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भेड़ियों की वापसी से यूरोप के इंसान बेचैन
04-Jul-2025 12:31 PM
भेड़ियों की वापसी से यूरोप के इंसान बेचैन

अंधाधुंध शिकार और युद्ध के चलते 1950 के दशक में पोलैंड से भेड़िए लगभग खत्म हो गए थे. कई तरह के प्रयासों के बाद अब वहां करीब 3,600 भेड़िए हैं. लेकिन यह वापसी यूरोप में बेचैनी का कारण क्यों बन रही है?

 पढ़ें डॉयचे वैले पर सोनम मिश्रा एएफपी की रिपोर्ट- 

यूरेशियन भेड़िया

पोलैंड के कस्बे कोंस्किये में रहने वाले लोगों को जंगल में छुपाए गए कैमरों से ली गई भेड़ियों की तस्वीरें दिखाई जा रही है. ऐसा करते हुए वैज्ञानिक रोमन गुला उन्हें भरोसा दिलाने की कोशिश कर रहे हैं कि भेड़िए इंसानों के लिए खतरनाक नहीं है. सामुदायिक हॉल में इकट्ठा लोगों को वह बता रहे हैं, "भेड़ियों ने पोलैंड के जंगलों में दोबारा अपना घर बसा लिया है.”

लेकिन गुला और पूरे यूरोप के वैज्ञानिकों में चिंता हैं कि कहीं वर्षों की इस मेहनत पर पानी न फिर जाए. क्योंकि पिछले महीने, ईयू की संसद ने भेड़ियों के सुरक्षा दर्जा को "कठोर संरक्षण” से घटाकर केवल "संरक्षण” कर दिया. जिसके तहत अब कुछ शर्तों के साथ उनके शिकार की इजाजत दी जा सकती है.

यूरोपीय आयोग का तर्क है कि भेड़ियों की बढ़ती संख्या इंसानों और पालतू जानवरों के लिए खतरा बन रही है. यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष, उर्सुला फॉन डेय लाएन ने खुद इस दर्जे को घटाने के लिए अभियान चलाया क्योंकि उनके पालतू पॉनी को एक भेड़िए ने मार डाला था.

एक कार्टून में भेड़िए को राक्षस की तरह पेश करने की कोशिशएक कार्टून में भेड़िए को राक्षस की तरह पेश करने की कोशिश

ऐसे विज्ञापनों ने भी भेड़ियों के प्रति लोगों में नफरत भरी है.तस्वीर: DW

भेड़ियों के खिलाफ नकारात्मक मुहिम

गुला का कहना है कि यह फैसला विज्ञान के आधार पर नहीं लिया है. बल्कि यह पूरे यूरोप में भेड़ियों के खिलाफ चल रही मुहिम का नतीजा है. उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "भेड़ियों को तो पुराने जमाने से ही राक्षस की तरह दिखाया जाता रहा है.” उन्होंने मानना है कि यह एक राजनीतिक फैसला है, जो कि प्रकृति को नियंत्रित करने वाली दक्षिणपंथी सोच से प्रभावित है.

 

उन्होंने बताया कि भेड़िए इंसानों से डरते हैं और किसी भी हालत में उनसे बचने की कोशिश करते हैं. इसके अलावा पशुओं की सुरक्षा के लिए इस फैसले के अलावा भी कई अन्य उपाय भी हो सकते थे.

ईयू के फैसले से न केवल गुला नाराज हैं बल्कि, पिछले हफ्ते प्रमुख संरक्षण संगठनों ने भी अपने बयान में यह नाराजगी जताई, "यूरोप ने भेड़ियों और विज्ञान, दोनों से मुंह मोड़ लिया है.” उन्होंने सांसदों पर आरोप लगाया कि वह इस फैसले से "नाजुक प्रजातियों और पारिस्थितिकी तंत्र के खिलाफ मुहिम छेड़ रहे हैं.”

विशेषज्ञों का कहना है कि भेड़ियों को पहचानना काफी मुश्किल होता है. हालांकि, वह अभी ज्यादा दिखाई देने लगे हैं क्योंकि लोग स्मार्टफोन से उनके वीडियो शेयर कर देते हैं. इसके अलावा जलवायु परिवर्तन की वजह से भी उन्हें सूखे जंगलों से निकलकर खाने की तलाश में कई बार खेतों की ओर आना पड़ता है.

सरकार के वादे पर भरोसा नहीं

हालांकि, पोलैंड ने संरक्षणकर्ताओं को भरोसा दिलाने की कोशिश की है कि वह अपने मौजूदा नियमों में कोई बदलाव नहीं करेगा यानी बहुत ही कम मामलों में भेड़ियों के शिकार की अनुमति दी जाएगी. लेकिन गुला का कहना है कि भेड़ियों की सुरक्षा से जुड़े कानूनों को ढंग से लागू नहीं किया जा रहा है.

