छत्तीसगढ़ सरकार को 3सौ करोड़ सालाना नुकसान
विशेष रिपोर्ट : शशांक तिवारी
रायपुर, 12 मार्च (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। यह एक ऐसा मामला है जिसमें सरकारी तेल कंपनियों ने मान लिया है कि रोजाना हजारों लीटर तेल उत्तरप्रदेश के डिपो से छत्तीसगढ़ के पम्पों को सप्लाई किया जा रहा है। उत्तरप्रदेश में डीजल की दर छत्तीसगढ़ की तुलना में दस रूपए कम है। लेकिन बेरोकटोक डीजल सप्लाई से छत्तीसगढ़ सरकार को करीब तीन सौ करोड़ के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
प्रदेश के सीमावर्ती इलाके विशेषकर सरगुजा संभाग के जिलों में रोजाना हजारों लीटर डीजल टैंकरों से पहुंच रहा है। बताया गया कि बड़े ठेकेदारों, और उद्योगों को कंज्यूमर डीजल पम्प का लाइसेंस मिला है। सरगुजा संभाग में ही करीब दो दर्जन कंज्यूमर डीजल पम्प हैं। उन्हें अपनी फैक्ट्री, और कंपनी के वाहनों में ही डीजल की खपत करनी होती है। ये परिसर से बाहर डीजल की खपत नहीं कर सकते हैं।
बताया गया कि कंज्यूमर डीजल पम्प मालिकों ने छत्तीसगढ़ स्थित सरकारी तेल कंपनियों के डिपो से डीजल मंगाने के बजाय उत्तरप्रदेश से डीजल मंगवा रहे हैं। उत्तरप्रदेश के मुगल सराय में एचपीसीएल, बीपीसीएल, और इंडियन ऑयल के डिपो हैं। उत्तरप्रदेश में पेट्रोल-डीजल पर वैट कम है। जबकि छत्तीसगढ़ में वैट 26 फीसदी है। अर्थात उत्तरप्रदेश में डीजल छत्तीसगढ़ की तुलना में 10 रूपए कम हैं। ऐसे में कंज्यूमर डीजल पम्प मालिकों के लिए उत्तरप्रदेश से डीजल मंगवाना फायदेमंद है। यह नियमत: गलत भी है, और बाहर का डीजल खपत होने से छत्तीसगढ़ सरकार को वैट नहीं मिल रहा है।
बताया गया कि न सिर्फ कंज्यूमर डीजल मालिक बल्कि कई प्रभावशाली रिटेल पेट्रोल-डीजल पम्प संचालकों ने भी उत्तरप्रदेश से डीजल मंगवाना शुरू कर दिया है। सरकारी तेल कंपनी इंडियन ऑयल ने आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में बताया है कि 1 अप्रैल 2023 से 31 जनवरी 2024 तक मुगल सराय डिपो से 30343 मीट्रिक टन डीजल्स की सप्लाई छत्तीसगढ़ के कंज्यूमर पम्पों को की गई है। बाकी दो अन्य कंपनियों ने जानकारी नहीं दी है।
कहा जा रहा है कि दोनों कंपनियों से सप्लाई भी तकरीबन इंडियन ऑयल जितनी है। जानकारों का कहना है कि तेल कंपनियों के डिपो प्रमुखों को दूसरे राज्यों के लिए डीजल देना पूरी तरह गलत है। और राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि सीमा पर ही टैंकरों की जांच करे और इसके रोकथाम के लिए कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करे। चूंकि उत्तरप्रदेश से डीजल आ रहा है इसलिए छत्तीसगढ़ को वहां से आने वाले डीजल पर लगने वाला वैट नहीं मिल पा रहा है। कुल मिलाकर सालाना तीन सौ करोड़ का नुकसान हो रहा है।
राज्य के बाहर से डीजल लाने के मामले पर स्थानीय पम्प संचालक खफा हैं, और उन्होंने भी सरकार से यूपी से डीजल लाने की मांग की है, और इस सिलसिले में ज्ञापन देने की तैयारी कर रहे हैं।
जीएसटी-खाद्य अफसरों की मिलीभगत
जीएसटी और खाद्य अफसरों ने अब तक बाहर से आने वाले डीजल पर रोक लगाने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की है। नियमित जांच से सारा भांडाफोड़ हो सकता है। हल्ला यह है कि जीएसटी और खाद्य अफसरों को कंज्यूमर पम्प संचालकों से नियमित राशि मिल जाती है।
डीजल तस्करी को बढ़ावा देने में स्थानीय नेताओं की भी भूमिका रही है। यही वजह है कि अब तक एक भी बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि पेट्रोल-डीजल रिटेल संचालक कई बार कलेक्टर को इस सिलसिले में ज्ञापन भी दे चुके हैं।