नई दिल्ली, 15 सितंबर (आईएएनएस)| सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद पिछले तीन महीनों से चल रहे आरोप-प्रत्यारोप के बीच समाजवादी पार्टी की सदस्य जया बच्चन ने मंगलवार को राज्यसभा में फिल्म इण्डस्ट्री को बदनाम करने का मुद्दा उठाया। बच्चन ने सरकार से फिल्म उद्योग के सदस्यों को लगातार कोसे जाने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।
उन्होंने कहा, "जिन लोगों को नाम और प्रसिद्धि मिली है, उनमें से कुछ ने इसे 'गटर' कहा है।" उन्होंने लोगों का नाम लिए बिना कहा कि उन्हें इण्डस्ट्री को इस तरह बदनाम नहीं करना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा, "यह फिल्म उद्योग ही है जिसने कई लोगों को नाम और प्रसिद्धि दी। मुट्ठी भर लोगों द्वारा कुछ चीजों के लिए इण्डस्ट्री को लगातार बदनाम करने की प्रक्रिया चलती रही है।"
उन्होंने कहा कि इण्डस्ट्री विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को रोजगार देती है और इण्डस्ट्री के कुछ लोग तो सबसे अधिक टैक्स देने वालों में शुमार है।
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन से शादी करने वाली दिग्गज अभिनेत्री जया बच्चन सोशल मीडिया और मीडिया पर हो रही टिप्पणियों से भी व्यथित हैं।
बता दें कि 14 जून को सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद से फिल्म बिरादरी में भाई-भतीजावाद, इनसाइडर-आउटसाइडर के मुद्दे पर खासी बहस चल रही है। वहीं बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने इण्डस्ट्री के अपने सहयोगियों पर लगातार तीखे हमले किए हैं।
नई दिल्ली, 15 सितम्बर (आईएएनएस)| भारत में कोरोनावायरस के कारण अब तक 80,776 लोग जान गंवा चुके हैं, जबकि पिछले 24 घंटों में इस बीमारी के 83,809 नए मामले सामने आए हैं। मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों में इसका खुलासा हुआ। 1,054 नई मौतों के साथ भारत में मरने वालों की संख्या चीन में अब तक दर्ज हुए कुल कोरोना मामलों के मुकाबले बमुश्किल 5,000 पीछे है।
चीन में अब तक केवल 85,202 मामले दर्ज किए हैं, जबकि भारत ने 30 जनवरी को अपने पहले कोविड -19 मामले की सूचना दी थी। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में अब 49,30,236 मामले हैं।
कुल मामलों में से, 9,90,061 सक्रिय हैं। 38,59,399 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है, जबकि पिछले एक दिन में 79,292 लोग इस बीमारी से ठीक हुए हैं।
जहां रिकवरी दर 78 प्रतिशत है, वहीं मत्यु दर 1.64 प्रतिशत है।
17 जुलाई को भारत में कोरोना मामलों की संख्या 10 लाख पहुंची थी, जो तब 20 दिनों में 7 अगस्त को 20 लाख से बढ़ गई। 23 अगस्त तक 10 लाख मामले और जुड़ गए और संख्या 30 लाख हो लगई और 5 सितंबर को 40 लाख के पार हो गई।
महाराष्ट्र कुल 10,60,308 कोरोना मामलों के साथ सबसे प्रभावित राज्य बना हुआ है, जिसमें 29,531 मौतें शामिल हैं। इसके बाद आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश हैं।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में सोमवार को एक ही दिन में 10,72,845 नमूनों का परीक्षण हुआ, अब तक कुल 5,83,12,273 नमूनों की जांच हो चुकी है।
सिर्फ अमेरिका ही 65,53,303 मामलों और 1,94,489 मौतों के साथ भारत से आगे है।
अयोध्या, 15 सितंबर (आईएएनएस)| श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के खाते से बीते दिनों जालसाजी कर निकाले गए छह लाख रुपये भारतीय स्टेट बैंक ने सोमवार को ट्रस्ट को वापस कर दिए। इसकी जानकारी बैंक प्रबंधन ने ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय व सदस्य डॉ. अनिल मिश्र को दी है। ट्रस्ट की ओर से दी गयी सूचना के अनुसार, फर्जी चेक व फ र्जी हस्ताक्षर द्वारा श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के खाते से ट्रांसफर करवाई गई 6 लाख रुपये की राशि भारतीय स्टेट बैंक ने वापस श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के खाते में जमा करवा दी है। त्वरित करवाई के लिए बैंक प्रशासन का हार्दिक आभार।
बैंक खाते का संचालन करने में भूमिका निभाने वाले ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि ट्रस्ट के खाते से निकली पूरी रकम वापस आ गई है। अनिल मिश्र ने बताया कि ट्रस्ट के तीन खाते एसबीआई में हैं। दान करने वाले रामभक्त बैंक के चालू व बचत खाते में दान की राशि जमा कर सकेंगे। तीसरा खाता भुगतान का है। इसमें धनराशि तभी जमा की जाएगी जब ट्रस्ट को भुगतान करना होगा। सुरक्षा कारणों से भुगतान अब चेक से नहीं, बल्कि आरटीजीएस से होगा।
अभी भारतीय स्टेट बैंक को पंजाब नेशनल बैंक व बैंक ऑफ बड़ौदा से धनराशि मिलनी शेष है। एसबीआई ने इन दोनों ही बैंक के उच्चाधिकारियों को धनराशि वापस करने के लिए पत्र भी लिखा है। ये रकम गत नौ सितंबर को लखनऊ के पंजाब नेशनल बैंक व बैंक ऑफ बड़ौदा से जालसाज ने फ र्जी चेक से ट्रस्ट के खाते से निकाली थी। जब तीसरी बार खाते से नौ लाख 86 हजार रुपये निकालने का प्रयास हुआ तो एसबीआई की सतर्कता से मामला पकड़ा गया। मामले में ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने अयोध्या कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था।
नई दिल्ली, 15 सितम्बर (आईएएनएस)| वाम दलों के सदस्यों ने मंगलवार को 'किसान विरोधी नीतियों' को वापस लेने की अपनी मांग को लेकर संसद परिसर में धरना दिया। वामपंथी सांसदों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास धरना दिया। वे अध्यादेशों के माध्यम से केंद्र द्वारा लाई गई 'किसान विरोधी नीतियों' को वापस लेने की मांग कर रहे थे।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा सोमवार को कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 को एक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए पेश किए जाने के बाद ये विरोध हुए, जहां किसान और व्यापारी बिक्री और खरीद से संबंधित चयन की स्वतंत्रता का लाभ पाते हैं।
कृषि मंत्री ने कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 भी पेश किया। यह किसानों को कृषि करारों के संबंध में निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से पारस्परिक रूप से सहमत लाभकारी कीमत रूपरेखा पर कृषि सेवाओं और कृषि उत्पादों की बिक्री के लिए कृषि व्यापार फर्मो, प्रोसेसर, थोक विक्रेताओ, निर्यातकों या बड़ी संख्या में फुटकर विक्रेताओं के साथ कृषकों का संरक्षण करते हैं, सशक्त बनाते हैं।
