बेंगलुरु, 21 जनवरी। पुलिस ने गत वर्ष नवंबर में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर उससे 11.8 करोड़ रूपये की धोखाधड़ी करने के मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया।
उन्होंने बताया कि 10 जनवरी को अहमदाबाद में आरोपी धवल भाई शाह (34) को गिरफ्तार किया गया वहीं, महाराष्ट्र के ठाणे जिले के उल्हासनगर से तरुण नाटाणी (24) व करन शामदासानी (28) की गिरफ्तारी हुई।
पुलिस ने कहा कि उन्होंने इन आरोपियों के अलग-अलग खातों से 3.7 करोड़ रूपये की राशि जब्ती की है और गिरोह के अन्य सदस्यों का पता लगाने की हरसंभव कोशिश की जा रही है।
पुलिस के अनुसार, गिरोह का संदिग्ध सरगना दुबई में हो सकता है जहां से वह गिरोह को संचालित करता है। वहीं, पुलिस ने बताया कि पीड़ित 39 वर्षीय विजय कुमार को एक महीने तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ करके रखा गया था।
‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामलों में ठग खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल करके डराते हैं और उन्हें फर्जी मामलों में आरोपी बताकर गिरफ्तार करने की धमकी देकर उनके ही घर में डिजिटल तौर पर बंधक बना लेते हैं।
पुलिस की जानकारी के मुताबिक, 25 नवंबर से 12 दिसंबर के बीच हुई इस धोखाधड़ी के मामले में जालसाजों ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर काले धन को जमा करने के लिए पीड़ित के आधार का दुरूपयोग कर बैंक खाते खोले।
पीड़ित की शिकायत के अनुसार, 11 नवंबर को एक व्यक्ति का फोन आया जिसमें वह खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का अधिकारी बता रहा था। उस व्यक्ति ने फोन पर दावा किया कि पीड़ित के आधार से जुड़े सिम कार्ड का इस्तेमाल अवैध विज्ञापनों एवं परेशान करने वाले संदेशों के लिए किया गया था।
जालसाज ने पीड़ित को धमकाते हुए उसके खिलाफ मुंबई के कोलाबा साइबर पुलिस थाने में इस बाबत मामला दर्ज होने का दावा किया।
दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक, पीड़ित को फिर से एक व्यक्ति का फोन आया जिसने खुद को पुलिस अधिकारी बताते हुए दावा किया कि उसके आधार की जानकारी का दुरूपयोग काले धन को जमा करने के लिए बैंक खाते खोलने में किया जा रहा है।
जालसाजों ने पीड़ित को इस मामले की जानकारी गोपनीय रखने की धमकी देते हुए चेतावनी दी कि अगर उसने डिजिटल तरीके से पूछताछ में सहयोग नहीं किया तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
प्राथमिकी के अनुसार पीड़ित ने गिरफ्तारी के डर से अलग-अलग बैंक खातों में कई बार में कुल 11.8 करोड़ रूपये भेजे। जब जालसाजों ने और रुपयों की मांग की, तब पीड़ित को धोखाधड़ी के शिकार होने का ऐहसास हुआ और उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। (भाषा)