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आसिम मुनीर और ट्रंप की मुलाकात के बाद भारत-पाकिस्तान में अलग-अलग बहस
20-Jun-2025 10:12 PM
आसिम मुनीर और ट्रंप की मुलाकात के बाद भारत-पाकिस्तान में अलग-अलग बहस

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया ताकि पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध को रोकने में उनकी भूमिका के लिए आभार व्यक्त किया जा सके। ट्रंप ने यह बात जनरल मुनीर से मुलाक़ात के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही।

मुलाकात के बाद ट्रंप ने बताया कि जनरल मुनीर से ईरान के मुद्दे पर भी चर्चा हुई थी।

उन्होंने कहा, ‘वह (जनरल मुनीर) ईरान को बहुत अच्छी तरह जानते हैं, शायद दूसरों से बेहतर और वह मौजूदा हालात से ख़ुश नहीं हैं।’

अमेरिकी राष्ट्रपति ने आसिम मुनीर के सम्मान में व्हाइट हाउस में लंच आयोजित किया था। इस लंच में मीडिया को आने की अनुमति नहीं थी।

लंच के बाद मीडिया से बातचीत में ट्रंप ने कहा, ‘जनरल आसिम मुनीर ने पाकिस्तान-भारत युद्ध को रोकने में अहम भूमिका निभाई और मैं उनके साथ मुलाक़ात को अपने लिए सम्मान की बात मानता हूं।’

ट्रंप ने फिर कहा- मैंने युद्धविराम करवाया

राष्ट्रपति ट्रंप ने बताया कि कुछ सप्ताह पहले उनकी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाक़ात हुई थी।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और भारत दोनों परमाणु ताक़तें हैं और उनके बीच परमाणु युद्ध हो सकता था, लेकिन ‘दो समझदार लोगों ने युद्ध रोकने का फ़ैसला किया।‘

उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान और भारत दोनों के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है।

लंच से पहले उन्होंने एक बार फिर ये बात कही कि उन्होंने ही भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाई।

ट्रंप का यह बयान बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फ़ोन पर हुई बातचीत के बाद आया है।

बातचीत को लेकर विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा था, ‘प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप से स्पष्ट रूप से कहा कि इस पूरे घटनाक्रम (भारत-पाकिस्तान संघर्ष) के दौरान कभी भी किसी भी स्तर पर भारत-अमेरिका ट्रेड डील या अमेरिका द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता जैसे विषयों पर बात नहीं हुई थी।’

ईरान पर हमले को लेकर ट्रंप ने क्या कहा?

पत्रकारों ने ट्रंप से पूछा कि क्या उन्होंने पाकिस्तानी जनरल से ईरान को लेकर कोई बातचीत की थी।

इस पर ट्रंप ने कहा, ‘वे (जनरल मुनीर) ईरान को बहुत अच्छी तरह जानते हैं, शायद किसी और से भी बेहतर, और वे मौजूदा हालात से ख़ुश नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि उनके इसराइल से संबंध खऱाब हैं। वे दोनों को जानते हैं और वास्तव में शायद ईरान को बेहतर जानते हैं। लेकिन वे जो कुछ हो रहा है, उसे देख रहे हैं और वे मुझसे सहमत हैं।’

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘मैंने उन्हें यहां आमंत्रित किया क्योंकि मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहता था कि उन्होंने जंग की ओर कदम नहीं बढ़ाया।’

ट्रंप पहले भी कई बार कह चुके हैं कि उनके प्रयासों से पाकिस्तान और भारत के बीच परमाणु युद्ध का खतरा टल गया।

उन्होंने आगे कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री मोदी को भी धन्यवाद देना चाहता हूं, जो कुछ दिन पहले यहां आए थे। हम भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ व्यापार समझौते पर काम कर रहे हैं।’

ट्रंप ने कहा कि ‘ये दोनों बहुत समझदार लोग हैं और उन्होंने उस युद्ध को आगे न बढ़ाने का फ़ैसला किया, जो संभावित रूप से परमाणु युद्ध बन सकता था। पाकिस्तान और भारत दोनों ही प्रमुख परमाणु शक्तियां हैं। इसलिए आज उनसे (आसिम मुनीर) मिलना मेरे लिए सम्मान की बात थी।’

पाकिस्तानी सेना प्रमुख 14 जून से अमेरिका की यात्रा पर हैं और अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ उनकी बैठक पहले से तय थी।

पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल जनरल आसिम मुनीर और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच मंगलवार को व्हाइट हाउस में हुई बैठक को इस्लामाबाद में एक बड़ी कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है।

यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब 13 जून को ईरान पर इसराइल के हमले के बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष तेज़ हो गया है और यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि अमेरिका क्या ईरान के ख़िलाफ़ किसी अभियान का हिस्सा बनेगा।

जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या वह ईरान पर इसराइल के हमले में शामिल होंगे, तो उन्होंने जवाब दिया, ‘शायद शामिल हो सकता हूं, शायद नहीं। कोई नहीं जानता कि मैं क्या करने वाला हूं।’

ईरानी सरकार में बदलाव को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ‘बिल्कुल, कुछ भी हो सकता है।’

