उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जानकर एक पति को अपने कारनामों पर भरोसा नहीं हुआ. यहां एक महिला अपने पति के पासपोर्ट पर अपने प्रेमी को घुमाने ऑस्ट्रेलिया के टूर पर लेकर चली गई. इसके बाद जब वह वापस लौटी तो पत्नी के इस कारनामे को जानकार पति सन्न रह गया.
दरअसल, जब पत्नी अपने प्रेमी को ऑस्ट्रेलिया के टूर पर लेकर गई तो दुनिया में सबकुछ ठीक था. दोनों मार्च में इंडिया वापस लौटने वाले थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण दुनियाभर में विमानों के संचालन पर पाबंदी लग गई. इसके बाद वह दोनों वहीं फंस गए और उनकी हरकत का खुलासा हो गया.
जहां वह मार्च में इंडिया वापस आने वाले थे. वह दोनों भारत सरकार द्वारा अगस्त में विदेशों में फंसे भारतीयों को लाने के लिए विशेष उड़ानें शुरू करने के बाद 24 अगस्त को वापस देश लौटे. इसके बाद महिला के पति ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.
पीलीभीत के दामगढ़ी गांव के रहने वाली महिला के पति पिछले 20 वर्षों से मुंबई में काम करते हैं. उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उनकी पत्नी संदीप सिंह नामक एक स्थानीय नागरिक के साथ उनके पासपोर्ट का इस्तेमाल करते हुए ऑस्ट्रेलिया की यात्रा की.
पति ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी पीलीभीत में रहती है और उसका अक्सर गांव आना-जाना रहता है. लेकिन 18 मई को जब वह अपने घर पहुंचा तो पत्नी उसे घर में नहीं मिली. इसके बाद संदीप के परिजनों से पता चला कि दोनों ऑस्ट्रेलिया घूमने गए हैं. पति ने कहा कि जिसके साथ उसकी पत्नी गई थी उसके पास पासपोर्ट नहीं था.(catch)
नई दिल्ली, 31 अगस्त (आईएएनएस)| एक नाबालिग लड़की के साथ ऑनलाइन हैरेसमेंट के मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने ट्विटर के रवैये पर नाराजगी जताई है। कई रिमाइंडर के बाद भी संतोषजनक जवाब न मिलने पर आयोग ने ट्विटर के सीनियर मैनेजर (पॉलिसी) को समन जारी कर 4 सितंबर को उपस्थित होने को कहा है।
उपस्थित न होने पर आयोग ट्विटर इंडिया के खिलाफ एकतरफा आर्डर पास कर कार्रवाई की सिफारिश कर सकता है। आयोग के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो का कहना है कि चूंकि ऑनलाइन यौन उत्पीड़न का माध्यम ट्विटर बना है, इसलिए माइक्रो ब्लॉगिंग साइट इसमें जवाबदेह है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो ने रविवार को आईएएनएस से कहा, समन कर ट्विटर को जांच में सहयोग करने के लिए कहा गया है। अगर ट्विटर का कोई प्रतिनिधि 4 सितंबर को उपस्थित नहीं होता है तो फिर आयोग पूरे मामले की जांच कर एकतरफा कार्रवाई के लिए बाध्य होगा।
दरअसल, बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए आयोग को कई तरह के अधिकार मिले हैं। सिविल कोर्ट का पॉवर होने के कारण आयोग समन जारी कर सकता है।
कानूनगो ने बताया कि "अगर समन का कोई सम्मान नहीं करता है तो फिर आयोग जरूरत पड़ने पर धारा-16 का इस्तेमाल करते हुए मामले को संसद और सरकार को रिपोर्ट कर सकता है। इसके अलावा हाईकोर्ट को भी मामला भेजा जा सकता है। यहां तक कि आयोग सीआरपीसी 346 के तहत अभियोग चलाने के लिए मजिस्ट्रेट को भी केस भेज सकता है।
क्या है मामला?
दरअसल, एक वेबसाइट से जुड़े मोहम्मद जुबैर नामक ट्विटर यूजर ने बीते सात अगस्त को एक तस्वीर ट्वीट की थी। जिसमें एक पिता और उसकी नाबालिग बेटी की तस्वीर थी। आरोप है कि तस्वीर के ट्वीट करने के बाद ट्रोलर्स ने नाबालिग लड़की को दुष्कर्म आदि की धमकी दी। जिससे नाबालिग ऑनलाइन हैरेसमेंट का शिकार हुई।
इस मामले में नाबालिग और उसके पिता की ओर से राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग में गुहार लगाई गई। इसके बाद आठ, 11 और 19 अगस्त को आयोग ने ट्विटर को पत्र लिखकर संबंधित कंटेंट को हटाने का आदेश देते हुए संबंधित ट्विटर यूजर के खिलाफ हुई कार्रवाई के बारे में जानकारी मांगी थी।
25 अगस्त को ट्विटर की ओर से भेजे गए जवाब को आयोग ने संतोषजनक नहीं पाया। जिस पर बीते 26 अगस्त को ट्विटर को समन जारी किया गया है। आयोग ने रायपुर के एसएसपी अजय कुमार यादव को भी इस मामले में समन जारी कर 4 सितंबर को नई दिल्ली के जनपथ स्थित कार्यालय पर तलब किया है। आरोप है कि एसएसपी ने आयोग के कहने के बावजूद इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की।
भुवनेश्वर, 31 अगस्त (आईएएनएस)| ओडिशा में आई बाढ़ से 20 जिलों में 17 लोगों की मौत हो गई है, जबकि इस बाढ़ में लगभग 14 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। इसकी जानकारी राज्य सरकार ने शनिवार को दी।
विशेष राहत आयुक्त (एसआरसी) के कार्यालय ने कहा कि कुल 112 ब्लॉक, 896 ग्राम पंचायत, 3,256 गांव, 21 शहरी स्थानीय निकाय और 75 वार्ड बाढ़ की स्थिति से प्रभावित हुए हैं।
बाढ़ से 20 जिला प्रभावित हुए हैं, जिसमें अंगुल, बालासोर, बरगढ़, भद्रक, बौध, कटक, धेनकनाल, जगतसिंहपुर, जाजपुर, झारसुगुड़ा, केंद्रपाड़ा, क्योंझर, खोर्धा, मयूरभंज, नयागढ़, नुआपाड़ा, पुरी, संबलपुर, सोनेपुर और सुंदरगढ़ शामिल है।
राज्य में आई बाढ़ के कारण 340 गांवो के लोग असहाय हो गए हैं, जबकि इससे 10,382 घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और 1,68,904 हेक्टेयर फसल नष्ट हो गई है।
एसआरसी कार्यालय ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में 45 डॉक्टर और 42 पशु डॉक्टर, 14 राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), 17 ओडिशा आपदा रैपिड एक्शन फोर्स (ओडीआरएएफ), 22 अग्निशमन दल और 254 नावें तैनात की गई हैं।
पटना, 30 अगस्त। बिहार में विपक्षी दलों के लिए मजदूरों का पलायन एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है। वहीं विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज्य में नौकरियां पैदा करने में असमर्थ होने का नारा देते हुए इसका संकेत दे दिया है। तेजस्वी ने आरोप लगाते हुए कहा, "नतीजतन, हजारों किलोमीटर पैदल चलने वाले मजदूर अधिक रोजगार के अवसर प्रदान करने वाले राज्यों की ओर वापस लौटने लगे हैं।"
जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव द्वारा नीतीश कुमार को दोषी ठहराए जाने के एक दिन बाद तेजस्वी का बयान आया है।
तेजस्वी ने कहा, "बिहार का विकास वर्तमान में पटना हवाईअड्डे पर नजर आ रहा है, जहां सैकड़ों मजदूर वापस जाने के लिए उड़ान भरने के लिए एकत्र हो रहे हैं। विकास उन गांवों में भी दिखाई दे रहा है, जहां हमारे कुशल मजदूरों को लेने के लिए दूसरे राज्यों के काम देने वाले नियोक्ता बसें भेज रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान ये मजदूर अपने घर तक पहुंचने के लिए हजारों किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं। क्या वापस घर आने पर वे थोड़े सम्मान और नौकरी के लायक नहीं हैं? दूसरे राज्यों के नियोक्ता बिहार के मजदूरों के लिए हवाई टिकट और बसें भेज रहे हैं। यह बिहार सरकार के दृष्टिकोण की स्पष्ट छवि दिखा रहा है।"
तेजस्वी ने दावा किया है कि करीब 40 लाख प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के दौरान घर लौटे हैं।
उन्होंने कहा, "नीतीश कुमार सरकार ने हर मजदूर के खाते में 1,000 रुपये जमा करने की घोषणा की थी। उनमें से 50 प्रतिशत सरकारी सहायता से वंचित थे। बिहार में 'डबल-इंजन' की सरकार है, लेकिन न तो राज्य और न ही केंद्र ने उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया है।"
