ग्रामीणों ने सामूहिक भोज को वजह बताने के प्रशासन को खारिज किया, कांग्रेस ने बनाई जांच कमेटी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 9 फरवरी। ग्राम लोफंदी में अवैध रूप से बिक रही कच्ची महुआ शराब ने चार दिनों में आठ ग्रामीणों की जान ले ली, जबकि दो की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है। मरने वालों में दो सगे भाई और सरपंच का भाई भी शामिल है।
मृतकों में से छह का बिना पोस्टमार्टम किए ही अंतिम संस्कार कर दिया गया। ग्रामीणों ने बताया कि लोफंदी में कुछ लोग शराब बेचते हैं, जो घुटकू से लाया जाता है।
मीडिया में 7 मौतों की खबर चलने के बाद आनन-फानन पुलिस ने गांव पहुंचकर एक शव को अंतिम संस्कार के लिए रोका और पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया।
गांव के सरपंच रामाधार सुनहले ने, जिसके भाई की मौत हुई है, उसने दावा किया कि शराब के कारण गांव में कुल नौ मौतें हुई हैं। उन्होंने प्रशासन के इस दावे को खारिज किया है कि लोगों की सामूहिक भोज से मौत हुई है। इन मौतों में भोज के दौरान शराब पीने वाले कुछ लोग जरूर शामिल हैं।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान मुख्य मार्गों पर तो आबकारी विभाग की चेकिंग चल रही है, लेकिन गांवों में खुलेआम कच्ची महुआ शराब बिक रही है। प्रशासन की सुस्ती से कोचिए बेखौफ हैं और चुनावी माहौल में शराब की बिक्री बढ़ गई है।
गांव में मौतों का सिलसिला जारी रहा, लेकिन प्रशासन ने अब तक किसी कोचिए पर कार्रवाई नहीं की है। शराब बेचने वाले फरार हो चुके हैं। इधर मृतकों के परिवारों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। परिवार के मुखियाओं की मौत के बाद बच्चों और महिलाओं के सामने जीवनयापन की समस्या खड़ी हो गई है। कुछ के पास दशगात्र तक के लिए पैसे नहीं हैं।
अफसरों ने शुरू की दौड़भाग
घटना के बाद कलेक्टर अवनीश शरण, एसपी रजनेश सिंह, एसडीएम और अन्य आला अधिकारी गांव पहुंचे। उन्होंने मृतकों के परिजनों से मुलाकात कर जानकारी ली और स्वास्थ्य शिविर लगाने के निर्देश दिए। वहीं, सिम्स में भर्ती मरीजों का हाल जानने के लिए एसपी और निगम आयुक्त भी अस्पताल पहुंचे और डॉक्टरों को बेहतर इलाज के निर्देश दिए।
गंभीर लापरवाही तब सामने आई जब एक मृतक का शव बिना पोस्टमार्टम के ही अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था। प्रशासन को हस्तक्षेप कर शव वापस लाना पड़ा और फिर पीएम कराया गया।
चार दिनों तक मौतों का सिलसिला चलता रहा, लेकिन आबकारी और पुलिस विभाग को भनक तक नहीं लगी। चुनावी माहौल में कच्ची शराब की बिक्री चरम पर थी। अब मामले की जांच के लिए विशेष टीम गठित कर रिपोर्ट मांगी गई है, लेकिन प्रशासन ने किसी तरह की जांच होने से पहले ही कहना शुरू कर दिया है कि किसी की मौत हार्ट अटैक से हुई है तो कोई सामूहिक भोज में विषाक्त मछली खाने से।
प्रशासन ने यह दावा किया
ग्राम लोफंदी में श्रवण देवांगन के घर 3 से 6 फरवरी तक वैवाहिक कार्यक्रम आयोजित हुआ था, जिसमें ग्रामीणों को सामूहिक भोज में आमंत्रित किया गया था। ग्रामीणों के अनुसार, 6 फरवरी को कुछ लोगों ने नदी से मछली पकड़कर उसका सेवन किया था। मृतकों के परिजनों से पूछताछ में मृत्यु से पहले पेट दर्द, उल्टी, चक्कर आना और सुस्ती जैसे लक्षण सामने आए। 5 फरवरी को देवप्रसाद पटेल और शत्रुहन देवांगन की मृत्यु हुई। देवप्रसाद पटेल की मृत्यु सर्पदंश से होने की पुष्टि उनके पुत्र के बयान और पुलिस रिकॉर्ड से हुई।
7 व 8 फरवरी को रामूराम सुनहले, कोमल लहरे, कन्हैयालाल पटेल, बलदेव पटेल और कुन्नू देवांगन की मृत्यु हुई। बलदेव पटेल का निधन श्रीराम केयर हॉस्पिटल में हुआ, जहां मृत्यु प्रमाण पत्र में कार्डियो-रेस्पिरेटरी अरेस्ट को कारण बताया गया है। मृतकों में से एक को छोड़कर बाकी सभी का अंतिम संस्कार ग्रामीणों द्वारा कर दिया गया था, जिसकी सूचना प्रशासन को नहीं दी गई। प्रशासन ने मौके से रामूराम सुनहले का शव लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। सिम्स द्वारा जारी रिपोर्ट में स्पष्ट कारण का उल्लेख नहीं किया गया है, और विस्तृत परीक्षण रिपोर्ट आने के बाद ही मृत्यु का सही कारण सामने आ पाएगा।
कांग्रेस का आरोप, बनाई जांच समिति
लोफंदी के घटनाक्रम को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने विधायक दिलीप लहरिया को संयोजन में एक 6 सदस्यीय समिति बनाई है। इसमें विधायक अटल श्रीवास्तव, जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय केशरवानी, पूर्व विधायक सियाराम कौशिक, डॉ. रश्मि सिंह तथा बेलतरा के राजेंद्र साहू (डब्बू) शामिल हैं। वे रविवार को गांव पहुंचकर प्रभावित परिवारों से मुलाकात करेंगे तथा अन्य ग्रामीणों से जानकारी लेंगे। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जांच रिपोर्ट यथाशीघ्र मंगाई है। केशरवानी ने शनिवार को ही गांव का अलग दौरा किया और ग्रामीणों से बात की। उन्होंने कहा कि सिम्स में दो मौतों के बावजूद पोस्टमार्टम नहीं कराया गया। जब हो-हल्ला हुआ तो दिखावे के लिए एक शव का पोस्टमार्टम कराया गया है। जहरीली शराब से ये मौतें हुई हैं। हम इसे चुनाव में मुद्दा बनाएंगे।