"नौ से बीस साल की उम्र तक, मेरे अंदर इस बात को लेकर एक शर्म और झिझक थी. मैंने अपनी मेल बॉडी में ही जीने की कोशिश की. इस पूरी कोशिश के दौरान मुझे आंतरिक तौर पर कभी संतुष्टि नहीं मिली."
ये कहना है अनाया बांगर का, जो कुछ साल पहले आर्यन बांगर थीं और भारत में अलग-अलग लेवल पर जूनियर क्रिकेट खेल रही थीं. अनाया के पिता पूर्व क्रिकेटर और मौजूदा कोच संजय बांगर हैं.
अनाया की हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी अब भी जारी है.
हाल ही में कुछ क्रिकेटरों पर गंभीर आरोप लगाने के बाद उनका इंटरव्यू सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हुआ था.
अनाया ने बीबीसी संवाददाता जान्हवी मुले के साथ ख़ास बातचीत में एक क्रिकेटर और ट्रांस वुमन के तौर पर अपने इस सफ़र और उसकी चुनौतियों पर खुलकर बातचीत की.

ट्रांजिशन के लिए ब्रिटेन जाने का फ़ैसला
अनाया ने कोरोना लॉकडाउन के दौरान अपने दोस्तों और माता-पिता को साल 2022 में अपनी पहचान के बारे में बताया था.
इसके बाद ट्रांजिशन के लिए उन्होंने ब्रिटेन का रुख़ किया था. उन्होंने वहां हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी लेनी शुरू की.
लेकिन वो ब्रिटेन ही क्यों गईं, इसके जवाब में अनाया कहती हैं, "मैंने ब्रिटेन जाने का फ़ैसला इसलिए लिया क्योंकि यहां पर (भारत) लोग मुझे पहचानते थे. एक दिन मैं क्रिकेट प्रैक्टिस के दौरान नेल पेंट लगाकर गई थी. उस दिन साथ के कुछ खिलाड़ियों ने मेरा नेल पेंट देखा तो वो लोग मेरा मज़ाक बनाने लगे."
"उस दिन इस छोटी सी बात की वजह से मुझे अंदर से काफ़ी दबाव महसूस होने लगा. तभी मैंने क्रिकेट छोड़कर ब्रिटेन जाने का फ़ैसला लिया और ट्रांजिशन के बारे में सोचा. मुझे लगा कि ख़ुद के लिए कुछ तो करना पड़ेगा, क्योंकि मैं ये झूठ की जिंदगी नहीं झेल पाऊंगी. मैं भले ही आईपीएल खेलूं या आगे जाकर कुछ भी करूं. लेकिन मैं खुश नहीं रहूंगी."
अनाया बांगर बताती हैं कि ट्रांजिशन के बाद से उनके मन में एक शांति है और वो पहले की तुलना में कम तनाव महसूस करती हैं.

ट्रांजिशन का शुरुआती समय कैसा था?
अनाया बताती हैं कि ट्रांजिशन के शुरुआती तीन महीनों में वो पुरुषों के क्रिकेट क्लब में खेलती थीं.
उन्होंने कहा, "हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के शुरुआती तीन महीनों में मैं पुरुषों के क्रिकेट क्लब में खेलती थी. मुझ पर लगातार क्लब की ओर से परफ़ॉर्मेंस को लेकर दबाव बन रहा था. वो सब कुछ एक साथ संभालना बहुत मुश्किल था."
"लेकिन हर गुज़रते दिन के साथ शरीर में जो बदलाव दिख रहे थे, उससे जो आंतरिक तौर पर संतुष्टि मिल रही थी, उन्हीं बदलावों की वजह से मैं आज यहां पर हूं."

परिवार और दोस्तों के बारे में क्या बोलीं अनाया?
अनाया ने सबसे पहले अपने दोस्तों को अपनी पहचान के बारे में बताया.
अनाया बताती हैं कि उनके दोस्तों ने इस बदलाव को समझने और स्वीकार करने में एक-दो दिन का समय लिया, लेकिन उन्होंने अनाया को उसी रूप में अपनाया जैसा वह खु़द को देखती हैं.
परिवार की बात करें तो सबसे पहले उनके छोटे भाई ने उनका साथ दिया.
उन्होंने कहा, "मेरा भाई अपने दोस्तों के सामने मुझे बहन कहकर बुलाता है. जो मुझे बहुत अच्छा लगता है. मेरे माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को मेरी पहचान को स्वीकारने में वक़्त लग रहा है."
अनाया ने अपने परिवार को अपनी पहचान के बारे में बताने के लिए एक विशेष प्लेलिस्ट बनाई.
इस प्लेलिस्ट में ट्रांस वुमन के अनुभवों और ट्रांजिशन की प्रक्रिया को समझाने वाले वीडियो शामिल थे. जिससे उनका परिवार अच्छे से इस विषय को समझ सके और एक बेहतर नज़रिए से उनकी पहचान को देख सके.
अपने दोस्तों की बात करते हुए अनाया विशेष तौर पर सरफ़राज़ और मुशीर का ज़िक्र करती हैं.
वह बताती हैं कि इन दोनों ने उनके ट्रांजिशन से पहले और बाद में, कभी उनके साथ व्यवहार में बदलाव नहीं किया.
अनाया कहती हैं, "मैंने जितने लोगों के साथ क्रिकेट खेला है, उनमें से बस यही दो लोग हैं, जो आज भी मेरी दुनिया का हिस्सा हैं और मुझे पूरी तरह सपोर्ट करते हैं."