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जॉर्ज सोरोस कौन हैं, जिनका नाम लेकर कांग्रेस पर निशाना साध रही है बीजेपी
10-Dec-2024 4:19 PM
जॉर्ज सोरोस कौन हैं, जिनका नाम लेकर  कांग्रेस पर निशाना साध रही है बीजेपी

भारत के अरबपति कारोबारी गौतम अदानी के मुद्दे पर संसद में चल रही खींचतान के बीच अब बीजेपी ने अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के बीच कथित संबंध का आरोप लगाया है।

सोमवार को बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ‘फोरम फॉर डेमोक्रेटिक लीडर्स ऑफ़ एशिया पैसिफिक’ से कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी से संबंध होने के आरोप लगाए हैं।

बीजेपी का आरोप है कि इस फोरम में भारत विरोधी और पाकिस्तान के समर्थन की बातें हो रही हैं। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि इस फोरम की फंडिंग जॉर्ज सोरस के फाउंडेशन से हो रही है। हालाँकि इन आरोपों का कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे कई विपक्षी दलों ने बेबुनियाद कहकर खंडन किया है।

क्या है बीजेपी का आरोप

बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी इससे पहले राज्यसभा में भी आरोप लगा चुके हैं कि ओसीसीआरपी (ऑर्गेनाइज़्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट), जो कि एक फ्रेंच पब्लिकेशन है, उसने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में कहा है कि इस प्रोजेक्ट को विदेशी फंडिंग है और इसका फोकस इंडिया पर भी है।

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, ‘इस रिपोर्ट को विदेशी फंडिंग के अलावा इसके संबंध जॉर्स सोरोस से भी हैं।’

उन्होंने सवाल किया कि बीते तीन साल से क्या ये एक संयोग रहा है कि जब भी भारत में संसद का सत्र चलता है तभी पेगासस रिपोर्ट, किसान आंदोलन, मणिपुर हिंसा और हिंडनबर्ग जैसी घटनाएं होती हैं।

सुधांशु त्रिवेदी ने दावा किया कि इसी सिलसिले में कोविड वैक्सिन पर भी रिपोर्ट छपती है और मौजूदा सत्र से पहले अमेरिकन अटॉर्नी की एक रिपोर्ट भारत के बिजनेस हाउस से बारे में आती है।

दरअसल, नवंबर महीने के आखिरी दिनों में भारतीय कारोबारी गौतम अदानी पर अमेरिका में अभियोग की रिपोर्ट सामने आई थी।

गौतम अदानी पर अपनी एक कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिलाने के लिए 25 करोड़ डॉलर की रिश्वत देने और इस मामले को छिपाने का आरोप लगाया गया है।

इसके बाद से ही पर कांग्रेस पार्टी लगातार बीजेपी पर हमलावर है और इस मुद्दे को संसद में भी उठाने की कोशिश करती रही है। कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर जेपीसी की मांग भी कर चुकी है। सुधांशु त्रिवेदी ने राज्यसभा में सवाल खड़े किए कि यह सब जानबूझकर हो रहा है या अनजाने में।

इससे पहले, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोरोस फाउंडेशन में काम करने वाले लोगों के बीच संबंधों का आरोप लगाया था।

निशिकांत दुबे ने गुरुवार को इस मुद्दे को संसद में भी उठाया था और संसद के बाहर भी इस मुद्दे पर मीडिया में बयान दिया था।

हालांकि कांग्रेस नेता शशि थरूर ने निशिकांत दुबे के आरोप को संसदीय विशेषाधिकार के खिलाफ बताया है। शशि थरूर ने आरोप लगाया है कि संसद के नियमों के खिलाफ राहुल गांधी को बिना नोटिस दिए निशिकांत दुबे को बोलने की अनुमति दी गई।

सोरोस पहले भी रहे हैं बीजेपी के निशाने पर

वहीं बीजेपी सांसद किरेन रिजिजू का कहना है कि कुछ मुद्दों पर राजनीतिक चश्मे से बाहर आकर देखना चाहिए और सभी को मिलकर देश विरोधी ताक़तों से लडऩा चाहिए।

रिजिजू ने आरोप लगाया है, ‘जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन के साथ कई ऐसी ताक़ते हैं जो भारत के खिलाफ काम करती हैं। ’

अमेरिकी अरबपति कारोबारी जॉर्स सोरोस के मुद्दे पर बीजेपी पहले भी हमलावर रही है।

पिछले साल की शुरुआत में जर्मनी के म्यूनिख़ में रक्षा सम्मेलन में जॉर्ज सोरोस ने कहा था भारत एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं और मोदी के तेज़ी से बड़ा नेता बनने की अहम वजह भारतीय मुसलमानों के साथ की गई हिंसा है।

सोरोस ने भारतीय कारोबारी गौतम अदानी का भी जि़क्र किया था और कहा था, ‘मोदी और अरबपति अदानी में कऱीबी रिश्ते हैं। दोनों का भविष्य एक-दूसरे से बंधा हुआ है। अदानी पर स्टॉक मैनीपुलेशन के आरोप हैं और मोदी इस मामले पर खामोश हैं लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों और संसद में सवालों के जवाब देने ही होंगे।’