ईरान और इसराइल के बीच जारी तनाव ने इस आशंका को बढ़ा दिया है कि यह संघर्ष फैल सकता है और इस इलाके के अन्य देश भी इसकी चपेट में आ सकते हैं।

आसिम मुनीर मई के अंत में ईरानी सेना के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मोहम्मद हुसैन बाकरी से भी मिले थे, जो इसराइली हमले में मारे गए।

आसिम मुनीर उस पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा भी थे, जिसने सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई से मुलाकात की थी।

यह पहला मौक़ा है, जब ट्रंप ने किसी विदेशी सेना प्रमुख को इस तरह की वन-ऑन-वन बैठक के लिए व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया है।

इससे पहले 2001 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने राष्ट्रपति और सेना प्रमुख दोनों की हैसियत से अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश से मुलाक़ात की थी।

पाकिस्तान में मुलाकात को लेकर कैसी चर्चा?

सोशल मीडिया पर इस मुलाक़ात को लेकर काफ़ी चर्चा हो रही है।

कुछ लोगों का कहना है कि जनरल मुनीर से मुलाक़ात के बाद ईरान पर बात करते समय ट्रंप का लहजा कुछ नरम दिखा।

रणनीतिक विश्लेषक शुजा नवाज़ ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा, ‘यह ट्रंप के लिए मौक़ा है कि वह आसिम मुनीर के तेहरान दौरे से सीखें और ईरान के खिलाफ युद्ध की ओर न बढ़ें।’

कुछ लोगों का कहना है कि इस मुलाकात से पाकिस्तान की छवि बेहतर हुई और भारत की ओर से पाकिस्तान पर आतंकवाद के आरोपों की कोशिशें कमजोर पड़ीं।

पत्रकार मोहम्मद तकी ने लिखा, ‘यह देखना बाकी है कि फील्ड मार्शल आसिम मुनीर और ट्रंप की मुलाकात से किसे लाभ हुआ। लेकिन यह तय है कि नुकसान पीटीआई से जुड़े उन पाकिस्तानी अमेरिकियों का हुआ, जिन्होंने वॉशिंगटन में लॉबिंग पर करोड़ों डॉलर खर्च किए।’

पत्रकार कामरान यूसुफ ने कहा, ‘पाकिस्तान को आतंकवाद से जोडऩे के भारत के प्रयास असफल होते दिख रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख से मुलाकात के बाद न तो पहलगाम हमले का जिक्र किया और न ही भारतीय चिंताओं को प्रमुखता दी। बल्कि युद्ध टालने के लिए पाकिस्तानी सेना की सराहना की। ट्रंप ने कहा: मैं उनसे (जनरल मुनीर) मिलना अपने लिए सम्मान की बात मानता हूं।’

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि जब भी अमेरिका और ईरान के बीच मध्यस्थता होगी, पाकिस्तान की उसमें कोई न कोई भूमिका ज़रूर होगी।

भारत में क्या कह रहे हैं जानकार?

पाकिस्तान मामलों के जानकार और पूर्व राजनयिक विवेक काटजू ने इस लंच को ‘असाधारण’ बताया।

एक प्राइवेट न्यूज चैनल से बातचीत में विवेक काटजू ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि अमेरिका पाकिस्तान से अपने संबंध बेहतर करना चाहता है और भारत-पाकिस्तान के बीच संतुलन साधना चाहता है। यह ‘असाधारण’ लंच उसी योजना का हिस्सा है क्योंकि आमतौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति सेना प्रमुख के लिए लंच का आयोजन नहीं करते। सामान्यत: रक्षा मंत्री या सेना से जुड़े अधिकारी ऐसा करते हैं।’

ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर काटजू ने कहा, ‘पाकिस्तान भी नहीं चाहता कि ईरान परमाणु हथियार हासिल करे। इस्लामिक दुनिया में ईरान के प्रॉक्सी को छोडक़र कोई यह नहीं चाहता।’

थिक टैंक ओआरएफ के फेलो मनोज जोशी ने कहा, ‘इस लंच के पीछे अमेरिका की कोशिश पाकिस्तान को इसराइल-ईरान जंग से दूर रखने की है। अमेरिका नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान ईरान को परमाणु हथियार बनाने में कोई मदद करे।’

सामरिक विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने एक्स पर लिखा, ‘यह मुलाकात अमेरिका की पुरानी नीति की वापसी का प्रतीक हो सकती है, जिसमें वह भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ संतुलन बनाए रखता था। अगर ट्रंप ईरान पर मुनीर से गुप्त सहयोग चाहते हैं, तो यह लेन-देन आधारित रणनीति को दर्शाता है, जहां अल्पकालिक लाभ के लिए पाकिस्तान के पुराने आतंकी नेटवर्क को नजरअंदाज़ किया जा रहा है। ट्रंप यह संदेश भी दे सकते हैं कि भारत भले ही रणनीतिक साझेदार हो, लेकिन पाकिस्तान के साथ अमेरिकी संबंधों पर उसका वीटो नहीं चलेगा।’ (bbc.com/hindi)


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