नई दिल्ली, 15 सितंबर (आईएएनएस)| राष्ट्रमंडल महासचिव पेट्रीसिया स्कॉटलैंड ने राष्ट्रमंडल में कमजोर देशों को सपोर्ट करने के लिए भारत द्वारा किए जा रहे नेतृत्व की सराहना की है। उन्होंने इसे सभी सदस्य देशों के लिए 'आशा का क्षेत्र' भी बताया है। भारत-संयुक्त राष्ट्र विकास साझेदारी निधि की तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर सोमवार को एक वर्चुअल इवेंट में महासचिव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस फंड की स्थापना के लिए सराहना की। उन्होंने "राष्ट्रमंडल राज्यों को और अवसर प्रदान करने के लिए और उन्हें समर्थन देने के लिए आशा और सहयोग की प्रशंसा की।"
बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "दुनिया के विकासशील देशों के 34 छोटे द्वीप और बेहद कम विकसित देश राष्ट्रमंडल के सदस्य हैं। इस फंड के माध्यम से उन्हें समर्थन देने का भारत का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम स्वागत योग्य और जरूरी कदम है।"
उन्होंने आगे कहा, "संयुक्त राष्ट्र-भारत कोष को सन्निहित साझेदारी और समर्थन की भावना की अब पहले से ज्यादा जरूरत है। इसीलिए मेरा विश्वास है कि दुनिया में भारत की बढ़ती नेतृत्व भूमिका हम सभी के लिए आशा का क्षेत्र है।"
बता दें कि इस संयुक्त कोष की स्थापना 2017 में की गई थी। इसका मकसद विकासशील देशों के नेतृत्व वाली सतत विकास परियोजनाओं को सपोर्ट करना है।
इसमें भारत सरकार ने 10 करोड़ डॉलर का योगदान दिया है, जो कई वर्षों में दिया जाएगा। इसके अलावा 5 करोड़ डॉलर का एक और फंड राष्ट्रमंडल के सदस्य देशों, विशेष रूप से छोटे द्वीप और कम विकसित देशों के लिए 'कॉमनवेल्थ विंडो' के रूप में बनाया गया है।
श्रीनगर, 15 सितंबर (आईएएनएस)| केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 21 सितंबर से फिर से स्कूल खुलेंगे। हालांकि अधिकारियों ने कहा है कि स्कूल में छात्रों की उपस्थिति स्वैच्छिक रहेगी। एक अधिकारी ने बताया कि 21 सितंबर को 50 फीसदी कर्मचारियों और छात्रों के साथ स्कूल फिर से खुलेंगे। छात्रों की उपस्थिति को लेकर अभिभावकों से लिखित में सहमति ली जाएगी।
इस दौरान स्कूलों में सभी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) का पालन किया जाएगा।
अधिकारी ने आगे कहा, "कक्षा 8वीं तक के 50 फीसदी कर्मचारी हर दिन स्कूल आएंगे, जबकि कक्षा 9वीं से 12वीं तक के 50 फीसदी छात्र स्वैच्छा से उपस्थित हो सकते हैं। यह अभिभावकों को तय करना है कि वे अपने बच्चों को स्कूल जाने की अनुमति देते हैं या नहीं। इसके अलावा ऑनलाइन कक्षाएं और डिजिटल एजुकेशन जारी रहेगी।"
बता दें कि कोविड -19 महामारी के कारण प्रदेश में मार्च से स्कूल बंद हैं। वहीं पिछले साल 5 अगस्त को धारा 370 और 35ए को समाप्त करने के बाद भी स्कूलों को बंद रखा गया था।
नई दिल्ली 15 सितंबर (वार्ता) सरकार ने घरेलू बाजार में प्याज की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए प्याज का निर्यात पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय ने सोमवार को यहां जारी एक अधिसूचना में बताया कि घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता बढ़ाने के लिये इसका निर्यात रोकने का फैसला किया गया है। यह अधिसूचना प्याज की सभी किस्मों पर लागू होगी। अधिसूचना में कहा गया है कि प्याज के टुकड़े और पाउडर का निर्यात जारी रहेगा.
नई दिल्ली, 15 सितंबर (वार्ता) कांग्रेस की फूलो देवी नेताम ने राज्य सभा में सोमवार को छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की आठवीं सूची में शामिल करने का मामला उठाया।
सदन में शून्यकाल के दौरान श्रीमती नेताम ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा का समृद्ध साहित्य है और लगभग नौ करोड़ लोग इसे बोलते-लिखते हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने से भाषा का विकास होगा। उन्होंने रामायण का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके बहुत सारे अध्यायों में छत्तीसगढ़ी भाषा के शब्दों का इस्तेमाल हुआ है।
द्रविड़ मुनेत्र कषगम के पी. विल्सन ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-नीट का मामला उठाया। कांग्रेस के पी एल पुनिया ने श्रम कानूनों में बदलाव करने का मुद्दा उठाया और इन्हें वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण मजदूर तबका पहले ही भारी दबाव में है। कुछ राज्य सरकारों ने श्रम कानूनों में ढील दी है जिससे मजदूरों के अधिकारों का हनन हो रहा। उन्होंने कहा कि सरकार को इस संकट की घड़ी में मजदूरों का साथ देना चाहिए और उन्हें मजबूत बनाना चाहिए। श्रम कानूनों में बदलाव कर मजदूरों को कमजोर किया जा रहा है।
संसद में आज चीन के साथ जारी तनाव और पूर्वी लद्दाख के हालात का मामला उठेगा। एलएसी के हालात को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर दबाव बनाए हुए है कि सरकार इस मुद्दे पर आधिकारिक बयान दे। इसी के मद्देनजर रक्षा मंत्री आज दोपहर लोकसभा की कार्यवाही के दौरान 3 बजे 'लद्दाख में सीमा पर हालात' के बारे में संसद को जानकारी देंगे।
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में कई महीने से चीन के साथ तनाव बना हुआ है। और हालात इस हद तक बिगड़े हैं कि दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ चुकी हैं। तनाव कम करने की तमाम कोशिशें और कई दौर की बातचीत होने के बावजूद हालात में कोई बदलाव नहिं आया है।
हाल ही में मॉस्को में हुई एससीओ बैठक के बीच ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके चीनी समकक्ष के बीच तकरीबन 2 घंटे बैठक चली थी। इस बैठक में तय हुआ था कि दोनों देश आपसी बातचीत से सीमा विवाद का मुद्दा सुलझाएंगे, लेकिन इस पर फैसला नहीं हो सका कि दोनों देशों की सेनाएं कब पीछे हटेंगी। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच भी बैठक हुई थी। इस बैठक में भारत ने साफ कहा था कि भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा करेगा। इस बैठक में भी तय हुआ था कि दोनों देश बातचीत जारी रखेंगे और विवाद को शांतिपूर्वक सुलझाने पर जोर देंगे। लेकिन बाद में चीन की तरफ से बयान आया था कि मुद्दा सुलझाने की पूरी जिम्मेदारी भारत पर है। इसके बाद भारत ने भी साफ कर दिया कि चीन जब तक सीमा पर यथास्थिति बहाल नहीं करता, तब तक उसके साथ व्यापारिक रिश्ते सामान्य नहीं होंगे।(navjivan)
