विचार / लेख
-चंदन कुमार
परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष होमी सेठना ने 1972 में अपने विभाग में उप सचिव पद पर काम कर रहे टीएन शेषन की गोपनीय रिपोर्ट खराब कर दी थी।
इसके जवाब में शेषन ने अपना बचाव करते हुए कैबिनेट सचिव टी स्वामीनाथन को 10 पन्नों का पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि उनके खिलाफ की गई टिप्पणी को उनकी गोपनीय रिपोर्ट से हटा दिया जाए।
तीन महीने बाद उनके पास प्रधानमंत्री कार्यालय से फ़ोन आया कि प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी उनसे मिलना चाहती हैं। जब शेषन उनके साउथ ब्लॉक के दफ़्तर में घुसे तो वो फ़ाइल पर कुछ लिख रही थीं।
अपनी आत्मकथा ‘थ्रू द ब्रोकेन ग्लास’ में टीएन शेषन लिखते हैं, ‘इंदिरा गाँधी ने फाइल से सिर उठा कर मुझसे पूछा तो आप शेषन हैं? आप इस तरह का दुव्र्यवहार क्यों कर रहे हैं? सेठना आपसे नाराज़ क्यों हैं? मैंने विनम्रतापूर्वक जवाब दिया मैडम मैंने ये बात आज तक किसी को नहीं बताई है। विक्रम साराभाई और होमी सेठना में गंभीर मतभेद हैं। मैं विक्रम के साथ काम कर रहा था इसलिए सेठना मेरे ख़िलाफ़ हो गए हैं। ’
इंदिरा ने पूछा, क्या आप आक्रामक हैं? मैंने जवाब दिया अगर मुझे कोई काम दिया जाता है तो मैं आक्रामक होकर उसे पूरा करता हूँ। इंदिरा गांधी का अगला सवाल था आप लोगों से रूखा व्यवहार क्यों करते हैं? मैंने कहा कि अगर कोई काम निश्चित समय के अंदर नहीं होता तो मेरा व्यवहार खराब हो जाता है।’ ‘इंदिरा ने फिर पूछा क्या आप लोगों को धमकाते हैं?
मैंने कहा मैं इस तरह का शख्स नहीं हूँ। इंदिरा गांधी ने अपने असिस्टेंट से कहा, ‘उन्हें बुलाइए’। तभी होमी सेठना इंदिरा गाँधी के दफ्तर में दाखिल हुए। इंदिरा ने मेरे सामने ही उनसे पूछा- आपने इस युवा शख़्स की गोपनीय रिपोर्ट में ये सब क्यों लिखा है?’
फिर उन्होंने मेरी तरफ इस तरह देखा मानो कह रही हों, अब तुम यहाँ क्या कर रहे हो? मुझे लगा कि इंदिरा गाँधी भी मुझसे नाराज हैं। लेकिन 10 दिन बाद मुझे सरकार का पत्र मिला कि मेरे खिलाफ़ सभी प्रतिकूल प्रविष्टियाँ मेरी गोपनीय रिपोर्ट से हटा दी गई हैं।’