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नयी दिल्ली, 8 नवंबर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कहा कि भ्रष्ट लोगों के विरूद्ध त्वरित कानूनी कार्रवाई बहुत ही जरूरी है क्योंकि देरी या कमजोर कार्रवाई से ऐसे लोगों को बढ़ावा मिलता है।
उन्होंने यहां केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के सतर्कता जागरूकता सप्ताह समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले दस सालों में धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत 12 अरब डॉलर से अधिक की संपत्तियां जब्त की गयी हैं।
उन्होंने कहा कि विश्वास सामाजिक जीवन का आधार एवं एकता का स्रोत है।
मुर्मू ने कहा, ‘‘सरकार के काम और कल्याणकारी योजनाओं में जनविश्वास शासन की शक्ति का स्रोत है। भ्रष्टाचार न केवल आर्थिक प्रगति में बाधा है, बल्कि यह समाज में विश्वास को भी कम करता है। यह लोगों में भाईचारे की भावना पर प्रतिकूल असर डालता है। इसका देश की एकता और अखंडता पर भी व्यापक प्रभाव पड़ता है।’’
उन्होंने कहा कि हर साल 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती पर ‘‘हम देश की एकता एवं अखंडता को अक्षुण्ण बनाये रखने का संकल्प लेते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ यह महज कोई रस्म नहीं है। यह एक ऐसा संकल्प है जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। इसे पूरा करना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ त्वरित कानूनी कार्रवाई बेहद जरूरी है।
उन्होंने कहा, ‘‘कार्रवाई में देरी या कमजोर कार्रवाई अनैतिक व्यक्तियों को बढ़ावा देती है। लेकिन साथ ही यह भी जरूरी है कि हर कार्रवाई और व्यक्ति को संदेह की नजर से न देखा जाए। हमें इससे बचना चाहिए। व्यक्ति की गरिमा को ध्यान में रखा जाना चाहिए एवं कोई भी कार्रवाई दुर्भावना से प्रेरित नहीं होनी चाहिए। किसी भी कार्रवाई का उद्देश्य समाज में न्याय और समानता स्थापित करना होना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।
मुर्मू ने कहा, ‘‘हमें इस बीमारी की जड़ तक जाना होगा। केवल लक्षणों से इसका इलाज नहीं हो सकता। भारतीय समाज के शाश्वत मूल्यों जैसे ईमानदारी, नैतिकता, करुणा और पारदर्शिता को मजबूत करना होगा। इन जीवन मूल्यों को सशक्त करने की जरूरत है।’’
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण और ई-निविदा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाये हैं।
उन्होंने कहा कि यदि कोई कार्य सही भावना एवं संकल्प के साथ किया जाए तो सफलता तय है।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ कुछ लोग अस्वच्छता को हमारे राष्ट्र की नियति मानते थे। लेकिन दृढ़ नेतृत्व, राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं नागरिकों के योगदान से स्वच्छता के क्षेत्र में अच्छे परिणाम आये हैं। इसी तरह भ्रष्टाचार का उन्मूलन करने को असंभव मानना कुछ लोगों का निराशावादी दृष्टिकोण है जो सही नहीं है।’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकेगी।’’
उन्होंने कहा कि नैतिकता भारतीय समाज का आदर्श है।
उन्होंने कहा, ‘‘ जब कुछ लोग चीजों, पैसों और संपत्ति का संचय कर लेने को अच्छे जीवन का मापदंड मानने लगते हैं तो वे इस आदर्श से भटक जाते हैं और भ्रष्ट तरीके अपनाने लगते हैं। मूलभूत जरूरतों को पूरा करते हुए आत्मसम्मान के साथ जिंदगी जीने में ही खुशी है।’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ हमारे समाज में ईमानदारी और अनुशासन जीवन के आदर्श समझे जाते हैं।’’
उन्होंने कहा कि करीब 2300 साल पहले मेगास्थनीज (प्राचीन यूनानी इतिहासकार) ने भारतीय लोगों के बारे में लिखा कि वे अनुशासनहीनता को नापसंद करते हैं तथा कानून का पालन करते हैं।
मुर्मू ने कहा, ‘‘ उनके जीवन में सादगी और संयम है। फाह्यान ने भी हमारे पूर्वजों के बारे में इसी तरह का उल्लेख किया है। इस संदर्भ में, सीवीसी का इस वर्ष का ध्येयवाक्य ‘राष्ट्र की समृद्धि के लिए ईमानदारी की संस्कृति’ बहुत उपयुक्त है।’’
केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने इस साल 28 अक्टूबर से तीन नवंबर तक सतर्कता सप्ताह मनाय।
सतर्कता सप्ताह के साथ साथ आयोग तीन महीने का एहतियाती सतर्कता अभियान चलाता है। इसके तहत केंद्र सरकार के मंत्रालय, विभाग/संगठन 16 अगस्त से 15 नवंबर तक यह अभियान चला रहे हैं।
अभियान में पांच विषयों पर बल दिया जा रहा है जिनमें क्षमता निर्माण, प्रणालीगत सुधार की पहचान और कार्यान्वयन, परिपत्रों / दिशानिर्देशों/नियमावली का अद्यतन, 30 जून, 2024 से पहले प्राप्त शिकायतों का निपटान और गतिशील डिजिटल उपस्थिति शामिल हैं।
आज के कार्यक्रम में केंद्रीय सतर्कता आयुक्त प्रवीण कुमार श्रीवास्तव एवं सतर्कता आयुक्त ए एस राजीव तथा अन्य अधिकारी मौजूद थे। (भाषा)