नई दिल्ली, 15 सितंबर आईएएनएस। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान सभी 48 हजार झुग्गी वासियों को आश्वासन दिया कि झुग्गी को नहीं हटाया जाएगा। जब भी झुुग्गी हटाई जाएगी, उससे पहले पक्का मकान मिलेगा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "जब तक आपका यह भाई, जब तक आपका यह बेटा जिंदा है, आपको हम किसी भी हालत में उजड़ने नहीं देंगे। केंद्र सरकार के स्पेशल प्रोविजन एक्ट, ड्यूसीब एक्टी, ड्यूसीब पॉलिसी और ड्यूसीब प्रोटोकाल चार कानून हैं, जो कहते हैं कि किसी भी झुग्गीवाले को हटाया जाएगा, तो पहले उसको पक्का मकान दिया जाएगा। पिछले 70 वर्षों में विभिन्न पार्टियों की सरकारों ने दिल्ली की प्लानिंग ठीक से नहीं की, उन्होंने गरीबों के लिए घर नहीं बनाए। साथ ही, जब तक कोरोना ठीक नहीं हो जाता, तब तक झुग्गी हटाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाना चाहिए, कहीं ऐसा न हो यह इलाके कोरोना के हॉट स्पॉट न बन जाएं।"
सीएम ने कहा, "मुझे खुशी है कि केंद्र सरकार ने कोर्ट में पॉजिटिव एफिडेविट दिया है, उसमें कहा गया है कि दिल्ली सरकार, रेलवे और अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्ट्री, तीनों मिलकर अगले 4 हफ्ते में इसका समाधान निकालेंगे। यह भी एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर हमें राजनीति करने की बजाय, सबको मिल कर काम करना चाहिए।"
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सदन में कहा, "यह आदेश हुआ है कि 48 हजार झुग्गियों को 3 महीने के अंदर तोड़ा जाए। मेरा अपना यह मानना है कि यह महामारी का दौर चल रहा है और इस महामारी के दौर में 48000 झुग्गियों को तोड़ना सही नहीं होगा, जब तक कोरोना ठीक नहीं हो जाता, तब तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाना चाहिए, नहीं तो कहीं ऐसा ना हो कि यही इलाके कोरोना के हॉटस्पॉट बन जाएं और केवल वही, नहीं वहां से कोरोना दिल्ली के बाकी हिस्सों में न फैलने लगे।"
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, "अगर एक दिन के लिए दिल्ली के सभी नेता काम करना बंद कर दें, तो दिल्ली चल जाएगी। अगर एक दिन के लिए दिल्ली के सारे अफसर काम करना बंद कर दें, तो दिल्ली चल जाएगी, लेकिन अगर एक दिन के लिए दिल्ली के सारे झुग्गीवाले काम करना बंद कर दें, तो दिल्ली बंद हो जाएगी। इसलिए हमें उनकी, जो भूमिका है, उसको गौर करना चाहिए।"
नई दिल्ली, 15 सितम्बर (आईएएनएस)| 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा के 9 विधायक कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इनमें दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी शामिल हैं। उप मुख्यमंत्री समेत सभी विधायकों ने कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद खुद को आइसोलेट कर लिया है। सोमवार को दिल्ली विधानसभा का एक दिवसीय मानसून सत्र बुलाया गया। हालांकि इस मानसून सत्र में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शिरकत नहीं कर सके। सिसोदिया ने बुखार की शिकायत के बाद स्वयं को आइसोलेट कर लिया है। कोरोना टेस्ट करवाने पर सिसोदिया की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है।
कोरोना जांच रिपोर्ट आने के बाद उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, "हल्का बुखार होने के बाद आज मैंने कोरोना टेस्ट कराया था, जिसकी रिपोर्ट पोजि़टिव आई है। मैंने खुद को एकांतवास में रख लिया है।
"फिलहाल बुखार या अन्य कोई परेशानी नहीं है, मैं पूरी तरह ठीक हूँ। आप सब की दुआओं से जल्द ही पूर्ण स्वस्थ होकर काम पर लौटूंगा।"
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अलावा आठ अन्य विधायक कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इनमें प्रमिला टोकस, गिरीश सोनी, राजेश गुप्ता, ऋतुराज, वीरेंद्र सिंह कादयान, अजय महावर, सुरेंद्र कुमार और विशेष रवि शामिल हैं।
दरअसल विधानसभा की कार्यवाही से पहले सभी विधायकों की कोरोना जांच की गई। इस कोरोना जांच में प्रमिला टोकस, गिरीश सोनी और विशेष रवि कोरोना पॉजिटिव पाए गए। वहीं राजेश गुप्ता, ऋतुराज, वीरेंद्र सिंह कादयान, अजय महावर और सुरेंद्र कुमार ने अपने कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी विधानसभा को दी है।
दिल्ली के वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी भी उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के पास है। सोमवार को बुलाए गए एक दिवसीय मानसून सत्र के दौरान उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया दिल्ली माल और सेवा कर संशोधन विधेयक सदन में रखने वाले थे, लेकिन कोरोना पॉजिटिव होने के कारण वह विधानसभा सत्र में शामिल नहीं हुए।
गौरतलब है कि इससे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी बुखार और गले में खराश की शिकायत के उपरांत स्वयं को आइसोलेट किया था। कोरोना जांच के उपरांत मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। वहीं स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को बुखार की शिकायत के उपरांत अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां वे कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे।
बाद में सत्येंद्र जैन को प्लाजमा थेरेपी भी दी गई। अस्पताल से छुट्टी मिलने के लगभग एक महीने बाद सत्येंद्र जैन ने स्वास्थ्य मंत्रालय का कार्य दोबारा संभाला था। जैन की अनुपस्थिति में उस समय मनीष सिसोदिया दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्रालय का कार्यभार भी संभाल रहे थे।
नई दिल्ली, 15 सितम्बर (आईएएनएस)| केंद्रीय उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि आगामी खरीफ विपणन सीजन 2020-21 में चावल की सरकारी खरीद 495.37 लाख टन से होने का अनुमान है। मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, इससे पहले खरीफ विपणन सीजन 2019-20 में धान की वास्तविक खरीद (चावल के रूप में) 420.22 लाख टन हुई थी, जोकि एक रिकॉर्ड है। इस प्रकार आगामी सीजन में चावल की सरकारी खरीद का नया रिकॉर्ड बन सकता है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव की अध्यक्षता में 11 सितंबर को राज्यों के खाद्य सचिवों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए एक बैठक हुई, जिसमें आगामी खरीफ विपणन वर्ष चावल की खरीद की व्यवस्था पर चर्चा हुई। बयान में कहा गया है कि आगामी खरीफ सीजन में चावल की खरीद 495.37 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 416 लाख टन से 19.07 फीसदी अधिक है।