तेजस्वी ने आरोप लगाया, "नीतीश कुमार एक सम्मानित व्यक्ति हैं। मैं उनका व्यक्तिगत तौर पर सम्मान करता हं। लेकिन यह भी सच है कि वे झूठे भी हैं। उन्होंने कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के वास्तविक आंकड़ों को छिपाया। बिहार के 16 जिलों में 84 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित थे। मैंने इसका जिक्र कई बार किया और मुख्यमंत्री ने मात्र दो बार हवाई सर्वेक्षण किया है।"(IANS)
नयी दिल्ली, 30 अगस्त। कोविड-19 और लॉकडाउन के कारण बच्चों की प्रतिरक्षण की गतिविधियां बाधित हुई हैं। आंशिक अनलॉक के बाद की परिस्थिति में टीकारण और प्रतिरक्षण को एक अनिवार्य आवश्यकता मानते हुए बच्चों को हरसंभव रूप से सुविधाएं बहाल करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए दिल्ली में हर महीने प्रतिरक्षण शिविरों के आयोजन किया जाएगा। दिल्ली सरकार में महिला और बाल विकास मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने राजधानी में आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से टीकाकरण और चिकित्सा सेवाओं की सुविधा को प्रदान करने के विषय पर एक समीक्षा बैठक की। इस बैठक में दिल्ली सरकार के महिला और बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक के उपरांत दिल्ली महिला और बाल विकास मंत्री ने कहा, "कोविड-19 के दृष्टिगत आज सभी को स्वयं की और अपने आस-पास दूसरे व्यक्तियों की सुरक्षा का ध्यान रखना जरूरी है। इस समय सावधानी और पूर्व उपायों के प्रबंधन को सर्वाधिक प्राथमिकता दी जानी चाहिए, लेकिन बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षित भविष्य के लिए बाल टीकाकरण कार्यक्रम भी अनिवार्य आवश्यकता है।"
उन्होंने कहा, "इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग को आशा (प्रत्यायित सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की सहायता से टीकाकरण और प्रतिरक्षण कार्यक्रम को सभी आवश्यक सावधानियों के साथ आरंभ करने का निर्देश दिया गया है।"
दिल्ली सरकार सितंबर में टीकाकरण और प्रतिरक्षण कार्यक्रम की शुरूआत करेगी। इस कार्यक्रम के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता टीकाकरण के अभियान में चिकित्सा कार्यकर्ताओं को सहयोग प्रदान करेंगे। जबकि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आंगनवाड़ी सहायक राजधानी में टीकाकरण शिविरों के आयोजन और समन्वय के कार्य में दाइयों (एएनएम) और मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा) की सहायता करेंगे। प्रत्येक आंगनवाड़ी केंद्र में एक महीने में एक बार टीकाकरण शिविर आयोजित होगा।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और आंगनवाड़ी सहायक अपने क्षेत्र में प्रत्येक बच्चे के टीकाकरण को सुनिश्चित करेंगे। वे टीकाकरण शिविर के दौरान ऐसे बच्चों को जुटाएंगे, जिन्हें टीका लगना है। प्रत्येक बच्चे को टीका लगने के समय एक परिचर की उपस्थिति को सुनिश्चित किया जाएंगा। टीकाकरण कार्यक्रम के समय सभी आवश्यक सुरक्षा उपायों के साथ उचित शारीरिक दूरी बरतने का भी ध्यान रखा जाएगा।(IANS)
नई दिल्ली, 30 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों के परिश्रम और कृषि के क्षेत्र में प्रगति की सराहना करते हुए रविवार को कहा कि कोरोना की कठिन परिस्थितियों में भी किसानों ने अपनी ताकत दिखाई, जिससे देश में खरीफ की फसलों की बुआई पिछले साल के मुकाबले सात फीसदी ज्यादा हो चुकी है। रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात 2.0' की 15वीं कड़ी में रविवार को प्रधानमंत्री ने कहा, ''हमारे किसानों ने कोरोना की इस कठिन परिस्थितियों में भी अपनी ताकत को साबित किया है। हमारे देश में इस बार खरीफ की फसलों की बुआई पिछले साल के मुकाबले सात प्रतिशत ज्यादा हुई है।''
मोदी ने कहा, ''धान की रोपाई इस बार करीब 10 प्रतिशत (पिछले साल से), दालों की बुवाई लगभग पांच प्रतिशत, मोटे अनाज लगभग तीन प्रतिशत, तिलहनों के लगभग 13 प्रतिशत, कपास लगभग तीन प्रतिशत ज्यादा हुई है। मैं, इसके लिए देश के किसानों को बधाई देता हूं, उनके परिश्रम को नमन करता हूँ।''
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से बीते शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, देशभर में खरीफ फसलों की बुवाई रिकॉर्ड 1,082.22 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। इससे पहले खरीफ सीजन में रिकॉर्ड बुवाई 2016 के दौरान 1075.71 लाख हेक्टेयर में हुई थी।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में दक्षिण भारत का कृषि पर्व ओणम का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ''ओणम हमारी कृषि से जुड़ा हुआ पर्व है। ये हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी एक नई शुरूआत का समय होता है। किसानों की शक्ति से ही तो हमारा जीवन, हमारा समाज चलता है। हमारे पर्व किसानों के परिश्रम से ही रंग-बिरंगे बनते हैं।
उन्होंने कहा कि वेदों में भी किसानों की जीवनदायिनी शक्ति को नमन किया गया है। मोदी ने कहा, ''हमारे अन्नदाता को, किसानों की जीवनदायिनी शक्ति को तो वेदों में भी बहुत गौरवपूर्ण रूप से नमन किया गया है। ऋगवेद में मंत्र है-''अन्नानां पतये नम:, क्षेत्राणाम पतये नम: अर्थात, अन्नदाता को नमन है, किसान को नमन है।''(IANS)
नई दिल्ली, 30 अगस्त (आईएएनएस)| फेसबुक एक ऐसे नए फीचर पर काम कर रहा है जिससे आप अपने अकाउंट को भुगतान किए गए न्यूज सब्सक्रिप्शन के साथ लिंक कर सकेंगे ताकि इन्हें पढ़ने के लिए आपको दोबारा लॉगिन करने या पेवॉल पर क्लिक करने की जरूरत न पड़े। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के इस नए फीचर से 2.7 अरब यूजर्स लाभान्वित होंगे। एक बार इस फीचर के लागू हो जाने से लिंक्ड सब्सक्राइबर्स को किसी आर्टिकल वगैरह को पढ़ने के लिए बार-बार लॉगिन करने के झंझट से आजादी मिलेगी और इसी तरह से पेवॉल का भी सामना नहीं करना पड़ेगा।
कंपनी की तरफ से उठाया जा रहा यह कदम ऐप्पल न्यूज प्लस, फ्लिपबोर्ड, गूगल न्यूज व सीएनएन न्यूज एग्रीगेटर जैसे प्लेटफॉर्म को एक ललकार है। फिलहाल अधिकतर बड़े-बड़े समाचार संगठनों के अपने पेवॉल है जिससे उनकी सदस्यता के बाहर लोग नहीं पढ़ पाते हैं। अपने व्यवसाय में अधिक लाभ के चलते ये सब्सक्रिप्शंस की संख्या को अधिक बढ़ाने पर ज्यादा गौर फरमाते हैं।
फेसबुक पर प्रोडक्ट मार्केटिंग मैनेजर स्टीफन लार्जेन के मुताबिक, कंपनी इस नए फीचर का परीक्षण करने के लिए दुनिया भर के तमाम पब्लिशर्स संग गठजोड़ कर रहा है। यह यूजर्स को फेसबुक पर अपने समाचार सदस्यता खातों को लिंक करने की अनुमति देता है।
लार्जेन ने अपने ब्लॉग पोस्ट पर कहा, "फीचर का मकसद पब्लिशर्स का अपने सब्सक्राइबर्स संग रिश्ते को गहरा बनाने में उनकी मदद करना और साथ ही इन सब्सक्राइबर्स को फेसबुक पर अधिक से अधिक समाचारों के पढ़ने के उनके अनुभव को भी बेहतर बनाना है।"
कंपनी के मुताबिक, जून के महीने में एक परीक्षण के दौरान जिन सब्सक्राइबर्स ने अपने अकाउंट्स को लिंक किया, वे उन लोगों के मुकाबले औसतन 111 फीसदी अधिक आर्टिकल पर क्लिक किए, जो टेस्ट ग्रुप का हिस्सा नहीं रहे। इन सब्सक्राइबर्स के पब्लिशर को फॉलो करने की दर में 97 फीसदी तक की वृद्धि आई, जो पहले महज 34 फीसदी थी। इससे पता चलता है कि जब सब्सक्राइबर्स ने अपने अकाउंट्स को समाचार प्रकाशकों संग जोड़ा, तो उन्हें पहले से अधिक कंटेंट दिखने लगे।
फिलहाल, अमेरिका में अटलांटा जर्नल-कॉन्स्टिट्यूशन, द एथलेटिक और द विनीपेग फ्री प्रेस ऐसे कुछ अखबार हैं, जो इस फीचर को अपनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
