विचार / लेख
-कृष्ण कांत
कल इलाहाबाद हाईकोर्ट में जो हुआ, वह भारत के हर नागरिक को जरूर जानना चाहिए।
यूपी सरकार ने अस्पतालों में लेवल 2 और लेवल 3 के खाली बेड की संख्या बताने के लिए पोर्टल शुरू किया है। कोविड सिचुएशन पर सुनवाई के दौरान सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि प्रदेश में आइसोलेशन, आईसीयू व एसडीयू बेड की कोई कमी नहीं है।
जब कोर्ट सुनवाई कर रही थी, उस समय भी पोर्टल पर खाली बेड दिखाए जा रहे थे। कोर्ट ने अदालत में ही वकील अनुज सिंह से हेल्पलाइन नंबर पर फोन करने को कहा। उन्होंने नंबर डायल किया गया और कोर्ट के सामने ही एक अस्पताल ने जवाब दिया कि कोई बेड खाली नहीं है। जबकि पोर्टल दिखा रहा था कि अस्पताल में बेड खाली हैं। यानी इस पोर्टल में गलत जानकारी दी जा रही थी। बीच अदालत योगी सरकार का झूठ पकड़ा गया।
सरकार के दावे और जमीनी हकीकत में ये अंतर देख हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणियां करते हुए कहा अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत आपराधिक कृत्य है। यह किसी नरसंहार से कम नहीं है।
आपको ये भी जानना चाहिए कि झूठ का ये कारोबार पूरे देश की सरकारें कर रही हैं। दिल्ली से लेकर बेंगलुरु तक हर जगह पोर्टल बनाकर उस पर गलत सूचनाएं दी जा रही हैं। योगी तो कह रहे हैं कि किसी चीज की कोई कमी नहीं है और जो भी सुविधाओं की कमी की ‘अफवाह’ फैलाएगा, उसकी संपत्ति जब्त कर लेंगे। लेकिन वे जो कर रहे हैं, उसे कोर्ट ने नरसंहार जैसा कृत्य बताया है।
हाईकोर्ट ने ठीक कहा है कि यह नरसंहार है और देश की केंद्र सरकार से लेकर सभी ज्यादातर राज्य सरकारें इसमें शामिल हैं। हमारे आपके नेता हमारी कल्पनाओं से ज्यादा बर्बर और निकृष्ट हो चुके हैं।