मंत्रालय की जानकारी के अनुसार, वर्ष 2020-21 में तमिलनाडु और महाराष्ट्र में खरीद में 100 फीसदी से ज्यादा का इजाफा होने का अनुमान है जबकि मध्यप्रदेश, तेलंगाना, बिहार और झारखंड में पिछले साल के मुकाबले खरीद में 50 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि हो सकती है।
पंजाब में चावल की खरीद का अनुमान 113 लाख टन, छत्तीसगढ़ में 60 लाख टन, तेलंगाना में 50 लाख टन और हरियाणा में 44 लाख टन, आंध्रप्रदेश में 40 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 37 लाख टन और ओडिशा में 37 लाख टन होने का अनुमान है।
नई दिल्ली, 15 सितम्बर (आईएएनएस)| दिल्ली में रेलवे ट्रैक के नजदीक बसे झुग्गी कलस्टरों को तीन महीने में उजाड़ने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच ने अगली सुनवाई तक झुग्गी झोपड़ियों को तोड़ने पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए। झुग्गी कलस्टरों की तरफ से वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद और अभिषेक मनु सिंघवी केस की पैरवी कर रहे थे। रेलवे ट्रैक के साथ जेजे क्लस्टर को हटाने के सुप्रीम कोर्ट आदेश के बाद, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ. अनिल कुमार ने सराय रोहिल्ला में जेजे कलस्टर का दौरा किया था और वहां झुग्गीवासियों को आश्वासन दिया था कि, "दिल्ली कांग्रेस उनकी झुग्गियों को उजाड़ने से रोकने के हर संभव प्रयास करेगी।"
अनिल कुमार ने कहा कि "यह आश्चर्य की बात है कि आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने एक दिवसीय विधानसभा सेशन में जे.जे. कलस्टर के एजेंडे को लिस्ट नहीं किया गया, जिससे साबित हो जाता है कि अरविंद केजरीवाल सरकार जे.जे. कलस्टर निवासियों की मदद करने के नाम पर सिर्फ मगरमच्छ की तरह आंसू बहा रही है।
उन्होंने आगे कहा कि, "अगर केजरीवाल सरकार जे.जे. कलस्टर निवासियों के प्रति संवदेनशील होती तो एक दिवसीय सेशन में इस एजेंडे को प्रमुखता से उठाती। परंतु ऐसा नहीं हुआ। इससे साफ हो जाता है कि केजरीवाल सरकार, दिल्ली के संवदेनशील मामलों पर गंभीरता दिखाने की बजाए सिर्फ बातें करके दिल्लीवासियों को गुमराह कर रही है।"
सागर, 15 सितंबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की जुबान फिसल गई और वह भाजपा को ही कोस गए। राजपूत पिछले दिनों कांग्रेस छोड़कर पूर्व कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए थे। सागर जिले के सुरखी विधानसभा से विधायक रहे राजपूत ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। उन्हें आगामी समय में होने वाले उपचुनाव में सुरखी से बतौर भाजपा उम्मीदवार चुनाव लड़ना है। इससे पहले उन्होंने यहां रामशिला पूजन यात्रा निकाली गई। इस यात्रा का सोमवार को समापन हुआ।
समापन मौके पर संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए राजपूत भाजपा के पक्ष में कशीदे पढ़ते रहे, मगर अचानक उनकी जुबान फिसल गई और भाजपा को ही कोसने लगे। सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हो रहा है, उसमें राजपूत कह रहे हैं कि "कांग्रेस वर्तमान में भाजपा के काम से डरी हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सूझबूझ से राम मंदिर का भूमि पूजन हुआ, पूरे देश में कोई दंगा-फसाद नहीं हुआ। इस समय पूरा मध्यप्रदेश राममय है, सुरखी राममय है, भाजपा को नकली राम नाम, भगवा झंडे को धारण करना पड़ रहा है, लेकिन जनता जानती है कि मुंह में राम बगल में छुरी, भाजपा का हमेशा यही काम रहा है।"
"छत्तीसगढ़" न्यूज डेस्क
नई दिल्ली, 14 सितंबर। कांग्रेस पार्टी ने आज मोदी सरकार की किसान और कृषि बिल पर तगड़ा हमला बोला। इसके लिए मोदी सरकार संसद में जो विधेयक ला रही है, उसे किसानों को तबाह करने वाला बताया।
कांग्रेस प्रवक्ता गौरव गोगोई ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि संसद में भाजपा सरकार जो बिल लाई है वो किसानों और कृषि क्षेत्र को तबाह करने वाले बिल लाई है। किसान के लिए शायद आज का दिन काले अक्षर से लिखा जाएगा, क्योंकि चारों तरफ हम देख रहे हैं कि किसान पीडि़त है, उचित मूल्य नहीं मिल रहा, व्यापार चौपट है, उनके खेत में काम करने वालों को जो डेली वेज देना होता है, दिहाड़ी देनी होती है, वो नहीं दे पा रहे हैं, लेकिन आज भाजपा सरकार प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में जो बिल लाए हैं, वो किसानों को मदद करने के लिए नहीं, कॉर्पोरेट सेक्टर को मदद करने के लिए, बड़े-बड़े उद्योगपति को मदद करने के लिए ये बिल लाए हैं, जिससे किसानों को जो न्यूनतम समर्थन मूल्य जो मिलता है, जो मिनिमम सपोर्ट प्राईस मिलता है, आज वो खतरे में है। किसानों को एपीएमसी के द्वारा जो हमारे विभिन्न राज्य हैं, पंजाब, हरियाणा राज्यों में जाकर वहाँ पर किसान के खेत में मजदूरी करता है, उसका जो मूल्य मिलता है, वो खतरे में है। क्योंकि पहले दिन से ही इस सरकार की मंशा रही है कि किसानों की जमीन को कैसे हड़पकर बड़े-बड़े उद्योगों को लाभ दें। चाहे वो पहले भूमि अधिग्रहण बिल द्वारा हो या आज इन 3 बिल द्वारा जो किसानों के साथ जुड़े हुए हैं, एशेंयल कमोडिटी वेयर हाउस के साथ जुड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि मंत्री ने खुद अपनी बातों में कहा कि कहीं ना कहीं ये तीनों बिल जुड़े हुए हैं और यही बात बार-बार कांग्रेस के दल, हम उठा रहे हैं कि ये तीनों बिल आप एक नजरिए से देखें, ये जुड़े हुए हैं, किसानों के अधिकारों पर, किसानों की आमदनी पर, किसानों की इंकम पर ये प्रहार है। इसलिए हम इसका घोर विरोध कर रहे हैं। कई हमारे राज्यों के मुख्यमंत्री ने चि_ी के द्वारा इस बिल का विरोध भी किया है, आज हमने कांग्रेस के हमारे दल के नेता और अन्य हमारे सदस्यगण ने इस बिल का विरोध किया।
जवाब में मंत्री महोदय कहते हैं कि ये बिल किसानों को आजादी देता है-झूठ, सरासर झूठ।
ये बिल किसानों को आजादी नहीं देता, ये बिल आजादी देता है कॉर्पोरेट जगत को कि वो किस प्रकार से किसानों को एक्सप्लोयट करे, किसानों को एमएसपी से कम दर पर रखकर प्राईस दें। इसका हम विरोध करते रहेंगे और आने वाले हमारे लोकसभा और राज्यसभा के सत्र में भी इसका विरोध करेंगे।
