विचार / लेख
-अनिल जैन
तमाम मीडिया संस्थानों और सर्वे एजेंसियों के एग्जिट पोल एक बार फिर फर्जी साबित हुए. दोनों ही राज्यों-जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के चुनाव नतीजे एग्जिट पोल्स के ठीक उलट रहे। एग्जिट पोल्स में मुताबिक हरियाणा में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलना बताया गया था, जबकि जम्मू कश्मीर में त्रिशंकु विधानसभा की संभावना जताई गई थी. लेकिन हरियाणा में बहुमत मिला भाजपा को और जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस व कांग्रेस के गठबंधन को।
दरअसल भारत में एग्जिट पोल के अनुमान कभी-कभार ही सही निकलते हैं, ज्यादातर चुनावों में तो उनके औंधे मुंह गिरने का ही रिकॉर्ड है, जो इस बार भी कायम रहा।
दोनों राज्यों के नतीजों में एग्जिट पोल के अनुमान फेल होने के बावजूद एग्जिट पोल करने वाली किसी भी सर्वे एजेंसी, टीवी चैनल या अखबार ने इस बात पर खेद नहीं जताया है कि उसके द्वारा किया गया अथवा दिखाया गया एग्जिट पोल गलत साबित हुआ है। जाहिर है कि सारे मीडिया संस्थान शर्मनिरपेक्ष यानी निर्लज्ज हो चुके हैं।
दरअसल हर चुनाव में तमाम एग्जिट पोल की दुर्गति होने की अहम वजह यह है कि हमारे यहां एग्जिट पोल करने का कोई वैज्ञानिक तरीका विकसित ही नहीं हुआ है और भारत जैसे विविधता से भरे देश में हो भी नहीं सकता।
फिर हमारे यहां चुनाव को लेकर जिस बड़े पैमाने पर सट्टा होता है और टेलीविजन मीडिया का जिस तरह का लालची चरित्र विकसित हो चुका है, उसके चलते भी एग्जिट पोल की पूरी कवायद सट्टा बाजार के नियामकों और टीवी मीडिया इंडस्ट्री के एक संयुक्त कारोबारी उपक्रम से ज्यादा कुछ नहीं है। अक्सर सत्तारुढ़ दल भी इस उपक्रम में भागीदार बन जाता है।
इसलिए एग्जिट पोल्स दिखाने की कवायद को सिर्फ क्रिकेट के आईपीएल जैसे अश्लील और सस्ते मनोरंजक इवेंट के तौर पर ही लिया जा सकता, इसके अलावा कुछ नहीं।


