अमरीका भी गजब का देश है। कई मायनों में ऐसा लगता है कि वहां कारोबार और सरकार के बीच रिश्ते इतने लोकतांत्रिक रहते हैं कि किसी कारोबारी के किसी पार्टी के विरोधी रहने पर भी उस पार्टी की सरकार बनने पर उसके कारोबार पर कोई खतरा नहीं रहता। वहां की लोकतांत्रिक संस्थाएं कभी बड़ी मजबूत लगती हैं, तो कभी हैरान कर देने की हद तक अजीब लगती हैं। निर्वाचित राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने अभी काम संभाला भी नहीं है कि उनके मनोनीत लोग छुट्टे सांडों की तरह चारों तरफ सींग मार रहे हैं। कुछ तो ऐसे लोगों को उन्होंने मनोनीत कर दिया जिनके बीते बरसों की कब्र फाडक़र कुछ विवादास्पद कंकाल निकले, और उन्हें खुद होकर इस मनोनयन से बाहर हो जाना पड़ा। दूसरी तरफ एलन मस्क जैसा दुनिया का सबसे रईस आदमी, और ट्रम्प के ही टक्कर का सनकी, बददिमाग, और शायद बेदिमाग भी, ऐसा साबित हो रहा है जैसा कि दुनिया में किसी ने कहीं देखा न होगा। एक तरफ तो वह सरकार के खर्च में कटौती के लिए ट्रम्प की तरफ से मनोनीत किया गया है, और दूसरी तरफ वह अमरीकी सरकार के साथ कारोबार करने वाला एक सबसे बड़ा अंतरिक्ष-कारोबारी भी है, वह कल के ट्विटर और आज के एक्स सरीखे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का मालिक भी है, और वह ट्रम्प के शपथ ग्रहण के पहले ही दूसरे देशों की घरेलू नीतियों में जिस तरह सिर घुसा रहा है, उससे यह हैरानी होती है कि क्या किसी विकसित लोकतंत्र का राष्ट्रपति ऐसे पालतू सांड रख सकता है जो कि उसी की अपनी चीनी मिट्टी बर्तनों की दुकान को तहस-नहस करते रहें? अमरीकी सरकार में ट्रम्प पर सबसे अधिक असर जिस मस्क का रहेगा, जो कि राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार के समय से ही ट्रम्प के घर में ही बसा हुआ है, वहीं से अपना कारोबार भी चला रहा है, और वहीं से सार्वजनिक रूप से दूसरे देशों के मामलों में भयानक दर्जे की दखल भी दे रहा है, वह शपथ ग्रहण के बाद जाने क्या करेगा? ट्रम्प का अपना मिजाज मैड मैन पॉलिसी वाला माना जाता है, यानी किसी पागल इंसान की नीतियों वाला। खासकर विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को लेकर ट्रम्प लोकतंत्र के पहले के दिनों में जाता हुआ दिख रहा है, और मानो उसकी अपनी बददिमागी काफी न हो, उसे एलन मस्क जैसा एक और सनकी तानाशाह सलाहकार भी मिल गया है।
पता नहीं अमरीका का लोकतंत्र किस किस्म का है कि एक सबसे अधिक पढ़े-लिखे, विकसित, कामयाब और कारोबारी देश के लोगों ने जिस अप्रत्याशित बहुमत से ट्रम्प जैसे घटिया, खतरनाक, तानाशाह, और सनकी को चुना है, वे अमरीका का किस तरह का भविष्य चाहते हैं, और बाकी दुनिया में अमरीका की भूमिका किस तरह की चाहते हैं। हम एक बार फिर एलन मस्क की बात पर लौटें, तो निर्वाचित राष्ट्रपति द्वारा मस्क और एक भारतवंशी अमरीकी कारोबारी विवेक रामास्वामी का सरकारी खर्च में कटौती के लिए मनोनयन किए जाने के बाद से मस्क ने अमरीका के भीतर के बारे में भी जितने किस्म के बयान दिए, उनसे ट्रम्प की अपनी रिपब्लिकन पार्टी भी बड़ी नाखुश