दूसरी बात, आज हमने कांग्रेस की तरफ से ये बात रखी कि आज भारत की सीमा सुरक्षा के साथ हम सभी चिंतित हैं और पार्लियामेंट का पहला दिन आज है, देश के लोग आज पार्लियामेंट की तरफ देख रहे हैं, आज के समय अनिवायऱ् था कि रक्षा मंत्री बोलें कि सीमा पर जो हमारी समस्य़ा है चीन के साथ, उस पर भारत सरकार कब अपनी नीति स्पष्ट करेगी, चर्चा के द्वारा या स्टेटमेंट के द्वारा उनका क्या रवैया रहेगा, हम चाहते थे कि आश्वासन तो मिले। रक्षा मंत्री स्वयं आज लोकसभा में थे, एक आश्वासन तो मिले कि केन्द्र सरकार इस चीन के मामले को लोकसभा में कब उठाएगी, राज्यसभा में कब उठाएगी, पर इससे भी वो पीछे हट गए, इस बात का उन्होंने स्पष्टीकरण देना भी जरुरी नहीं समझा।
तीसरी जो मूल हमारी बात है कि कहीं ना कहीं भारत की संसद की जो गरिमा है और हमारे सांसदों के जो नैतिक-संवैधानिक अधिकार हैं, उन अधिकारों पर आक्रमण किया जा रहा है, क्योंकि प्रश्नकाल आज ऐतिहासिक रुप से, आज प्रश्नकाल को जिस प्रकार से, मुझे लगत है कि एक बनावटी कारण के द्वारा आज प्रश्नकाल को जिस प्रकार से स्थगित किया जा रहा है, ये उचित नहीं है, क्योंकि प्रश्नकाल में देश के लोग अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के द्वारा मंत्री से सीधा सवाल करते हैं और मंत्री से सीधा उत्तर सुनने की अपेक्षा करते हैं। बार-बार हमने कहा कि आप शनिवार को पार्लियामेंट रख रहे हैं, रविवार को आप पार्लियामेंट रख रहे हैं, इससे हमें कोई आपत्ति नहीं, आप पार्लियामेंट 18 दिन का रखें या इससे पहले पार्लियामेंट को शुरुआत करके एक महीने का पार्लियामेंट रखें, हम पार्लियामेंट की प्रक्रिया में पूरी तरीके से सहयोग करने के लिए सहमत हैं। लेकिन प्रश्नकाल को आपने क्यों स्थगित किया? आप बोलते हैं कि कोविड के कारण, तो बिल पर चर्चा हो सकती है, मंत्री महोदय अपने भाषण दे सकते हैं, लेकिन मंत्री महोदय देश के आवाम के प्रश्नों का उत्तर क्यों नहीं दे सकते हैं। मंत्री महोदय ने बिल के लिए आज भाषण दिए, तो वो प्रश्न का उत्तर क्यों नहीं देना चाहते? उन्होंने कहा कि लिखित में वो प्रश्नों के उत्तर देंगे, लेकिन हम सभी को पता है कि ये जो लिखित उत्तर उनके अफसरों से आता है, देश की आवाम ने अफसरों को नहीं चुना, देश की आवाम ने इस सरकार, इस सरकार के मंत्रियों को चुना है और देश की आवाम की जो आवाज है, वो अफसरों के द्वारा लिखित उत्तर से नहीं, मंत्री महोदय के उत्तर से, स्वयं की वाणी से आनी चाहिए। तो कहीं ना कहीं चाहे वो बिल के द्वारा हो, चाहे वो प्रश्नकाल, जो स्थगन करने के द्वारा हो, या जीरो ऑवर को कम करके आधे घंटे का करके इस प्रक्रिया के द्वारा हो, एक ही मंशा दिख रही है कि संकट के समय ये सरकार देश के लोगों के अधिकारों को कम कर रही है, कमजोर कर रही है और पूरी सत्ता का कैसे और केन्द्रीय़करण कर पाए, सत्ता और कैसे अपने हाथ में ले पाए, लेजिस्लेटिव की सत्ता, लेजिस्लेटिव के अधिकार, पार्लिय़ामेंट की गरिमा, सांसदों के अधिकार को कैसे कमजोर करके और वो सत्ता को हड़प सकते हैं, इसी मंशा के साथ आज के इस पार्लियामेंट सत्र की शुरुआत हुई है।
सीमा सुरक्षा से जुड़े एक प्रश्न के उत्तर में श्री गोगोई ने कहा कि चीन के साथ हमें ना सिर्फ जमीन पर, ना सिर्फ हवा में, ना सिर्फ समुद्र में, पर चीन के साथ हमें साईबर वर्ल्ड में भी, साईबर स्पेस में भी उन पर नजर रखनी पड़ेगी और हम चाहेंगे कि आने वाले समय में भारत सरकार ये स्पष्ट करे कि अब तक जो चीनी लोगों ने या कंपनियों ने या संगठनों ने जो डेटा या इनफोर्मेशन केप्चर किया है, भारत के सेंसेटिव इनफोर्मेशन का कोई ऐसा डेटा उन्होंने नहीं लिया है।
नई दिल्ली, 14 सितंबर (आईएएनएस)| केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि फिलहाल दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे 48,000 झुग्गियों को नहीं हटाया जाएगा। केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि रेलवे, शहरी विकास मंत्रालय और दिल्ली सरकार एक साथ बैठकर चार सप्ताह में इस समस्या का कोई समाधान जरूर निकालेंगे और तब तक रेलवे पटरियों के किनारे झुग्गी बस्तियों को नहीं हटाया जाएगा।
वहीं वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ के समक्ष अनुरोध किया कि कोर्ट को यथास्थिति का आदेश देना चाहिए। इस पर पीठ ने जवाब दिया कि ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि केंद्र पहले ही कह चुका है कि फैसला होने तक यथास्थिति रहेगी।
वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि वह आवेदकों की ओर से पेश हुए, जो सीधे तौर पर इससे प्रभावित हैं और आवेदक खुद झुग्गी वासी हैं। खुर्शीद ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी बात सुनने की भी आवश्यकता है और इसके साथ ही उन्होंने कोर्ट से उन्हें मामले में पार्टी बनाने का आग्रह किया। वहीं सिंघवी ने तर्क दिया कि शुक्रवार और सोमवार को झुग्गियों को गिराने का काम हुआ है, इसलिए इसे रोकने के लिए निर्देश दिए जाने की आवश्यकता है।
मेहता ने उत्तर दिया कि हो सकता है कि इस तरह की तोड़फोड़ किसी और मामले में हुई हो, लेकिन इस मामले के मद्देनजर नहीं हुई है। दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने कोर्ट के सामने कहा कि पुनर्वास के लिए कानून और नियमों के संबंध में सरकार पूरी तरह से सहयोग करेगी। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर चार सप्ताह के बाद सुनवाई करेगा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे लगभग 48,000 झुग्गियों को हटाने के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। बीते 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में तीन महीने के भीतर रेलवे पटरियों पर लगभग 48,000 झुग्गी बस्तियों को हटाने का आदेश दिया था और कहा था कि इस मामले में कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा।
माकन ने अपने आवेदन में कहा कि रेल मंत्रालय, दिल्ली सरकार आदि ने पहले ही प्रक्रिया की पहचान और झुग्गियों को हटाने की पहल कर दी है और दिल्ली में विभिन्न झुग्गी बस्तियों में तोड़ने के नोटिस जारी किए गए हैं।
-मोहम्मद शोएब
नई दिल्ली, 14 सितंबर (आईएएनएस)| कोरोना काल में दिल्ली के चिड़ियाघर में दर्शकों की आवाजाही पर रोक लगी हुई है। लोगों के न आने से चिड़ियाघर के अंदर रह रहे जानवर पूरी तरह चैन की जिंदगी बिता रहे हैं। उनके बर्ताव में भी सकारात्मक बदलाव देखा जा रहा है। वहीं, कर्मचारियों को जानवरों की देखभाल और उनके स्वास्थ्य का ज्यादा ख्याल रखना पड़ रहा है।
