नयी दिल्ली, 10 फरवरी। राज्यसभा में सोमवार को विपक्षी दलों ने देश में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के बीच आय संबंधी असमानता समेत कई मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि केंद्रीय बजट में गरीब और ग्रामीण आबादी का ध्यान नहीं रखा गया है।
राज्यसभा में केंद्रीय बजट 2025-26 पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि आम बजट में कोई दर्शन नहीं है बल्कि यह राजनीति से प्रेरित है और इसके उद्देश्य की पूर्ति पिछले दिनों दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणामों से हो गई।
चर्चा में भाग लेते हुए द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के सदस्य तिरुचि शिवा ने कहा कि केंद्रीय बजट सरकार की प्राथमिकताओं और मंशा को स्पष्ट करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘बजट केवल खातों का विवरण नहीं है, बल्कि मंशा का भी विवरण है। हमारे प्रधानमंत्री ने इस बजट को विकसित भारत के लिए रोडमैप बताया है। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि यह रास्ता केवल एक मृगतृष्णा है।’’
उन्होंने कहा कि बजट को प्रगति की घोषणा के रूप में पेश किया गया था, लेकिन यह स्थिर विकास, बढ़ती असमानता और बड़े पैमाने पर जनसांख्यिकीय लाभांश आदि समय की वास्तविकताओं को आसानी से ढंक देता है।
शिवा ने कहा, ‘‘इस सरकार की नीतियों ने केवल कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को ही समृद्ध किया है, जिससे लोगों का एक वर्ग बेरोजगारी, महंगाई और घटते अवसरों के साथ पीछे रह गया है।’’
उन्होंने कहा कि देश में एक प्रतिशत लोगों के पास करीब 41 प्रतिशत संपत्ति है तथा अमीर और अमीर होते जा रहे हैं वहीं गरीब और गरीब होते जा रहे हैं।
शिवा ने दावा किया कि केंद्र राज्यों में विभिन्न योजनाओं के लिए समर्थन नहीं दे रहा है। उन्होंने स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए कम आवंटन को लेकर बजट की आलोचना की।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद रीताब्रत बनर्जी ने कहा कि हाल के समय में युवाओं में बेरोजगारी दर में भारी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘नवीनतम आर्थिक समीक्षा के आंकड़ों से पता लगता है कि स्वरोजगार करने वाले पुरुष श्रमिकों की वास्तविक आय 2017-18 से लगातार घट रही है।’’
बनर्जी ने कहा कि नौकरी बाजार में अतिरिक्त श्रम और उच्च मुद्रास्फीति ने भारतीय कार्यबल की वास्तविक आय को काफी कम कर दिया है। उन्होंने कहा कि अकेले राष्ट्रीयकृत बैंकों ने पिछले 10 वर्षों में 12 लाख करोड़ रुपये माफ कर दिए हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि बैंकों को धोखाधड़ी और धन की हेराफेरी के कारण नुकसान उठाना पड़ा है।
वाईएसआरसीपी सदस्य गोला बाबूराव ने कहा कि इस बजट ने हर तरीके से गरीब और कमजोर वर्गों को धोखा दिया है। उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटे पर काबू के लिए फिजूलखर्ची में कटौती की जरूरत है।
चर्चा में भाग लेते हुए बीजद के देबाशीष सामंतराय ने कहा कि बजट भाषण में कारखाने और औद्योगिक श्रमिकों की कार्यस्थिति, मजदूरी और अधिकारों में सुधार के उपायों का उल्लेख नहीं किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि बजट में कम आय वाले श्रमिकों के लिए सहायता शामिल नहीं है।
उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ‘कोई उपाय’ घोषित नहीं किया और महंगाई अनियंत्रित बनी हुई है।
उन्होंने आरोप लगाया कि ओडिशा को कर राजस्व में उचित हिस्सा नहीं मिलता है, जबकि उसका योगदान बहुत अधिक है। उन्होंने मांग की कि ओडिशा को विशेष दर्जा दिया जाए और रेलवे और बुनियादी ढांचे में अधिक निवेश किया जाए।
अन्नाद्रमुक के एम. थंबीदुरई ने तमिलनाडु के लिए अधिक धन आवंटित करने की मांग की। वहीं, समाजवादी पार्टी के रामजी लाल सुमन ने बजट को निराशाजनक बताया और दावा किया कि ग्रामीण क्षेत्रों की अनदेखी की गई है और मनरेगा योजना के लिए आवंटन कम कर दिया गया है। उन्होंने बजट को किसान विरोधी, युवा विरोधी और ग्रामीण विरोधी बताया।
केसी (एम) सदस्य जोस के मणि ने दावा किया कि बजट में केरल की पूरी तरह उपेक्षा की गई है। (भाषा)