नई दिल्ली, 30 अगस्त (आईएएनएस)| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हिंदू स्प्रिचुअल सर्विस फाउंडेशन की ओर से आयोजित प्रकृति वंदन कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने लोगों से प्रकृति को जीतने की भावना त्यागने की अपील की। उन्होंने कहा कि पिछले तीन-साढ़े तीन सौ साल में प्रकृति के शोषण से जो खराबी हुई है, अगर प्रकृति संरक्षण करेंगे तो सौ-दो सौ साल में उस खराबी को दूर किया जा सकता है। मोहन भागवत ने कहा कि हम भी प्रकृति के एक अंग है, इस बात को समझना होगा। हिंदू स्प्रिचुअल सर्विस फाउंडेशन का ये कार्यक्रम शनिवार को आयोजित किया गया था।
संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा, पर्यावरण, यह शब्द आजकल बहुत सुनने को मिलता है, बोला भी जाता है और उसका एक दिन मनाने का भी एक कार्यक्रम है। उसका कारण है कि अभी तक दुनिया में जो जीने का तरीका है, वो पर्यावरण के अनुकूल नहीं है, वो तरीका प्रकृति को जीतकर मनुष्यों को जीना है, ऐसा मानता है।
मोहन भागवत ने कहा, मनुष्य का पूरा अधिकार प्रकृति पर है, लेकिन उसका कोई दायित्व नहीं है। ऐसा हम गत दो-ढाई सौ साल से जी रहे हैं। उसके दुष्परिणाम अब सामने आ रहे हैं। उसकी भयावहता अब दिख रही है। ऐसे ही चला तो सृष्टि में जीवन जीने के लिए हम लोग नहीं रहेंगे। यह भी हो सकता है कि सृष्टि भी नहीं रहेगी। और इसलिए मनुष्य अब विचार करने लगा, तो उसको लगा कि पर्यावरण का संरक्षण होना चाहिए।
संघ के सरसंघचालक ने प्राचीन भारतीय संस्कृति में प्रकृति संरक्षण के उदाहरण दिए। उन्होंने कहा, हमारे यहां कहा जाता है कि शाम को पेड़ों पर मत चढ़ो। क्योंकि पेड़ सो जाते हैं। हमारे यहां रोज चीटियों को दाना डाला जाता है। कुत्ते, पक्षियों को आहार दिया जाता था। हमारे यहां वृक्षों, नदियों, पर्वतों की पूजा होती है। गाय और सांप की भी पूजा होती है। इस प्रकार का अपना जीवन था। लेकिन भटके हुए तरीके के प्रभाव में आकर हम भूल गए। आज हमको भी पर्यावरण दिन के रूप में मनाकर स्मरण करना पड़ रहा है।
नई दिल्ली, 30 अगस्त (आईएएनएस)| चीन और पाकिस्तान के साथ देश की सीमाओं पर शत्रुतापूर्ण गंभीर स्थिति के बीच भारत ने अगले महीने रूस में हो रहे बहुपक्षीय रणनीतिक कमांड पोस्ट अभ्यास में भाग नहीं लेने का फैसला किया है। गौरतलब है कि इसमें चीन और पाक दोनों शामिल हो रहे हैं। भारतीय सैन्य की एक टीम को अगले महीने होने वाले सैन्य अभ्यास 'कवकाज 2020' में भाग लेना था, जिसमें चीन और पाकिस्तान सहित विभिन्न देशों के प्रतिभागी भाग लेने वाले हैं।
भारत सरकार ने शनिवार को फैसला किया कि वह इस अभ्यास में हिस्सा नहीं लेगी। जारी किए गए बयान में कहा गया, ".. लॉजीस्टिक्स की व्यवस्था सहित अभ्यास में महामारी और अन्य कठिनाइयों के मद्देनजर भारत ने इस वर्ष 'कवकाज-2020' में अपनी टुकड़ी नहीं भेजने का फैसला किया है। इस संबंध में रूसी पक्ष को सूचित किया जा चुका है।"
साथ ही सरकार ने यह भी दोहराया कि रूस और भारत करीबी देश होने के साथ ही रणनीतिक साझेदार भी हैं।
दक्षिण रूस के आस्ट्राखान क्षेत्र में आगामी 15 से 26 सितंबर के बीच होने वाला यह अभ्यास रूस सहित 12,500 से अधिक सैनिकों की भागीदारी का गवाह बनेगा।
इस अभ्यास में चीन सेना की टुकड़ी भेजने के साथ ही तीन जहाजों की एक नौसेना टीम भी भेजेगा।
इस अभ्यास का प्रमुख उद्देश्य आपसी सहयोग में सुधार करना है।
चीन के शंघाई कॉपोर्रेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) के सदस्यों के अलावा, पाकिस्तान, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान, मंगोलिया, सीरिया, ईरान, मिस्र, बेलारूस, तुर्की, आर्मेनिया, अजरबैजान और तुर्कमेनिस्तान भी इस अभ्यास के प्रतिभागी हैं।
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच तीन महीने से अधिक समय से गतिरोध जारी है और इसी बीच यह अभ्यास भी आयोजित होने वाला है। वहीं कई स्तरों पर हुए संवाद के बावजूद दोनों देशों के गतिरोध को खत्म करने में कोई सफलता नहीं मिली है और गतिरोध जारी है।
मैनपुरी, 30 अगस्त (आईएएनएस)| मैनपुरी के एक गांव में दलित विधवा और एक व्यक्ति को सार्वजनिक तौर पर शर्मसार करने का मामला सामने आया है। पुरुष और महिला दोनों एक ही समुदाय के हैं और उनके बीच संबंध होने के चलते ग्रामीणों ने ऐसा कदम उठाया। बता दें कि एक हफ्ते के अंदर ही राज्य में ऐसा दूसरा मामला सामने आया है। शुक्रवार की रात नगला गुरबख्श गांव में हुई इस घटना में महिला-पुरुष के सिर मुंडवाए गए, उनके मुंख पर कालिख लगाई गई और उन्हें पहनाने के लिए जूतों की माला बनाई गई। इतना ही नहीं महिला को निर्वस्त्र करने का भी प्रयास किया गया था।
हालांकि, समय रहते दोनों को पुलिस ने बचा लिया। वहीं घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
पीड़ितों में से एक की शिकायत के आधार पर पुलिस ने शनिवार को तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया।
मैनपुरी के पुलिस अधीक्षक अजय कुमार ने कहा कि 10 अज्ञात महिलाओं सहित 16 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500, 269 और 270, और धारा 506 के तहत मामला दर्ज किया गया है। साथ ही शेष आरोपियों की तलाश जारी है।
स्थानीय लोगों ने दावा किया है कि यह जोड़ा पिछले तीन सालों से रिश्ते में था।
उन्होंने कहा कि महिला के एक पड़ोसी ने शुक्रवार को उसे पुरुष के साथ कथित रूप से आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था, जिसके बाद उन्होंने उनकी पिटाई की और सार्वजनिक रूप से उन्हें शमिर्ंदा किया।
इससे कुछ दिन पहले ही कन्नौज जिले में एक विधवा और दिव्यांग को उनके कथित अवैध संबंधों के चलते सजा के तौर पर सिर मुंडाकर और चेहरे काले कर गांव में घुमाया गया था।
भोपाल, 30 अगस्त (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में हुई जोरदार बारिश ने बाढ़ के हालात पैदा कर दिए हैं। राज्य के 12 जिलों के 411 गांव बाढ़ की चपेट में है। इन गांव के लोगों को सुरिक्षत निकालने का दौर जारी है। राहत और बचाव कार्य के लिए राष्टीय आपदा बचाव बल (एनडीआरएफ) और सेना की मदद ली जा रही है। राज्य के बाढ़ के हालात को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी चर्चा की। राज्य में बीते दो दिनों से जारी बारिश के कारण नदी-नाले उफोन पर हैं, वहीं विभिन्न बांधों का जलस्तर बढ़ने पर पानी की निकासी जारी है। इसके चलते नदियों के किनारे बसे इलाके बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। गांव और बस्तियां पानी की चपेट में हैं। कई इलाकों में तो मकान जलमग्न हो गए हैं और ढह भी गए हैं। इसके अलावा कई इलाकों में मकानों की एक मंजिल पानी से डूब गई है जिसके चलते लोगों को ऊपरी मंजिल पर जाकर जान बचानी पड़ी।
राज्य में वर्ष 1999 के बाद नर्मदा नदी के इलाके में ऐसे हालात बने हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने राज्य की स्थिति को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से चर्चा की। उन्होंने बताया, मैंने आज प्रात: काल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा कर पूरी स्थिति की जानकारी दी है। उनका स्नेहपूर्ण समर्थन, सहयोग और आशीर्वाद मिल रहा है। रात को मैंने सेना के पांच हेलिकॉप्टर मांगे थे, तीन टेकऑफ कर चुके हैं और दो तैयार हैं। इससे बचाव कार्य में तेजी आएगी।
प्रधानमंत्री केा दिए गए ब्यौरे मं चौहान ने बताया कि बाढ़ प्रभावित 12 जिलों के 411 गांवों में एक भी जान का नुकसान नहीं होने दिया। आठ हजार लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।