चिड़ियाघर के अंदर दर्शकों की एंट्री बंद होने के बाद जनवरों को अब सुबह जल्द ही पिंजड़े से निकलने दिया जाता है। यानी जानवर इस समय प्राकृतिक वातावरण में ज्यादा समय गुजार पा रहे हैं।
दिल्ली चिड़ियाघर के निदेशक रमेश के. पांडेय ने आईएएनएस को बताया, "दर्शकों के प्रवेश की पाबंदी होने की वजह से चिड़ियाघर में इन दिनों शोर-शराबा कम है। अब सोते हुए जानवरों को बेवजह कोई नहीं जगाता। इस वजह से जानवर अभी चैन से रह रहे हैं। इसका पॉजिटिव इम्पैक्ट हो सकता है।"
उन्होंने कहा, "हालांकि ये पुख्ता तौर पर साबित कर पाना थोड़ा मुश्किल होगा कि दर्शकों के न आने से जानवरों के बर्ताव में किस तरह का बदलाव आया है। इसका महज अनुमान लगाया जा सकता है।"
पांडेय ने आगे बताया, "चिड़ियाघर को एक समय के अंतराल पर सैनिटाइज किया जा रहा है। चिड़ियाघर का स्टाफ अलग-अलग पैमाने पर जानवरों के लिए काम कर रहा है। जैसे जानवरों का बाड़ा देखना, पानी, खाना, स्वास्थ्य और हाइजीन पर हम इस समय ज्यादा ध्यान दे पा रहे हैं।"
गौरतलब है कि चिड़ियाघर को लॉकडाउन से पहले ही 18 मार्च को आम जनता के लिए बंद कर दिया गया था। वायरस से बचने और रोकथाम के लिए चिड़ियाघर के अंदर मौजूद कर्मचारियों को मुंह पर मास्क लगाना और हाथों में ग्लव्स पहनना जरूरी है।
चिड़ियाघर प्रशासन ने इस समय जानवरों के पिंजड़े खुले छोड़ दिए हैं। बस उनके बाड़ों के गेट पर ताला लगा रहता है, ताकि वे जब चाहे पिंजड़े के अंदर और बाहर घूम सकते हैं।
हाल ही में बूचड़खाने बंद होने की वजह से चिड़ियाघर के अंदर ही एक बूचड़खाना बनाया गया था, जहां से जानवरों के लिए मांस की आपूर्ति की जाती थी। लेकिन पिछले 15 दिनों से पहले की तरह बाहर से ही मांस मंगाया जा रहा है।
इस चिड़ियाघर में करीब 200 कर्मचारी कार्यरत हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान चिड़ियाघर के स्टाफ के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं। समूचे चिड़ियाघर को एक निश्चित अंतराल पर सैनिटाइज किया जाता है। कर्मचारियों को मास्क और ग्लव्स पहनने के बाद ही जानवरों के पास जाना होता है। वहीं, जानवरों के घर की सफाई और स्क्रीनिंग भी की जा रही है।
चिड़ियाघर के निदेशक ने आईएएनएस को आगे बताया, "दर्शक न होने की वजह से हम एनिमल वेलफेयर पर आसानी से काम कर पा रहे हैं। बड़े जानवर जैसे हाथी, बाघ, तेंदुआ, जैगुआर इन सभी की रेगुलर स्क्रीनिंग की जा रही है।"
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सेहत के नजरिये से लोगों की सुरक्षा जितनी जरूरी है, उतना ही जानवरों की सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है। इनमें कोरोना के अलावा अन्य बीमारियां भी होती हैं, जिनका हमें ध्यान रखना होता है। ये भी गौर करना जरूरी होता है कि इंसानों या जानवरों की वजह से एक-दूसरे में कहीं कोई संक्रमण न फैले।
पांडेय ने बताया कि चिड़ियाघर का स्टाफ सुबह 6 से रात 12 बजे तक काम करता है। चिड़ियाघर के अंदर हर चीज पर नजर रखी जाती है। जिस तरह एक मां अपने बच्चे का ख्याल रखती है, उसी तरह हमें इन जानवरों का ध्यान रखना होता है। हम लोगों के लिए हर दिन एक नई चुनौती होती है।
उन्होंने कहा, "भविष्य में सरकार द्वारा अगर चिड़ियाघर को खोलने का आदेश और दिशा-निर्देश आते हैं तो उनका पालन किया जाएगा। हम कोशिश करेंगे कि ज्यादा से ज्यादा चीजें ऑनलाइन हो सकें। वहीं, हम यह भी ध्यान रखेंगे कि दो कर्मचारियों के बीच उचित दूरी बनी रही ।"
निदेशक के कहा, "चिड़ियाघर का उद्देश्य राजस्व कमाना नहीं, बल्कि लोगों को जानवरों के बारे में शिक्षा देना है। जो बच्चा किताबों में टाइगर की तस्वीर देखता है और जब यहां आकर उसे जीता-जागता देखता है तो उसके बारे में ज्याद जान पाता है।"
नई दिल्ली, 14 सितम्बर | देश में बेतहाशा बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर पीएम मोदी और उनकी सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि लोग अनपी जान खुद बचाएं क्योंकि पीएम मोदी कहीं और व्यस्त हैं।
राहुल गांधी ने ट्वटी कर कहा, “कोरोना संक्रमण के आंकड़े इस हफ्ते 50 लाख और ऐक्टिव केस 10 लाख पार हो जाएगे। अनियोजित लॉकडाउन एक व्यक्ति के अहंकार की देन है जिससे कोरोना देशभर में फैल गया। मोदी सरकार ने कहा आत्मनिर्भर बनिए यानि अपनी जान खुद ही बचा लीजिए क्योंकि पीएम मोर के साथ व्यस्त हैं।”
देश में कोरोना वायरस ने कोहराम मचा रखा है। देश में हर दिन कोरोना के 90 हजार से ज्यादा संक्रमित सामने आ रहे हैं। साथ ही एक हजार से ज्यादा लोगों की हर दिन जान जा रही है। भारत कोरोना प्रभावित देशों में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है। भारत में अब तक कोरोना के 48,45,003 मामले सामने आ चुके हैं। इसमें 9,88,205 मामले सक्रिय हैं। भारत में कोरोना की चपेट में आकर अब तक 79,754 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देश में क्या हाल है। (navjivan)
पटना, 14 सितंबर (आईएएनएस)| बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या में लगातार इजाफा होना जारी है, लेकिन राहत की बात यह कि संक्रमण से मुक्त होने वाले लोगों की संख्या में भी लगातार बढ़ रही है। बिहार में रिकवरी रेट 90 फीसदी से ज्यादा हो गया है जो राष्ट्रीय स्तर से 13 फीसदी ज्यादा बताया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो रविवार तक बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,58,389 तक पहुंच गई है, जबकि इसमें से 1,43,053 लोग संक्रमण-मुक्त होकर स्वस्थ हो चुके हैं। राज्य में सक्रिय मरीजों की संख्या 14,513 बताई जा रही है।
बिहार सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव अनुपम कुमार ने बताया कि कोविड-19 की वर्तमान स्थिति को लेकर सरकार द्वारा लगातार सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, "कोरोना संक्रमण के पॉजिटिविटी रेट में लगातार कमी हो रही है और रिकवरी रेट में उतरोत्तर सुधार हो रहा है। रविवार को बिहार का रिकवटी रेट लगभग 90़32 प्रतिशत रहा, जो राष्ट्रीय औसत से लगभग 13 प्रतिशत अधिक है।"
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो 31 अगस्त को बिहार में राज्य का रिकवरी रेट जहां 87़ 70 प्रतिशत था, वहीं 1 सितंबर को यह अनुपात बढ़कर 87़95 प्रतिशत तक पहुंच गया।
