विचार / लेख
कर्नाटक में हाईकोर्ट के एक फैसले और राज्य सरकार के रवैए की वजह से लाखों लोगों की जिंदगी पटरी से उतर गई है। अदालत ने पूरे राज्य में बाइक टैक्सी पर पाबंदी लगा दी है। इसका असर लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर पड़ा है।
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी का लिखा-
दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य की राजधानी बेंगलुरु में ही करीब एक लाख लोग बाइक टैक्सी चला कर अपनी रोजी-रोटी कमाते थे। छात्रों और नौकरीपेशा लोगों के लिए भी यह सेवा काफी मुफीद थी। एक तरफ यह सस्ती थी तो दूसरी तरफ ट्रैफिक जाम के लिए कुख्यात महानगर में कुछ हद तक राहत देने वाली। कई छात्र और छोटी-मोटी नौकरी करने वाले लोग भी पार्ट टाइम काम कर इसके जरिए कुछ पैसा कमा लेते थे। अब उनके सामने असमंजस की स्थिति है। दूसरी ओर, इस सेवा का इस्तेमाल करने वाले लोगों का खर्च भी दोगुना तक बढ़ गया है।
बाइक टैक्सी वालों की कमाई बंद
दिल्ली समेत देश के 14 राज्यों में बाइक टैक्सी के संचालन को कानूनी अनुमति हासिल है। इनमें दक्षिण भारत के गोवा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश के साथ ही कर्नाटक से सटा महाराष्ट्र भी शामिल है। मंगलुरू के रहने वाले दिलीश पी। रेड्डी भी यहां बाइक टैक्सी चला कर रोजाना करीब तीन हजार रुपए कमा लेते थे। इससे उनके परिवार और गांव में रहने वाले माता-पिता का खर्च भी चलता था।
रेड्डी डीडब्ल्यू ने डीडब्ल्यू से कहा, ‘अब समझ में नहीं आ रहा है कि आगे कैसे चलेगा?’ एक आईटी कंपनी में काम करने वाली सुमित्रा बनर्जी ने डीडब्ल्यू को बताया, ‘मैं पहले घर से दफ्तर तक 50 रुपए में पहुंच जाती थी। लेकिन अब ऑटो वाले इसके लिए 120 से 150 रुपए तक ले रहे हैं। खर्च दोगुने से ज्यादा बढ़ गया है।’एम।कॉम की छात्रा लक्षिथा राव भी इसी समस्या से जूझ रही है।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने बीते अप्रैल में ही कहा था कि अगर राज्य सरकार समुचित नियम और दिशानिर्देश तय नहीं करती तो 15 जून से इस बाइक टैक्सी के संचालन पर पाबंदी लगा दी जाएगी। सरकार ने नीतिगत फैसले के तहत ऐसा करने से इंकार कर दिया।
क्या बेंगलुरू अब एक मरता हुआ शहर है
ओला, उबर ओर रैपिडो जैसी कंपनियां यहां बाइक टैक्सियों का संचालन करती थीं। उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले को बड़ी बेंच में चुनौती दी थी। हालांकि उसने भी इस पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। अदालत ने यह जरूर कहा कि अगर सरकार इस सेवा के नियम बनाने पर सहमति दे दे तो वह इस पर लगी रोक हटाने पर विचार कर सकती है। दूसरी तरफ सरकार ऐसा नहीं करने के अपने रुख पर अड़ी रही।
परिवहन मंत्री रामालिंगा रेड्डी ने बेंगलुरू में पत्रकारों से कहा, ‘सरकार की निगाह में यह सेवा गैरकानूनी है और इसे जारी रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती।’ राज्य सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर डीडब्ल्यू को बताया, ‘बाइक टैक्सी चलाने वालों के खिलाफ छेड़छाड़ और अश्लील हरकतों की बढ़ती शिकायतों की वजहों से ही सरकार ने इस मामले में कड़ा रुख अपना कर सेवा को बंद करने का समर्थन किया है।’ खासकर राजधानी में अक्सर ऐसी घटनाएं सुर्खियां बटोरती रही हैं।
बेंगलुरु में ट्रैफिक की समस्या
बेंगलुरु की ट्रैफिक जाम की समस्या अक्सर सुर्खियों में रही है। इसकी वजह भी है। करीब 1.4 करोड़ की आबादी वाली महानगर में 1.2 करोड़ गाडिय़ां हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 67.20 प्रतिशत दोपहिया वाहन और 20.57 प्रतिशत कारें हैं। इनके अलावा तिपहिया यानी ऑटो की तादाद 2.81 प्रतिशत है। माल ढोने वाले हल्के और भारी वाहनों की तादाद 2.29 और 2.37 प्रतिशत है। इसके अलावा उपनगरों से रोजाना करीब 25 लाख लोग नौकरी और काम के सिलसिले में यहां पहुंचते हैं।
भारत में जानलेवा बन रही है गलत दिशा में ड्राइविंग
एक डच फर्म टॉम टॉम ने इस साल जनवरी में अपनी एक रिपोर्ट में बेंगलुरू के ट्रैफिक में लगने वाले यात्रा के समय को कोलंबिया के बैरेंक्विला और कोलकाता के बाद तीसरा सबसे धीमा बताया था। इसमें कहा गया था कि 2024 में यहां 10 किलोमीटर की दूरी तय करने में औसतन 30 मिनट 10 सेकेंड का समय लगता है। यह वर्ष 2023 के मुकाबले 50 सेकेंड ज्यादा है।
सरकार भी ट्रैफिक समस्या की बात मानती है। उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने हाल में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था, ‘बेंगलुरु को दो-तीन सालों में नहीं बदला जा सकता। भगवान भी ऐसा नहीं कर सकता। समुचित योजना बना कर उनको जमीनी स्तर पर लागू करने के बाद ही इस समस्या पर अंकुश लगाया जा सकता है।’
बाइक टैक्सी की समस्या का समाधान क्या है
नम्मा बाइक टैक्सी एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत विभिन्न राजनीतिक दलों से बाइक टैक्सी के मामले में हस्तक्षेप की अपील की है। उसने अपने पत्र में कहा है कि इससे राज्य के एक लाख से ज्यादा लोगों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ गई है। इसलिए पाबंदी की बजाय समस्या का कोई विकल्प तलाशना जरूरी है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद सलीम डीडब्ल्यू से कहते हैं, ‘बाइक टैक्सी को नियमित करने के लिए एक नीतिगत ढांचा तैयार किया जाना चाहिए। बिना किसी विकल्प के इसे बंद करना उचित नहीं है। इससे लाखों लोगों की आजीविका जुड़ी है।’
परिवहन विभाग के एक पूर्व अधिकारी सी।एम। येदियुरप्पा ने डीडब्ल्यू से कहा, ‘सरकार को बाइक टैक्सी के लिए एक फारवर्ड लुकिंग अर्बन मोबिलिटी पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार करना चाहिए। इसमें लाइसेंस से लेकर सुरक्षा दिशानिर्देशों तक सब कुछ शामिल किया जा सकता है। यह सेवा हाल के वर्षों में खासकर राजधानी की लाइफ लाइन बन कर उभरी है।’
बाइक टैक्सी चलाने वाले इस सेवा को बहाल करने की मांग में आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन सरकार के रुख को देखते हुए इस समस्या के तुरंत समाधान की उम्मीद कम ही है। हाईकोर्ट में 24 जून को इस मामले की अगली सुनवाई होनी है। (dw.com/hi)