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चिराग के हमलों के बीच नीतीश को अब बीजेपी के सख्त ‘मोलभाव’ की चुनौती भी
17-Aug-2020 4:47 PM
चिराग के हमलों के बीच नीतीश को अब बीजेपी के सख्त ‘मोलभाव’ की चुनौती भी

-अशोक मिश्रा

नीतीश कुमार की एक खासियत है कि जब वो किसी से नाराज होते हैं, तो उस संगठन के प्रति भी उदासीन हो जाते हैं, जिससे वो शख्स जुड़ा हुआ है। ऐसा होने पर नीतीश कुमार उस व्यक्ति के परिपेक्ष्य में ही संगठन को देखेंगे और संगठन की टिप्पणियों को नजरअंदाज करेंगे। हाल ही में नीतीश कुमार ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भूमि पूजन का स्वागत न करके बीजेपी के प्रति अपनी उदासीनता जाहिर की थी। सत्ता और विपक्ष के तमाम नेता जहां भूमि पूजन अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे, वहीं नीतीश कुमार चुप्पी साधे हुए थे। इससे राजनीतिक हलकों में अटकलों को हवा मिली। सियासी गलियारों में एनडीए के साथ जेडीयू के संबंध की एक बार फिर से चर्चा होने लगी।

अभी तक वो दौर नहीं आया है, जब जनता दल (यूनाइटेड) बीजेपी के साथ रिश्ते तोडऩे की सोच सकता है। लेकिन जिस तरह से एनडीए की एक और सहयोगी, एलजेपी नीतीश कुमार को निशाना बना रही है, उससे एनडीए के साथ जेडीयू की तल्खियां बढ़ ही रही हैं। बिहार सरकार पर एलजेपी नेता चिराग पासवान के लगातार हमलों पर बीजेपी नेतृत्व ने चुप्पी साध रखी है, जिसे नीतीश कुमार पंसद नहीं कर रहे हैं।

चिराग पासवान ने कोरोना महामारी की भयानक स्थिति को देखते हुए अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव नहीं कराने की बात कही है, जिसे लेकर जेडीयू नेतृत्व ने आपत्ति भी जाहिर कर दी है। चिराग पासवान ही नहीं, बल्कि उनके पिता रामविलास पासवान ने भी यह कहकर नीतीश कुमार को भडक़ा दिया कि पार्टी के मामले चिराग पासवान संभालते हैं। इसमें अब उनकी पहले जैसी भूमिका नहीं है। सवाल ये है कि बीजेपी चिराग पासवान को लेकर चुप्पी क्यों साधे हुई है। या फिर चिराग पासवान खुद बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं?

जेडीयू के वरिष्ठ नेता पहले ही कह चुके हैं कि वे स्थिति को करीब से देख रहे हैं। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या चिराग के जुबानी हमले बीजेपी प्रायोजित हैं या चिराग ऐसा गठबंधन में ज्यादा सीटें पाने की रणनीति के तहत कर रहे हैं।

बिहार में एनडीए के भविष्य को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गुरुवार को चिराग पासवान से मुलाकात की। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में नड्डा ने एलजेपी को आश्वासन दिया है कि सीट की बातचीत के दौरान इसकी आशंकाओं पर ध्यान दिया जाएगा।

हालांकि, एलजेपी नड्डा के आश्वासन से खुश नहीं है और नीतीश कुमार सरकार से समर्थन वापस लेने पर अड़ी हुई है। बिहार विधानसभा में एलजेपी के 2 विधायक और एक एमएलसी हैं। ऐसे में भले ही एलजेपी समर्थन वापस ले ले, लेकिन सरकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।

जेडीयू और एलजेपी के बीच मतभेद इस हद तक बढ़ गए हैं कि लोकसभा में जेडीयू संसदीय दल के नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह ने चिराग पासवान को ‘कालिदास’ तक कह डाला है, जो जिस शाखा पर बैठे हैं, उसे ही काटने पर तुले हुए हैं।

वहीं, एलजेपी नेता अशरफ अंसारी ने लल्लन को ‘सूरदास’ कह दिया है, जो कोरोना वायरस समेत बिहार की दुर्दशा करने वाले सभी मुद्दों की ओर आंखें मूंद कर बैठे हैं। एलजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अवलोकन का हवाला दिया है, जिन्होंने बिहार में कोरोना वायरस-प्रभावित राज्यों में टेस्टिंग बढ़ाने पर जोर दिया था।

दोनों पार्टियों के बिगड़ते रिश्ते के बीच बीजेपी पूरे देश में और बिहार में अपने दम पर खड़ी होने की अपनी नीति का पालन कर रही है। राज्य में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरना चाहती है। सभी सीटों पर जीत सुनिश्चित करने के लिए एनडीए ने रणनीति भी बदल ली है। लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीजेपी ने हाल ही में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को चुनाव प्रभारी बनाया है, जो एक सख्त सौदेबाज माने जाते हैं।

बीजेपी के लिए 2020 का बिहार चुनाव 2015 के इलेक्शन से बहुत अलग है। बीजेपी अब बिहार में राजनीतिक स्थिति का पूरी तरह से दोहन करना चाहती है, क्योंकि प्रमुख विपक्षी दल आरजेडी कई आरोपों को लेकर अभी हाशिये पर है। कांग्रेस की हालत वैसे ही पस्त है। ऐसे में बीजेपी के पास उभरने का यही सही मौका है।

इसके अलावा नीतीश कुमार के ‘सुशासन बाबू’ वाली छवि की ब्रांडिंग में इस बार कोरोना वायरस संकट की वजह से देरी हो गई है। विपक्ष इसे एक नकारात्मक ब्रांडिंग के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है। विपक्ष चीजों को ऐसे पेश करना चाहता है कि नीतीश कुमार सरकार ने शुरू से ही कोरोना वायरस को लेकर शिथिलता दिखाई। जिस वजह से राज्य के कई जिलों में अब कोरोना संक्रमण की विस्फोटक स्थिति पैदा हो गई है।

बिहार प्रभारी के रूप में फडणवीस के साथ राज्य बीजेपी यूनिट में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और राज्य बीजेपी अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल हैं। जो एक साथ मिलकर बिहार चुनाव में बीजेपी के लिए अलग लॉबी तैयार कर रहे हैं।

बीजेपी ने हर चुनाव क्षेत्र में जमीनी स्तर पर पार्टी के संदेश को फैलाने के लिए ‘प्रमुख मतदाताओं’ की पहचान करके अपना चुनाव अभियान शुरू किया है। पार्टी ने प्रमुख मतदाताओं के विवरणों से भरे जाने के लिए सभी 1,000 मंडलों में 28 पेज वाली मंडल पुस्तिकाएं भी वितरित की हैं, जो सामान्य मतदाताओं के मन को प्रभावित कर सकती हैं। बता दें कि एक विधानसभा सीट में कम से कम 5 मंडल और एक मंडल में कम से कम 60 बूथ होते हैं।

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि उम्मीदवारों के चयन में फडणवीस की पसंद प्रबल होगी। साथ ही फडणवीस ही जनता दल (यूनाइटेड) के साथ सीट साझा करने वाली वार्ता का फैसला करेंगे।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)


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