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‘मिसेज’ फिल्म की पाक में क्या है चर्चा, औरतें खुद को इससे जोड़ कैसे देख रहीं..
23-Feb-2025 4:09 PM
‘मिसेज’ फिल्म की पाक में क्या है चर्चा,  औरतें खुद को इससे जोड़ कैसे देख रहीं..

-ताबिन्दा कौकब

‘वेलकम टु दी फैमिली, अब आप हमारी बेटी हैं।’

शादी के दिन अपने ससुर से यह बात सुनकर कोई भी दुल्हन जरूर खुश होगी और आगे आने वाले दिनों के लिए काफी भरोसा भी महसूस करेगी। लेकिन शायद बहुत सारी भारतीय और पाकिस्तानी लड़कियों के लिए यह केवल एक टूटा हुआ सपना साबित हो।

यह डायलॉग एक ऐसी फि़ल्म का है जिसे पिछले कुछ दिनों से भारत और पाकिस्तान के सोशल मीडिया और गूगल पर सबसे ज़्यादा बार सर्च किया गया है।

फिल्म ‘मिसेज’ में हालांकि विषय वही पुराना है यानी लड़कियों पर शादी के बाद ससुराल में जिम्मेदारियों का बोझ, शादी से पहले सपनों का टूटना और पति के साथ दाम्पत्य जीवन की समस्याएं वग़ैरह। लेकिन यह एक संयुक्त परिवार में अरेंज मैरिज की कुछ सच्चाइयों को बयान करती है।

कुछ सीन दर्शकों के लिए बहुत परेशान करने वाले हैं लेकिन फिर भी कई महिलाएं इनमें अपनी जि़ंदगी की झलक देखती हैं।

इस फिल्म में जिस समस्या को उजागर किया गया है वह है पति-पत्नी का वैवाहिक संबंध।

सेक्स लाइफ में असंवेदनशील रवैया

शादी के दिन ऋचा और उनके पति दिवाकर में भावनात्मक अंतर साफ नजर आता है।

ऋचा के पति का रोमांस चार दिन में खत्म हो जाता है और इसके बाद वह रोजमर्रा अंदाज में केवल सेक्स के लिए उनके पास आते हैं।

दिवाकर को फिल्म में स्त्री रोग विशेषज्ञ दिखाया गया है लेकिन फिल्म देखने वालों की भी यही राय है कि गाइनेकोलॉजिस्ट होकर भी उन्हें सेक्स के दौरान औरत को होने वाली तकलीफ का एहसास नहीं।

ऋचा के पति को इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि बीवी शारीरिक संबंध के लिए तैयार है भी या नहीं। इसकी वजह से ऋचा उन्हें यह कहते नजर आती हैं कि वह केवल ‘मैकेनिकल सेक्स’ नहीं करना चाहतीं।

फिल्म में पति जब एक मौके पर पत्नी को चूमने की कोशिश करता है तो वह कहती हैं कि उन्हें ‘बदबू आ रही है’, जिस पर पति कहता है, ‘तुमसे किचन की महक आ रही है और यह दुनिया की सबसे सेक्सी महक है।’

लेकिन थोड़ा वक्त बीतने के बाद यही पति पत्नी की ओर से प्यार करने और ‘फोरप्ले’ के लिए कहने पर उस पर ‘सेक्स एक्सपर्ट’ होने का तंज कसता है और कहता है कि तुमसे क्या प्यार करूं, ‘तुमसे तो हर वक्त किचन की बू आती है।’

सोशल मीडिया पर फि़ल्म के दर्शकों का कहना है कि यह एक महत्वपूर्ण समस्या है जिससे अक्सर मर्द नजर बचाते हैं।

फिल्म की मुख्य किरदार ऋचा की तरह कई महिलाएं इस वजह से सेक्स से बचने की कोशिश करती हैं क्योंकि इस संबंध में मर्द की तरफ़ से रोमांटिक पहल कम हो जाती है और घर के काम से थक जाने वाली महिलाएं और थकान से बचने के लिए कमरे में ही नहीं जातीं।