बताया गया है कि बाढ़ में फंसे आठ हजार से अधिक लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है। बाढ़ राहत के लिए राहत शिविर बनाए गए हैं जहां पर रूकने, भोजन, दवाओं आदि सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की गई हैं।
प्रदेश के तीन जिलों -- होशंगाबाद, सीहोर तथा रायसेन में कई गांव बाढ़ से घिर गए हैं। वहां फंसे अधिकतर लोगों को बाहर निकाल लिया गया है। शेष को बाहर निकालने की प्रक्रिया जारी है। छिंदवाड़ा जिले में पांच व्यक्तियों को एयर लिफ्ट कर सुरक्षित बचाया गया है।
मुख्यमंत्री चौहान स्वयं हालात की मॉनिटरिंग कर रहे है। इसके लिए उन्होंने अपने निवास कार्यालय को ही कंट्रोल रूम में तब्दील कर दिया है। उन्होंने आमजन से कहा है कि वे इस विषम परिस्थिति में संयम और धैर्य रखें। बाढ़ में फंसे हर व्यक्ति को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा तथा शासन की ओर से हरसंभव मदद प्रदान की जाएगी।
वहीं कटनी जिले में एक मकान की दीवार गिरने से चार बच्चों की मौत हो गई। मुख्यमंत्री चौहान ने कटनी जिले के ढीमरखेड़ा तहसील के ग्राम बनिहरा में कच्ची दीवार ढह जाने से चार बच्चों की मृत्यु हो जाने पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए पीड़ित परिवारों को चार-चार लाख रूपये की आर्थिक सहायता दिए जाने की घोषणा की है।
पीलीभीत (उप्र), 30 अगस्त (आईएएनएस)| पीलीभीत की एक 36 वर्षीय महिला ने कथित तौर पर जनवरी में अपने पति के नाम पर जाली पासपोर्ट बनवाया और अपने प्रेमी के साथ ऑस्ट्रेलिया घूमने चली गई। इस विचित्र किस्म के मामले का दावा महिला के पति ने किया है। जानकारी के अनुसार दोनों को मार्च में लौटना था लेकिन भारत में सभी अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानें बंद होने के कारण वे वहीं फंसे रह गए और 24 अगस्त को वापस लौटे।
दामगढ़ी गांव के निवासी और मुंबई में काम करने वाले महिला (46) के पति ने पुलिस में शिकायत दर्ज की है कि उसकी पत्नी और संदीप सिंह (36) के अवैध संबंध हैं। साथ ही पति ने यह आरोप भी लगाया कि पत्नी ने प्रेमी के साथ ऑस्ट्रेलिया जाने के लिए उसके (पति के) दस्तावेजों का इस्तेमाल कर जाली पासपोर्ट बनवाया।
इस दंपत्ति का एक बच्चा ऑस्ट्रेलिया में पढ़ता है।
पुलिस अधीक्षक, जय प्रकाश यादव ने पति की शिकायत पर एक प्राथमिकी दर्ज कर स्थानीय खुफिया इकाई (एलआईयू) द्वारा मामले की जांच करने का आदेश दिया है।
शिकायतकर्ता के अनुसार, वह पिछले 20 वर्षों से मुंबई में काम कर रहा है और कभी-कभी अपनी पत्नी से मिलने आता है, जो फार्महाउस में रहकर पुश्तैनी जमीन की देखभाल करती है।
पति ने कहा, "जब मैं 18 मई को पीलीभीत लौटा तो मेरी पत्नी घर पर नहीं थी। संदीप के परिवार से पता चला कि दोनों ऑस्ट्रेलिया गए थे। यह पता लगाने के लिए कि क्या संदीप ने ऑस्ट्रेलिया जाने के लिए मेरे दस्तावेजों को इस्तेमाल किया है, मैंने बरेली स्थित पासपोर्ट कार्यालय में 24 अगस्त को पासपोर्ट के लिए जानबूझकर आवेदन किया। मेरा संदेह सही निकला और पासपोर्ट अधिकारियों द्वारा बताया गया कि मेरे नाम से 2 फरवरी, 2019 को पासपोर्ट जारी किया जा चुका है।"
एसपी ने कहा कि गजरौला पुलिस और एलआईयू इंस्पेक्टर कंचन रावत जांच करेंगे कि शिकायतकर्ता के नाम पर पासपोर्ट कैसे जारी किया गया, जबकि पासपोर्ट जारी होने के दौरान कई स्तरों पर पहचान की जांच की जाती है।
नई दिल्ली, 30 अगस्त (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' करते हुए विद्यार्थियों को एक नया टास्क दिया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में हमारा देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएगा। स्कूल के विद्यार्थी ठान सकते हैं कि वो आजादी के 75वें वर्ष में अपने क्षेत्र के आजादी के 75 नायकों पर कविताएं और नाट्य कथाएं लिखेंगे। आजादी के 75 वर्ष में ऐसे महान नायकों को याद करना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वतंत्रता के पहले अनेक वर्षों तक देश का कोई कोना ऐसा नहीं था जहां आजादी के मतवालों ने अपने प्राण न्योछावर न किए हों, अपना सर्वस्व त्याग न दिया हो। यह बहुत आवश्यक है कि हमारी आज की पीढ़ी, हमारे विद्यार्थी, आजादी की जंग के हमारे देश के नायकों से परिचित रहें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, किसी स्कूल के विद्यार्थी ठान सकते हैं कि वो आजादी के 75 वर्ष में अपने क्षेत्र के आजादी के 75 नायकों पर कविताएं लिखेंगे, नाट्य कथाएं लिखेंगे। आप के प्रयास देश के हजारों लाखों अनसंग हीरोज (गुमनाम नायक) को सामने लाएंगे जो देश के लिए जिए, जो देश के लिए खप गए, जिनके नाम समय के साथ विस्मृत हो गए, ऐसे महान व्यक्तियों को अगर हम सामने लाएंगे, आजादी के 75 वर्ष में उन्हें याद करेंगे तो उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अपने जिले से, अपने क्षेत्र में, आजादी के आंदोलन के समय क्या हुआ कैसे हुआ, कौन शहीद हुआ, कौन कितने समय तक देश के लिए जेल में रहा। यह बातें हमारे विद्यार्थी जानेंगे तो उनके व्यक्तित्व में भी इसका प्रभाव दिखेगा। इसके लिए बहुत से काम किए जा सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने शिक्षकों से अपील करते हुए कहा, आप जिस जिले में हैं वहां शताब्दियों तक आजादी की जो जंग चली उन जंग में वहां कोई घटनाएं घटी हैं क्या? इसे लेकर विद्यार्थियों से रिसर्च करवाई जा सकती है। उसे स्कूल के हस्तलिखित अंक के रूप में तैयार किया जा सकता है। आप के शहर में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा कोई स्थान छात्र-छात्राओं को वहां ले जा सकते हैं।
मुरादाबाद, 30 अगस्त (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में एक सतर्क प्लंबर ने समय पर हस्तक्षेप करते हुए एक बड़ी ट्रेन दुर्घटना को टाल दिया। घटना शनिवार की है जब प्लंबर चंद्रसेन सैनी पटरी के पास से गुजर रहा था तो उसने अमृतसर-हावड़ा पार्सल ट्रेन के ट्रैक से गुजरने के कुछ मिनट पहले ही रेलवे ट्रैक पर एक दरार देखी। इस ट्रेन में दो सैन्य डिब्बे भी लगे हुए थे, जिसमें सेना के जवान सवार थे।
कटिहार के रहने वाले सैनी ने कहा, "मैंने तुरंत लाल कपड़ा लहराना शुरू किया और लोको पायलट ने समय पर ब्रेक लगा दिया।"
24 कोच वाली पार्सल ट्रेन अमृतसर से हावड़ा जा रही थी और जब सैनी ने लाल कपड़ा लहराया तब ट्रेन दिल्ली-लखनऊ डाउन रेल लाइन पर उत्तर प्रदेश के कटघर के तहत भैसिया गांव को पार कर रही थी।
सैनी ने कहा,"जब एक ट्रेन वहां से गुजर रही थी तब मैंने रेलवे ट्रैक के पास चिंगारी देखी। ट्रेन के गुजरने के बाद, मैंने पास जाकर देखा तो वहां एक दरार थी। इसके बाद एक और ट्रेन ट्रैक के पास आ रही थी। मुझे लगा कि इसके कारण दुर्घटना हो सकती है। मैंने लोको पायलट को लाल कपड़ा दिखाया, उसने यह देखकर तुरंत ब्रेक लगा दिया।"
इसके तुरंत बाद वरिष्ठ अधिकारी और मेंटनेंस टीम मौके पर पहुंची।
मुरादाबाद के मंडल रेल प्रबंधक तरुण प्रकाश के अनुसार, संबंधित रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की आवाजाही को लगभग तीन घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया। बाद में मेंटनेंस होने के बाद ट्रेन आगे बढ़ाई गई।
इससे पहले भी यहां ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। पिछले ही महीने राजपुरा जाने वाली मालगाड़ी में ब्रेकडाउन होने के कारण चंदौसी रेलवे स्टेशन पर उसके डिब्बे पटरी से उतर गए थे।
नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी गई चिट्ठी के मुद्दे पर कार्यसमिति की बैठक (CWC Meeting) में खरी-खोटी सुनने वाले 23 दिग्गज नेता अब भी इस बात को भुला नहीं पा रहे हैं। सोनिया को भेजे सुझावों के जवाब में जी-23 नेताओं पर कीचड़ तो उछाले ही गए और अब वो खुद को अलग-थलग हुआ महसूस कर रहे हैं। यही कारण है कि उनकी तकलीफ रह-रहकर सामने आ रही है।
इसी कड़ी में पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल (Kapil Sibal On Congress Letter) का भी दर्द छलक पड़ा है। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में हमपर हमले हो रहे थे, एक भी ने सदस्य हमारे बचाव में एक शब्द नहीं बोला। उससे पहले एक और दिग्गज कांग्रेसी गुलाम नबी आजाद ने भी खुलकर अपने दुख का इजहार किया था।
कपिल सिब्बल ने पत्र में किए थे साइन
बहरहाल, सिब्बल ने अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा, 'कांग्रेस पार्टी हमेशा से ही भाजपा पर संविधान का पालन नहीं करने और लोकतंत्र की नींव को नष्ट करने का आरोप लगाती है। हम क्या चाहते हैं? हम अपने (पार्टी के) संविधान का पालन करना चाहते हैं। कौन उस पर आपत्ति कर सकता है।'
दरअसल, कांग्रेस के 23 सीनियर लीडर्स ने अपने शीर्ष नेतृत्व को मजबूत बनाने के लिए एक पत्र लिखा। उसके कुछ ही दिनों बाद (Congress CWC Meeting) की बैठक हुई। इस बैठक में राहुल गांधी पत्र भेजने वाले नेताओं पर ही बिफर गए और उन पर आरोप लगा दिया कि ये नेता भाजपा से मिले हुए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) के नेतृत्व में ये पत्र लिखा गया था और 23 नेताओं से हस्ताक्षर किए थे। सिब्बल ने कहा, 'कार्यसमिति की बैठक (CWC Baithak) में उन्होंने जिन चिंताओं का जिक्र किया था उनमें से एक पर भी चर्चा नहीं हुई। ऊपर से लिखने वालों पर हमला किया जाता है। '
पत्र की बात सभी को बताना चाहिए : सिब्बल
सिब्बल ने कहा कि सीडब्ल्यूसी को इस बात से अवगत कराया जाना चाहिए था कि पत्र में क्या कहा गया। उन्होंने कहा, 'यह बुनियादी बात है जो होनी चाहिए थी। यही इन 23 लोगों ने लिखा है। यदि आपने जो कुछ भी लिखा है, उसमें आप गलती करते हैं तो निश्चित रूप से हमसे पूछताछ की जा सकती है और हमसे पूछताछ की जानी चाहिए।' उन्होंने कहा कि बैठक में (CWC Meeting) में पत्र पर चर्चा नहीं की गई थी। बैठक के दौरान हमें देशद्रोही कहा गया था और नेतृत्व सहित उस बैठक में शामिल किसी सदस्य ने भी उन्हें नहीं बताया कि यह कांग्रेस की भाषा नहीं है।' उन्होंने कहा कि हमारा पत्र... इसका प्रत्येक भाग बहुत सभ्य भाषा में लिखा गया था।
राहुल गांधी ने दिया था भरोसा
कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर जारी घमासान के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुलाम नबी आजाद से संगठन चुनाव को लेकर फोन पर बात की थी। बातचीत में राहुल गांधी ने आजाद को दिलासा दिया कि उनकी चिंताओं का निपटारा किया जाएगा और जल्द-से-जल्द पार्टी के नए अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी ने छह महीने के भीतर संगठन में विभिन्न स्तरों पर चुनाव कराने का भरोसा आजाद को दिया है।
पार्टी को मजबूत करना चाहते हैं : आजाद
इससे पहले मीडिया में आजाद ने कहा कि मेरा उद्देश्य गांधी परिवार को चुनौती देना या निरादर करना नहीं है। मैं बस पार्टी को और मजबूत करना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि अगर संगठन चुनाव नहीं कराए गए तो कांग्रेस पार्टी को अगले 50 साल तक विपक्ष में बैठना होगा। संगठन मजबूत नहीं है, इसलिए मतदाता कांग्रेस से दूर हो रहे हैं।(navbharattimes)
नई दिल्लीः प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले और इससे जुड़ी जांच की कई मीडिया संस्थानों द्वारा की जा रही कवरेज को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है.
पीसीआई ने शुक्रवार को जारी एडवाइजरी में कहा कि मीडिया को ऐसे मामलों की कवरेज में पत्रकारिता आचरण के नियमों का पालन करना चाहिए और पीड़ित, गवाहों और संदिग्धों की निजता का सम्मान करना चाहिए.
पीसीआई ने इस मामले में मीडिया संस्थानों को अपना स्वयं का समानांतर मुकदमा न चलाने और फैसले की पहले ही भविष्यवाणी करने से बचने को कहा.
प्रेस काउंसिल ने कहा कि मीडिया को इस तरह से खबरों को नहीं दिखाना चाहिए, जिससे आम जनता आरोपी व्यक्ति की मामले में संलिप्तता पर विश्वास करने लग जाए.
पीसीआई ने कहा कि किसी फिल्म अभिनेता की कथित खुदकुशी के मामले की कवरेज कई मीडिया संस्थानों द्वारा पत्रकारिता आचरण के नियमों का उल्लंघन है और इसलिए मीडिया को पीसीआई द्वारा तय नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है.
पीसीआई ने कहा कि अपराध के बारे में आधिकारिक एजेंसी द्वारा की जा रही जांच की दिशा के बारे में सुनी-सुनाई बातों के आधार पर सूचनाओं को प्रकाशित या प्रसारित करना वांछित नहीं है.
एडवाइजरी में मीडिया को सलाह दी गई है कि वे अपराध से जुड़े मामले में दैनिक आधार पर रिपोर्टिंग करने से बचें और सही तथ्यों का पता लगाए बिना सबूतों पर टिप्पणी नहीं करें क्योंकि इससे निष्पक्ष जांच एवं मुकदमे पर अकारण दबाव पड़ता है.
पीसीआई ने कहा कि मीडिया को सलाह दी जाती है कि वह पीड़ित, गवाहों, संदिग्धों और आरोपियों को अत्यधिक प्रचार देने से बचे क्योंकि ऐसा करना उनकी निजता के अधिकार में अतिक्रमण होगा.
इसके साथ ही मीडिया द्वारा गवाहों की पहचान उजागर करने से भी बचा जाना जरूरी है क्योंकि इससे उन पर आरोपी और जांच एजेंसियों के दबाव में आने का खतरा होता है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रेस काउंसिल ने राजपूत की मौत के मामले में कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा हो रही रिपोर्टिंग को लेकर सलाह देते हुए कहा कि अभिनेता की कथित आत्महत्या को लेकर कुछ समाचार पत्रों द्वारा हो रही रिपोर्टिंग भी आत्महत्या पर रिपोर्टिंग के लिए काउंसिल के निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन है.
एडवाइजरी में कहा गया कि ऐसी उम्मीद की जाती है कि मीडिया उस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं करेगी, जिससे आत्महत्या को सनसनीखेज बनाए या इसे समस्याओं के निर्णायी समाधान के तौर पर पेश करें इसलिए सलाह दी जाती है कि आत्महत्या मामलों की रिपोर्टिंग के दौरान सनसनीखेज सुर्खियों, तस्वीरों या वीडियो फुटेज का इस्तेमाल नहीं करें.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)(thewire)
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने गैरकानूनी रूप से कथित तौर पर दो मोबाइल नंबरों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (सीडीआर) निकलवाने के संबंध में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के एक पूर्व अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आरोप हैं कि जलज श्रीवास्तव ने एनआईए में एडिशनल एसपी के पद पर तैनाती के दौरान गलत तरीके से इन नंबरों की सीडीआर निकलवाई थी.
एनआईए की शिकायत के आधार पर ही सीबीआई ने मामला दर्ज किया है. उन्होंने साल 2017 से 2018 के बीच वोडाफोन के दो नंबरों की सीडीआर डिटेल कथित तौर पर निकलवाई थी जबकि ये नंबर एनआईए द्वारा जांच किए जा रहे किसी मामले से नहीं हुए नहीं थे.
सूत्रों का कहना है कि जैसे ही मामले को एनआईए के महानिदेशक वाईसी मोदी के संज्ञान में लाया गया, उन्होंने श्रीवास्तव को उनके मूल कैडर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) वापस भेजने के आदेश दे दिए.
