विचार / लेख

-रवि तिवारी
आज हम लोग (मैं, अंशुल बेगानी और नवीन पडिहार) रायपुर से लगभग 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिहावा पहुंचे महानदी का उद्गम स्थल देखने के लिए, पहुंचने से पहले तक हम सब लोगों के मन में बहुत उत्साह था, कई कल्पनाएं थी उद्गम स्थल को लेकर, क्योंकि हम लोग अमरकंटक में नर्मदा का उद्गम स्थल देख चुके थे, किंतु सिहावा पहुंचने पर अत्यधिक निराशा हुई, एक तो वहां पहुंच मार्ग तक पहुंचने के लिए कोई भी शासकीय साइन बोर्ड नहीं दिखाई दिया, पर्यटन मंडल या विभाग को कोई योगदान भी दिखाई नहीं दिया, सिहावा चौक से बस्ती के बीच से पूछते-पूछते वहां तक पहुंचे, वहां देखते हैं कि नदी के किनारे एक छोटा सा मंदिर नुमा इमारत खड़ी थी, वहां से नीचे की तरफ सीढ़ियों से सामने बहता हुआ नाला या नदी जो भी कह ले दिखाई दिया इसे ही नदी कहते होंगे क्योंकि वहां पर बताने वाला कोई भी नहीं था, मंदिर नुमा इमारत के निचले भाग में चट्टान के मध्य छोटी सी जगह दिखाई दी जिसे वहां उपस्थित सैनालियों ने बताया कि यही उद्गम स्थल है (तस्वीर में देख सकते हैं) जिससे अब पानी आना बंद हो गया है, इसमें पानी पहाड़ी के ऊपर बने कुंड से पानी आता था और यही महानदी का उद्गम स्थल है। इस मंदिर के बाहर भी लिखा हुआ है महानदी का उद्गम स्थल, साथ ही पास की लगी हुई दीवार पर महानदी के उद्गम की गाथा लिखी हुई थी, जिसे आप तस्वीर में देख सकते हैं।
पहाड़ी के ऊपर एक आश्रम या मंदिर महर्षि श्रृंगी ऋषि का है जिसमें एक कुंड है और उसमें थोड़ा पानी है कहा जाता है कि यही से महानदी का उद्गम हुआ जो पहाड़ों के अंदर से नीचे बने मंदिर के पास से निकलता हुआ नदी का रूप लिया था, किंतु अब ना तो वहां से कोई पानी बहता दिखाई देता है और नहीं कुंड से निकलता हुआ पानी।
महानदी भारत की सुप्रसिद्ध नदियों में से एक गिनी जाती है जो छत्तीसगढ़ से निकल कर उड़ीसा राज्य से बहती हुई बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। इसकी कुल लंबाई 858 किलोमीटर की बताई जाती है। उड़ीसा में 1957 में बना हीराकुंड डैम इसी नदी पर बना हुआ है।यह छत्तीसगढ़ व उड़ीसा दोनों राज्यों की जीवन रेखा मानी जाती है।
इतनी महत्वपूर्ण नदी का उद्गम स्थल इतना उपेक्षित होगा कल्पना से परे रहा। छत्तीसगढ़ का पर्यटन विभाग क्यों नहीं इसकी देखरेख या विकास नहीं कर पाया समझ से परे है। अमरकंटक की भाती इस स्थान को भी रमणीक व दर्शनीय बनाया जा सकता था, क्योंकि प्रकृति ने इस स्थान को बहुत सुंदरता प्रदान की हुई है केवल उसको संवारने की जरूरत थी किंतु अफसोस इतने सालों में भी यह हो ना सका। पहुंचने वाला हर पर्यटक निराश होकर लौटता है इसके लिए किसे जिम्मेदार माने और किसे नहीं इस पर बहस करने से कही अधिक बेहतर होगा यदि वर्तमान सरकार इस पर ध्यान देकर इसे छत्तीसगढ़ का अमरकंटक बना दे।