‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 11 जनवरी। सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) की बदहाल स्थिति को लेकर हाईकोर्ट द्वारा स्व-संज्ञान में ली गई जनहित याचिका की सुनवाई शुक्रवार को हुई। इस दौरान सिम्स प्रबंधन ने शपथपत्र प्रस्तुत कर अस्पताल में समस्याओं के समाधान का दावा किया। अब कोर्ट ने 17 फरवरी को अगली सुनवाई में डीन से विस्तृत प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
सिम्स में मरीजों के इलाज की असुविधाओं और मूलभूत समस्याओं को लेकर प्रकाशित खबरों पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने स्व-संज्ञान लिया था। इसके बाद जनहित याचिका के रूप में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सिम्स प्रबंधन ने अपने शपथपत्र में दावा किया कि अस्पताल में पहले की तुलना में व्यवस्थाओं में सुधार हुआ है। मरीजों को अब सभी आवश्यक जांच और इलाज अस्पताल में ही उपलब्ध कराए जा रहे हैं, और किसी बड़ी समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है।
चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने इस मामले को समाप्त करने से इनकार कर दिया और कहा कि हर सुनवाई में अस्पताल की वस्तुस्थिति प्रस्तुत की जानी चाहिए। इससे पहले सीजीएमएससी के वकील ने बताया था कि सिम्स डीन के पास 95 लाख रुपये का फंड उपलब्ध है, जिसे दवा खरीद और अन्य जरूरतों के लिए उपयोग किया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने सिम्स के डीन को 17 फरवरी को अगली सुनवाई में अस्पताल की प्रगति और वर्तमान स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इस याचिका पर न्यायालय की कड़ी नजर बनी हुई है, और मरीजों को बेहतर सेवाएं सुनिश्चित करने की उम्मीद जताई जा रही है।