बीएसएफ को उनके आचरण की सूचना भी दी गई, जिसके बाद सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई गई, जिसके बाद सीबीआई ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया.
अधिकारियों का कहना है कि कथित रूप से आईआरएस अधिकारी संसार चंद की पत्नी के कहने पर श्रीवास्तव ने नंबरों की कॉल डिटेल निकलवाई थीं.
दरअसल सीबीआई ने 2018 में कानपुर के तत्कालीन जीएसटी आयुक्त संसार चंद और उनकी पत्नी अविनाश कौर को भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तार किया था.
उन पर कानपुर के एक कारोबारी से कथित रूप से डेढ़ लाख रुपये रिश्वत मांगने का आरोप था. अधिकारियों ने बताया कि संसार चंद और उनकी पत्नी दिल्ली के एंड्रयूजगंज स्थित हुडको प्लेस में श्रीवास्तव के पड़ोसी थे.
अधिकारियों के मुताबिक, उन्होंने कथित रूप से श्रीवास्तव से संपर्क कर सुदेश सैनी नाम के एक व्यक्ति के मोबाइल फोन नंबर का सीडीआर उपलब्ध कराने में मदद मांगी.
अधिकारियों का कहना है कि सीबीआई की एक विशेष इकाई आरोपी दंपति की गतिविधियों पर नजर बनाए हुई थी.
उन्होंने अविनाश कौर और जलज श्रीवास्तव की फोन पर हुई बातचीत का पता लगने के बाद एनआईए को श्रीवास्तव की कथित गतिविधियों के बारे में सूचित किया.
अधिकारियों के अनुसार, एनआईए की आंतरिक जांच में पाया गया कि श्रीवास्तव ने कथित रूप से 2017 और 2018 में इन नंबरों के तीन बार कॉल रिकॉर्ड मांगे थे.
उन्होंने सीडीआर हासिल करने के लिए एक मामले में एनआईए की एक जांच का हवाला भी दिया था.
अधिकारियों का कहना है कि श्रीवास्तव ने कथित रूप से एक आईपीएस अधिकारी के स्टाफ को सीडीआर हासिल करने के लिए टेलीफोन सेवा प्रदाता कंपनी को ई-मेल भेजने को कहा था.
अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट से पता चलता है कि श्रीवास्तव ने कथित रूप से दो मोबाइल फोन नंबरों का सीडीआर जुटाकर कथित तौर पर उसे अविनाश कौर को भेजे थे.
जांच रिपोर्ट मिलने के बाद सीबीआई ने गृह मंत्रालय से श्रीवास्तव पर मामला दर्ज करने के लिए मंजूरी मांगी और मंत्रालय की स्वीकृति मिलने के बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया.(thewire)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने रेडियो प्रोग्राम 'मन की बात' के जरिए देश को संबोधित करेंगे. इस प्रोग्राम का प्रसारण आज सुबह 11 बजे किया जाएगा. 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए पीएम मोदी आज 68वींं बार देश को संबोधित करेंगे. इस कार्यक्रम का प्रसारण देशभर में आकाशवाणी और दूरदर्शन नेटवर्क से किया जाएगा. इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने 26 जुलाई को 'मन की बात' कार्यक्रम के 67वें संस्करण के तहत देश को संबोधित किया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्विटर पर काफी एक्टिव रहते हैं. उन्होंने बीते 18 अगस्त को ट्वीट कर देशभर में लोगों से 'मन की बात' कार्यक्रम के लिए इनपुट्स और विचारों को साझा करने की अपील की थी. पीएम मोदी ने ट्वीट में कहा गया था कि 1800-11-7800 नंबर पर कॉल करके अपने सवालों को रिकॉर्ड भी किया जा सकता है. कार्यक्रम 'मन की बात' के सांकेतिक भाषा संस्करण का प्रसारण आज सुबह 11 बजे डीडी भारती पर देख सकते हैं.
इसके साथ ही 'मन की बात' कार्यक्रम के क्षेत्रीय संस्करणों को ऑल इंडिया रेडियो (India Radio) के संबंधित क्षेत्रीय स्टेशनों पर पीएम मोदी के प्रसारण के तुरंत बाद सुना जा सकता है. उसके बाद रात आठ बजे इस कार्यक्रम को दोबारा प्रसारित किया जाएगा.
इसके अलावा आप पीएम मोदी का 'मन की बात' की बात कार्यक्रम अपने मोबाइल पर 1922 डायल कर भी सुन सकते हैं. ये नंबर डायल करने के बाद आपको एक कॉल आएगा, जिसमें अपनी पसंदीदा भाषा चुनने और क्षेत्रीय भाषा को चुनने का विकल्प होगा. जिसके बाद कार्यक्रम 'मन की बात' को चुनी गई भाषा में सुना जा सकता है. बता दें कि इससे पहले के संस्करण में प्रधानमंत्री मोदी ने पड़ोसी देश पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा था. उन्होंने पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा था कि उसने भारत की भूमि पर कब्जा करने के लिए योजना बनाई. पीएम मोदी ने युवाओं से कारगिल युद्ध के दौरान सैनिकों के बलिदान की कहानियों को साझा करने के अपील भी की थी.
बता दें कि इससे पहले के संस्करण में प्रधानमंत्री मोदी ने पड़ोसी देश पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा था. उन्होंने पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा था कि उसने भारत की भूमि पर कब्जा करने के लिए योजना बनाई. पीएम मोदी ने युवाओं से कारगिल युद्ध के दौरान सैनिकों के बलिदान की कहानियों को साझा करने के अपील भी की थी.(catch)
नई दिल्ली, 30 अगस्त (आईएएनएस)| जेईई और नीट परीक्षा लिए जाने का विरोध अब तक कई छात्रों द्वारा किया जा रहा था। हालांकि अब इन परीक्षाओं के विरोध में दिल्ली सरकार भी कूद चुकी है। दिल्ली सरकार ने छात्रों के सुर में सुर मिलाते हुए इस वर्ष नीट और जेईई की परीक्षाएं रद्द किए जाने की मांग भी की। वहीं दिल्ली ने केंद्र से कहा है कि इन परीक्षाओं के स्थान पर कोई वैकल्पिक व्यवस्था लागू की जाए। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया कह चुके हैं, "जेईई और नीट की परीक्षा के नाम पर केंद्र सरकार लाखों छात्रों की जि़ंदगी से खेल रही है। मेरी केंद्र से विनती है कि पूरे देश में ये दोनों परीक्षाएं तुरंत रद्द करें और इस साल एडमिशन की वैकल्पिक व्यवस्था करे।"
हालांकि दिल्ली सरकार के सूत्रों के मुताबिक, जेईई और नीट परीक्षा कराने का मसला डीडीएमए में आया था। इसमें परीक्षा कराने का प्रस्ताव रखा गया था। फाइल में दिल्ली सरकार के राजस्व मंत्री ने छात्रों के हित में परीक्षा न कराने का प्रस्ताव रखा, वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी परीक्षा न कराने का निर्णय किया। लेकिन एलजी ने मुख्यमंत्री के निर्णय को पलट दिया और परीक्षा कराने की अनुमति दी।
नई दिल्ली, 30 अगस्त (आईएएनएस)| अनलॉक के दिशा-निर्देश जारी किए जाने के तुरंत बाद, अर्थव्यवस्था को खोलने के साथ और अधिक गतिविधियों की अनुमति देने के लिए, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को उन्हें डू (क्या करना है) और डोन्ट (क्या नहीं करना है) के बारे में सूचित करने के लिए पत्र लिखा। इसके साथ ही भल्ला ने कंटनेमेंट जोन के बाहर के क्षेत्रों के लिए सभी राज्यों से कहा है कि वह केंद्र की अनुमति के बिना अपना स्थानीय बंद लागू नहीं कर सकते।
गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है, अनलॉक 4 में, जो एक सितंबर, 2020 से लागू होगा, गतिविधियों के चरणबद्ध तरीके से फिर से खोलने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया है। हालांकि लॉकडाउन कंटेनमेंट जोन में 30 सितंबर, 2020 तक सख्ती से लागू किया जाएगा।
