राष्ट्रपति का विधायकों को प्रबोधन, मार्शल का उपयोग नहीं करना पड़ा, यह गर्व की बात
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 24 मार्च। छत्तीसगढ़ विधानसभा के रजत जयंती वर्ष पर सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विधायकों को अपना प्रबोधन दिया। इस दौरान उन्होंन दिल खोलकर छत्तीसगढ़ की तारीफ की। उन्होंने कहा कि परिसीमन की प्रशासकीय दृष्टिकोण से एक सीमा होती है, लेकिन दिलों से जुड़ाव की कोई सीमा नहीं होती है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोग बहुत अच्छे हैं, इसलिए यहां आने का बार-बार दिल करता है। जिस तरह से छत्तीसगढ़ के लोग ओडि़शा को अपना मानते हैं, उसी तरह से वो भी रायपुर को ओडि़शा का ही हिस्सा मानती हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि यही देश की मजबूती का आधार है।
करीब 15 मिनट के अपने संक्षिप्त प्रबोधन में राष्ट्रपति ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के नियम और परंपरा की भी जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्यों ने जो खुद के लिए नियम बनाया है, वो अपने आप में मिसाल है। इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन की शुरुआत जय जोहार के साथ की। उन्होंने कहा कि रजत जयंती वर्ष की गाढ़ा गाढ़ा बधाई। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में गुरु घासीदास की वाणी का भी जिक्र किया, जिसमें ये कहा गया है कि मनखे-मनखे एक समान।
उन्होंने कहा कि, विधायक के रूप में जनता की सेवा करना सौभाग्य की बात होती है। छत्तीसगढ़ विधानसभा में आकर यह एहसास हुआ कि ‘छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा’।
विधानसभा में नियमों के पालन पर संतोष जताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वेल में आने पर निलंबन का नियम बनाकर उसका पालन किया जाना एक सकारात्मक पहल है। उन्होंने इस पर खुशी जताई कि आज तक छत्तीसगढ़ विधानसभा में मार्शल का उपयोग नहीं करना पड़ा, जो विधायकों और पूर्व विधायकों के लिए गर्व की बात है।
राष्ट्रपति ने सभी महिला विधायकों से अनुरोध किया कि वे महिलाओं को आगे बढ़ाने का कार्य करें। उन्होंने कहा कि जब बहनें एक-दूसरे को सशक्त बनाएंगी, तो समाज भी सशक्त होगा। इस दौरान उन्होंने मिनीमाता के संघर्षों को याद करते हुए कहा कि प्रदेश की महिलाओं को जनता का विशेष समर्थन प्राप्त है।
छत्तीसगढ़ में विकास की असीम संभावनाएं
राष्ट्रपति मुर्मू ने विधानसभा में अपने संबोधन के दौरान कहा कि अब तक छत्तीसगढ़ विधानसभा में 568 विधेयक पारित किए जा चुके हैं, जो राज्य के विकास को गति देने में सहायक सिद्ध हुए हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को इंद्रावती, शिवनाथ और महानदी जैसी नदियों का आशीर्वाद प्राप्त है, जिससे यहां विकास की असीम संभावनाएं हैं।
वामपंथी उग्रवाद को लेकर भी उन्होंने सकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि यह समस्या अब निर्णायक दौर में है और जल्द ही छत्तीसगढ़ उग्रवाद पर पूर्ण रूप से नियंत्रण पाने में सफल होगा।
छत्तीसगढ़-ओडिशा का अटूट संबंध
अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने छत्तीसगढ़ और ओडिशा के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘हम भी रायपुर को अपना ही मानते हैं। परिसीमन की सीमाएं होती हैं, लेकिन दिलों के बीच कोई दीवार नहीं होती। जगन्नाथ केवल ओडिशा के ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के नाथ हैं। ओडिशा में जो चावल पकाया जाता है, वह छत्तीसगढ़ की मिट्टी का उपहार है।’
राष्ट्रपति ने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोग बेहद अच्छे होते हैं, और इसी वजह से कहावत प्रसिद्ध है-‘छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा’!
रायपुर से ओडिशा के लिए हुईं रवाना
विधानसभा के विशेष सत्र में भाग लेने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रायपुर एयरपोर्ट पहुंचीं, जहां मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सहित कई नेताओं ने उन्हें विदाई दी।
राष्ट्रपति मुर्मू रायपुर से ओडिशा के लिए रवाना हो गई हैं, लेकिन उनके इस दौरे की गूंज छत्तीसगढ़ के दिलों में लंबे समय तक बनी रहेगी।