इसी तरह 5 सितंबर को 1,50,483 नमूनों की जांच हुई थी, जिसमें से 1,727 नए मरीज मिले थे, जबकि उसी दिन 1,965 लोग संक्रमण-मुक्त हुए थे। उस दिन रिकवरी रेट 88़ 01 प्रतिशत था। इसी तरह 10 सितंबर को रिकवरी रेट 89़ 29 फीसदी तक पहुंच गया था और 12 सितंबर को यह आंकड़ा 88़ 99 प्रतिशत तक पहुंच गया था।
नई दिल्ली, 14 सितंबर (आईएएनएस)| लोकसभा में प्रश्नकाल स्थगित करने के सरकार के फैसले ने सोमवार को मानसून सत्र के शुरुआती दिन विपक्षी दलों के बीच व्यापक नाराजगी पैदा कर दी, जिसमें सांसदों ने कहा कि यह कदम 'लोकतंत्र का गला घोंटने का' प्रयास है। विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह किसी भी प्रकार की जवाबदेही से बचने के लिए कोविड-19 महामारी का उपयोग कर रही है।
लोकसभा में प्रश्नकाल का मुद्दा उठाते हुए, सदन के कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "प्रश्नकाल को रद्द करना सांसदों को राष्ट्रीय महत्व के मामले उठाने से रोकने के बराबर है।"
उन्होंने कहा, "प्रश्नकाल को संसदीय लोकतंत्र के सार के रूप में मान्यता प्राप्त है। इतना ही नहीं, प्रश्नकाल घंटे की व्याख्या सदन की आत्मा के रूप में की जा सकती है। यह हमें (सांसदों) को आम लोगों की समस्या का प्रतिनिधित्व करने का अवसर देता है। यह हमारे लिए स्वर्णकाल (गोल्डन आवर्स) होता है। यह लोकतंत्र का गला घोंटने का एक प्रयास है।"
सरकार के खिलाफ अन्य विपक्षी दलों से भी ऐसी ही प्रतिक्रिया देखी गई। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रश्नकाल और निजी सदस्य का कार्य हमारे लोकतंत्र की 'बुनियाद' है और ये बेहद जरूरी है।
औवेसी ने कहा, "इस तरह के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने से मंत्री (प्रहलाद जोशी) शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत को कमजोर कर रहे हैं, जो हमारे संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है। मैं आपसे (अध्यक्ष) से आग्रह करता हूं कि कार्यपालिका को कानून के क्षेत्र में अतिक्रमण न करने दें।"
प्रश्नकाल स्थगित करने पर ओवैसी ने इसे एक शर्मनाक दिन करार दिया, क्योंकि प्रश्नकाल और निजी सदस्य व्यवसाय को नहीं लिया जाता है।
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि पहले पूरे सदन को प्रश्नकाल स्थगित करने के सरकार के फैसले से सहमत होना चाहिए। वहीं तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि प्रश्नकाल संसदीय प्रक्रिया की मूल संरचना का एक अभिन्न अंग है और हम उस हिस्से को नष्ट नहीं कर सकते।
प्रश्नकाल नहीं होने का प्रस्ताव सोमवार की सुबह पारित हुआ। इसके बाद विपक्ष ने इस मुद्दे को उठाया, जिसमें कहा गया कि लोकसभा का वर्तमान सत्र कोविड-19 महामारी के कारण एक असाधारण स्थिति में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें सामाजिक दूरी को बनाए रखने भी आवश्यक है।
प्रश्नकाल खत्म किए जाने को लेकर उठ रहे सवालों के बीच संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने लोकसभा में कहा कि सरकार चर्चा से भाग नहीं रही है।
संसदीय कार्य मंत्री जोशी ने कहा, "यह एक असाधारण स्थिति है। जब विधानसभाएं एक दिन के लिए भी बैठक करने को तैयार नहीं हैं, हम करीब 800-850 सांसदों के साथ बैठक कर रहे हैं। सरकार से सवाल करने के कई तरीके हैं, सरकार चर्चा से भाग नहीं रही है। वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुझाव दिया है कि शून्यकाल में सरकार से सवाल किया जा सकता है।"
उन्होंने कहा कि लोकसभा में उपनेता और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, उन्होंने खुद और उनके सहयोगियों अर्जुन मेघवाल और वी. मुरलीधरन ने प्रश्नकाल को समाप्त करने से पहले लगभग हर पार्टी के सभी नेताओं से बात की है।
उन्होंने कहा कि महामारी को देखते हुए महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, केरल, पंजाब जैसे कई राज्यों ने भी प्रश्नकाल स्थगित कर दिया और बुनियादी ढांचे का पालन किए बिना दो-तीन दिनों में 20-25 विधेयक (बिल) पारित किए।
तिरुवनंतपुरम, 14 सितंबर (आईएएनएस)| केरल में कांग्रेस पार्टी इस बात की जांच कर रही है कि कैसे राहुल गांधी ने भाजपा के एक नेता के बेटे के नाम की सिफारिश केंद्रीय विद्यालय में दाखिले के लिए कर दी। कांग्रेस पार्टी के नेता ने सोमवार को यह बात कही। कांग्रेस विधायक आई.सी. बालकृष्णन ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता गुस्से में हैं और उन्होंने पार्टी में इसकी शिकायत की है।
उन्होंने कहा, "जैसे ही शिकायत सामने आई, हमने उचित कदम उठाते हुए जांच बैठा दी। जांच हो रही है कि आखिर हुआ क्या। जांच खत्म होने पर हम ये मामला पार्टी नेतृत्व के सामने उठाएंगे।"
केंद्रीय विद्यालय के नियमों के मुताबिक, लोक सभा सांसद केंद्रीय विद्यालय में दाखिले के लिए हर साल एक तय संख्या में नामों की सिफारिश कर सकते हैं। बता दें कि राहुल गांधी केरल के वायनाड से लोकसभा सांसद हैं।
नई दिल्ली, 14 सितम्बर (आईएएनएस)| ऑनलाइन शिक्षा वर्तमान में कितनी उपयोगी और सार्थक है इसके लिए दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ने छात्रों से फीडबैक लेने की बात कही है। छात्रों के माध्यम से एक महीने का डेटा तैयार किया जाएगा, जिससे यह पता लगेगा कि कितने प्रतिशत छात्र ऑनलाइन कक्षा ले पा रहे हैं। दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ने सोमवार को कहा, कई छात्र ऑनलाइन क्लास में नहीं आ पा रहे हैं। इसका कारण स्मार्टफोन, इंटरनेट, वाईफाई, लेपटॉप, डाटा कनेक्शन, कम्प्यूटर आदि की सुविधाएं न होना है। विक्लांग छात्र इस व्यवस्था से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय का नया शैक्षिक सत्र 2020-21 कोविड-19 के चलते इस वर्ष तीन सप्ताह विलंब से शुरू हुआ है। फिलहाल अभी तीसरे और पांचवें सेमेस्टर की ऑनलाइन कक्षाएं लग रही हैं। इसके अंतर्गत द्वितीय व तृतीय वर्ष के छात्रों की कक्षाएं शिक्षकों द्वारा ऑनलाइन एजुकेशन के माध्यम से ली जा रही हैं।
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के प्रभारी हंसराज सुमन ने कहा, इन कक्षाओं में छात्रों की उपस्थिति 40 से 50 फीसदी है। जो छात्र ऑनलाइन कक्षा ले रहे हैं उनके पास भी अध्ययन सामग्री का अभाव है। छात्रों के पास सिलेबस और पुस्तकें भी नहीं है। एक घंटे की कक्षा में शिक्षक पढ़ा रहे हैं और छात्र मात्र सुन पा रहे हैं। पुस्तकों व अध्ययन सामग्री के अभाव में छात्रों की उपस्थिति बहुत कम है।
