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फादर के सामने नखरे चलते हैं, गॉडफादर के सामने नहीं
01-Mar-2025 2:43 PM
फादर के सामने नखरे चलते हैं, गॉडफादर के सामने नहीं

- प्रकाश के रे

कभी लेनिन ने कहा था कि यूरोप में शांति का दौर इसलिए रहा था क्योंकि करोड़ों लोगों के ऊपर यूरोप का औपनिवेशिक शासन था, जो लगातार युद्धों से बनाये रखा जाता था, पर उन्हें युद्ध नहीं कहा जाता था क्योंकि वे यूरोपीय शासकों को युद्ध जैसे नहीं दिखते, बल्कि उनमें जघन्य जनसंहार और निहत्थे लोगों का समूल नाश किया जाता था।

लेनिन ने कठिन शर्तों पर पहले महायुद्ध में समझौता कर लिया था। उन्होंने अपने एक दूत को कहा था कि शांति के लिए जरूरी हो, तो स्कर्ट पहन के भी जाओ। हंगरी के प्रधानमंत्री ओर्बान ने ठीक कहा है कि मजबूत लोग शांति स्थापित करते हैं और कमज़ोर लोग लड़ाई करते हैं।

ज़ेलेंस्की और उनके यूरोपीय हैंडलरों ने यूक्रेन संकट को बहुत बढ़ा दिया है। भले यूरोप के कई नेता ज़ेलेंस्की के साथ खड़े रहने की घोषणा कर रहे हैं, पर सवाल यह है कि इस साथ खड़े होने का मतलब क्या है।

क्या यूरोपीय नेता ट्रम्प और उनके प्रशासन की योजना को बदल देंगे? क्या उनके पास ऐसी वित्तीय और सैनिक ताकत है, जो यूक्रेन को लंबे समय तक लडऩे में मददगार हो सके? क्या यूरोपीय देशों में और देशों के भीतर पूरी एकता है? हंगरी के प्रधानमंत्री ने ट्रम्प का समर्थन किया है। ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी में अनेक राजनीतिक दल अपनी सरकारों के साथ नहीं हैं। निवेशक भी भविष्य देख पा रहे हैं, इसी कारण व्हाइट हाउस में झगड़े के बाद यूरोपीय स्टॉक फ्य़ूचर्स में गिरावट आयी, तो वाल स्ट्रीट ऊपर चढ़ा।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्टार्मर ने ट्रम्प से फिर बात की है। असल में कुछ यूरोपीय नेता, विशेषकर फ्रांस के मैक्रों और ब्रिटेन के स्टार्मर, बस इतना चाहते हैं कि यूक्रेन पर होने वाले किसी समझौते में उनकी भी जगह हाई टेबल पर हो। पर यह न तो ट्रम्प को स्वीकार है और न ही पुतिन इसे मानेंगे।

दूसरे महायुद्ध में जब हिटलर के खिलाफ लाल सेना पूर्वी मोर्चे पर डटी हुई थी, तब अमेरिका के सहयोग से ब्रिटेन और कुछ यूरोपीय देशों ने नॉरमैंडी लैंडिंग कर फ्रांस में प्रवेश किया था तथा हिटलर के खिलाफ दूसरा मोर्चा खोल दिया था। क्या आज यूरोप ऐसा फिर से कर पाने में सक्षम है? अगर यूरोप इस लड़ाई को भडक़ायेगा, तो इसका नतीजा तो बड़ा युद्ध ही होगा। पश्चिम यूरोपीय शहरों पर मिसाइले गिरेंगी और पूर्वी यूरोप के अनेक छोटे-छोटे देशों पर रूस का कब्जा भी संभावित होगा।

अभी जो लड़ाई चल रही है, वह अब और बढ़ सकती है। रूस की बहुत इच्छा है ओडेसा पर कब्जे की। अब वह भी संभव है। अमेरिका ने एनर्जी ग्रिड मरम्मत की बड़ी मदद रोक दी है। यूक्रेन में दिये पैसे की जाँच की माँग हो रही है। वहाँ का इंटरनेट और सैटेलाइट संचार अमेरिका की कृपा से चल रहा है।

यूक्रेन में अधिक उम्र के लोग लड़ाई कर रहे हैं। उन्हें जबरदस्ती मोर्चे पर भेजा जा रहा है। बड़ी संख्या में सैनिक लड़ाई से भाग रहे हैं। बड़ी संख्या में युवा देश छोडक़र भाग चुके हैं। यूक्रेन की जमीन और संपत्ति की बिकवाली लंबे समय से हो रही है। लंपट नव-नाजी गिरोहों की हेकड़ी ख़त्म हो चुकी है।

ऐसे में जेलेंस्की को समझ जाना चाहिए कि अमेरिका और यूरोप ने उन्हें प्यादे के रूप में इस्तेमाल किया है। यूरोप तो खुद अमेरिका का पिछलग्गू है, वह क्या आगे मदद कर सकेगा! फादर के सामने नखरे चलते हैं, गॉडफ़ादर के सामने नहीं। कल दुनिया ने फिर यह देखा।


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