विशेष रिपोर्ट

नक्सलगढ़ में चार दशक बाद लहराएगा तिरंगा
25-Jan-2025 1:54 PM
 नक्सलगढ़ में चार दशक बाद लहराएगा तिरंगा

मो. इमरान खान 

भोपालपटनम, 25 जनवरी (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। बीजापुर जिले के धुर नक्सलगढ़ इलाके में देश कि आना बान शान कहे जाने वाला तिरंगा चार दशक बाद पहली बार बीजापुर जिले के उन बीहड़ इलाकों में लहराएगा। दर्जनभर कैंपों में गणतंत्र दिवस पर झंडा वंदन किया जाएगा। इन कैंपों के अंतर्गत करीब 40 गांव आते हैं, जहां पिछले चार दशक से कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं हुआ। 

ज्ञात हो कि बीजापुर वह इलाका है जहां चार दशक से नक्सलवाद कि दसा झेल रहा अब धीरे-धीरे नक्सलियों के चंगुल से आजाद होने लगा है। लगातार पुलिस के द्वारा चलाए जा रहे बढे ऑपरेशन नें नक्सलवाद कि कमर तोड़ दी है। नक्सली अब बेक फुट में जा चुके है। आज देखेंगे तो बीजापुर के कुछ गांव बदलाव कि नई तस्वीरें सामने आने लगी है बिजली, पानी, सडक़ जैसे मुलभुत सुविधाएं ग्रामीणों तक पहुंचाई जा रही है। ऐसे कई इलाके है जहाँ कैम्प खुले है वहां उस गांव में पहली बार तिरंगा इस साल लहराएगा। नक्सलगढ़ में कई पुलिस कैम्प खुल गए है उन कैम्प कि बदौलत आज विकास अंतिम छोर को छू रहा है।

नक्सली कब्जे से आजाद हुई सडक़
जिले के नक्सलगढ़ तर्रेम पामेड़ सडक 25 साल बाद नक्सली कब्जे से आजाद हुई है यह काम फोर्स कि बदौलत होता हुआ दिखाई पढ़ है। कोरागुट्टा में फोर्स का डेरा लगते ही 25 सालों से बंद पड़े बीजापुर से तर्रेम होकर पामेड़ जाने वाले रास्ते को फिर से बहाल करा दिया गया है। फिलहाल इस मार्ग पर सडक़ निर्माण का काम चल रहा है। इस मार्ग के खुल जाने से अब लोगों को पामेड़ पहुंचने के लिए तेलंगाना होकर जाने की बाध्यता खत्म हो जाएगी और सौ किलोमीटर का फासला भी बच जाएगा। 

25 बरस बाद यह सडक़ नक्सलियों के चंगुल से आजाद हुई है। कोरागुट्टा इलाका नक्सलियों के पीएलजीए का कोर क्षेत्र कहलाता है। बीजापुर से तर्रेम, कोंडापल्ली होकर पामेड़ जाने वाले इस रास्ते पर पिछले 25 सालों से आवागमन बाधित था। इलाके के लोगों को पामेड़ पहुंचने के लिए तेलंगाना राज्य के चेरला होकर पामेड़ जाना पड़ता था। क्षेत्र के लोग 210 किलोमीटर की दूरी तय करके बीजापुर से पामेड़ पहुंचते थे। छत्तीसगढ़ के आखिरी छोर पर बसा पामेड़ जहां जवानों से लेकर राशन तक हवाई मार्ग से पहुंचता था।

एक समय ताकतवर बटालियन का था कब्जा
नक्सलियों की सबसे ताकतवर बटालियन का गढ़ 25 बरस बाद उस पामेड़ को जोड़ती दोबारा बन रही है सडक़ मार्ग बहल करने पुलिस के आला अफसरों के साथ जवानों ने कमान संभाली है। मौके पर अफसरों ने बताया जहां कदम कदम पर प्रेशर आईईडी, बूबी ट्रेप और एंबुश का खतरा, चुनौतियों से कैसे पार पा रहे है जवान।

नक्सलवाद खात्मे का मास्टर प्लान
केंद्रीय मंत्री अमित शाह बस्तर में नक्सलवाद खात्मे की घोषणा के बाद सरकार सख्त कार्यवाही कर रही है। बस्तर में अब माओवाद के पांव उखडऩे लगे हैं। केंद्र और राज्य सरकार के समन्वित प्रयास से बीते चार दशक से मुख्य रूप से माओवाद का दंश झेल रहे बीजापुर, सुकमा जिले के बीहड़ इलाके में सुरक्षा बलों की तेजी से बढ़ती दखल ने नक्सल संगठन को पूरी तरह से कमजोर कर दिया है।

जवान लड़ रहे आर पार की लड़ाई
नक्सल मोर्चे पर जवान किन विकट परिस्थितियों का सामना करते हुए ना सिर्फ माओवाद का खात्मा कर रहे हैं बल्कि अब तक सरकार और प्रशासन की पहुंच से दूर बीहड़ इलाकों में अभावग्रस्त आदिवासियों के जीवन कैसे बदलाव ला रहे हैं। जहां राशन के लिए बड़ी जद्दोजहद की जाती थी वह अब राशन पहुंचने लगा है।

डीआईजी कमलोचन कश्यप ने बताया कि बीते चार दशक तक माओवाद ने समूचे इलाके को कैसे अपने प्रभुत्व में रखा। कमलोचन का कहना है कि मौजूदा परिस्थियों में माओवाद संगठन को पूरी तरह से कमजोर कहना भूल होगी। इंटरडिस्टीक्ट इस कॉरीडोर को पूरी तरह से नियंत्रण में लेने वक्त लगेगा, इसमें जवानों के सामने बड़ी चुनौतियां हैं।

एसपी बीजापुर डॉ. जितेंद्र यादव ने बताया कि सरकार की पॉलिसी पर काम हो रहा है। एफओबी के जरिए ना सिर्फ नियंत्रण स्थापित करने में हम कामयाब हो रहे हैं बल्कि मूलभूत सुविधाएं मुहैया करा कर ग्रामीणों का विश्वास भी जीत रहे हैं। यह बदलाव की बयार है। अब इलाकों के बाशिंदें भी नक्सलवाद की गलत नीतियों को समझ रहे हैं।
 

 

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