बिल्कुल ऐसे जैसे फिल्म में ऋचा एक सीन में लाउंज के सोफे पर सो जाती हैं।

सेक्स को लेकर महिलाओं का ऊहापोह

महिला अधिकारों की सक्रिय कार्यकर्ता और ब्रिटेन में बच्चों की विशेषज्ञ के तौर पर काम करने वाली डॉक्टर एविड डीहार कहती हैं, ‘शारीरिक लिहाज से महिलाओं के कई काम होते हैं। महिलाओं के हार्मोन्स मासिक चक्र के दौरान उतार-चढ़ाव के शिकार रहते हैं।’

उनका कहना है कि हार्मोन्स में यह मासिक तौर पर होने वाला उतार-चढ़ाव उदासी, थकावट और शरीर में ऊर्जा की कमी का कारण बन सकता है।

वो कहती हैं, ‘और ऐसी स्थिति में महिलाएं सेक्स को लेकर ऊहापोह का शिकार हो जाती हैं और उनकी यौन इच्छा कम या अधिक हो सकती है।’

‘इसलिए अगर पति अपनी पत्नी के शरीर और रवैए में होने वाले इन बदलावों को सही समय पर समझ पाए तो वह अपनी जीवनसाथी के साथ बेहतर यौन संबंध बनाए रख सकता है। महिलाओं के शरीर में हार्मोन्स की अस्थिरता का मतलब यह है कि वह हमेशा यौन संबंध बनाने के लिए तैयार नहीं हो सकतीं।’

एविड डीहार कहती हैं ‘ऐसी स्थिति में महिलाओं को सेक्स के लिए मजबूर करना खतरनाक हो सकता है और इससे उनके जननांग के नुकसान पहुंचने का खतरा होता है। इसके साथ-साथ महिलाओं को गंभीर मानसिक आघात लग सकता है। और फिर इससे उबरने के लिए प्रभावित महिलाओं को वर्षों शारीरिक और मानसिक इलाज की ज़रूरत पड़ सकती है।’

बेटे और बहू के लिए अलग-अलग रवैया

शादी के बाद लडक़ी घर के काम ही करेगी, इस सोच का पता शादी के तोहफों से भी लगता है। जैसे इस फिल्म की किरदार ऋचा को भी अधिकतर किचन के इस्तेमाल की चीजें तोहफे में मिलती हैं।

ऋचा भी ससुर और पति की ख़ुशी के लिए अपने डांस के शौक़ को भुलाकर न केवल सास की अनुपस्थिति में घर के कामों में लगी रहती है बल्कि बेहतर से बेहतर खाना पकाने की कोशिश भी करती है।

लेकिन वक्त के साथ-साथ उन्हें लगता है कि वह कुछ भी करें, उनकी तारीफ नहीं हो रही। ऋचा की मां भी उन्हें हालात से ‘एडजस्ट’ करने को कहती हैं।

एक मौके पर ऋचा के ससुर उन्हें कपड़े तक हाथ से धोने को कहते हैं क्योंकि उनके अनुसार मशीन में धुलाई से पसीने के दाग नहीं छूटते।

फिल्म देखने वालों के लिए वह सीन भी हैरान करने वाला था जब पीरियड आने पर ऋचा को उनके पति किचन में जाने से रोक देते हैं।

लेकिन इसका फ़ायदा यह होता है कि पांच दिन के लिए ऋचा को जि़म्मेदारियों से आज़ादी और आराम करने का समय मिल जाता है।

दूसरी ओर छुआछूत पर विश्वास करने वाले उनके पति और ससुर के लिए यह समय मुश्किल हो जाता है।

भारत और नेपाल के कुछ इलाक़ों में अब भी पीरियड के दिनों में औरतों को न केवल किचन में नहीं जाने दिया जाता बल्कि कुछ इलाक़ों में तो उन्हें घर की चारदीवारी से भी बाहर निकाल दिया जाता है।  (बाकी पेज 8 पर)

ऋचा कामकाज की मुश्किलें तो सह जाती हैं लेकिन उस वकत दुखी हो जाती हैं जब उन्हें उनके शौक ‘डांस’ से न केवल रोका जाता है बल्कि सोशल मीडिया से डांस के पुराने वीडियोज भी डिलीट करने को कहा जाता है।

एक वकत आता है जब ऋचा को एहसास होता है कि कुछ भी करने का कोई फायदा नहीं। और वह घर छोड़ कर चली जाती हैं। लेकिन उनके माता-पिता उन्हें वापस जाने को कहते हैं।