हुई, लेकिन वहां कामयाब नेता पर शायद पार्टी का बहुत कम बस चलता है। अभी मस्क ने जर्मनी में एक धुर दक्षिणपंथी पार्टी को सार्वजनिक रूप से बढ़ावा दिया है, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की इस बात के लिए आलोचना की है कि उन्होंने बरसों पहले ब्रिटेन में सामने आए एक सेक्स स्कैंडल की जांच में पर्याप्त दिलचस्पी नहीं ली थी जिसमें मोटेतौर पर पाकिस्तानी मूल के कई लोगों ने ब्रिटेन की नाबालिग गोरी लड़कियों को फंसाकर साजिश के तहत उनका यौन शोषण किया था। जर्मनी और ब्रिटेन के ये दोनों मामले किसी भी तरह अमरीका से जुड़े हुए नहीं हैं, और दोनों ही घरेलू मामलों में अमरीका की अगले हफ्ते बनने जा रही सरकार के एक सबसे असरदार कारोबारी को कुछ बोलने की जरूरत थी। लेकिन मस्क ब्रिटेन की घरेलू राजनीति में किसी पार्टी का साथ दे रहा है, तो जर्मनी में किसी दूसरी पार्टी का। खुले रूप में जब एलन मस्क ऐसा कर रहा है, तो सवाल यह उठता है कि अमरीकी राष्ट्रपति पर सबसे अधिक असर रखने वाला यह कारोबारी विदेश नीति को अघोषित रूप से किस तरह प्रभावित करेगा? एक सवाल यह भी उठ रहा है कि ट्रम्प ने एलन मस्क को अपना दायां हाथ बनाकर हितों के टकराव की एक नौबत भी खड़ी कर दी है क्योंकि मस्क की बैटरी कार की दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी, टेस्ला का बड़ा कारोबार दुनिया के कई देशों के साथ है, सेटेलाइट इंटरनेट का उसका कारोबार दुनिया के कई देशों में फैला हुआ है, ऐसे में मस्क अमरीकी राष्ट्रपति के साथ रोज बैठते-खाते-पीते हुए उन देशों के साथ अमरीका की नीतियों को किस तरह प्रभावित करेगा? यह तो ठीक है कि अमरीकी राजनीति पर कारोबारियों का असर और उनकी पकड़ कोई बहुत नई बात नहीं है, लेकिन यह असर चुनाव चंदे के मार्फत आता था, और पर्दे के पीछे से काम करता था। एलन मस्क की शक्ल में यह राष्ट्रपति के सिर पर बैठकर काम कर रहा है, और ट्रम्प का मस्क पर जो अंधविश्वास दिख रहा है, वह अमरीका की घरेलू सरकारी नीतियों, और देश की विदेश नीति, इन दोनों पर बहुत बड़ा असर डालता दिख रहा है।
पता नहीं कोई लोकतंत्र दुनिया के सबसे रईस आदमी, और अमरीका के सबसे बड़े कारोबारी, और दर्जनों देशों तक फैले कारोबार वाले इस सनकी के दबाव और असर तले किस तरह काम कर सकता है? यह सरकार और कारोबार के संबंधों का एक बड़ा दिलचस्प मामला तो है, और इन विषयों के शोधकर्ताओं के लिए यह एक अच्छा सामान भी रहेगा। भारत जैसे लोकतंत्र में सरकार में कारोबारी दखल पर्दे के कुछ पीछे से चलती है, यहां पर कारोबारी खुद ही सरकार चला रहा है, खुद ही सरकार के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित कर रहा है, और दुनिया के दूसरे देशों में सरकारों और राजनीतिक दलों को आगे-पीछे करने की अपनी सनक लाद रहा है। यह देखना हैरान करता है कि एक कारोबारी जिस तरह कार और अंतरिक्ष के अपने कारोबार से परे जाकर रातोंरात ट्विटर खरीदता है, और उसे अपनी सनक से बदलता है, वैसा कारोबारी अब दुनिया को बदलने की अपनी सनक अमरीकी राष्ट्रपति कार्यालय के मार्फत किस तरह लादेगा!