प्रोफेसर हंसराज सुमन ने कहा, कॉलेजों में ऑनलाइन एजुकेशन की कक्षाएं पिछले एक महीने से शुरू हो चुकी हैं, लेकिन कक्षाओं में आ रहे छात्रों के फीडबैक से पता चला है कि कई छात्र कक्षा नहीं ले रहे हैं। दिल्ली के कॉलेजों में पढ़ने वाले कई छात्र दिल्ली से बाहर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मेघालय, असम, गोवा आदि प्रदेशों से हैं। कई छात्रों के यहां इंटरनेट की सुविधाएं नहीं है या वे ऐसे क्षेत्रों से आते हैं जहां इंटरनेट की सुविधा, बिजली कम होती है। वहीं लॉकडाउन के चलते पुस्तकालयों और पुस्तकों की दुकानों तक छात्रों की पहुंच नहीं बन पा रही है।
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के अनुसार एक घंटे तक एक क्लास में किस तरह पढ़ाया जाए इसकी भी ठीक तरह से ओरिएंटेशन उनके पास नहीं है। शिक्षक स्वाभाविक रूप से अच्छा पढ़ा रहे हैं लेकिन छात्रों के फीडबैक से पता चलता है कि इस एक घन्टे के दौरान छात्रों से ठीक तरह से वातार्लाप न होने के चलते शिक्षक सिर्फ बोलता है और छात्र सुनते हैं।
भुवनेश्वर, 14 सितम्बर (आईएएनएस)| ओडिशा में पिछले 24 घंटों में कोरोनावायरस के 4,198 नए मामले सामने आने के बाद कुल सख्या 1,55,005 हो गई है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने सोमवार को ये जानकारी दी। पिछले 24 घंटों में कोरोनावायरस से 11 मौतें दर्ज की गई हैं, जिसके बाद राज्य में कुल मौतों का आंकड़ा 637 हो गया है। कटक में चार मौतें दर्ज की गई हैं जबकि खोरधा और बलांगीर जिले में दो-दो मौतें दर्ज की गई हैं।
नए मामलों में 2,476 मामले क्वारंटीन सेंटर से मिले जबकि 1,722 मामले स्थानीय संक्रमण से सामने आए हैं।
इस बीच, ओडिशा भाजपा के अध्यक्ष समीर मोहंती कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद अस्पताल में भर्ती हैं। उन्होंने उन सभी से टेस्ट कराने की अपील की है जो पिछले दिनों उनके संपर्क में आए थे।
उन्होंने ट्विटर पर जानकारी दी कि, कोरोना के लक्षण पाए जाने के बाद मैंने अपना टेस्ट करवाया तो मैं संक्रमित पाया गया। मेरी स्थिति ठीक है। मैं इलाज के लिए अस्पताल में दाखिल हूं।
नई दिल्ली, 14 सितम्बर (आईएएनएस)| केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को एक बार फिर स्पष्ट किया कि 'कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020' से एपीएमसी (कृषि उपज विपणन समिति) कानून पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। केंद्रीय मंत्री ने सोमवार को लोकसभा में कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार से संबंधित दो महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए। कृषि मंत्री ने 'कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020' और 'मूल्य आश्वासन पर किसान समझौता (अधिकार प्रदान करना और सुरक्षा) और कृषि सेवा अध्यादेश 2020' को विधेयक के स्वरूप में सदन के पटल पर रखा।
कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक पर विपक्षी दलों के सांसदों के विरोध का जवाब देते हुए नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "किसानों को अपने उत्पादन का मूल्य तय करने और बेचने का स्थान तय करने और कैसे बेचेंगे यह तय करने का अधिकार आज तक नहीं था। मैं समझता हूं इस अध्यादेश के माध्यम से यह आजादी पूरे देश (के किसानों) को मिलने वाली है।"
तोमर ने कहा कि इस अध्यादेश से एपीएमसी एक्ट पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राज्य अगर चाहेगा तो मंडियां चलेंगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंडी की परिधि के बाहर जो ट्रेड होगा, उस पर नया कानून लागू होगा।
अनुसूचित फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मसले पर तोमर ने सदन में कहा, " मैं सरकार की ओर से यह कहना चाहता हूं कि एमएसपी है और एमएसपी रहेगी और इस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।"
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने स्वामीनाथन कमेटी की 201 सिफारिशों में से 200 सिफारिशों पर अमल किया है। उन्होंने कहा कि रबी और खरीफ फसलों के लिए लागत पर 50 फीसदी मुनाफा के साथ एमएसपी दिया जा रहा है।
कृषि के क्षेत्र में सुधार के लिए लाए गए नए कानून के संबंध में उन्होंने कहा कि इससे किसानों को उनकी फसल बेचने की आजादी मिलेगी और व्यापारियों को लाइसेंस राज से मुक्ति मिलेगी, इस प्रकार भ्रष्टाचार पर नियंत्रण होगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि "सप्लाई चेन मजबूत होगी और कृषि के क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ेगा, साथ ही यह निजी निवेश, जब गांव तक और किसानों के खेतों तक पहुंचेगा तो उससे किसानों की उन्नति होगी।
बता दें कि कृषि के क्षेत्र में सुधार और किसानों के हितों की रक्षा के मकसद से कोरोना काल में केंद्र सरकार ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020
मूल्य आश्वासन पर किसान समझौता (अधिकार प्रदान करना और सुरक्षा) और कृषि सेवा अध्यादेश 2020 लाए, जिनकी अधिसूचना पांच जून को जारी हुई थी। अब इन्हें विधेयक के रूप में पेश किया गया है।
संसद का मानसून सत्र सोमवार को आरंभ हुआ। सत्र के पहले दिन कई अहम विधेयक संसद में पेश किए गए।
मांड्या (कर्नाटक), 14 सितम्बर (आईएएनएस)| कर्नाटक के मांड्या जिले में डकैती के दौरान गांव के एक मंदिर के तीन पुजारियों की हत्या से जुड़े मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी।
मांड्या के निरीक्षक बीएस शिवाना ने आईएएनएस को फोन पर बताया, "पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई और तीन आरोपियों को घायल कर दिया। तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इन तीनों ने जिले के मद्दुर तालुक में पुलिस बल पर हमला किया था। ये बस स्टाप से भागने के प्रयास कर रहे थे।"
इस घटना में एक उप निरीक्षक और दो हवलदार घायल हुए हैं। इन तीनों का इलाज चल रहा है।
रविवार को पुलिस ने इनके दो साथियों अभिजीत और रघु को गिरफ्तार किया था। इनकी निशानदेही पर ही तीनों आरोपियों तक पुलिस पहुंची।
गांव के मंदिर से दान पात्र से पैसे चुराने के दौरान इन आरोपियों ने 10-11 सितम्बर की रात को तीन पुजारियों की हत्या कर दी थी।
राज्य सरकार ने मारे गए पुजारियों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि दे दी है।