विचार / लेख

‘बॉयहुड’ फिल्म सामान्य जिन्दगी की है
09-Dec-2024 4:23 PM
‘बॉयहुड’ फिल्म सामान्य जिन्दगी की है

-रति सक्सेना

फिल्म देख रही थी, ‘बॉयहुड’ फिल्म सामान्य जिन्दगी की है, लेकिन अन्त में आए वाक्य ने एक खास पीढ़ी का इतिहास ही खोल दिया। अमेरिकन फिल्मों होने के कारण डायवोर्स आदि सामान्य रूप से आए है।

महिला दो बच्चों की मां है, कि उसका पति प्रेमी उसे छोडक़र डायवोर्स ले लेता है। समस्या बच्चों के स्कूल की फीस और बिल्स की है, वह फिर से पढ़ाई भी शुरू कर चुकी है। दूसरे प्रेम में फंसकर विवाह करती है। यह पति जिसके पहले से दो बच्चे हैं, बच्चों के प्रति बहुत जालिम है, धीरे-धीरे पत्नी को भी मारने-पीटने लगता है तो वह अपने बच्चों को बचाने के लिए दोस्त के घर जाती है। तब तक तीसरा पति दिखाई देता है जो अकड़ू टाइप का है, जिससे भी छुटकारा मिल जाता है।

बेटी कॉलेज चली जाती है, बेटा जाने की तैयारी है, मां कहती है कि तुम लोग अपना सामान ले जाओ, बच्चे समझ नहीं पाते, उनके लिए तो मां बस एक खूंटा थी, जिससे बंधे होने पर वे सुरक्षित रह सकते थे।

स्त्री कहती है मैं प्यार को समझने से पहले ही मां बन गई, शादी करनी पड़ी। मैं बच्चों में खो गई, मेरा पहला पति युवा ही था, वह मुझे छोडक़र गया। तब से सिर्फ मां बनी रही, पढ़ाई की नौकरी और पतियों के तलाक के बाद दूसरे पति भी खोजे। अन्त में न मेरे पास कोई पति है, न ही तुम लोग, तुम्हारी बहन चार साल पहले चली गई, तुम जा रहे हो। मेरी सारी जिंदगी, सारे संघर्ष तुम लोगों के लिए हैं। इस वक्त मेरे पास अपना कहलाने को कोई नहीं है।

बेटा कहता है कि हम क्रिसमस में आएंगे, तो मां कहती है कि तुम लोगों की क्रिसमस की यादें बनाये रखने के लिए मैं अपने बाकी साल यूं ही गुजार दूँ, इससे अच्छा कि मैं किसी छोटे स्कूल के बच्चों को पढ़ाऊँ, कुछ ऐसा काम करूं, जो मुझे मेरे लिए पसन्द हो।


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