ओडिशा-महाराष्ट्र सीमा के जंगलों तक ड्रोन से निगरानी
‘छत्तीसगढ़’ की विशेष रिपोर्ट
रायपुर, 30 दिसंबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व इलाके में अवैध कटाई, शिकार, और अतिक्रमण को रोकने के लिए वन विभाग की ईनामी योजना कारगर साबित हो रही है। इस कड़ी में अतिक्रमण, और अवैध कटाई की सूचना देने पर 50 हजार रूपए तक ईनाम दिया जा रहा है। विभाग की ईनामी योजना का प्रतिफल यह रहा कि अब तक डेढ़ सौ से अधिक शिकारियों, और तस्करों को हिरासत में लिया जा चुका है। यही नहीं, वन अमले ने ओडिशा, और महाराष्ट्र जाकर कार्रवाई की है।
ओडिशा के सीमावर्ती उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व इलाके में पिछले वर्षों में अवैध कटाई, जंगली जानवरों के शिकार और वनभूमि पर अतिक्रमण के दर्जनों मामले सामने आए हैं। इस पर कार्रवाई करने में वन अमला नाकाम भी रहा है। वन विभाग ने अतिक्रमण करने वालों, और तस्करों के खिलाफ कार्रवाई के लिए डीएफओ वरूण जैन ने नई ईनामी योजना लाँच किया।
साल भर के भीतर यह योजना प्रभावी दिख रही है। इस योजना के चलते न सिर्फ शिकार बल्कि लकड़ी की तस्करी पर भी काफी हद तक अंकुश लगा है। योजना के तहत जंगली जानवरों के शिकार करने वालों या फिर उनका मांस बेचने वालों की सूचना देने पर पांच हजार रूपए तक ईनाम घोषित किया गया है। इसी तरह वृक्षों की कटाई, अतिक्रमण करने वालों को रंगे हाथों पकड़वाने पर 10 से 50 हजार रूपए तक ईनाम का ऐलान किया गया है। यही नहीं, ढाबों और आरामिलों में अवैध चिरान सप्लाई की सूचना पर पांच हजार का ईनाम घोषित किया गया है। ईनामी योजना से मुखबिरी तंत्र को सुदृढ़ बनाने में काफी मदद मिली है। ईनाम की राशि फोन-पे, गूगल-पे, या फिर बैंक खाते में सीधे दी रही है। सूचना देने वालों के नाम पूरी तरह गोपनीय रखे जा रहे हैं। इसके लिए डीएफओ/उपनिदेशक के वॉट्सऐप नंबर जारी किए गए हैं। इसकी पूरी जानकारी वनग्रामों में वॉल पेंटिंग कर दी गई है।
डीएफओ वरूण जैन ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में बताया कि ईनामी योजना का अच्छा असर देखने को मिला है। अवैध गतिविधियों की छोटी-छोटी जानकारी वन अमले तक पहुंच रही है। उन्होंने बताया कि अब तक 35-40 एंटी पोंचिंग ऑपरेशन कर करीब डेढ़ सौ शिकारी-तस्करों को हिरासत में लिया गया, और अदालती कार्रवाई की गई है। जैन ने बताया कि ओडिशा के रायगढ़ा जिले में हाथी दांत तस्कर बरामद किए गए। इसी तरह महाराष्ट्र के गढ़चिरौली इलाके से पेंगुइन सेल्क बरामद किए गए हैं।
वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक सीमावर्ती इलाके के जंगलों की ड्रोन से निगरानी की जा रही है। महाराष्ट्र, ओडिशा के वन अमलों और डीआरआई के साथ मिलकर संयुक्त अभियान छेड़ा गया है। ताकि न केवल टाइगर रिजर्व, बल्कि बाघ, हाथी, तेंदुआ, कॉरीडोर सुरक्षित रहे। इन इलाकों में रहने वाले चरवाहे मुखबिर बन रहे हैं। स्थानीय स्तर पर एक सम्मेलन कर सूचनातंत्र को मजबूत बनाने में उनकी भागीदारी पर चर्चा भी की गई है। बारनवापारा अभ्यारण्य इलाके में भी वन्यप्राणियों की सुरक्षा, और अवैध शिकार को रोकने के लिए रेंज स्तर पर गश्ती दल का गठन किया गया है। कुल मिलाकर ईनामी योजना के चलते शिकारियों, और तस्करों के खिलाफ जो जानकारी मिल रही है, वो पहले नहीं मिल पा रही थी। इससे वनों को सुरक्षित रखने में मदद मिल रही है।