गृह मंत्रालय के दिशानिदेशरें के मुताबिक, सात सितंबर से मेट्रो सेवाएं चरणबद्ध तरीके से खुल सकेंगी। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय/रेल मंत्रालय द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ परामर्श के बाद मेट्रो रेल को सात सितंबर से क्रमबद्ध तरीके से संचालित करने की अनुमति दी जाएगी।
साथ ही केंद्र ने इस बात को भी दोहराया है कि लोगों की एक राज्य से दूसरे राज्य या एक ही राज्य के अंदर आवाजाही पर ना तो कोई रोक होगी और ना किसी तरह की इजाजत की जरूरत होगी। यह इसलिए अहम है क्योंकि केंद्र सरकार के कहने के बावजूद कुछ राज्यों ने अपने यहां आवागमन पर शर्तों के साथ पाबंदी लगाई हुई थी।
वहीं, सामाजिक, अकादमिक, खेल, मनोरंजन, सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनीतिक कार्यों और अन्य सभाओं में 21 सितंबर 2020 से 100 व्यक्तियों को शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि, इस तरह के सीमित समारोहों में अनिवार्य रूप से फेस मास्क पहनना, सामाजिक दूरी, थर्मल स्कैनिंग और हाथ धोने के लिए सैनिटाइजर का प्रावधान होना चाहिए। इसी दिन से, खुले एयर थिएटरों को भी खोले जाने की अनुमति दी गई है।
भल्ला ने दोहराया कि राज्यों या केंद्रशासित प्रदेश केंद्र सरकार के प्रतिबंधों को कम नहीं कर सकते हैं और न ही वे एमएचए से अनुमति (ग्रीन सिग्नल) के बिना नियंत्रण क्षेत्रों के बाहर स्थानीय बंद लागू कर सकते हैं।
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्कूल और कॉलेजों को फिलहाल 30 सितंबर 2020 तक बंद रखने का फैसला किया गया है। हालांकि इस दौरान ऑनलाइन क्लास के जरिए पढ़ाई चालू रहेगी। भल्ला ने कहा कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 50 प्रतिशत शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को ई-शिक्षण के लिए स्कूलों में बुलाया जा सकता है।
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद, यह निर्णय लिया गया है कि स्कूल, कॉलेज, शैक्षिक और कोचिंग संस्थान छात्रों के लिए 30 सितंबर 2020 तक नियमित कक्षा गतिविधि के लिए बंद रहेंगे। मगर कंटेनमेंट जोन के बाहर शिक्षकों से सलाह लेने के लिए नौवीं से 12वीं तक के छात्र स्वैच्छिक तौर पर स्कूल जा सकेंगे। सिनेमा हॉल, स्वीमिंग पूल, एंटरटेनमेंट पार्क, थियेटर (ओपन एयर थियेटर को छोड़कर) और इस तरह की जगहों पर गतिविधियां प्रतिबंधित रहेंगी।
भल्ला ने मुख्य सचिवों से कहा, मैं आपसे आग्रह करूंगा कि अनलॉक 4 पर दिशानिदेशरें का पालन सुनिश्चित करें और सभी संबंधित अधिकारियों को उनके सख्त कार्यान्वयन के लिए निर्देशित करें।
नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएस)| केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की सेहत में सुधार हो गया है और उन्हें जल्दी एम्स से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। अमित शाह को पोस्ट-कोविड केयर के लिए एम्स में भर्ती कराया गया था, जिसके 11 दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जाएगी। एम्स मीडिया और प्रोटोकॉल डिविजन के अध्यक्ष डॉ. आरती विज ने एक बयान में कहा, "वह ठीक हो चुके हैं और जल्द ही उन्हें डिस्चार्ज किया जाएगा।"
18 अगस्त को शाह को थकान और बदन दर्द की शिकायत के बाद पोस्ट-कोविड ट्रीटमेंट के लिए एम्स में भर्ती कराया गया था।
उन्होंने इससे पहले 2 अगस्त को ट्वीट कर जानकारी दी थी कि वह कोरोना से संक्रमित हो गए हैं। उन्होंने कहा था कि वह ठीक हैं लेकिन डॉक्टरों की सलाह पर अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल से कोरोना नेगेटिव पाए जाने के बाद 14 अगस्त को डिस्चार्ज किया गया था।
कोरोना जमात …
इंदौर, 29 अगस्त। शुक्रवार को इंदौर में जो कुछ हुआ वो पूरी व्यवस्था पर सवाल है। शर्मनाक है। कोरोना प्रोटोकॉल को खुद मुख्यमंत्री ने तोड़कर हजारों लोगों की ज़िंदगी खतरे में डाल दी। जब रेस्तरां बंद है, भोज पर प्रतिबन्ध है। तब इस आयोजन के बाद भाजपा ने कार्यकर्ताओं के लिए भोज का आयोजन कर डाला। ये पूरा आयोजन सांवेर उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी तुलसी सिलावट को लेकर क्या था। क्या चुनाव की जीत के लिए सरकार ऐसे ही लोगो की ज़िंदगी से खेलती रहेगी।
आम आदमी के घर में विवाह और मृत्यु तक में सिर्फ 20 लोगो के आयोजन की अनुमति है। सांवेर में मुख्यमंत्री ने बड़ा आयोजन भी किया और भोज थी। आखिर कोरोना प्रोटोकॉल सिर्फ जनता पर थोपने वाली ये सरकार खुद जनता के लिए जानलेवा और संक्रमण की जमात साबित हो रही है ।
सांवेर उपचुनाव के इस आयोजन में सरकार, जनप्रतिनिधियों की की मनमानी और बेहूदगी का खुला प्रदर्शन हुआ। जिला प्रशासन के अफसर भी सत्ता के पक्ष में नतमस्तक खड़े रहे। मुख्यमंत्री ने सांवेर विधानसभा में 155 करोड़ के कामों की घोषणा की।
सांवेर में उपचुनाव को लेकर ये जलसा था, इसमें चुनाव के दस रथ भी भेजे गए। इस आयोजन में 1000 से ज्यादा कार्यकर्ता बुलाये गए। आयोजन के बाद भोज हुआ। इसकी तस्वीरें पूरी कहानी खुद कह रही हैं।
ग्वालियर में भाजपा के सदस्यता अभियान में भी ऐसी ही भीड़ जुटी थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने एसपी और कलेक्टर को कोरोना प्रोटोकॉल तोड़ने वालों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। कोर्ट के इस आदेश से बेपरवाह भाजपा ने मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उससे भी बड़ा आयोजन इंदौर में कर लिया। क्या इंदौर कलेक्टर जो अपनी सख्ती के लिए पूरे देश में जाने जाते हैं, ऐसे आयोजन के कर्ता धर्ताओं पर कार्रवाई का साहस करेंगे ? सिर्फ जनता पर हमला होगा सरकार पर अफसरों की कृपा बरसती रहेगी।
सांवेर में जुमला .. ये तुलसी स्वास्थ्य के लिए घातक है
सांवेर उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी तुलसी राम सिलावट हैं। सिलावट खुद कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। बावजूद इसके वे तमाम कार्यक्रमों में सारे कायदे तोड़कर घूम रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले सप्ताह इंदौर आये थे, उस वक्त भी तुलसी पूरे वक्त सक्रिय रहे। तुलसी सिलावट शायद इस बार चुनाव में खुद को लेकर आशवस्त नहीं हैं। सांवेर जुमला चल रहा है… ये तुलसी स्वास्थ्य के लिए घातक है।
मुख्यमंत्री के आयोजन को देखते हुए प्रशासन ने
27 मौते रिकॉर्ड से ही गायब कर दी
इंदौर में प्रतिदिन 200 से ज्यादा कोरोना संक्रमित सामने आ रहे हैं। शुक्रवार को भी 226 संक्रमति मिले। इसके चार दिन पहले एक ही दिन में 264 रिकॉर्ड संख्या आई। इंदौर के कोरोना सेंटर एमटीएच में 5 दिन में 32 मौतें हुई। मुख्यमंत्री के दौरे को देखते हुए इन्हे दबाने की कोशिश के गई। 32 में से सत्ताईस मौत को प्रशासन ने रिकॉर्ड में ही नहीं लिया। यदि ये मौत रिकॉर्ड में आ जाती तो मुख्यमंत्री का आयोजन रद्द करने का दबाव रहता।
ग्वालियर अदालत ने कहा था -अंत्येष्टि शादी में निश्चित संख्या तो
ऐसे राजनीतिक आंदोलन की अनुमति क्यों ?