सोरोस के इस बयान के फौरन बाद तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने एक प्रेस कॉन्फ्ऱेंस कर कहा कि जॉर्ज सोरोस का बयान भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बर्बाद करने की घोषणा है।

सोरोस के बयान पर उस वक़्त भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि सोरोस की टिप्पणी ठेठ ‘यूरो अटलांटिक नज़रिये’ वाली है।

जयशंकर ने कहा था, ‘सोरोस एक बूढ़े, रईस, हठधर्मी व्यक्ति हैं जो न्यूयॉर्क में बैठकर सोचते हैं कि उनके विचारों से पूरी दुनिया की गति तय होनी चाहिए।’

सबसे पहले, जनवरी 2020 में दावोस में हुई वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेते हुए सोरोस ने कहा था कि भारत को हिंदू राष्ट्रवादी देश बनाया जा रहा है।

कौन हैं जॉर्ज सोरोस?

जॉर्ज सोरोस एक अमेरिकी अरबपति उद्योगपति हैं। ब्रिटेन में उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की तरह जाना जाता है जिसने साल 1992 में शॉर्ट सेलिंग से बैंक ऑफ इंग्लैंड को बर्बादी की हद तक हिला दिया था। उनका जन्म हंगरी में एक यहूदी परिवार में हुआ था। हिटलर के नाज़ी जर्मनी में जब यहूदियों को मारा जा रहा था तो वो किसी तरह सुरक्षित बच गए।

बाद में वे कम्युनिस्ट देश से निकलकर पश्चिमी देश आ गए थे। शेयर मार्केट में पैसा लगाने वाले सोरोस ने शेयर बाज़ार से कऱीब 44 अरब डॉलर कमाए। इस पैसे से उन्होंने हज़ारों स्कूल, अस्पताल बनवाए। सोरोस ने लोकतंत्र और मानवाधिकार के लिए लडऩे वाले संगठनों की मदद की।

साल 1979 में सोरोस ने ओपन सोसाइटी फाउंडेशन की स्थापना की जो अब कऱीब 120 देशों में काम करती है। उनके इस काम की वजह से वो हमेशा दक्षिणपंथियों के निशाने पर भी रहते हैं। उन्होंने साल 2003 के इराक़ युद्ध की आलोचना की थी और अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी को लाखों डॉलर दान में दिए थे। इसके बाद से उनपर अमेरिकी दक्षिणपंथियों के हमले और तेज होने लगे।

साल 2019 में ट्रंप ने एक वीडियो को रिट्वीट करते हुए दावा किया था कि होन्डुरास से हजारों शरणार्थियों को अमेरिकी सीमा पार करके दाखिल होने के लिए सोरोस ने पैसे दिए थे।

जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या इसके पीछे सोरोस हैं तो ट्रंप का जवाब था बहुत से लोग ऐसा ही कहते हैं और अगर ऐसा है तो वो भी इससे हैरान नहीं होंगे।

बाद में पता चला कि सोरोस ने किसी को कोई पैसे नहीं दिए थे और ट्रंप ने जो वीडियो शेयर किया था वो भी फेक था।

सोरोस के ख़िलाफ़ रहे हैं कई देश

अक्टूबर 2018 में एक अमेरिकी श्वेत श्रेष्ठतावादी (वाइट सुपरेमिस्ट) ने सिनागॉग में गोलीबारी कर 11 यहूदियों को मार दिया था।

गोलीबारी करने वाले रॉबर्ट बोवर्स की सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल से कई बातें पता चलीं। वो मानते थे कि उनकी जैसी विचारधारा रखने वाले श्वेत श्रेष्ठतावादियों के नरसंहार का षडय़ंत्र रचा जा रहा है। उसे लगता था कि इसके पीछे जॉर्ज सोरोस हैं।

लेकिन अमेरिका ही नहीं जॉर्ज सोरोस के ख़िलाफ़ आर्मेनिया, ऑस्ट्रेलिया, रूस और फि़लीपींस में भी अभियान चलाए जाते हैं।

तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप अर्दोआन तक ने कहा था कि सोरोस उस यहूदी साजि़श के केंद्र में हैं जो तुर्की को आपस में बांट कर बर्बाद करना चाहता है।

ब्रिटेन की ब्रेग्जि़ट पार्टी के नाइजल फराज का दावा है कि सोरोस शरणार्थियों को पूरे यूरोप में फैल जाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उनके मुताबिक सोरोस पूरी पश्चिमी दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं।

सोरोस के जन्मस्थान हंगरी की सरकार भी उन्हें अपना दुश्मन मानती है और साल 2018 के चुनाव प्रचार के दौरान हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन ने सोरोस पर ख़ूब निशाना साधा।

उन चुनावों में ऑर्बन की जीत हुई और सोरोस समर्थित संस्थाओं पर सरकारी हमले इतने बढ़ गए कि सोरोस की संस्था ने हंगरी में काम करना बंद कर दिया। (bbc.com/hindi)


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