तब वह कहती हैं, ‘आप जैसे मां-बाप ने बेटों को बिगाड़ रखा है। बेटा नहीं हूं, मैं बेटी हूं। जो इज्जत बेटों को मिलती है, वह बेटियों को भी मिलनी चाहिए।’

फिल्म के आखिरी सीन में ऋचा और दिवाकर को अपने-अपने जीवन में आगे बढ़ते दिखाया गया है।

ऋचा अपने डांस का शौक़ पूरा करती नजर आती हैं और दिवाकर के घर में एक नई बहू उसी जुस्तजू और मेहनत में मगन नजऱ आती हैं जो कभी ऋचा के जीवन का हिस्सा रहा था।

‘भारत-पाक की महिलाओं की जिंदगी का आईना’

भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में इस फिल्म पर सोशल मीडिया यूजर्स के कमेंट्स सामने आ रहे हैं।

जहां एक तरफ फिल्म की मुख्य भूमिका में नजर आने वाले मर्द अदाकारों की तस्वीरों के साथ यह कहा जा रहा है कि ‘इस वक्त सबसे ज़्यादा नफरत बटोरने वाले मर्द हैं’ तो दूसरी और महिलाओं की समस्याओं को इतने अच्छे ढंग से सामने लाने पर फिल्म की तारीफ भी हो रही है।

एक सोशल मीडिया यूजर मेहनाज अख्तर ने कमेंट किया, ‘अगर आप एक घरेलू महिला हैं तो इसमें आपके लिए कुछ नया नहीं है। जो 24म7 जीवन में चल रहा हो वही स्क्रीन पर क्या देखना, क्यों देखना? हां, मर्दों को मशवरा है कि वह यह फिल्म जरूर देखें। ऐसी फिल्में मर्दों के लिए ही खासतौर पर बनाई जाती हैं।’

इकरा बिन्त सादिक नाम की सोशल मीडिया यूजर ने कहा, ‘झगड़ा बर्तन धोने, चटनी पीसने या घर की सफाई खुद करने का नहीं है! कभी भी नहीं था! झगड़ा बस यह है कि अगर आपने किसी के लिए अपने घर या अपनी जिंदगी में यह किरदार तय किया है’ तो कम से कम इसको निभाने के लिए उसे इज्जत भी दें।’

मोमिना अनवर ने टिप्पणी करते हुए लिखा, ‘मिसेज़ केवल एक फिल्म नहीं, हिंदुस्तानी और पाकिस्तानी औरतों की जिंदगी का आईना है। यह एक ऐसी फिल्म है जो हर औरत और मर्द को देखनी चाहिए। यह न केवल हमारे समाज की तल्ख हकीकतों को बेनक़ाब करती है बल्कि हमें सोचने पर मजबूर करती है कि रिश्तों में इज़्ज़त, बराबरी और इंसानियत का होना कितना ज़रूरी है।’

प्रसाद कदम नाम के एक यूजऱ का कहना था, ‘मुझे याद है, मैंने एक बार बिरयानी बनाई थी। मेरे मां-बाप ने मेरी तारीफ की थी लेकिन मेरी बहन ग़ुस्से में थी। उसने बहुत मेहनत की थी जबकि मैंने केवल बिरयानी में लगने वाले सामान को मिलाया था। मैंने बावर्चीखाने में गंदगी फैला दी, मुझे यह भी याद नहीं है कि उसे किसने साफ किया था। यह पितृसत्तात्मक सोच भारतीय घरानों की सच्चाई है। भारतीय मर्दों की परवरिश में कुछ ठीक नहीं है।’

एक और पुरुष यूजर ने हल्के-फुल्के मूड में एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें वह कह रहे हैं, ‘मेरी बीवी ने अभी ‘मिसेज’ मूवी देखी है और वह मुंह फुलाकर बैठ गई है। मैं खाना बनाता हूं, अभी आलू के पराठे बना रहा हूं। फिल्म बनाने वाले यह डिस्क्लेमर दिया करें कि यह सबके लिए नहीं है। हर औरत एक जैसी नहीं होती और सभी मर्द एक जैसे नहीं होते।’ ((bbc.com/hindi)


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