ग्वालियर में बीजेपी सदस्यता अभियान की भीड़ पर हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जब शादी, अंत्येष्टि में निश्चित संख्या से ज़्यादा व्यक्तियों के शामिल होने की अनुमति नहीं है। तो ग्वालियर में इतने बड़े स्तर पर वो भी बिना किसी शारीरिक दूरी को सुनिश्चित किए कार्यक्रम के आयोजन को आखिर अनुमति कैसे मिल गई?सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी ने कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक और दिन का समय मांगा था। लेकिन कोर्ट ने महा महाधिवक्ता की मांग को खारिज करते हुए सुनवाई जारी रखी।
संक्रमितों की इस सूची को देखिये आप समझ जायेगें संक्रमण कौन फैला रहा
शिवराज सिंह चौहान (मुख्यमंत्री
ज्योतिरादित्य सिंधिया (सांसद )
अरविंद भदौरिया (मंत्री)
तुलसी सिलावट (मंत्री )
मोहन यादव (मंत्री )
विश्वास सारंग (मंत्री )
ओमप्रकाश सकलेचा (मंत्री )
रामखेलावन पटेल (मंत्री )
महेंद्र सिसोदिया (मंत्री )
हीरासिंह राजपूत (गोविंद राजपूत मंत्री के भाई)
वीडी शर्मा (भाजपा प्रदेश अध्यक्ष )
सुहास भगत – संगठन मंत्री
आशुतोष तिवारी -सहसंगठन मंत्री
नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएस)| महाराष्ट्र के पालघर में अप्रैल में हुई दो साधुओं सहित तीन लोगों की हत्या की जांच करने वाली एक स्वतंत्र फैक्ट फाइंडिंग टीम ने कई चौंकाने वाले दावे किए हैं। साधुओं की हत्या के पीछे गहरी साजिश और नक्सल कनेक्शन की तरफ इशारा किया है। रिटायर्ड जज, पुलिस अफसर और वकीलों को लेकर बनी इस कमेटी ने इस बड़ी साजिश के पदार्फाश के लिए पॉलघर मॉब लिंचिंग की जांच सीबीआई और एनआईए से कराने की सिफारिश की है। टीम ने कहा है कि पुलिस कर्मी चाहते तो घटना को रोक सकते थे, लेकिन उन्होंने हिंसा की साजिश में शामिल होने का रास्ता चुना। कमेटी ने शनिवार को एक ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान रिपोर्ट के चौंकाने वाले अंश पेश किए।
16 अप्रैल 2020 को महाराष्ट्र के पालघर जिले में 70 वर्षीय कल्पवृक्षगिरी और 35 वर्षीय सुशील गिरी की उनकी ड्राइवर नीलेश तेलगड़े सहित उस समय हत्या कर दी गई थी, जब वे अपने गुरु महंत श्रीरामजी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए कार से जा रहे थे। मगर गढ़चिंचले नाम गांव में भीड़ ने उनका वाहन पलट दिया था। पुलिस आने के बावजूद भीड़ ने पीट-पीटकर तीनों लोगों की निर्मम हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद विवेक विचार मंच ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश अंबादास जोशी, संपादक किरण शेलार,पालघर जिले के ऐक्टिविस्ट संतोष जनाठे, रिटायर्ड सहायक पुलिस आयुक्त लक्ष्मण खारपड़े व कुछ वकील और सामाजिक कार्यकतरओ की फैक्ट फाइंडिंग टीम बनाई थी।
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। मसलन, झारखंड में नक्सल नेतृत्व वाले पत्थलगढ़ी आंदोलन की तर्ज पर पालघर में भी मुहिम चल रही है। कम्युनिस्ट कार्यकर्ता आदिवासियों को केंद्र और राज्य के कानूनों का पालन न करने के लिए भड़काने में जुटे हैं। आदिवासियों को अपने कानून का पालन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। आदिवासियों को भ्रमित किया जा रहा है कि उनके पास सौ साल पुराना आदिवासी संविधान है। उन्हें सरकारी कानूनों का पालन करने की जगह आदिवासी संविधान का पालन करना चाहिए। कमेटी ने इस दावे के समर्थन में कुछ कम्युनिस्ट नेताओं के बयान और वीडियो भी जारी किए हैं।
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने जांच के दौरान पाया है कि कम्युनिस्ट कार्यकर्ता अशिक्षित आदिवासी युवकों को सरकार की विकास योजनाओं और हिंदू समर्थकों की ओर से संचालित शैक्षिक संस्थानों और विकास कार्यक्रमों के खिलाफ भड़काते हैं। आदिवासियों को गैर हिंदू बताकर उन्हें हिंदू प्रथाओं का पालन न करने के लिए कहा जाता है। आदिवासियों को संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ करते हुए नक्सल आंदोलन से जोड़ने की घातक कोशिशें इलाके में चल रहीं हैं।
कमेटी ने करीब डेढ़ सौ पेज की जांच रिपोर्ट में कहा है, "झारखंड में नक्सल नेतृत्व वाले पत्थलगढ़ी आंदोलन की तर्ज पर पालघर में काम करने वाले वामपंथी संगठन संवैधानिक ढांचे और गतिविधियों के प्रति घृणा को बढ़ावा देने में लिप्त हैं। कम्युनिस्ट संगठन आदिवासी बाहुल्य गांवों की पूर्ण स्वायत्तता का दावा करते हुए संसद या राज्य के कानून का पालन न करने की घोषणा किए हैं। वामपंथी संगठनों की ओर से आदिवासियों में झूठ फैलाया जाता है कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं।"
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने कहा, "क्षेत्र में देश विरोधी गतिविधियां चल रहीं हैं। स्थानीय संगठन आदिवासियों के दिमाग में सरकार और साधुओं के खिलाफ नफरत पैदा कर रहे हैं। काश्तकारी संगठन, आदिवासी एकता परिषद, भूमि सेना और अन्य कई संगठन इसके लिए जिम्मेदार हैं। गांव में पत्थलगढ़ी आंदोलन की तरह संकल्प पारित करने के पीछे आदिवासी एकता परिषद के सदस्य का शामिल होना गहरी साजिश की तरफ इशारा करता है।"
पालघर में सरकार के खिलाफ आदिवासियों के मन में दुश्मनी पैदा करने के लिए औद्यौगिक गलियारा और बुलेट ट्रेन जैसी विकासीय परियोजनाओं का विरोध करने के लिए भी आदिवासियों को भड़काया जा रहा है। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि इस घटना में किसी निर्दोष आदिवासी को न फंसाया जाए।
नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएस)| कोरोनोवायरस महामारी के मामले में भारत की स्थिति सबसे ज्यादा खराब मालूम पड़ रही है, क्योंकि देश में दैनिक मामलों का ट्रजेक्टरी (प्रक्षेपवक्र) दिसंबर 2019 में स्वास्थ्य संकट की शुरुआत के बाद से वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक दर्ज किया जाना जारी है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, शनिवार को भारत में कोरोनोवायरस के 76,472 नए मामले सामने आए, जिससे कुल मामलों की संख्या बढ़कर 34,63,972 हो गई।
यह एक दिन पहले देश में सामने आए 77,266 मामलों की तुलना में थोड़ा कम है।
भारत में दैनिक मामले पिछले तीन हफ्तों में खतरनाक दर से बढ़ रहे हैं, इसने इसे अमेरिका और ब्राजील से आगे कर दिया है।
कुल 34,63,972 मामलों में से ठकी होने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 26,48,998 हो गई, जबकि 24 घंटे में 1,021 लोगों की मौत के साथ अब तक कुल 62,550 लोग इस बीमारी से जान गंवा चुके हैं।
30 जनवरी को पहला मामला सामने आने के बाद से भारत में कोरोना के 34 लाख से अधिक मामले होने में लगभग सात महीने लगे।
17 जुलाई को, देश में 10 लाख मामले हो गए थे जो 7 अगस्त को 20 दिन में दोगुना होकर 20 लाख हो गया, और 23 अगस्त तक और 10 लाख मामले बढ़ गए।
अब छह दिनों में चार लाख मामले और जुड़ गए हैं।
इस मोड़ पर, वायरस के प्रसार को देखने के लिए मापदंडों की तुलना करना उचित है।
दोहरीकरण दर, वह दर जिस पर देश में कुल मामले दोगुने हो रहे हैं। मामले दोहरे होने के हिसाब से भारत के 32 दिन के मुकाबले ब्राजील में 68 दिन और अमेरिका में 96 दिन है।
पॉजिटिविटी दर में जुलाई की तुलना में कमी देखने को मिली है। वर्तमान में यह 8.23 प्रतिशत है।
एक अन्य पैरामीटर - मत्युदर, जो कन्फर्म मामलों के बीच मौतों का अनुपात है, 1.8 प्रतिशत है।
यह दर वैश्विक औसत 3.4 प्रतिशत और अमेरिका और ब्राजील के क्रमश: 2.1 प्रतिशत और 3.2 प्रतिशत की तुलना में बेहतर है।
इस बीच, भारत में ठीक होने की दर वर्तमान में 76.4 प्रतिशत है। 25 मार्च को लॉकडाउन लागू होने के समय यह 7.10 प्रतिशत था।
कोरोना से पांच सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश हैं।
दिल्ली, जो कथित तौर पर जून में चरम पर थी, में फिर से हर दिन अधिक मामले आने शुरू हो गए हैं।
मलप्पुरम (केरल) 29 अगस्त (आईएएनएस)| केरल में 110 वर्षीय एक महिला ने कोरोनावायरस को हरा दिया है। बुजुर्ग महिला कोरोना टेस्ट में नेगेटिव पाई गईं, जिसके बाद उन्हें शनिवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इसकी जानकारी केरल स्वास्थ अधिकारियों ने दी। बुजुर्ग महिला का नाम पथु है, जो राज्य में कोरोनावायस मामलों में सबसे बड़ी उम्र की मरीज बन गई हैं।
इससे पहले राज्म में दो बुजुर्ग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, जिनकी आयु 105 और 103 वर्ष की थी, दोनो ठीक होकर घर चले गए हैं।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा, "पथु को उनकी बेटी के संपर्क में आने के बाद 18 अगस्त को पॉजिटिव पाया गया था, वह अब होम आईसोलेशन में रहेंगी।"
केरल में कोरोनावायरस मामलों की संख्या बढ़कर 70,000 के पार हो गई है।