पोलैंड के अलग-अलग हिस्सों में काम कर रहे तीन भेड़िया पर्यवेक्षकों ने एएफपी को बताया कि जिन भेड़ियों के गले में उन्होंने जीपीएस कॉलर लगाए थे, उन्हें भी शिकारियों ने मार डाला है. लेकिन इस मामले में अब तक किसी को भी कोई सजा नहीं दी गई है.

जर्मनी में भेड़िए द्वारा मारी गए एक भेड़जर्मनी में भेड़िए द्वारा मारी गए एक भेड़

शोधकर्ता, योआना टॉचिडलोव्स्का के साथ मिलकर गुला ने अपना मिशन बना लिया है कि वह उन इलाकों में लोगों को भेड़ियों के बारे में जागरूक करेंगे, जहां भेड़िए दोबारा लौटे हैं. हालांकि, यह काम आसान नहीं है, क्योंकि छोटे कस्बों में शिकारी अधिक प्रभावशाली होते हैं.

कोंस्किये जैसी जगह जहां करीब 33,000 लोग रहते हैं. वहां भावनाएं बहुत तेजी से भड़क सकती हैं. इस मुद्दे पर भी लोगों की राय बंटी हुई नजर आती है. कुछ लोगों ने इस चर्चा के दौरान गुला पर आरोप लगाया है कि वह विदेशी संस्था के इशारे पर काम कर रहे हैं और कहा कि भेड़ियों का शिकार किया जाना चाहिए. वहीं इसके उलट कुछ लोग इस बात पर गर्व भी महसूस कर रहे हैं कि भेड़िए उनके इलाके में वापस लौटे हैं.

इस कार्यक्रम में फिटनेस इंस्ट्रक्टर, मोनिका चोलिविंस्का भी आई थी. उन्होंने कहा, "लोग अब भेड़ियों के बारे में ज्यादा बात करने लगे हैं” और वह जानना चाहती थी कि "अगर कभी किसी भेड़िए से सामना हो जाए, तो क्या करना चाहिए.”

भेड़िए, अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद

कोंस्किये से लगभग 40 मिनट दूर एक जंगल में सूखी ऊंची घास के बीच चलते हुए गुला ने बताया कि बढ़ते तापमान के कारण भेड़ियों का शिकार करने का तरीका भी बदल रहा है. उन्होंने कहा, "मैं इस इलाके को अच्छे से जानता हूं. पहले यहां दलदल हुआ करते थे, लेकिन अब यह पूरी तरह सूख चुका है.”

पोलैंड में दशकों तक भेड़ियों पर अध्ययन करने वाली सबीना पिएरुजेक-नोवाक का मानना है कि शिकार करने के तरीके में आ रहे बदलाव कुछ सकारात्मक असर भी ला सकते हैं. उन्होंने कहा, "भेड़िये इंसानी अर्थव्यवस्था को ठोस फायदा पहुंचा सकते हैं.”

 

जर्मनी के हाइडे में एक भेड़ियाजर्मनी के हाइडे में एक भेड़िया

जैसे-जैसे जंगल सूख रहे हैं और खेती बड़े पैमाने पर फैल रही है. वैसे-वैसे हिरण और जंगली सूअर जैसे जानवर खाने की तलाश में खेतों की ओर आने लगे हैं. उन्होंने बताया कि यह जानवर खेतों में करोड़ों का नुकसान कर देते हैं. लेकिन "भेड़िए ऐसे जानवरों को खेतों में ही मार देते हैं, जिससे किसानों को फायदा होता है.”

पिएरुजेक-नोवाक ने बताया कि भेड़ियों के खिलाफ प्रचार करने वाले राजनेताओं ने यूरोप में इस जानवर की छवि को काफी नुकसान पहुंचाया है. जिस वजह से अब वह अपना ज्यादातर समय सोशल मीडिया और स्थानीय पोलिश मीडिया में भेड़ियों को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों को गलत साबित करने में बिताती हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि पोलैंड अपने भेड़ियों की सुरक्षा जारी रखेगा ताकि भेड़ियों को बचाने वाली यूरोप की यह दुर्लभ सफलता की कहानी बरकरार रह सके.

जंगल में गुला ने वापस एक भारी एंटीना उठा लिया है और घूम-घूम कर इंतजार कर रहे हैं. उनके रडार से एक बीप की आवाज आई. गुला मुस्कुराते हैं, "वह यहीं कहीं है.” यानी वह भेड़िया, जिसके गले में गुला ने कॉलर लगाया था, वह आस-पास ही है. (डॉयचे वैले)


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