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जब नाना जी ने तोड़ दी थी, हमारे पिता-माता की शादी!
25-Jun-2025 9:55 PM
जब नाना जी ने तोड़ दी थी, हमारे पिता-माता की शादी!

-उज्जवल दीपक

इस तस्वीर को ध्यान से देखिए । रायपुर, छत्तीसगढ़ के केंद्रीय जेल के बाहर मीसा एक्ट के तहत बंदी किए गए लोकतंत्र सेनानियों की । 19 महीने जेल में एक कष्ट भरा वक्त गुजारने के बाद मई 1977 में रिहा होने की तस्वीर है ये ।

तस्वीर में प्रमुख रूप से जनसंघ से प्रांत के बड़े नेतागणों में स्व.बाबू पंडरी राव जी कृदत्त, स्व.पंडित हनुमान प्रसाद जी मिश्रा, स्व. शारदा प्रसाद जी शर्मा, स्व. सोम प्रकाश जी गिरी, स्व.जयंती लाल जी गाँधी, स्व. वि_ल राव म्हस्के (दीपक म्हस्के जी के पिताजी ) और हमारे पिता स्व. वीरेंद्र दीपक उपस्थित हैं।

तो हुआ ये था की 1975 में हमारे पिताजी और माताजी का रिश्ता तय हो चुका था । नानाजी सरकारी शिक्षक थे. माताजी उस समय कॉलेज में थीं। पिताजी महासमुंद / राजिम क्षेत्र में छात्र आंदोलन में सक्रिय थे और पत्रकारिता की शुरुआत भी कर रहे थे।

नाना जी ने पंडित सुंदरलाल शर्मा जी के परिवार की प्रतिष्ठा देखकर शादी तय की थी और जल्द ही समारोह होने की उम्मीद थी । आज से ठीक 50 साल पहले 25 जून 1975 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए देश में आपातकाल लगवा दिया । पिता जी क्रांतिकारी देशभक्त थे और वो भी कूद पड़े लोकतंत्र की रक्षा करने। आंदोलन, विद्रोह और उनकी लेखनी ने सरकार के कान खड़े किए और 25 अक्टूबर 1975 को उनको गिरफ़्तार कर लिया गया ।

उस समय पिता जी की उम्र केवल 26 वर्ष थी। घरवालों को इस गिरफ़्तारी की ख़बर बाद में पता चली । नानाजी को थोड़े अंतराल में पता चल ही गया था । मध्यमवर्गीय ब्राह्मण, सरकारी शिक्षक के लिए होने वाले दामाद का जेल जाना बहुत बड़ी बात थी । दूसरी बड़ी बात थी की जुर्म का पता ही नहीं था । पता नहीं कौन से कानून में उनको गिरफ्तार किया गया था । पता ही नहीं चल पा रहा था

कुछ दिनों तक यह असमंजस ही चलता रहा।

आखिरकार नाना जी ने सबसे सलाह मशवरा कर ये फैसला किया की अब ये शादी नहीं होगी।

भला हो संत कवि पवन दीवान जी का । उनको माताजी जी मामा कहती थीं। एक दिन नाना जी की मुलाक़ात राजिम में उनसे हुई । उन्होंने फिर अच्छे से समझाया की लडक़ा अपराधी नहीं है। क्रांतिकारी है । देश के लिए, लोकतंत्र बचाने की कोशिश करने के लिए जेल भेजा गया है । और पूरे देश में 1 लाख से ज्यादा लोग गिरफ्तार हुए हैं । जब नानाजी को उन्होंने बाक़ी बड़े नेताओं के नाम बताये तो नानाजी के मन में उनके होने वाले दामाद  के प्रति आदर ही बढ़ा।

फिर उन्होंने माताजी के परिवार से बात करके रिश्ता पक्का रखा और पिताजी के जेल से छूटने के बाद 11 दिसंबर 1977 को धूमधाम से शादी करवाई। उनकी खुशी का ठिकाना तो तब नहीं रहा जब पिताजी ने शादी में कोई भी दहेज लेने से मना कर दिया और सिर्फ 1 रुपया शगुन के रूप में लिया।

ऐसा दामाद और परिवार पाकर वो बेहद गौरवान्वित थे । पिताजी के 2001 में गुजर जाने के बाद वो हमको उनके स्वाभिमानी विचारों से समय समय पर परिचय करवाते रहते थे ।

आपातकाल के समय इंदिरा गांधी ने सिर्फ लोकतंत्र की हत्या नहीं की थी । ऐसे लाखों किस्से हैं जो मीसा बंदियों के परिवारों ने झेले । बंदियों को बहुत यातनाएं दी गईं और मानवाधिकारों का खुलेआम उल्लंघन हुआ था ।

संविधान की रक्षा करने की बात करने वाली कांग्रेस पार्टी का शुरू से दोहरा चरित्र रहा है ।

आज संविधान हत्या दिवस की 50 वीं बरसी पर पूज्य पिताजी का स्मरण करते हुए श्रद्धांजलि


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