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ठाणे, 5 अक्टूबर। महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने एक सरकारी अस्पताल में चिकित्सा कर्मचारियों पर हमला करने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के जुर्म में नौ लोगों को अधिकतम दो साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए एन सिरसीकर ने पाया कि अभियुक्तों ने गैरकानूनी रूप से एकत्र होकर चिकित्सा कर्मचारियों पर हमला किया और अस्पताल की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।
अभियुक्त अपने एक रिश्तेदार के उपचार से असंतुष्ट थे, जिसकी मौत हो गई थी।
अदालत ने यह फैसला 30 सितंबर को सुनाया था, जिसकी प्रति शनिवार को उपलब्ध करायी गयी।
एक चिकित्सा अधिकारी द्वारा दर्ज कराये गये मामले के अनुसार 20 जुलाई, 2013 को एक मरीज को ठाणे सदर अस्पताल में मृत अवस्था में लाया गया था, जिसके बाद यह घटना हुई थी।
अतिरिक्त लोक अभियोजक आर जी क्षीरसागर ने अदालत को बताया कि मरीज को मृत घोषित किए जाने के बाद उसके रिश्तेदारों ने मेडिकल स्टाफ पर हमला कर दिया और अस्पताल की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया तथा चिकित्सकों पर समय पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया।
कार्यवाही के दौरान अदालत ने आपातकालीन सेवाओं को बनाए रखने में लोक सेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया तथा इस बात पर प्रकाश डाला कि चिकित्सा पेशेवरों को हिंसा या धमकी के डर के बिना अपने कर्तव्यों का पालन करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
अदालत ने मुंब्रा क्षेत्र के निवासी नौ आरोपियों को दोषी ठहराया और उन्हें कठोर कारावास की विभिन्न अवधियों की सजा सुनाई, जिसमें गैरकानूनी रूप से एकत्र होने के लिए तीन महीने, दंगा करने के लिए एक वर्ष और स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए एक और वर्ष की सजा शामिल है।
इसके अलावा अदालत ने सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, 1984 के तहत प्रत्येक को 10,000 रुपये के जुर्माने के साथ दो साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई।
मामले में एक आरोपी को उसके खिलाफ अपर्याप्त सबूतों के कारण सभी आरोपों से बरी कर दिया गया जबकि एक अन्य आरोपी की मुकदमे के लंबित रहने के दौरान मृत्यु हो गई जिसके बाद उसके खिलाफ मामला समाप्त कर दिया गया। (भाषा)