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आरटीआई सूचना न दी, ढाई हजार अफसरों पर जुर्माना, 3सौ से ही वसूली!
05-Apr-2025 10:29 PM
आरटीआई सूचना न दी, ढाई हजार अफसरों पर जुर्माना, 3सौ से ही वसूली!

5 साल में साढ़े 4 करोड़ से अधिक की वसूली नहीं

रंजीत सिंह
मनेन्द्रगढ़, 5 अप्रैल (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)।
राज्य सूचना आयोग ने कानून की अवहेलना कर सूचना नहीं देने, या फिर जान-बूझकर देरी करने पर पिछले पांच साल में करीब 25 सौ अफसरों ने जुर्माना लगाया है। मगर 22 सौ से अधिक अफसरों से जुर्माना राशि वसूली नहीं गई है। यह राशि सवा चार करोड़ से अधिक है। आयोग के अफसरों ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर जुर्माना राशि वसूल करने के लिए कार्रवाई करने का आग्रह भी किया है। 

राज्य सूचना आयोग के एक अफसर ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में बताया कि आयोग के गठन के बाद से अफसरों से अब तक करीब दस करोड़ के जुर्माने की राशि वसूल की जानी है, लेकिन राज्य शासन द्वारा कोई ठोस पहल नहीं होने के कारण जुर्माना राशि वसूल नहीं हो पा रही है। 

मनेन्द्रगढ़ के आरटीआई कार्यकर्ता अशोक श्रीवास्तव ने सूचना नहीं देने पर आयोग से दंडित अफसरों और जुर्माना राशि को लेकर जानकारी मांगी थी। उन्होंने आयोग से वर्ष 1 जनवरी 2020 से फरवरी 2025 तक की जानकारी चाही थी। 

2493 जन सूचना अधिकारियों पर जुर्माना, लेकिन...
राज्य सूचना आयोग ने बताया कि 1 जनवरी 2020 से 21 फरवरी 2025 तक 2493 जन सूचना अधिकारियों पर 4 करोड़ 81 लाख 77 हजार 188 रुपये का अर्थदंड (जुर्माना) लगाया गया। कारण था- सूचना ना देना, जानबूझकर देरी करना या अधिनियम की अवहेलना करना।

राज्य सूचना आयोग ने स्पष्ट आदेश दिए थे कि इन अधिकारियों से वसूली कर राज्य सरकार के राजकोष में राशि जमा कराई जाए। 

2207 अधिकारियों से अब तक नहीं हुई वसूली
इनमें से मात्र 286 अधिकारियों से 42 लाख 31 हजार 250 रुपये की वसूली हुई। बाकी 2207 अधिकारी अब तक बचे हुए हैं, जिनसे 4 करोड़ 39 लाख 45 हजार 938 रुपये की वसूली नहीं हुई। 

बताया गया कि राज्य सूचना आयोग ने बार-बार पत्र लिखकर जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारियों, विभाग प्रमुखों, और यहां तक कि सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव तक को इस संबंध में सूचित किया। लेकिन यह पत्र सिर्फ सरकारी फाइलों में धूल खाते रहे। जिन अफसरों पर वसूली की जिम्मेदारी थी, उन्होंने अपनी जवाबदेही से या तो मुंह मोड़ लिया या फिर जानबूझकर टालमटोल करते रहे।

क्या जवाबदेही से बच सकते हैं जिम्मेदार अफसर?
सूचना का अधिकार अधिनियम केवल जानकारी मांगने का नहीं, बल्कि जवाबदेही तय करने का कानून है। जब जन सूचना अधिकारी लापरवाही करते हैं, तो उनके ऊपर जुर्माना लगाया जाता है। लेकिन वसूली की जिम्मेदारी उनके वरिष्ठ अधिकारियों की होती है। मगर वरिष्ठ अफसरों की अनदेखी की वजह से जुर्माना राशि की वसूली नहीं हो पा रही है। 

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