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‘छत्तीसगढ़’ संवादाता
कोरबा, 23 जुलाई। रेत माफियाओं की बेखौफ हरकतों से कोरबा जिले में नदी-नालों की खुदाई के चलते लोगों की जान पर खतरा मंडरा रहा है। रेत की अवैध खुदाई से नदियों की गहराई बढ़ गई है, जिससे डूबने का खतरा बढ़ गया है। सरकार के नियम-कायदे इन माफियाओं के लिए बेमानी हो गए हैं, क्योंकि हर सत्ता में कुछ न कुछ सत्ताधीशों का सहयोग इन्हें प्राप्त होता है।
बरमपुर, राताखार और भिलाई खुर्द में चोरी की रेत से सरकारी और निजी काम धड़ल्ले से किए जा रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 15 अक्टूबर तक नदियों की खुदाई पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन इसके बावजूद दिनदहाड़े जेसीबी लगाकर सैकड़ों ट्रैक्टर रेत खोदी जा रही है। रात के अंधेरे में भी यह सिलसिला थमता नहीं है। सरकारी छुट्टियों के दिनों में स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। खनिज व्यवसायी और आम लोगों को पता है कि बरसात के दिनों में रॉयल्टी नहीं लगती, जिससे रेत की कीमत 3500 से 4000 रुपये प्रति ट्रैक्टर हो गई है, लेकिन यह भी सभी जानते हैं कि यह रेत चोरी की है।
भंडारण भी चोरी की रेत से भरे पड़े हैं, जबकि प्रशासनिक तंत्र, मुखबिर तंत्र, खुफिया तंत्र, टास्क फोर्स, राजस्व और खनिज विभाग मूकदर्शक बने हुए हैं। वे जनप्रतिनिधि भी खामोश हैं, जिनके इलाके में नदियों की बेदर्दी से खुदाई हो रही है।