विचार / लेख

आपातकाल की यादें
25-Jun-2025 9:50 PM
आपातकाल की यादें

-घनाराम साहू, सहा.प्राध्यापक, रायपुर

25 जून 1975 को समाजवादी नेता एवं सांसद मधु लिमये छत्तीसगढ़ की यात्रा पर थे। वे छत्तीसगढ़ के समाजवादी आंदोलनकारियों को संगठित कर लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन से जोडऩा चाहते थे। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के समाजवादी कार्यकर्ता किसानों से जबरन लेवी वसूली के विरुद्ध आंदोलित थे।

किसान फरवरी के प्रथम सप्ताह से आरंग में गिरफ्तारी दे रहे थे, लेकिन 13 फरवरी 1975 को तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्व. विद्याचरण शुक्ल के आरंग पहुंचने और किसानों से अनुचित व्यवहार के कारण किसान उग्र हो गए। पुलिस ने लाठीचार्ज किया, किसान नेता स्व. जीवन लाल साव पर गोलियां चलाई गईं और सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

किसानों की गिरफ्तारी के विरोध में महासमुंद के तत्कालीन विधायक स्व. पुरुषोत्तम लाल कौशिक ने छत्तीसगढ़ बंद की घोषणा की। बंद पूरे राज्य में अभूतपूर्व रूप से सफल रहा और स्व. कौशिक सहित अनेक नेता गिरफ्तार कर लिए गए। सभी बंदी नेताओं को दो-तीन दिनों में क्रमश: रिहा कर दिया गया, किंतु किसान नेता स्व. जीवन लाल साव पर मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट (मीसा) लगाकर उन्हें जेल में निरुद्ध कर दिया गया। इस प्रकार वे मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के प्रथम मीसा बंदी बन गए। वे 7 जून 1975 को कोर्ट के आदेश से रिहा हुए।

रिहाई के बाद स्व. साव किसानों को संगठित करने के अभियान में जुट गए थे। सांसद मधु लिमये 25 जून को बिलासपुर में बैठक ले रहे थे और 26 जून को प्रात: रायपुर पहुंचे, लेकिन तब तक 25 जून की मध्यरात्रि से देश में आपातकाल घोषित हो चुका था। वे आजाद चौक स्थित कुर्मी बोर्डिंग में कार्यकर्ताओं की बैठक के लिए पहुंचे। बैठक के बाद स्व. कमल नारायण शर्मा सहित कुछ समाजवादी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

स्व. लिमये सांसद और स्व. कौशिक विधायक थे, और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए लोकसभा व विधानसभा अध्यक्ष का अनुमोदन नहीं था, इसलिए उन्हें तत्काल गिरफ्तार नहीं किया जा सका। स्व. लिमये के निर्देश पर स्व. जीवन लाल साव कुर्मी बोर्डिंग की बैठक समाप्त होने से पूर्व कुछ साथियों के साथ महासमुंद में सभा की तैयारी के लिए रवाना हो गए थे।

स्व. मधु लिमये एवं स्व. कौशिक दोपहर बाद 4 बजे लोहिया चौक महासमुंद पहुंचे, जहां सैकड़ों समाजवादी कार्यकर्ता एकत्रित थे। सभा शाम 6 बजे तक चली। इस बीच स्व. लिमये, स्व. कौशिक, स्व. साव एवं स्व. डॉ. रमेश अग्रवाल को गिरफ्तार करने का आदेश जारी हो चुका था। सभा समाप्ति के पूर्व ही स्व. लिमये के निर्देश पर स्व. साव मंच से गायब हो गए थे, जिससे वे गिरफ्तारी से बच निकले। शेष नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।


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