याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में चुनाव आयोग द्वारा दिशा निर्देश की घोषणा तक किसी भी राजनीतिक कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग की है।(politics)
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| शेयर बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 73.80 के स्तर पर बंद हुआ, जिससे यह पिछले तीन महीनों में सबसे मजबूत मुद्रा रहा है, जो पांच महीने के उच्च स्तर पर बंद हुआ। रुपये की मजबूती मजबूत पोर्टफोलियो इनफ्लो और शेयर बाजारों में मार्च की नीचे के स्तर से हुई मजबूत रिकवरी से जुड़ी है।
हालांकि कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियां बाधित हुई हैं और आर्थिक संकेतक अभी भी धीरे-धीरे ठीक हो रहे हैं। इस वास्तविकता के विपरीत, शेयर बाजार सरपट दौड़ रहा है।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया गुरुवार को बड़े स्तर पर 49 पैसे या 0.66 फीसदी की बढ़त के साथ 73.81 पर बंद हुआ, जो 11 मार्च के बाद से इसका सबसे ज्यादा बंद होने का रिकॉर्ड है।
अप्रैल में रुपये अपने सर्वकालिक निम्न स्तर 76.91 पर पहुंच गया था, जिसमें अब 3.43 प्रतिशत की रिकवरी हुई है। लेकिन इस वर्ष अब तक अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले यह 4.03 प्रतिशत लुढ़का है।
हाल ही में अग्रणी बैंकों ने क्यूआईपी के जरिए फंड जुटाया है।
विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) ने मार्च में घबराहट के दौरान, 65,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। अब मई-अगस्त के दौरान सकारात्मक देखने को मिला और इसने अकेले अगस्त में 37,000 करोड़ रुपये की भारी खरीद के साथ 75,000 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के तकनीकी विश्लेषक चंदन तापारिया ने कहा कि निफ्टी ने अगस्त महीने में सकारात्मक संकेत दिए हैं।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगस्त सीरीज में इंडिया वीआईएक्स में 23.59 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह 24.73 से बढ़कर 18.89 के स्तर पर पहुंच गया।
वहीं विदेशी ब्रोकरेज नोमुरा ने हालिया रिपोर्ट में कहा कि आर्थिक सुधार की धीमी गति बताती है कि कुछ क्षेत्रों में रिकवरी पूर्व-महामारी के स्तर तक पहुंचने से बहुत पहले स्थिर हो सकती है।
प्राइम डाटाबेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, जून में समाप्त तिमाही के दौरान घरेलू म्यूचुअल फंडों का शुद्ध आउटफ्लो 1,944 करोड़ रुपये रहा।
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| भारत सरकार द्वारा घोषित एक लाख करोड़ रुपये के कृषि इंफ्रास्ट्रक्च र फंड को लेकर विचार-विमर्श के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ गुरुवार को हुए संवाद के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार द्वारा किसानों के हक में किए गए कार्यों का ब्योरा पेश किया तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने फसल बीमा व अन्य मसलों पर अपने सुझाव दिए। योगी ने कहा कि उप्र सरकार 'आत्मनिर्भर भारत पैकेज' को लेकर किसानों के हित में पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम करेगी। केंद्रीय योजनाओं की उप्र में प्रगति की जानकारी देते हुए योगी ने कहा कि राज्य में 2.14 करोड़ से ज्यादा किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) का लाभ मिला है। उन्होंने कहा कि 1.44 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड पहले से थे और 12 लाख नए बनाए हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय से इस संवाद के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार, योगी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 450 एफपीओ पहले से ही हैं और अब हर विकासंखड (कुल 825) में एक-एक एफपीओ बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, "उत्तर प्रदेश में 45 कृषि उत्पादों को मंडी शुल्क से मुक्त कर दिया गया है। किसानों के लिए 30 दिनों तक भंडारण नि:शुल्क रखा गया है, उससे ज्यादा अवधि के लिए रखने पर शुल्क में 30 प्रतिशत छूट मिलेगी। 8.50 लाख मीट्रिक टन अनाज भंडारण के लिए कार्ययोजना बनाई गई है, जहां रखे अनाज पर किसान ऋण भी ले सकेंगे।"
मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार लाने और एफपीओ में सदस्यों की संख्या अधिकतम 100 रखने के सुझाव दिए।
ठाकरे ने कहा, "हमारे कृषि प्रधान देश में अन्नदाता की सुख-समृद्धि के सपने अब हकीकत में बदल रहे हैं, महाराष्ट्र भी इसमें सहभागी है। महाराष्ट्र सरकार ने किसानों का कर्ज माफ किया है, लेकिन कर्ज मुक्ति एक प्राथमिक उपचार है। हमें किसान को उनके पैरों पर खड़े करने के लिए ठोस उपाय करने की जरूरत है। एक लाख करोड़ रुपये के एग्री इंफ्रा फंड सहित अन्य योजनाओं में इस तरह के प्रावधान हैं।"
उन्होंने राज्यों में किसानों की कमेटी बनाकर संवाद करने और केंद्र स्तर पर हर महीने बैठक करने का भी सुझाव दिया।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा घोषित एक लाख करोड़ रुपये के कृषि इंफ्रास्ट्रकचर फंड को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर मुख्यमंत्रियों और राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ लगातार संवाद कर रहे हैं। गुरुवार को भी आयोजित संवाद में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों के अलावा कई राज्यों के कृषि एवं सहकारिता मंत्री शामिल हुए।
तोमर ने कहा, "सरकार का मकसद कृषि अधोसंरचना निधि के माध्यम से गांवों और खेतों तक निजी निवेश पहुंचाकर छोटे किसानों की भलाई करना है। फसल कटाई के बाद भंडारण, प्रसंस्करण जैसी स्थायी व्यवस्थाओं के लिए ही एक लाख करोड़ रुपये की राशि प्रधानमंत्री ने दी है।"
तोमर ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत महाराष्ट्र में भारी बारिश से प्रभावित 75 लाख किसानों को 5,000 करोड़ रुपये की भरपाई की गई है।
इस परिचर्चा में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री परुषोत्तम रूपाला और कैलाश चौधरी, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रवींद्र चौबे, तेलंगाना के कृषि मंत्री एस. निरंजन रेड्डी, राजस्थान के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया व सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना और केरल के कृषि मंत्री वी.एस. सुनील कुमार ने भी अपने विचार रखे।
कई घायल की खबर
गुजरात के अहमदाबाद में दो मंजिला शॉपिंग कॉम्प्लेक्स ढह गया है। कुबेरनगर इलाके में हुई इस घटना में एक की मौत हो गई है। 'आजतक' के मुताबिक 2 लोगों को बचा लिया गया। बचाव जारी है।